'होनहार छात्रा होना FIR रद्द करने का आधार नहीं' : बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिन्दूर पोस्ट मामले में छात्रा की याचिका पर कहा
Praveen Mishra
19 Sept 2025 11:27 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के खिलाफ दर्ज FIR केवल इसलिए रद्द नहीं की जा सकती क्योंकि उसने माफी मांगी है, वह होनहार छात्रा है या अच्छे अंकों से पास हुई है। यह FIR मई 2024 में पुणे पुलिस ने छात्रा के खिलाफ दर्ज की थी, जब उसने सोशल मीडिया पर विवादित "ऑपरेशन सिन्दूर" संबंधी पोस्ट री-पोस्ट किया था।
चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की डिवीजन बेंच ने कहा—“यह बहुत गंभीर मामला है… पढ़ाई करने वाली बच्ची होने का विचार ज़मानत में हो सकता है, पर FIR रद्द करने का आधार नहीं।” कोर्ट ने यह भी कहा कि मेंस रिया (अपराध की मंशा) अप्रासंगिक है और पोस्ट डिलीट करना स्थिति को और जटिल बनाता है।
छात्रा (सिंहगड एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे) को 9 मई को गिरफ्तार किया गया था। उसने 'रिफॉर्मिस्तान' नामक इंस्टाग्राम हैंडल से एक पोस्ट री-पोस्ट किया था, जिसमें भारत सरकार पर पाकिस्तान से तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया गया था। छात्रा ने पोस्ट दो घंटे में हटा दिया और सार्वजनिक माफी भी मांगी, लेकिन उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
याचिका में छात्रा ने FIR और कॉलेज से निष्कासन (रस्टिकेशन) दोनों को चुनौती दी है। मई में अवकाशकालीन बेंच ने पुणे पुलिस को छात्रा को तुरंत रिहा करने और कॉलेज को परीक्षा देने की अनुमति देने का आदेश दिया था। कॉलेज ने आरोप लगाया था कि छात्रा की पोस्ट “राष्ट्रविरोधी भावनाओं” को दर्शाती है और संस्थान की छवि खराब करती है।
कोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई दो हफ्तों बाद तय की है और पुलिस केस डायरी सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है।

