महाराष्ट्र सदन घोटाला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने चमनकर बंधुओं के खिलाफ ED का मनी लॉन्ड्रिंग मामला खारिज किया

Shahadat

17 Sept 2025 10:29 AM IST

  • महाराष्ट्र सदन घोटाला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने चमनकर बंधुओं के खिलाफ ED का मनी लॉन्ड्रिंग मामला खारिज किया

    महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में राज्य के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल से जुड़े मुख्य आरोपियों में से एक चमनकर बंधुओं को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामला रद्द कर दिया।

    जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कृष्णा और प्रसन्ना चमनकर (दोनों भाई) के खिलाफ कड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज ED का मामला खारिज कर दिया। ये दोनों भाई ठेकेदार केएस चमनकर एंटरप्राइजेज के मालिक हैं, जिन पर धोखाधड़ी से ठेका हासिल करने का आरोप था।

    खंडपीठ ने कहा कि चमनकर बंधुओं के खिलाफ प्रारंभिक मामला 2015 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा पूर्वनिर्धारित अपराध के लिए दर्ज किया गया, जिसके बाद ED ने जून, 2015 में PMLA कानून के तहत एक ECIR दर्ज किया।

    जजों ने कहा कि हालांकि, 31 जुलाई, 2021 को पारित आदेश द्वारा स्पेशल कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में भुजबल और चमनकर बंधुओं को भी इस अपराध से मुक्त कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि न तो राज्य और न ही ED ने उक्त निर्णय को चुनौती दी, जो अब अंतिम हो गया।

    जजों ने आदेश में कहा,

    "याचिकाकर्ताओं को ट्रायल कोर्ट ने ACB, मुंबई डिवीजन द्वारा दर्ज किए गए इस अपराध से 31 जुलाई, 2021 के अपने आदेश द्वारा मुक्त कर दिया और उक्त आदेश अंतिम हो गया। इसके मद्देनजर, हमारे अनुसार, विजय मदनलाल चौधरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया निष्कर्ष याचिकाकर्ताओं पर पूरी तरह लागू होता है। इसलिए याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध ED द्वारा दर्ज की गई ECIR और उस पर दायर आरोप-पत्र को रद्द और रद्द किया जाना चाहिए।"

    गौरतलब है कि ACB ने 2015 में भुजबल और 15 अन्य के खिलाफ RTO की जमीन पर झुग्गी बस्ती पुनर्विकास का ठेका केएस चमनकर एंटरप्राइजेज नामक फर्म को बिना निविदा आमंत्रित किए देने के संबंध में मामला दर्ज किया। 2005 में जब भुजबल लोक निर्माण विभाग (PwD) मंत्री थे, ACB ने आरोप लगाया कि भुजबल के परिवार को लगभग 13 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी।

    अभियोजन पक्ष ने आरोपमुक्ति आवेदनों का कड़ा विरोध किया। हालांकि, मूल शिकायतकर्ता कार्यकर्ता अंजलि दमानिया को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी गई।

    डेवलपर और अन्य सह-आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए अदालत ने माना कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिससे सभी लोक सेवकों की राय एक जैसी हो। अदालत ने इस बात से इनकार किया कि निविदा आमंत्रित किए बिना परियोजना को डेवलपर को सौंपना गैरकानूनी था।

    मामला

    ACB ने आरोप लगाया कि बिल्डर को अंधेरी में RTO की ज़मीन पर झुग्गी बस्ती बनाने का अधिकार इस शर्त पर मिला कि बदले में दिल्ली में महाराष्ट्र सदन, अंधेरी में एक RTO भवन और मालाबार हिल पर एक गेस्ट हाउस बनाया जाएगा।

    कथित तौर पर फर्म ने इस काम के लिए एक अन्य कंपनी के साथ समझौता किया और बाद में RTO के विकास अधिकार एक निर्माण कंपनी को बेच दिए।

    Case Title: Krishna Shantaram Chamankar vs 'Union of India (Writ Petition 3400 of 2025)

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