2024 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण फैसले - पार्ट 3 [51-75]

Shahadat

27 Dec 2024 7:00 PM IST

  • 2024 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण फैसले - पार्ट 3 [51-75]

    हर साल की इस तरह इस साल भी लाइव लॉ अपने अंत की ओर बढ़ते वर्ष, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण निर्णयों की सूची लेकर आया है। आइये जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस बीते वर्ष में किन अहम मुद्दों पर परिवर्तनकारी, रोचक और समाज-सुधार के क्षेत्र में अहम फ़ैसले दिए। पढ़िए इन 100 फैसलों की तीसरी सूची- पार्ट 3

    सुप्रीम कोर्ट के प्रस्तुत 100 फैसलों की दूसरी सूची (पार्ट-2) पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    सुप्रीम कोर्ट के प्रस्तुत 100 फैसलों की पहली सूची (पार्ट-1) पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    51. PMLA Act| ED गंभीर संदेह पर गिरफ्तारी नहीं कर सकता; आरोपी को दोषी मानने के लिए लिखित कारण होने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी केवल जांच के उद्देश्य से नहीं की जा सकती। बल्कि, इस शक्ति का प्रयोग तभी किया जा सकता है, जब संबंधित अधिकारी अपने पास मौजूद सामग्री के आधार पर और लिखित में कारण दर्ज करके यह राय बनाने में सक्षम हो कि गिरफ्तार व्यक्ति दोषी है।

    केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) 5154/2024

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    52. Hindu Marriage Act| वैवाहिक अधिकार आदेश की बहाली को एक साल से अधिक समय तक नजरअंदाज करने पर तलाक की याचिका दायर की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक की याचिका इस आधार पर पेश की जा सकती है कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए डिक्री पारित करने के बाद एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए विवाह के पक्षकारों के बीच वैवाहिक अधिकारों की कोई बहाली नहीं हुई है। कोर्ट ने इस संबंध में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (1 A) (ii) का उल्लेख किया।

    "धारा 13 (1 A) (ii) के तहत, यह प्रदान किया गया है कि तलाक की याचिका इस आधार पर प्रस्तुत की जा सकती है कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए डिक्री पारित करने के बाद एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए विवाह के पक्षों के बीच वैवाहिक अधिकारों की कोई बहाली नहीं हुई है ।

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    53. तीन तलाक द्वारा अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना कि तीन तलाक के माध्यम से अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के अनुसार अपने पति से भरण-पोषण की मांग करने की हकदार है।

    यह अधिकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत दिए गए उपाय के अतिरिक्त है, जो निर्दिष्ट करता है कि महिला, जिसे तीन तलाक के अधीन किया गया, वह अपने पति से निर्वाह भत्ता का दावा करने की हकदार होगी।

    केस टाइटल: मोहम्मद अब्दुल समद बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य, विशेष अनुमति अपील (सीआरएल) 1614/2024

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    54. सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव होने पर उनके बीच रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत लागू होगा: सुप्रीम कोर्ट

    यह देखते हुए कि रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत न केवल वादी और प्रतिवादियों के बीच बल्कि सह-प्रतिवादियों के बीच भी लागू होता है, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सह-प्रतिवादियों के बीच रेस-ज्युडिकेटा के सिद्धांत को लागू करने के लिए शर्त यह है कि सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव होना चाहिए।

    जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि जब तक सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव नहीं होता, तब तक रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत लागू नहीं होगा।

    केस टाइटल: हर नारायण तिवारी (डी) टीएचआर और अन्य बनाम छावनी बोर्ड, रामगढ़ छावनी और अन्य।

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    55. थर्ड पार्टी बीमा के लिए PUC सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने 2017 का निर्देश वापस लिया

    सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त, 2017 के आदेश द्वारा लगाई गई शर्त हटा दी। उक्त शर्त के अनुसार, वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा प्राप्त करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण (PUC) सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।

    जस्टिस एएस ओक और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा दायर आवेदन स्वीकार किया, जिसमें 2017 के आदेश के बारे में चिंताओं को उजागर किया गया।

    केस टाइटल- एमसी मेहता बनाम भारत संघ और अन्य।

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    56. खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति एमएमडीआर अधिनियम द्वारा सीमित नहीं है; रॉयल्टी कर नहीं है: सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 से फैसला सुनाया

    सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को 8:1 बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति है और केंद्रीय कानून - खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 - राज्यों की ऐसी शक्ति को सीमित नहीं करता है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद और सात सहयोगियों की ओर से फैसला लिखा। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति वाला फैसला सुनाया। न्यायालय ने जिन मुख्य प्रश्नों की जांच की, वे थे (1) क्या खनन पट्टों पर रॉयल्टी को कर माना जाना चाहिए और (2) क्या संसदीय कानून खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के अधिनियमन के बाद राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर रॉयल्टी/कर लगाने का अधिकार है।

    मामले : मिनरल एरिया डेवलपमेंट बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और अन्य (सीए संख्या 4056/1999)

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    57. सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 रद्द करने से इनकार किया, कहा- सिस्टम में गड़बड़ी दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 जुलाई) को पेपर लीक और गड़बड़ी के आधार पर NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि लीक सिस्टम में हैं और इससे पूरी परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से 23 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट पर गंभीर असर पड़ेगा और शैक्षणिक कार्यक्रम में व्यवधान आएगा, जिसका आने वाले सालों में व्यापक असर होगा।

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    58. SC/ST के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति, इससे अधिक पिछड़े लोगों को अलग से कोटा दिया जा सकेगा: सुप्रीम कोर्ट

    सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच (6-1 से) ने माना कि अनुसूचित जातियों (SC/ST) का उप-वर्गीकरण अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों को अलग से कोटा देने के लिए अनुमति है।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण की अनुमति देते समय राज्य किसी उप-वर्ग के लिए 100% आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकता है। साथ ही राज्य को उप-वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के संबंध में अनुभवजन्य डेटा के आधार पर उप-वर्गीकरण को उचित ठहराना होगा।

    केस टाइटल: पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य सी.ए. नंबर 2317/2011

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    59. बार काउंसिल एनरॉलमेंट फीस के रूप में एडवोकेट एक्ट की धारा 24 के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक नहीं ले सकते : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 जुलाई) को कहा कि सामान्य श्रेणी के वकीलों के लिए एनरॉलमेंट फीस 750 रुपये से अधिक नहीं हो सकता तथा अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी के वकीलों के लिए 125 रुपये से अधिक नहीं हो सकता।

    कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य बार काउंसिल "विविध फीस" या अन्य फीस के मद में ऊपर निर्दिष्ट राशि से अधिक कोई राशि नहीं ले सकते। राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) एडवोकेट एक्ट (Advocate Act) की धारा 24(1)(एफ) के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक वकीलों को रोल में शामिल करने के लिए कोई राशि नहीं ले सकते।

    केस टाइटल: गौरव कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 352/2023 और इससे जुड़े मामले।

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    60. 'न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद ED गिरफ्तार नहीं कर सकता': सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ओडिशा प्रशासनिक सेवा (ओएएस) के अधिकारी बिजय केतन साहू को अग्रिम जमानत दी। उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर धन शोधन का आरोप है।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने 24 जून, 2024 को साहू को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करने वाला आदेश पारित किया। न्यायालय ने तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि ED विशेष न्यायालय द्वारा शिकायत का संज्ञान लिए जाने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 19 (गिरफ्तारी की शक्ति) के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता।

    केस टाइटल- बिजय केतन साहू बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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    61. सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब बैन के फैसले पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के प्राइवेज कॉलेज द्वारा जारी किए गए निर्देश पर रोक लगा दी, जिसमें परिसर में स्टूडेंट द्वारा हिजाब, टोपी या बैज पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया।

    मुंबई के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज के स्टूडेंट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कॉलेज के निर्देशों को बरकरार रखा गया था।

    केस टाइटल: जैनब अब्दुल कय्यूम चौधरी एवं अन्य बनाम चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटीज एवं अन्य, डायरी नंबर 34086-2024

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    62. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति मामले से संबंधित दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। शराब नीति मामले में सुनवाई शुरू होने में हुई देरी को देखते हुए कोर्ट ने CBI और ED दोनों मामलों में सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया।

    कोर्ट ने कहा, "हमें लगता है कि करीब 17 महीने की लंबी कैद और सुनवाई शुरू न होने के कारण अपीलकर्ता को त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया..."

    केस टाइटल:

    [1] मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8781/2024;

    [2] मनीष सिसोदिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8772/2024

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    63. हाईकोर्ट CrPC की धारा 482 के तहत दोषी को आत्मसमर्पण करने से छूट नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि हाईकोर्ट के लिए CrPC की धारा 482 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करके किसी दोषी को दोषसिद्धि के समवर्ती निष्कर्षों के बावजूद किसी विशेष मामले में आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता से छूट देना अनुचित होगा।

    जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा, इसलिए हम इसे कानून के ठोस प्रस्ताव के रूप में स्वीकार करना उचित नहीं समझते कि हाईकोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए संहिता के तहत पारित आदेशों को प्रभावी करने और/या न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के कर्तव्य से बेखबर होकर किसी विशेष मामले में आत्मसमर्पण करने से छूट दे सकता है।"

    केस टाइटल: दौलत सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य, डायरी नंबर 20900/2024

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    64. केंद्र की 2015 की अधिसूचना में वर्णित प्रक्रिया का पालन किए बिना बैंक MSME लोन अकाउंट को NPA के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट

    सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 (MSMED Act) के तहत पंजीकृत संस्थाओं के पुनरुद्धार से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंकों को MSME मंत्रालय द्वारा जारी MSME के पुनरुद्धार और पुनर्वास के लिए रूपरेखा के निर्देशों में निर्धारित अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किए बिना MSME के लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) के रूप में वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं है।

    जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा, “ऊपर वर्णित निर्देशों/निर्देशों में निहित “MSME के पुनरुद्धार और पुनर्वास के लिए रूपरेखा” में जो विचार किया गया, उसका उधारकर्ता के खाते (तत्काल मामले में MSME लोन अकाउंट) को गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) के रूप में वर्गीकृत करने से पहले पालन किया जाना आवश्यक है।”

    केस टाइटल: मेसर्स प्रो निट बनाम कैनरा बैंक के निदेशक मंडल एवं अन्य, विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 7898/2024) एवं अन्य संबंधित मामले।

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    65. सरकार की सहमति के बिना दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को नामित कर सकते हैं LG: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने आज माना कि दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) के पास दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन को नामित करने का अधिकार है। कोर्ट ने माना कि यह शक्ति दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत वैधानिक शक्ति है। इसलिए राज्यपाल को दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यकता नहीं है। चूंकि यह LG को दी गई वैधानिक शक्ति है और सरकार की कार्यकारी शक्ति नहीं है, इसलिए एलजी से अपेक्षा की जाती है कि वह वैधानिक आदेश के अनुसार कार्य करें, न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार।

    केस टाइटल: दिल्ली सरकार बनाम दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यालय, WP(C) नंबर 348/2023

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    66. राज्य खनिज अधिकारों पर पिछले कर बकाया की वसूली कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि 25 जुलाई को दिए गए उसके फैसले में खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्तियों को बरकरार रखा गया था, लेकिन इसे फैसले की तारीख से ही संभावित प्रभाव दिया जाना चाहिए।

    इसका मतलब यह है कि कोर्ट ने मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एंड ऑर्स के फैसले के आधार पर राज्यों को पिछली अवधि के लिए कर बकाया वसूलने की अनुमति दी है।

    केस टाइटल: मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं अन्य (सीए नं. 4056/1999)

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    67. जमानत नियम है, जेल अपवाद, यहां तक कि UAPA जैसे विशेष कानूनों में भी: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत नियम है, जेल अपवाद' यहां तक कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967 (UAPA Act) जैसे विशेष कानूनों में भी। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कथित सदस्यों को कथित तौर पर PFI प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए अपनी संपत्ति किराए पर देने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दी।

    कोर्ट ने कहा, “जब जमानत देने का मामला हो तो अदालत को जमानत देने में संकोच नहीं करना चाहिए। अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं, लेकिन न्यायालय का कर्तव्य है कि वह कानून के अनुसार जमानत के मामले पर विचार करे। अब हमने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद, यह विशेष क़ानूनों पर भी लागू होता है।

    केस टाइटल - जलालुद्दीन खान बनाम भारत संघ

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    68. खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति एमएमडीआर अधिनियम द्वारा सीमित नहीं है; रॉयल्टी कर नहीं है: सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 से फैसला सुनाया

    सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को 8:1 बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति है और केंद्रीय कानून - खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 - राज्यों की ऐसी शक्ति को सीमित नहीं करता है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद और सात सहयोगियों की ओर से फैसला लिखा। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति वाला फैसला सुनाया। न्यायालय ने जिन मुख्य प्रश्नों की जांच की, वे थे (1) क्या खनन पट्टों पर रॉयल्टी को कर माना जाना चाहिए और (2) क्या संसदीय कानून खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के अधिनियमन के बाद राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर रॉयल्टी/कर लगाने का अधिकार है।

    मामले : मिनरल एरिया डेवलपमेंट बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और अन्य (सीए संख्या 4056/1999)

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    69. RG Kar Hospital Case | सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा पर टास्क फोर्स का गठन किया

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह देश भर में डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों के लिए सुरक्षा की स्थिति की कमी को लेकर बहुत चिंतित है। कोर्ट ने कहा कि उसने 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में "व्यवस्थागत मुद्दों" को संबोधित करने के लिए स्वत: संज्ञान मामला शुरू किया है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि यह कोलकाता के अस्पताल में हुई किसी विशेष हत्या से संबंधित मामला नहीं है। यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित व्यवस्थागत मुद्दों को उठाता है। सबसे पहले, सुरक्षा के मामले में हम सार्वजनिक अस्पतालों में युवा डॉक्टरों खासकर महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की स्थिति के अभाव के बारे में बहुत चिंतित हैं, जो काम की प्रकृति और लिंग के कारण अधिक असुरक्षित हैं। इसलिए हमें राष्ट्रीय सहमति विकसित करनी चाहिए। काम की सुरक्षित स्थिति बनाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल होना चाहिए। अगर महिलाएं काम की जगह पर नहीं जा सकतीं और सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं तो हम उन्हें समान अवसर से वंचित कर रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अभी कुछ करना होगा कि सुरक्षा की स्थिति लागू हो।"

    केस टाइटल : इन रे : आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या और संबंधित मुद्दे | एसएमडब्लू (सीआरएल) 2/2024

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    70. स्त्रीधन की पूर्ण स्वामी महिला, पिता उसकी अनुमति के बिना ससुराल वालों से इसकी वसूली नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्त्रीधन महिला की एकमात्र संपत्ति है और उसका पिता उसकी स्पष्ट अनुमति के बिना ससुराल वालों से स्त्रीधन की वसूली का दावा नहीं कर सकता।

    न्यायालय ने टिप्पणी की, "इस न्यायालय द्वारा विकसित न्यायशास्त्र स्त्रीधन की एकमात्र स्वामी होने के नाते महिला (पत्नी या पूर्व पत्नी) के एकमात्र अधिकार के संबंध में स्पष्ट है। यह माना गया कि पति को कोई अधिकार नहीं है और तब यह आवश्यक रूप से निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि पिता को भी कोई अधिकार नहीं है, जब बेटी जीवित, स्वस्थ और अपने 'स्त्रीधन' की वसूली जैसे निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम है।"

    केस टाइटल- मुलकला मल्लेश्वर राव एवं अन्य बनाम तेलंगाना राज्य एवं अन्य

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    71. सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में CBI की एफआईआर के सिलसिले में जमानत दी। दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने और जमानत मांगने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने फैसला सुनाया।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया। दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए।

    केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 11023/2024 (और संबंधित मामला)

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    72. सुप्रीम कोर्ट ने बिना अनुमति 'बुलडोजर कार्रवाई' पर रोक लगाई

    "बुलडोजर कार्रवाई" के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया कि बिना अनुमति के देश में कोई भी तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों, जलाशयों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दंडात्मक उपाय के रूप में अपराध के आरोपी व्यक्तियों की इमारतों को ध्वस्त करने की कथित कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर यह निर्देश पारित किया। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को तय की।

    केस टाइटल: जमीयत उलेमा-ए-हिंद बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम | रिट याचिका (सिविल) नंबर 295/2022 (और संबंधित मामले)

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    73. कर्मचारी को स्वीकृति की सूचना दिए जाने तक त्यागपत्र फाइनल नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    यह मानते हुए कि त्यागपत्र स्वीकार किए जाने से पहले ही वापस ले लिया गया, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे में कर्मचारी की बहाली की अनुमति दी। न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी का त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के बारे में आंतरिक संचार को त्यागपत्र की स्वीकृति नहीं कहा जा सकता। इसने कहा कि जब तक कर्मचारी को स्वीकृति की सूचना नहीं दी जाती, तब तक त्यागपत्र को स्वीकार नहीं माना जा सकता।

    इस मामले में अपीलकर्ता ने 1990 से प्रतिवादी (कोंकण रेल निगम) में सेवा की है। 23 साल की सेवा करने के बाद उसने 05.12.2013 को अपना त्यागपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि इसे एक महीने की समाप्ति पर प्रभावी माना जा सकता है। यद्यपि त्यागपत्र 07.04.2014 से प्रभावी रूप से स्वीकार किया गया, लेकिन अपीलकर्ता को इस तरह की स्वीकृति के बारे में कोई आधिकारिक संचार नहीं किया गया। जबकि, 26.05.2014 को अपीलकर्ता ने अपना त्यागपत्र वापस लेने का एक पत्र लिखा। हालांकि प्रतिवादी ने 01.07.2014 से कर्मचारी को कार्यमुक्त कर दिया।

    केस टाइटल: एस.डी. मनोहर बनाम कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अन्य, सी.ए. नंबर 010567/2024

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    74. तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मिली जमानत

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका मंजूर की। यह मामला नकदी के बदले नौकरी के आरोपों से जुड़ा है। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने 12 अगस्त, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और मुकदमे में देरी की चेतावनी दी थी। जस्टिस ओक ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत के कड़े प्रावधान और मुकदमे में देरी एक साथ नहीं हो सकती।

    केस टाइटल- वी. सेंथिल बालाजी बनाम उप निदेशक

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    75. Domestic Violence Act देश की हर महिला पर लागू होता है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Domestic Violence Act) भारत में हर महिला पर लागू होता है, चाहे उसकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, "यह अधिनियम नागरिक संहिता का एक हिस्सा है, जो भारत में हर महिला पर लागू होता है, चाहे उसकी धार्मिक संबद्धता और/या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, जिससे संविधान के तहत गारंटीकृत उसके अधिकारों की अधिक प्रभावी सुरक्षा हो और घरेलू संबंधों में होने वाली घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा हो सके।"

    केस टाइटल : एस विजिकुमारी बनाम मोवनेश्वराचारी सी

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