उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को तलाक दिया, जिसके खिलाफ पत्नी ने 45 एफआईआर दर्ज कराई थीं; कहा- कानून शादी में कष्ट सहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता
उड़ीसा हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को तलाक दिया, जिसके खिलाफ पत्नी ने 45 एफआईआर दर्ज कराई थीं; कहा- 'कानून शादी में कष्ट सहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता'

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में क्रूरता के आधार पर एक जोड़े को तलाक दे दिया, जबकि पत्नी ने पति के खिलाफ कई तुच्छ आपराधिक मामले दर्ज किए, उसके बुजुर्ग माता-पिता को उसके वैवाहिक घर से बाहर निकालने का प्रयास किया और बार-बार आत्महत्या करने की धमकी दी, जिससे पति को गंभीर भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संकट हुआ। जस्टिस बिभु प्रसाद राउत्रे और जस्टिस चित्तरंजन दाश की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि पत्नी द्वारा आत्महत्या करने की बार-बार दी गई धमकी वास्तव में क्रूरता का एक रूप है और कहा -“आत्महत्या करने या इससे भी...

आरोपों में नफरत भरी हुई है, एक दशक पहले ही शादी पूरी तरह टूट चुकी है: उड़ीसा हाईकोर्ट ने जोड़े को तलाक की अनुमति दी
आरोपों में नफरत भरी हुई है, एक दशक पहले ही शादी पूरी तरह टूट चुकी है: उड़ीसा हाईकोर्ट ने जोड़े को तलाक की अनुमति दी

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i-b) के तहत परित्याग के आधार पर जोड़े को तलाक की अनुमति दी। साथ ही यह भी कहा कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से यह जोड़ा एक-दूसरे के खिलाफ नफरत भरे आरोप लगा रहा है और शादी पूरी तरह टूट चुकी है।पति-पत्नी के बीच गंभीर वैवाहिक मतभेदों को उजागर करते हुए जस्टिस बिभु प्रसाद राउत्रे और जस्टिस चित्तरंजन दाश की खंडपीठ ने कहा,“पिछले 12 वर्षों के दौरान किसी भी पक्ष द्वारा वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। इसलिए...

S.138 NI Act | यदि शिकायतकर्ता अवैध लेनदेन में शामिल हैं तो चेक बाउंस का मामला कायम नहीं रखा जा सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट
S.138 NI Act | यदि शिकायतकर्ता अवैध लेनदेन में शामिल हैं तो चेक बाउंस का मामला कायम नहीं रखा जा सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर शिकायतकर्ता स्वयं अवैध लेनदेन में भागीदार है, या दूसरे शब्दों में, यदि शिकायतकर्ता ने अवैध उद्देश्य को पाने के लिए शुरू में पैसों को भुगतान किया है तो वह निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत आरोपी के खिलाफ चेक बाउंस का मामला नहीं चला सकती। आरोपी के खिलाफ धारा 138 के तहत आरोप को खारिज करते हुए जस्टिस सिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने कहा -“वर्तमान मामले में इन पैरी डेलिक्टो का सिद्धांत स्पष्ट रूप से लागू होता है।...

S. 245 CrPC | मजिस्ट्रेट के लिए आरोपी की डिस्चार्ज याचिका को स्वीकार/अस्वीकार करते समय कारण दर्ज करना अनिवार्य: उड़ीसा हाईकोर्ट
S. 245 CrPC | मजिस्ट्रेट के लिए आरोपी की डिस्चार्ज याचिका को स्वीकार/अस्वीकार करते समय कारण दर्ज करना अनिवार्य: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 245 के तहत किसी अभियुक्त द्वारा दायर डिस्चार्ज याचिका को न केवल स्वीकार करने के लिए बल्कि उसे खारिज करने के लिए भी मजिस्ट्रेट के लिए कारण दर्ज करना अनिवार्य है। जस्टिस शशिकांत मिश्रा की एकल पीठ ने कानून के प्रावधान के तहत आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए कहा - धारा 245 में प्रयुक्त भाषा, "और ऐसा करने के लिए उसके कारण दर्ज करें" केवल उस मामले को संदर्भित नहीं कर सकती है जहां डिस्चार्ज के लिए आवेदन स्वीकार किया जाता है और तब नहीं जब उसे...

S. 239 CrPC| अभियुक्त को तब बरी किया जा सकता है, जब अभियोजन सामग्री, जिसका भले ही खंडन न किया गया हो, दोषसिद्धि का संकेत न दे: उड़ीसा हाईकोर्ट
S. 239 CrPC| अभियुक्त को तब बरी किया जा सकता है, जब अभियोजन सामग्री, जिसका भले ही खंडन न किया गया हो, दोषसिद्धि का संकेत न दे: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने दोहराया कि किसी अभियुक्त को तब बरी कर दिया जाना चाहिए जब आरोप तय करने के लिए विचार के समय प्रस्तुत सामग्री ऐसी प्रकृति की हो कि यदि उसका खंडन न किया जाए तो भी वह अभियुक्त की दोषसिद्धि का संकेत नहीं देती। दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 239 के तहत अभियुक्त को बरी करने के लिए कानून के सिद्धांतों को लागू करते हुए जस्टिस संगम कुमार साहू और जस्टिस सावित्री राठो की खंडपीठ ने कहा -“यदि यह मानने का कोई आधार नहीं है कि अभियुक्त ने कोई अपराध किया है तो आरोपों को निराधार माना जाना...

किशोर अंतर-धार्मिक संबंध: पीड़िता से विवाह करने के बाद मुस्लिम व्यक्ति के विरुद्ध POCSO मामला खारिज, कोर्ट ने कहा- संबंध प्रेमपूर्ण थे, जबरदस्ती नहीं
किशोर अंतर-धार्मिक संबंध: पीड़िता से विवाह करने के बाद मुस्लिम व्यक्ति के विरुद्ध POCSO मामला खारिज, कोर्ट ने कहा- संबंध प्रेमपूर्ण थे, जबरदस्ती नहीं

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में मुस्लिम व्यक्ति के विरुद्ध यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत अन्य बातों के साथ-साथ आरोपों को खारिज कर दिया, जिस पर नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण करने और उसके साथ बार-बार यौन संबंध बनाने का आरोप है, क्योंकि बाद में उसने पीड़ित लड़की से विवाह कर लिया और एक खुशहाल वैवाहिक जीवन शुरू कर दिया।प्रचलित कानून के संदर्भ में पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए जस्टिस सिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने कहा -“इस मामले में याचिकाकर्ता के विरुद्ध मुकदमा...

वैवाहिक स्थिति से संबंधित विवाद फैमिली कोर्ट के अनन्य क्षेत्राधिकार में आता है: उड़ीसा हाईकोर्ट
वैवाहिक स्थिति से संबंधित विवाद फैमिली कोर्ट के अनन्य क्षेत्राधिकार में आता है: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि पक्षकारों की वैवाहिक स्थिति से संबंधित विवाद फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 (Family Court Act) के तहत स्थापित फैमिली कोर्ट के अनन्य क्षेत्राधिकार में आता है। इसका निर्णय किसी अन्य सिविल कोर्ट द्वारा नहीं किया जा सकता।जिला जज के आदेश द्वारा परिवर्तित किए जा रहे सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा पारित आदेश निरस्त करते हुए जस्टिस शशिकांत मिश्रा की एकल पीठ ने कहा -"यह आश्चर्यजनक है कि फैमिली कोर्ट की स्थापना और संचालन के बाद भी ट्रायल कोर्ट ने न केवल मुकदमे को आगे बढ़ाया, बल्कि...

13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को मां बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट  ने 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी
13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को मां बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट ने 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी

उड़ीसा हाईकोर्ट ने सोमवार (03 मार्च) को 13 वर्षीय नाबालिग बलात्कार पीड़िता के 24 सप्ताह से अधिक पुराने गर्भ को चिकित्सीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दे दी। पीड़िता सिकल सेल एनीमिया और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित है। डॉ. जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने नाबालिग के अवांछित गर्भ को उसके शरीर और मन पर 'असहनीय बोझ' करार दिया और कहा, “एक तेरह वर्षीय लड़की को गर्भ को पूर्ण अवधि तक ले जाने के लिए मजबूर करना उसके शरीर और मन पर असहनीय बोझ डालेगा, जिसके लिए वह न तो तैयार है और न ही...

BNSS की धारा 379 | न्यायालय शिकायत करने या करने से इनकार करने से पहले प्रारंभिक जांच करने के लिए बाध्य नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट
BNSS की धारा 379 | न्यायालय शिकायत करने या करने से इनकार करने से पहले प्रारंभिक जांच करने के लिए बाध्य नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा ‌हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 379 के तहत शिकायत करने या उसे अस्वीकार करने के लिए धारा 215, बीएनएसएस में संदर्भित अपराधों के लिए प्रारंभिक जांच करना न्यायालय के लिए अनिवार्य नहीं है। प्रक्रियात्मक प्रावधान को स्पष्ट करते हुए जस्टिस गौरीशंकर सतपथी की एकल पीठ ने कहा, "...ऐसा प्रतीत होता है कि बीएनएसएस की धारा 379 प्रारंभिक जांच को अनिवार्य नहीं बनाती है, इसलिए हर मामले में ऐसा तरीका अपनाने की आवश्यकता नहीं हो सकती है। हालांकि, न्यायालय...

डीमैट एकाउंट के लिए पैन-आधार लिंकेज संवैधानिक रूप से वैध, उड़ीसा हाईकोर्ट ने आधार के अनिवार्य उपयोग के खिलाफ पूर्व सांसद की याचिका खारिज की
डीमैट एकाउंट के लिए पैन-आधार लिंकेज संवैधानिक रूप से वैध, उड़ीसा हाईकोर्ट ने आधार के अनिवार्य उपयोग के खिलाफ पूर्व सांसद की याचिका खारिज की

उड़ीसा हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद तथागत सतपथी की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने डीमैट एकाउंट के संचालन के उद्देश्य से आधार को परामनेंट एकाउंट नंबर (PAN) से अनिवार्य रूप से जोड़ने की आवश्यकता को चुनौती दी थी। उपर्युक्त आवश्यकता को संवैधानिक और 'निजता के अधिकार' पर एक उचित प्रतिबंध मानते हुए डॉ जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा -“आयकर अधिनियम की धारा 139AA के तहत पैन और डीमैट खातों के साथ आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ना पुट्टस्वामी में निर्धारित संवैधानिक...

यह धारणा कि महिला केवल शादी करने के लिए अंतरंग संबंध बनाती है, पितृसत्तात्मक है: उड़ीसा हाईकोर्ट ने शादी के झूठे वादे पर सेक्स को अपराध बनाने पर सवाल उठाया
'यह धारणा कि महिला केवल शादी करने के लिए अंतरंग संबंध बनाती है, पितृसत्तात्मक है': उड़ीसा हाईकोर्ट ने शादी के झूठे वादे पर सेक्स को अपराध बनाने पर सवाल उठाया

उड़ीसा हाईकोर्ट ने 'शादी के झूठे वादे' पर यौन संबंध को अपराध घोषित करने के पीछे की अंतर्निहित धारणा पर सवाल उठाया है और कहा है कि यह धारणा कि एक महिला किसी पुरुष के साथ केवल शादी के 'प्रस्तावना' के रूप में अंतरंगता में संलग्न होती है, एक पितृसत्तात्मक विचार है और न्याय का सिद्धांत नहीं है। महिला कामुकता और शारीरिक स्वायत्तता पर बंधन लगाने के खिलाफ एक शक्तिशाली टिप्पणी में डॉ. जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा -"न्याय की खोज में, कानून को नैतिक पुलिसिंग का साधन नहीं बनना चाहिए। इसे...

प्यार में विफलता कोई अपराध नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट ने शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का आरोप खारिज किया
'प्यार में विफलता कोई अपराध नहीं': उड़ीसा हाईकोर्ट ने शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का आरोप खारिज किया

उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के आरोपों को खारिज कर दिया है, जिस पर शादी का झूठा वादा करके लगभग नौ साल की अवधि में एक महिला/शिकायतकर्ता के साथ बार-बार यौन संबंध बनाने का आरोप था। डॉ. जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा कि विवाह में रिश्ते का समापन न होना व्यक्तिगत शिकायत का स्रोत हो सकता है, लेकिन अपराध नहीं है और इस प्रकार, उन्होंने कहा - “कानून हर टूटे हुए वादे को अपनी सुरक्षा प्रदान नहीं करता है और न ही यह हर असफल रिश्ते पर आपराधिकता थोपता है। याचिकाकर्ता और...

अभियुक्त को 6 साल से अधिक समय तक अंडरट्रायल के रूप में कस्टडी में रखना त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन: उड़ीसा हाईकोर्ट
अभियुक्त को 6 साल से अधिक समय तक अंडरट्रायल के रूप में कस्टडी में रखना त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि अभियुक्त को छह साल से अधिक समय तक अंडरट्रायल के रूप में कस्टडी में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन माना जा सकता है।भोले-भाले निवेशकों से करोड़ों रुपये ठगने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए जस्टिस गौरीशंकर सतपथी की एकल पीठ ने कहा -"यह सच है कि किसी भी कानून में यह परिभाषित नहीं किया गया कि कितने समय तक कस्टडी में रखना त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा, जैसा कि इस मामले में पाया गया लेकिन किसी भी मानक के अनुसार...

उड़ीसा हाईकोर्ट ने ईसाई धर्म के प्रति अपमानजनक होने के आरोप में ओडिया फिल्म सनातनी की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने ईसाई धर्म के प्रति अपमानजनक होने के आरोप में ओडिया फिल्म 'सनातनी' की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया

उड़ीसा हाईकोर्ट ने उड़िया फिल्म 'सनातनी' की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह ईसाई धर्म के प्रति अपमानजनक है और इसमें अशांति पैदा करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति में व्यवधान पैदा करने की संभावना है।कार्यवाहक चीफ़ जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस मृगांका शेखर साहू की खंडपीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं इदमा कुरमी और अमोध कुमार बर्धन द्वारा दायर दो रिट याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि फिल्म में ईसाई धर्म के प्रति...

धारा 175(3) BNSS | मजिस्ट्रेट के लिए जांच का आदेश पारित करने से पहले FIR दर्ज करने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारी की बात सुनना अनिवार्य: उड़ीसा हाईकोर्ट
धारा 175(3) BNSS | मजिस्ट्रेट के लिए जांच का आदेश पारित करने से पहले FIR दर्ज करने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारी की बात सुनना अनिवार्य: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि जांच के लिए आदेश पारित करने से पहले मजिस्ट्रेट के लिए यह अनिवार्य है कि वह पुलिस अधिकारी क ओर से एफआईआर दर्ज करने से इनकार करने पर उसकी दलीलों को सुने, साथ ही शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए गए हलफनामे के साथ दिए गए आवेदन पर विचार करे और उचित जांच करे।नए आपराधिक कानून व्यवस्था के तहत कानून की स्थिति को स्पष्ट करते हुए जस्टिस गौरीशंकर सतपथी की एकल पीठ ने कहा -“…मजिस्ट्रेट के लिए संबंधित पुलिस अधिकारी की दलीलों पर विचार करना अनिवार्य है, ताकि शिकायत और पुलिस...

पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्यांग श्रद्धालुओं की सुविधा पर उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंदिर प्रशासन से जवाब मांगा
पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्यांग श्रद्धालुओं की सुविधा पर उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंदिर प्रशासन से जवाब मांगा

ओडिशा हाईकोर्ट ने भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी के प्रशासन से दिव्यांग श्रद्धालुओं, विशेष रूप से व्हील-चेयर पर सवार व्यक्तियों को भगवान के दर्शन करने के लिए प्रवेश प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब मांगा है।याचिकाकर्ता एडवोकेट मृणालिनी पाधी ने मंदिर प्राधिकरण द्वारा जगन्नाथ मंदिर में दिव्यांग भक्तों को प्रवेश प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दिए गए आश्वासन को लागू करने की मांग करते हुए रिट याचिका दायर की, जैसा कि शीर्ष अदालत के आदेश दिनांक 04.11.2019 में उल्लेख किया गया है।...

जांच/मुकदमा लंबित रहने तक एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त वाहन की अंतरिम रिलीज़ पर कोई रोक नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट
जांच/मुकदमा लंबित रहने तक एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त वाहन की अंतरिम रिलीज़ पर कोई रोक नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) या नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत अपराध करने के लिए जब्त किए गए वाहनों की अंतरिम रिहाई के लिए कोई रोक नहीं है और इसलिए, उचित शर्तें लगाकर जांच/परीक्षण के लंबित रहने के दौरान उन्हें छोड़ा जा सकता है। कानून की स्थिति को स्पष्ट करते हुए चीफ जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस सावित्री राठो की खंडपीठ ने कहा -"एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामले के निपटान तक अंतरिम अवधि में...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय पुत्र घोषित करने और उनसे जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 'राष्ट्रीय पुत्र' घोषित करने और उनसे जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय पुत्र घोषित करने और उनसे जुड़ी खुफिया ब्यूरो (IB) के दस्तावेजों सहित गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के साथ ही उन्हें सार्वजनिक करने की मांग के साथ उड़ीसा हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई।पिनाकपानी मोहंती नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में नेताजी के जन्मदिन (23 जनवरी) को राष्ट्रीय दिवस और कटक में उनके जन्मस्थान संग्रहालय को राष्ट्रीय संग्रहालय घोषित करने की भी मांग की गई। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को सत्ता हस्तांतरण समझौता 1947 और मुखर्जी आयोग की जांच...

महिला की पवित्रता अमूल्य संपत्ति, पति द्वारा चरित्र हनन पत्नी के लिए अलग रहने और भरण-पोषण का दावा करने का वैध आधार: उड़ीसा हाईकोर्ट
महिला की पवित्रता अमूल्य संपत्ति, पति द्वारा चरित्र हनन पत्नी के लिए अलग रहने और भरण-पोषण का दावा करने का वैध आधार: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि यदि पति बेवफाई के बारे में सबूत पेश किए बिना पत्नी के चरित्र हनन में लिप्त है, तो यह उसके लिए अलग रहने का पर्याप्त आधार है और उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(4) के अनुसार भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं किया जाएगा। फैमिली कोर्ट द्वारा पारित भरण-पोषण के आदेश को बरकरार रखते हुए, जस्टिस गौरीशंकर सतपथी की एकल पीठ ने कहा," पत्नी के लिए अपने पति के साथ रहने से इंकार करना बिल्कुल स्वाभाविक है, जिसने उसकी पवित्रता पर संदेह किया है, क्योंकि एक महिला की...