पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
S.36A(4) NDPS Act | सरकारी वकील जांच एजेंसी का हिस्सा नहीं, विस्तार मांगने के लिए उनसे विवेक का प्रयोग करने की उम्मीद: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने ऐसे आरोपी को डिफॉल्ट जमानत दे दी, जिसकी याचिका ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसने मामले की जांच के लिए जांच एजेंसी को समय बढ़ा दिया।न्यायालय ने पाया कि लोक अभियोजक (पीपी) ने मामले की जांच के लिए समय मांगने वाली स्वतंत्र रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की, जो एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) की धारा 36ए (4) के तहत अनिवार्य प्रावधान है।NDPS Act की धारा 36ए (4) के अनुसार वाणिज्यिक मात्रा से जुड़े किसी अपराध में यदि 180 की अवधि के भीतर जांच पूरी करना संभव नहीं है तो स्पेशल कोर्ट...
क्या आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी या आर्मी पब्लिक स्कूल के खिलाफ अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं? पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने मामला बड़ी पीठ को भेजा
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने इस मुद्दे को बड़ी पीठ को भेजा कि क्या संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आर्मी वेलफेयर सोसाइटी या आर्मी पब्लिक स्कूल के खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य होगी।जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,"भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 का प्रावधान हाइकोर्ट को भाग III द्वारा प्रदत्त किसी भी अधिकार के प्रवर्तन या किसी अन्य उद्देश्य के लिए किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण, जिसमें कोई सरकार भी शामिल है, उसको रिट आदेश या निर्देश जारी करने का अधिकार देती है।"उन्होंने...
क्या आंशिक समझौता एफआईआर रद्द करने का आधार हो सकता है? पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने मामला बड़ी पीठ को भेजा
यह देखते हुए कि इस मुद्दे को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं, पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने आंशिक समझौते के आधार पर एफआईआर रद्द करने का मामला बड़ी पीठ को भेजा।जस्टिस कुलदीप तिवारी ने हाइकोर्ट की बड़ी पीठ के समक्ष निर्णय के लिए निम्नलिखित मुद्दे तैयार किए:-(i) क्य अन्य सह-अभियुक्तों के मुकदमे पर एफआईआर आंशिक रूप से रद्द करने से जुड़े नतीजों को ध्यान में रखते हुए क्या आंशिक समझौता अभी भी एफआईआर रद्द करने का आधार बन सकता है, केवल कुछ आरोपियों के मामले में?(ii) क्या आंशिक...
[Cyber Crime] जांचकर्ता कुशल नहीं, जांच में देरी उनके खिलाफ नहीं हो सकती: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पाया कि साइबर अपराध उभरता हुआ क्षेत्र है। यहां तक कि जांचकर्ताओं के पास भी आवश्यक कौशल और शैक्षणिक योग्यता की कमी है। इसलिए यदि जांच में सामान्य से अधिक समय लगता है तो इसे जांच में देरी करने का जानबूझकर किया गया प्रयास नहीं माना जा सकता।साइबर अपराध मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत दायर की गई, जिसमें याचिकाकर्ता पर सॉफ्टवेयर लिंक देने का आरोप लगाया गया, जो नकली कर रसीदें तैयार करता था।जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि जांच में देरी के लिए याचिकाकर्ता को जमानत नहीं मिल...
शराब के व्यापार का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं': पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पंजाब आबकारी नीति 2024-25 को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
शराब के व्यापार का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पंजाब आबकारी नीति 2024-2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।यह तर्क दिया गया कि वर्ष 2024-2025 के लिए आबकारी नीति के अनुसार शराब की दुकानों के लिए आवेदन शुल्क बढ़ाकर 75,000 कर दिया गया, जो वापस नहीं किया जाएगा, जो अनुचित है, क्योंकि दुकानों का आवंटन लॉट के माध्यम से किया जाता है।जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,"इस न्यायालय का दृढ़ मत है कि शराब के व्यापार का अधिकार मौलिक...
महेंद्रगढ़ स्कूल बस दुर्घटना: सुरक्षा दिशा-निर्देशों की अवहेलना करने पर शीर्ष अधिकारियों को दंडित करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए नीति सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के क्रियान्वयन पर न्यायालय के आदेश की कथित रूप से अवहेलना करने के लिए हरियाणा के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई।11 अप्रैल को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में भयानक दुर्घटना में 6 छात्रों की मौत हो गई, जब कथित रूप से नशे में धुत स्कूल बस चालक ने बस को पेड़ से टकरा दिया।बाल क्रांति ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि हरियाणा सरकार के प्रधान सचिव, परिवहन आयुक्त और अन्य शीर्ष अधिकारी हाइकोर्ट के निर्देश के बाद नीति...
जब अभियुक्त वकील की अनुपस्थिति में दोषी होने की दलील देता है तो इस बात का जोखिम रहता है कि ऐसी दलील पूरी तरह से सूचित या स्वैच्छिक नहीं हो सकती: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने दोषसिद्धि आदेश खारिज करते हुए कहा कि जब कोई अभियुक्त दोषी होने की दलील देता है, लेकिन उसका प्रतिनिधित्व कोई वकील नहीं करता है तो इस बात का जोखिम रहता है कि उसकी दलील पूरी तरह से सूचित या स्वैच्छिक नहीं हो सकती है, जो अनुच्छेद 21 में निहित निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों का उल्लंघन करेगी।याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी की धारा 188 के तहत अपनी दोषसिद्धि को इस आधार पर चुनौती दी कि उन्होंने वकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने का अवसर दिए बिना ही दोषी होने की दलील दी।जस्टिस हरकेश...
पत्नी की ज़रूरतों को बढ़ा-चढ़ाकर बताने और पति की वास्तविक आय छिपाना सामान्य प्रवृत्ति; भरण-पोषण की राशि को कोर्ट द्वारा संतुलित किया जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी को दिए जाने वाले भरण-पोषण की राशि न्यायोचित और यथार्थवादी होनी, चाहिए जिससे पति-पत्नी में से किसी को भी परेशानी न हो।जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने कहा,"पत्नी की ओर से अपनी ज़रूरतों को बढ़ा-चढ़ाकर बताने और पति की ओर से अपनी वास्तविक आय को छिपाने की आम प्रवृत्ति होती है, जिससे प्रतिद्वंद्वी दावेदारों की कमाई करने की क्षमता का सटीक रूप से निर्धारण करना मुश्किल हो जाता है। प्रतिद्वंद्वी दावेदारों को ईमानदारी से अपनी...
पंजाब में सार्वजनिक समारोहों में बड़े पैमाने पर हो रहा फायर आर्म्स का इस्तेमाल, प्रतिबंध के बावजूद कोई बदलाव नहीं: हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा जवाब
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में सार्वजनिक समारोहों में फायर आर्म्स के व्यापक उपयोग और अपराध करने के लिए लाइसेंस प्राप्त बंदूकों के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि प्रतिबंध के बावजूद "कोई विजिबल चेंज नहीं हुआ है"। पंजाब सरकार ने 2022 में सार्वजनिक स्थानों और सोशल मीडिया पर फायर आर्म्स के उपयोग और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था और तदनुसार अधिकारियों को अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस हरकेश मनुजा ने कहा, "उस...
नाबालिग सौतेली बेटी से बार-बार बलात्कार करने वाले दोषी को समय से पहले रिहाई का हकदार नहीं माना जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
नाबालिग सौतेली बेटी से बार-बार बलात्कार करने वाले दोषी को समय से पहले रिहाई का हकदार नहीं माना जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्टपंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने बलात्कार के दोषी को समय से पहले रिहाई देने से इनकार किया, जिसने अपनी नाबालिग सौतेली बेटी पर बार-बार यौन हमला करने के परिणामस्वरूप उसे गर्भवती कर दिया।जस्टिस निधि गुप्ता ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि चंडीगढ़ में दोषियों को समय से पहले रिहाई के लिए लागू 1991 की नीति के अनुसार नाबालिग पीड़िता के साथ बार-बार बलात्कार करना समय से...
फतेहगढ़ साहिब की साधना कसाई मस्जिद को लेकर याचिका दायर, हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फतेहगढ़ साहिब की साधना कसाई मस्जिद की सुरक्षा और संरक्षण की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा।आरोप है कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने विरासत स्थल, साधना कसाई मस्जिद का नवीनीकरण या संरक्षण नहीं किया, जिसे पंजाब सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया और यह जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पड़ा हुआ है।एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने पंजाब राज्य, पंजाब सरकार के सचिव, सांस्कृतिक मामलों के विभाग, पर्यटन और...
प्रोडक्शन वारंट जारी करने के गंभीर परिणाम होते हैं, ट्रायल कोर्ट के लिए सीआरपीसी की धारा 267 के अनुरूप आदेश पारित करना अनिवार्य: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक पेशी आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि आदेश इस बात पर चुप है कि जिस कैदी को पेश करने का निर्देश दिया गया था, वह उस मामले में आरोपी था या जांच के लिए आवश्यक था। सीआरपीसी की धारा 267 के अनुसार, किसी जांच, मुकदमे या अन्य कार्यवाही के दौरान यदि आपराधिक न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि जेल में बंद या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके खिलाफ किसी कार्यवाही के उद्देश्य से न्यायालय के समक्ष लाया जाना चाहिए, न्यायालय एक आदेश दे सकता है जिसमें जेल के प्रभारी अधिकारी को...
कोर्ट असफल रिश्ते का बदला लेने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने शादी के बहाने बलात्कार के आरोपी को बरी किया
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने शादी के बहाने अपने साथी के साथ बलात्कार करने के आरोपी व्यक्ति को बरी करने का फैसला बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने सहमति से शरीरिक संबंध बनाए थे।जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा,"याचिकाकर्ता (कथित बलात्कार पीड़िता) प्रतिवादी नंबर 2 (आरोपी-साथी) के साथ सहमति से शारिरिक संबंध बनाया और बाद में उठे विवाद के कारण ही एफआईआर दर्ज की गई। इसलिए यह कोर्ट असफल रिश्ते का बदला लेने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकता है।”कोर्ट कथित...
व्यावसायिक या तकनीकी शिक्षकों के लिए सभी राज्यों में चयन का समान मानक बनाए रखा जाना चाहिए: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रमों के शिक्षकों के लिए सभी राज्यों में चयन का समान मानक बनाए रखा जाना चाहिए।जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि "यह देखा जाना चाहिए कि जहां तक तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा का संबंध है, मानक को पूरे भारत में सार्वभौमिक रूप से बनाए रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, चूंकि एक उम्मीदवार को किसी भी राज्य में रोजगार प्राप्त करने का अधिकार है, आरएसी की आवश्यकता सभी राज्यों में सभी छात्रों को समान स्तर की शिक्षा...
अनुशासित बलों द्वारा अनुशासन की कमी सबसे गंभीर कदाचार: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट की जस्टिस नमित कुमार की बेंच ने पंजाब राज्य और अन्य बनाम पूर्व कांस्टेबल अमरजीत सिंह के मामले में अपील पर निर्णय लेते हुए माना कि अनुशासन एक अनुशासित बल की पहली आवश्यकता है और अनुशासित बल के सदस्य द्वारा ड्यूटी से अनुपस्थित रहना पंजाब पुलिस नियम (PPR) के नियम 16.2 के तहत सबसे गंभीर कदाचार है, जहां कदाचार शब्द में कोई भी गलत कार्य शामिल है जो अनुशासन को बाधित करता है।पृष्ठभूमिअमरजीत सिंह (प्रतिवादी) पीएपी जालंधर कैंट में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए और बीमारी के कारण...
पिछली याचिका खारिज होने के बाद भी लगातार अग्रिम जमानत याचिकाएं सुनवाई योग्य: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दायर की गई लगातार जमानत याचिकाएं तब भी सुनवाई योग्य हैं, जब पिछली याचिका खारिज कर दी गई हो।जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा,"दूसरी/लगातार अग्रिम जमानत याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं, चाहे पिछली याचिका वापस ले ली गई हो/अभियोजन पक्ष के लिए दबाव न डाले जाने के कारण खारिज कर दी गई हो/या फिर पहले की याचिका को गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दी गई हो।"न्यायालय ने निम्नलिखित सिद्धांतों का भी सारांश दिया:i) सीआरपीसी 1973 की धारा 438 के तहत दायर की गई...
अदालतों को जघन्य अपराध करने के आरोपी सिलसिलेवार अपराधियों के लिए एक साथ सजा का आदेश नहीं देना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि जहां व्यक्ति सिलसिलेवार अपराधी है और वह भी जघन्य अपराध करने के लिए अदालतों को ऐसे मामलों में सजा के साथ-साथ चलने का आदेश नहीं देना चाहिए। जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा,"एक ऐसी सजा नीति, जो अपने संचालन में असामान्य रूप से हल्की और सहानुभूतिपूर्ण है, उसका समाज पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा और कानून की प्रभावकारिता में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचाएगी। इसलिए प्रत्येक न्यायालय का कर्तव्य है कि वह अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए उचित...
पीएमएलए | ईसीआईआर ईडी का आंतरिक प्रशासनिक दस्तावेज, हाईकोर्ट इसे सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दी गई अंतर्निहित शक्ति के जरिए रद्द नहीं कर सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को हाईकोर्ट धारा 482 सीआरपीसी के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करके रद्द नहीं कर सकता है। जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा, "...ईसीआईआर ईडी का एक आंतरिक प्रशासनिक दस्तावेज है। नतीजतन, इस न्यायालय की सुविचारित राय में, चूंकि ईसीआईआर आपराधिक अभियोजन और कार्यवाही के चरण से पहले होता है, इसलिए यह सीआरपीसी की धारा 482 के तहत इस न्यायालय...
चंडीगढ़ में खुलेआम बढ़ रहे हैं जंगली भांग के पौधे, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त की, केंद्र शासित प्रदेश से जवाब मांगा
चंडीगढ़ में सार्वजनिक स्थानों पर भांग के पौधे बेतहाशा उगने के आरोपों पर गौर करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संदीप मोदगिल को याचिकाकर्ता के वकील ने सूचित किया कि सचिवालय गोल चक्कर के पास खुले क्षेत्र में और विशेष रूप से एक सार्वजनिक पार्क में बड़ी संख्या में भांग के पौधे उग रहे हैं। वकील ने दावा किया, 'कई आगंतुक/राहगीर या यहां तक कि शहर के निवासी भी अपने...
PMLA Act| मनी लॉन्ड्रिंग राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालती है, धारा 45 के तहत जमानत की कठोरता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने 1626.7 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया।न्यायालय ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 45 के तहत जमानत देने के लिए बहुत ही उच्च मानदंड निर्धारित किए गए। धारा 45 के अनुसार, धन शोधन मामले में आरोपी को जमानत तभी दी जा सकती है, जब दो शर्तें पूरी हों - पहली नजर में यह संतुष्टि होनी चाहिए कि आरोपी ने कोई अपराध नहीं किया है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।जस्टिस...