पहचान और जन्म प्रमाण देने से पुलिस को व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं होता: बॉम्बे हाईकोर्ट
Amir Ahmad
25 Sept 2025 1:38 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट के गोवा बेंच ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति के पहचान प्रमाण (POI) जन्म प्रमाण (POB) और पते का प्रमाण (POA) पुलिस को देने से उसकी व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं होता।
यह आदेश जस्टिस वाल्मीकि मेनेजेस ने सुनाया।
मामला गोवा राज्य द्वारा दायर उस आवेदन से संबंधित था, जिसमें यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह यानिव बेनाइम @ अतला एक इजरायली नागरिक से संबंधित डेमोग्राफिक जानकारी प्रदान करे। मामला इसलिए भी अहम था, क्योंकि यह विदेशी नागरिक बिना वैध दस्तावेजों के भारत में आधार कार्ड प्राप्त करने में सक्षम हुआ था।
अदालत ने कहा कि उक्त विदेशी नागरिक कई आपराधिक मामलों में गिरफ्तार और दोषी ठहराया गया, जिनमें NDPS भ्रष्टाचार निवारण, पासपोर्ट एक्ट, विदेशी नागरिक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत मामले शामिल हैं। इसके बावजूद उसने 11 अगस्त, 2021 को आधार कार्ड हासिल किया, जबकि उसके पास वैध पासपोर्ट वीजा या यात्रा दस्तावेज नहीं था।
अदालत ने आधार अधिनियम की धारा का हवाला देते हुए कहा कि भारत का कोई भी निवासी अपने डेमोग्राफिक विवरण प्रदान करने पर आधार कार्ड प्राप्त करने का हकदार है। यदि कोई विदेशी नागरिक भारत में निवास कर रहा है तो उसे वैध वीजा या यात्रा दस्तावेज की आवश्यकता होती है। इस मामले में यह विदेशी नागरिक भारत में बिना वैध दस्तावेजों के रहा और पहले पेरू से देश निकाला गया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पहचान जन्म और पते के प्रमाण सभी प्रमाणपत्र एक गजटेड अधिकारी द्वारा जारी किए गए, जो UIDAI के मानक प्रारूप में हैं। ये किसी अन्य निजी दस्तावेज़ पर आधारित नहीं हैं। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि Form 1 के माध्यम से POI, POA और POB की प्रतियां देना किसी भी व्यक्तिगत दस्तावेज़ या व्यक्तिगत जानकारी के खुलासे के रूप में नहीं देखा जाएगा।
इस निर्णय से यह स्पष्ट हुआ कि जांच एजेंसियों को किसी विदेशी या नागरिक के आधार कार्ड से संबंधित आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में आधार कार्ड अधिनियम बाधा नहीं बनता और इसका अर्थ यह नहीं कि उसके निजी दस्तावेज़ सार्वजनिक हो गए।

