सिर्फ टैक्स केस लंबित होने से विदेश यात्रा पर रोक नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला
Amir Ahmad
12 Sept 2025 3:25 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ टैक्स संबंधी मुकदमा लंबित होने के आधार पर उसे विदेश यात्रा करने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विदेश यात्रा का अधिकार मौलिक अधिकार है।
जस्टिस एस.एम. मोदक ने यह टिप्पणी राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। DRI ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कस्टम एक्ट के तहत दर्ज मामले में आरोपी को विदेश जाने की अनुमति दी गई।
मामले के अनुसार आरोपी फर्नीचर व्यवसायी है। उसको कस्टम एक्ट की धारा 135(1)(ए) और 135(1)(बी) के तहत दर्ज मामले में आरोपी बनाया गया। उसे एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दी थी, जिसमें उसे छह महीने के लिए अपना पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया।
पासपोर्ट जमा करने के बाद आरोपी ने इसे वापस पाने और पेरिस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय फर्नीचर मेले में शामिल होने के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी। ट्रायल कोर्ट ने DRI की आपत्तियों के बावजूद उसे यह अनुमति दी।
DRI की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि यदि आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति दी जाती है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। वहीं आरोपी के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल का विदेश यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। वह केवल एक व्यापार मेले में शामिल होने जा रहे हैं।
जस्टिस मोदक की पीठ ने कहा कि यह सही है कि विदेश यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
उन्होंने कहा,
"सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चल रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह जांच पूरी होने या आपराधिक मामला लंबित होने तक विदेश यात्रा नहीं कर सकता।"
अदालत ने कहा कि यह जांच करना जरूरी है कि क्या विदेश यात्रा की अनुमति देने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई वास्तविक संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय को जांच एजेंसी के अधिकार और आरोपी के विदेश यात्रा के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होता है।
पीठ ने पाया कि केवल जांच जारी होने के कारण आरोपी को अंतरराष्ट्रीय फर्नीचर मेले में जाने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने आरोपी को यह निर्देश दिया कि वह इस मामले से संबंधित निर्यातकों से किसी भी तरह का संपर्क स्थापित न करे।
इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने DRI की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे आरोपी को विदेश यात्रा करने की अनुमति मिल गई।

