बॉम्बे हाईकोर्ट
पहचान और जन्म प्रमाण देने से पुलिस को व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं होता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट के गोवा बेंच ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति के पहचान प्रमाण (POI) जन्म प्रमाण (POB) और पते का प्रमाण (POA) पुलिस को देने से उसकी व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं होता।यह आदेश जस्टिस वाल्मीकि मेनेजेस ने सुनाया।मामला गोवा राज्य द्वारा दायर उस आवेदन से संबंधित था, जिसमें यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह यानिव बेनाइम @ अतला एक इजरायली नागरिक से संबंधित डेमोग्राफिक जानकारी प्रदान करे। मामला इसलिए भी अहम था, क्योंकि यह विदेशी नागरिक...
लाइलाज बीमारी छिपाने पर पति को तलाक का अधिकार : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक विवाह को रद्द करते हुए कहा कि यदि कोई जीवनसाथी विवाह से पहले यह तथ्य छिपाता है कि वह “सिरिब्रल पाल्सी” जैसी असाध्य बीमारी से पीड़ित है, तो यह दूसरे जीवनसाथी के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक लेने का आधार हो सकता है।जस्टिस नितिन सुर्यवंशी और जस्टिस संदीपकुमार मोरे की खंडपीठ ने उस पति की अपील पर फैसला सुनाया, जिसकी तलाक याचिका को फैमिली कोर्ट ने 17 अगस्त 2023 को खारिज कर दिया था। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी जन्म से सिरिब्रल पाल्सी से पीड़ित है, जिसके कारण वह अक्सर...
भाई की पत्नी को साझा घर में रहने से मना करना घरेलू हिंसा के समान: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि किसी महिला को उसके साझा घर (शेयर्ड हाउसहोल्ड) में रहने से रोका जाता है तो यह घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है।अदालत ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 17 के तहत महिला को साझा घर में रहने का अधिकार है। चाहे उस घर में उसका कोई स्वामित्व, हक या लाभकारी हित क्यों न हो।मामले के अनुसार गैर-आवेदक नंबर 1 अपने पति की मृत्यु के बाद साझा घर में रहने के लिए गई थी लेकिन पति के भाई यानी आवेदक ने उसे वहां रहने से रोक दिया।जस्टिस उर्मिला...
प्रति माह 10-15% लाभ का वादा प्रथम दृष्टया बेईमानी का इरादा दर्शाता है: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रेडिंग घोटाला मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि शेयर बाज़ार में प्रतिमाह 10 से 15 प्रतिशत तक के गारंटीड मुनाफे का वादा अपने आप में शुरू से ही धोखाधड़ी की मंशा को दर्शाता है। कोर्ट ने माना कि कोई भी वैध और वास्तविक व्यापार इस तरह के असाधारण और सुनिश्चित लाभ नहीं दे सकता, इसलिए ऐसे प्रलोभन को केवल सिविल विवाद मानकर खारिज नहीं किया जा सकता।जस्टिस अमित बोरकर एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें आरोपियों ने गिरफ्तारी से राहत मांगी थी। मामला भारतीय दंड संहिता 2023 (IPC) की धारा 318(4) और...
'होनहार छात्रा होना FIR रद्द करने का आधार नहीं' : बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिन्दूर पोस्ट मामले में छात्रा की याचिका पर कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के खिलाफ दर्ज FIR केवल इसलिए रद्द नहीं की जा सकती क्योंकि उसने माफी मांगी है, वह होनहार छात्रा है या अच्छे अंकों से पास हुई है। यह FIR मई 2024 में पुणे पुलिस ने छात्रा के खिलाफ दर्ज की थी, जब उसने सोशल मीडिया पर विवादित "ऑपरेशन सिन्दूर" संबंधी पोस्ट री-पोस्ट किया था।चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की डिवीजन बेंच ने कहा—“यह बहुत गंभीर मामला है… पढ़ाई करने वाली बच्ची होने का विचार ज़मानत में हो...
बार-बार मुकदमेबाजी की अनुमति नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठाओं को कुंभी दर्जा देने के खिलाफ PIL खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार के उस शासनादेश (GR) के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) खारिज की, जिसके तहत मराठा समुदाय के उन सदस्यों को जो स्वयं को कुंभी मूल का बताते हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में कुंभी जाति का प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है।चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अखंड की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले पर पहले से ही याचिका अदालत में लंबित है और नई याचिका दाख़िल करना मुकदमेबाजी की अनावश्यक पुनरावृत्ति होगी।चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,“हम मुकदमेबाजी...
बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: हाईकोर्ट के निर्देश पर मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत अलग से प्रारंभिक आदेश की जरूरत नहीं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि यदि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 145 के तहत किसी जांच का विशेष निर्देश दिया तो मजिस्ट्रेट को धारा 145(1) के तहत अलग प्रारंभिक आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में शांति भंग होने की संभावना वाले विवाद के बारे में संतुष्टि पहले ही हाईकोर्ट द्वारा दर्ज कर ली जाती है और मजिस्ट्रेट का कर्तव्य केवल निर्देशानुसार जांच करना होता है।मामले की पृष्ठभूमिजस्टिस अमित बोरकर रोमेल हाउसिंग एलएलपी...
सिटिंग जज पर 'स्कैंडलस' टिप्पणियां करने के लिए एडवोकेट निलेश ओझा के खिलाफ होगी अतिरिक्त आपराधिक अवमानना कार्यवाही
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एडवोकेट निलेश ओझा के खिलाफ स्वतः संज्ञान आपराधिक अवमानना की एक और कार्यवाही शुरू की। अदालत ने पाया कि ओझा ने सिटिंग जज के खिलाफ स्कैंडलस और अपमानजनक आरोप” लगाए, जबकि वे खुद पर लंबित आपराधिक अवमानना मामले में अपना बचाव कर रहे थे।इस वर्ष अप्रैल में हाईकोर्ट ने ओझा के खिलाफ स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही शुरू की थी, क्योंकि उन्होंने जस्टिस रेवती मोहिता-डेरे और तत्कालीन चीफ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय (वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस) के खिलाफ मानहानिकारक और...
अनिल अंबानी को बॉम्बे हाईकोर्ट से अंतरिम राहत, बैंक ऑफ बड़ौदा को धोखाधड़ी वर्गीकरण पर कार्रवाई से रोका
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को अंतरिम राहत देते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा को उद्योगपति अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने वाले अपने 4 सितंबर के आदेश के तहत कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया।जस्टिस रियाज़ छागला और फरहान दुबाश की खंडपीठ ने बैंक को 24 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई तक कोई भी कार्रवाई न करने के लिए कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया, "चूंकि बैंक ने वर्तमान याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा, इसलिए...
महाराष्ट्र सदन घोटाला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने चमनकर बंधुओं के खिलाफ ED का मनी लॉन्ड्रिंग मामला खारिज किया
महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में राज्य के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल से जुड़े मुख्य आरोपियों में से एक चमनकर बंधुओं को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामला रद्द कर दिया।जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कृष्णा और प्रसन्ना चमनकर (दोनों भाई) के खिलाफ कड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज ED का मामला खारिज कर दिया। ये दोनों भाई ठेकेदार केएस चमनकर एंटरप्राइजेज के मालिक हैं, जिन पर धोखाधड़ी से ठेका...
2008 मालेगांव विस्फोट: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीड़ित परिवारों की अपील पर उठाए सवाल, पूछा- 'क्या आप गवाह थे?'
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में बरी किए गए पूर्व BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य आरोपियों के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को स्पष्ट किया कि वह याचिका पर तभी विचार करेगा, जब अपीलकर्ता मुकदमे के दौरान गवाह रहे हों।चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की खंडपीठ ने अपीलकर्ताओं से पूछा,"क्या आप में से कोई मुकदमे में गवाह था? हमें दिखाएं कि क्या आप गवाह थे?"यह अपील निसार अहमद सैय्यद बिलाल और अन्य लोगों ने दायर की, जिनके परिवार...
बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: स्वीकृत पदों की अनुपलब्धता के कारण श्रमिकों को स्थायी दर्ज़ा देने से इनकार नहीं किया जा सकता
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जिन श्रमिकों ने लगातार सेवा की आवश्यक अवधि पूरी कर ली है, उन्हें केवल इस आधार पर स्थायी दर्जा देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि ऐसा इनकार श्रमिकों का लगातार शोषण होगा, जो कल्याणकारी कानून और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।जस्टिस मिलिंद एन. जाधव संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के 22 वन श्रमिकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। ये श्रमिक 2003 से चौकीदार, माली, रसोइया और जंगली जानवरों...
CCI की जांच के खिलाफ एशियन पेंट्स को झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी भी पक्ष को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा धारा 26(1) के तहत शुरुआती राय बनाने के चरण में मौखिक या लिखित सुनवाई का अंतर्निहित अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर आदेश प्रशासनिक प्रकृति का होता है और सुनवाई देना या न देना CCI के विवेक पर निर्भर करता है।जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ एशियन पेंट्स लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एशियन पेंट्स ने CCI के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें महानिदेशक...
अपील का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, विधायिका अपराध के आधार पर अपीलीय फॉर्म निर्धारित कर सकती है: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि अपील का अधिकार एक वैधानिक अधिकार है, मौलिक नहीं। इसलिए विधायिका अपराध के विषय के आधार पर अपीलीय मंच निर्धारित कर सकती है।अदालत ने कहा,"इस तर्क के संबंध में कि अभियुक्त अपीलीय मंच खो देता है, यह न्यायालय इसे निराधार पाता है। अपील का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है; यह विशुद्ध रूप से विधायिका द्वारा निर्मित वैधानिक अधिकार है। विधायिका विषय की प्रकृति के आधार पर कुछ मामलों में जानबूझकर उच्चतर अपीलीय मंच का प्रावधान कर सकती है।"अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का...
स्वीकृत लोन का भुगतान न करना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
औरंगाबाद स्थित बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में यह निर्णय दिया कि केवल इसलिए कि वित्तीय कंपनी ने प्रक्रियागत आवश्यकताओं के अभाव में स्वीकृत लोन राशि का भुगतान नहीं किया और/या प्रसंस्करण शुल्क की मांग की या एक किस्त अग्रिम ले ली। लोन आवेदक आत्महत्या कर लेता है तो उक्त फर्म या उसके कर्मचारियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने या मानहानि का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस हितेन वेनेगावकर की खंडपीठ ने कहा कि वित्तीय कंपनी के कर्मचारियों का कृत्य 'उकसाने' के समान नहीं हो...
सिर्फ टैक्स केस लंबित होने से विदेश यात्रा पर रोक नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ टैक्स संबंधी मुकदमा लंबित होने के आधार पर उसे विदेश यात्रा करने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विदेश यात्रा का अधिकार मौलिक अधिकार है।जस्टिस एस.एम. मोदक ने यह टिप्पणी राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। DRI ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कस्टम एक्ट के तहत दर्ज मामले में आरोपी को विदेश जाने की अनुमति दी गई।मामले के अनुसार आरोपी फर्नीचर व्यवसायी...
'कुछ अवसरों पर पक्षकार की अनुपस्थिति अभियोजन न करने के आधार पर मामले को खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 256 के तहत किसी शिकायत को केवल इसलिए अभियोजन न करने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि शिकायतकर्ता या वकील सुनवाई की कुछ तारीखों पर अनुपस्थित थे। न्यायालय ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार शिकायतकर्ता को शिकायत के गुण-दोष के आधार पर मुकदमा चलाने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए और कठोर या अति-तकनीकी दृष्टिकोण से बचना चाहिए।जस्टिस एम. एम. नेर्लिकर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित 7 जनवरी, 2023 के आदेश...
बीमा पॉलिसी की संदिग्ध शर्तों की व्याख्या बीमाधारक के पक्ष में होगी : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यदि बीमा पॉलिसी की शर्तों में अस्पष्टता हो, तो कॉन्ट्रा प्रोफेरेंटम सिद्धांत लागू होगा और उसकी व्याख्या बीमाधारक के पक्ष में की जाएगी। अदालत ने टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई जिसने एक विधवा का बीमा दावा केवल तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था।जस्टिस संदीप वी. मार्ने एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें बीमा कंपनी ने बीमा लोकपाल के 21 नवंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कंपनी को विधवा को 27 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया गया...
2012 पुणे सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (9 सितंबर) को पुणे में 2012 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के एक आरोपी को लंबे समय से मुकदमे में देरी होने के आधार पर जमानत दे दी।1 अगस्त 2012 की शाम को पुणे शहर में पांच कम तीव्रता वाले बम धमाके हुए थे, जिनमें एक व्यक्ति घायल हुआ था। इसके अलावा एक जिंदा बम भी हीरो स्ट्रीट रेंजर साइकिल की टोकरी में मिला था, जो एक भीड़भाड़ वाले इलाके की दुकान के बाहर खड़ी थी। बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वाड, पुणे ने उसे डिफ्यूज कर दिया था। शुरुआत में यह मामला पुणे के दक्कन पुलिस स्टेशन...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक्टर ध्रुव सरजा के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में आरोपपत्र दाखिल न करने का निर्देश दिया
कन्नड़ एक्टर ध्रुव सरजा उर्फ ध्रुव कुमार को अस्थायी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुंबई पुलिस को फिल्म निर्माता राघवेंद्र हेगड़े द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल न करने का आदेश दिया। उन पर कथित तौर पर 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड़ की खंडपीठ ने आदेश पारित कर मुंबई पुलिस को अदालत की अनुमति के बिना मामले में आरोपपत्र दाखिल न करने का निर्देश दिया।सरजा के खिलाफ हेगड़े के कहने पर FIR दर्ज की गई है। हेगड़े...
















