KIIT यूनिवर्सिटी के खिलाफ नेपाली स्टूडेंट की मृत्यु मामले में NHRC की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
Amir Ahmad
10 April 2025 8:17 AM

किंजलाल औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान (KIIT) को अस्थायी राहत देते हुए उड़ीसा हाईकोर्ट ने फरवरी में नेपाली स्टूडेंट की कथित आत्महत्या के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा शुरू की गई कार्यवाही और आदेशों पर अंतरिम रोक लगाई।
जस्टिस डॉ. संजीब कुमार पाणिग्रही ने अपने आदेश में कहा,
“यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि जब अर्ध-न्यायिक संस्थाएं आदेश पारित करती हैं तो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन केवल औपचारिकता नहीं बल्कि मूलभूत आवश्यकता है। नोटिस का अभाव या सुनवाई का अवसर न देना ऐसी प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करता है और उसे चुनौती के योग्य बनाता है। एक अंतरिम उपाय के रूप में यह निर्देशित किया जाता है कि केस संख्या 134/18/28/2025-WC में NHRC में चल रही सभी कार्यवाहियां अगली सुनवाई तक स्थगित रहेंगी। साथ ही दिनांक 27.03.2025 को पारित आदेश का प्रभाव भी अगले सुनवाई की तिथि तक स्थगित रहेगा।"
मामले की पृष्ठभूमि:
12 मार्च 2024 को मृतका ने यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय संबंध अधिकारी (IRO) को शिकायत दी मामला अनुशासन समिति को सौंपा गया, जिसने आरोपी (मृतका का पुरुष मित्र) को आपत्तिजनक तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और मृतका ने आगे कोई शिकायत न करने की बात कही।
संवेदनशीलता के कारण IRO ने यह मामला न तो यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति को भेजा न ही पुलिस को।
25 जनवरी, 2025 को मृतका और आरोपी के बीच विवाद हुआ। दोनों को IRO के पास काउंसलिंग के लिए लाया गया और दोनों ने लिखित रूप से संपर्क न करने का वचन दिया।
29 जनवरी, 2025 को मृतका के भाई ने भी आरोपी से न उलझने और उसे धमकी न देने का लिखित वचन दिया।
उसी दिन मृतका ने IRO के समक्ष मौखिक रूप से यह कहा कि वह आगे कोई शिकायत नहीं करेगी।
16 फरवरी, 2025 को मृतका अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटकी मिली। इसके बाद FIR दर्ज हुई और 17 फरवरी को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय विवाद का रूप ले लिया और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तब हस्तक्षेप करना पड़ा, जब नेपाली स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी से जबरन हटाया गया था। यूनिवर्सिटी ने बाद में माफी मांगी और स्टूडेंट्स को बुलाया।
NHRC की संज्ञान प्रक्रिया:
03 मार्च, 2025 को NHRC ने मामले का संज्ञान लिया और जांच के लिए एक समिति गठित की, जिसमें रजिस्ट्रार (कानून), NHRC और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
समिति ने 06 से 08 मार्च, 2025 के बीच KIIT का दौरा किया और रिपोर्ट NHRC को सौंपी।
इसके आधार पर 27 मार्च, 2025 को NHRC ने एकपक्षीय (ex-parte) आदेश पारित किया।
NHRC की कार्यवाही के खिलाफ याचिका:
सीनियर एडवोकेट सी. एस. वैद्यनाथन ने KIIT की ओर से प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि NHRC द्वारा की गई जांच और रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को उपलब्ध नहीं कराई गई।
यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 16 का भी उल्लंघन है, जो कहता है कि यदि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है तो उसे सुनवाई का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अमित कुमार बनाम भारत संघ मामले में इस घटना और अन्य छात्र आत्महत्याओं का संज्ञान लिया है।
जस्टिस एस. रवींद्र भट की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया। इसलिए जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स इस मामले की जांच कर रही है तो मानवाधिकार आयोग को संयम बरतना चाहिए था।
हाईकोर्ट का निष्कर्ष और आदेश:
कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत केवल औपचारिकता नहीं हैं और बिना नोटिस दिए या सुनवाई का अवसर न देकर की गई कार्रवाई प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करती है।
इसलिए कोर्ट ने NHRC और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया और यह निर्देश दिया:
"NHRC में चल रही कार्यवाहियां अगली सुनवाई तक स्थगित रहेंगी और 27 मार्च 2025 को जारी NHRC का आदेश भी अगली तारीख (29 अप्रैल) तक स्थगित रहेगा।"
केस टाइटल: Kalinga Institute of Industrial Technology, Bhubaneswar & Anr. v. National Human Rights Commission, New Delhi & Ors.