बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: हाईकोर्ट के निर्देश पर मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत अलग से प्रारंभिक आदेश की जरूरत नहीं

Amir Ahmad

18 Sept 2025 4:02 PM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: हाईकोर्ट के निर्देश पर मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत अलग से प्रारंभिक आदेश की जरूरत नहीं

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि यदि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 145 के तहत किसी जांच का विशेष निर्देश दिया तो मजिस्ट्रेट को धारा 145(1) के तहत अलग प्रारंभिक आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।

    न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में शांति भंग होने की संभावना वाले विवाद के बारे में संतुष्टि पहले ही हाईकोर्ट द्वारा दर्ज कर ली जाती है और मजिस्ट्रेट का कर्तव्य केवल निर्देशानुसार जांच करना होता है।

    मामले की पृष्ठभूमि

    जस्टिस अमित बोरकर रोमेल हाउसिंग एलएलपी और उसके पार्टनर जूड रोमेल द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

    याचिका में एडिशनल सेशन जज के 4 अगस्त, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के CrPC की धारा 145 के आदेश को रद्द कर दिया था। मजिस्ट्रेट ने पहले 21 दिसंबर, 2019 के आदेश से यह माना था कि याचिकाकर्ता दहिसर में विवादित भूमि के कब्जे में थे और कोर्ट रिसीवर को उन्हें कब्जा सौंपने का निर्देश दिया था। हालांकि सेशन कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया था।

    हाईकोर्ट ने पाया कि सेशन कोर्ट ने साक्ष्य के कठोर मानकों को गलत तरीके से लागू किया और एक दीवानी मुकदमे की तरह साक्ष्य का पुनर्मूल्यांकन किया, जिससे उसने अपने पुनर्विचार क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया। कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने दस्तावेजी और मौखिक दोनों साक्ष्यों का सही आकलन किया।

    मजिस्ट्रेट द्वारा प्रारंभिक आदेश जारी न करने के तर्क पर न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत जांच करने का स्पष्ट निर्देश दिया था। इस निर्देश की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी। ऐसी परिस्थितियों में मजिस्ट्रेट को फिर से प्रारंभिक आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि विवाद के संबंध में संतुष्टि दर्ज करने का उद्देश्य पहले ही हाईकोर्ट के निर्देशों द्वारा पूरा हो चुका था।

    कोर्ट ने कहा,

    "एक बार जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खुद मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत जांच करने का निर्देश देते हैं तो मजिस्ट्रेट द्वारा अलग प्रारंभिक आदेश की अनुपस्थिति कार्यवाही को अमान्य नहीं कर सकती।"

    तदनुसार, कोर्ट ने सेशन कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और मजिस्ट्रेट के 21 दिसंबर, 2019 का आदेश बहाल कर दिया, जिसमें कोर्ट रिसीवर को याचिकाकर्ताओं को संपत्ति का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया गया था।

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