2012 पुणे सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत

Praveen Mishra

10 Sept 2025 2:17 PM IST

  • 2012 पुणे सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (9 सितंबर) को पुणे में 2012 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के एक आरोपी को लंबे समय से मुकदमे में देरी होने के आधार पर जमानत दे दी।

    1 अगस्त 2012 की शाम को पुणे शहर में पांच कम तीव्रता वाले बम धमाके हुए थे, जिनमें एक व्यक्ति घायल हुआ था। इसके अलावा एक जिंदा बम भी हीरो स्ट्रीट रेंजर साइकिल की टोकरी में मिला था, जो एक भीड़भाड़ वाले इलाके की दुकान के बाहर खड़ी थी। बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वाड, पुणे ने उसे डिफ्यूज कर दिया था।

    शुरुआत में यह मामला पुणे के दक्कन पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ, बाद में इसे आगे की जांच के लिए एंटी टेररिज्म स्क्वाड, मुंबई को सौंपा गया।

    जांच में सामने आया कि इस अपराध का मकसद बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि करना और आम जनता में दहशत फैलाना था। एटीएस के अनुसार, ये हमले इंडियन मुजाहिदीन के ऑपरेटिव कतिल सिद्दीकी की हिरासत में हुई मौत का बदला लेने के लिए किए गए थे, जिनकी 2012 में येरवडा जेल में हत्या हो गई थी।

    अभियोजन पक्ष ने बगवान पर आरोप लगाया था कि उसने जाली दस्तावेज तैयार किए, जिनका इस्तेमाल उसके एक सह-आरोपी ने सिम कार्ड हासिल करने के लिए किया। उस पर यह आरोप भी था कि उसने अपनी दुकान को सह-आरोपियों के बैठक स्थल के रूप में उपलब्ध कराया, जहां बम धमाकों की साजिश रची गई।

    जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता फारूक बगवान 12 साल 6 महीने से हिरासत में है और निकट भविष्य में मुकदमे के जल्द निपटने की संभावना बहुत कम है।

    अदालत ने आदेश में कहा, "अपीलकर्ता 12½ साल से अधिक समय से मुकदमे से पहले की हिरासत में है। अब तक अभियोजन पक्ष ने 170 गवाहों में से केवल 27 गवाहों की ही गवाही कराई है। इससे साफ है कि मुकदमे के जल्द पूरा होने की संभावना दूर-दूर तक नहीं है। यह सिद्धांत अब अच्छी तरह स्थापित हो चुका है कि आरोपी को शीघ्र सुनवाई का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है।"

    खंडपीठ ने यह भी नोट किया कि सह-आरोपी मुनीब मेमन, जिसने बगवान द्वारा तैयार किए गए जाली दस्तावेजों का उपयोग कर सिम कार्ड हासिल किया था, उसे पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसी आधार पर बगवान की रिहाई का आदेश भी दिया गया।

    खंडपीठ ने अपीलकर्ता को 1 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का आदेश दिया।

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