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सीजेआई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना याचिका पर 27 अक्टूबर को होगी सुनवाई
सीजेआई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना याचिका पर 27 अक्टूबर को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट सोमवार (27 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें 6 अक्टूबर को कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही की मांग की गई।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।16 अक्टूबर को SCBA के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने जस्टिस कांत की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए बताया कि अटॉर्नी जनरल ने...

लोकपाल ने यूनिवर्सिटी में जेंडर भेदभाव का आरोप लगाने वाली शिकायत खारिज की, कहा- मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर
लोकपाल ने यूनिवर्सिटी में जेंडर भेदभाव का आरोप लगाने वाली शिकायत खारिज की, कहा- मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर

भारत के लोकपाल ने चेन्नई स्थित सत्यभामा यूनिवर्सिटी के कुलपति के खिलाफ दायर शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।4 अक्टूबर, 2025 को दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि कुलपति ने कक्षाओं में जेंडर भेदभाव लागू करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया और छात्र व छात्राओं को एक साथ बैठने से रोक दिया। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि यह जेंडर भेदभाव है, जिससे विरोध करने वाले छात्रों को मानसिक कष्ट हुआ। यह भी आरोप लगाया गया कि...

Mumbai Custodial Death Case : सुप्रीम कोर्ट ने CCTV फुटेज और मेडिकल दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया
Mumbai Custodial Death Case : सुप्रीम कोर्ट ने CCTV फुटेज और मेडिकल दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य को नोटिस जारी किया और एक 19 वर्षीय लड़के को हिरासत में प्रताड़ित करने के कथित मामले में CCTV फुटेज और मेडिकल दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया। इस लड़के की मुंबई सेंट्रल जेल में हिरासत में मौत हो गई।विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने 13 अक्टूबर को जारी किया। मृतक की माँ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 24 सितंबर के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की।याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से पेश...

सुप्रीम कोर्ट ने BJP करनाल कार्यालय तक पहुंच के लिए पेड़ काटने पर हरियाणा प्राधिकरण को तलब किया, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने BJP करनाल कार्यालय तक पहुंच के लिए पेड़ काटने पर हरियाणा प्राधिकरण को तलब किया, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया और सेक्टर 9-करनाल में हुए विकास कार्य के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। यहां कथित तौर पर अधिकारी 40 से ज़्यादा पेड़ काटकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आवासीय क्षेत्र में स्थित अपने नवनिर्मित कार्यालय तक पहुंचने के लिए जीटी रोड से सटी हरित पट्टी से सड़क बनाने की कोशिश कर रहे हैं।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने उस क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए ज़िम्मेदार हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को भी नोटिस...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शराब घोटाला मामले में चैतन्य बघेल की ED गिरफ्तारी बरकरार रखी, कहा- प्रक्रियागत खामियां अवैध नहीं
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शराब घोटाला मामले में चैतन्य बघेल की ED गिरफ्तारी बरकरार रखी, कहा- प्रक्रियागत खामियां अवैध नहीं

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए चैतन्य बघेल (याचिकाकर्ता) के खिलाफ शुरू की गई गिरफ्तारी और उसके बाद की आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार किया।जहां याचिकाकर्ता ने अपनी गिरफ्तारी में कई प्रक्रियागत खामियों और अनियमितताओं की ओर इशारा किया, जैसे - समन जारी न करना, असहयोग के निराधार दावे, गिरफ्तारी के सामान्य आधार और अनुचित बलपूर्वक कार्रवाई, वहीं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने गिरफ्तारी और कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा,“आगे की जांच में...

दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील को ऑनलाइन पेश होने से रोका, समानांतर सुनवाई का हवाला देते हुए वीडियो बंद करने को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के विरुद्ध बताया
दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील को ऑनलाइन पेश होने से रोका, समानांतर सुनवाई का हवाला देते हुए वीडियो बंद करने को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के विरुद्ध बताया

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला वकील को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने से रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि उसने समानांतर चल रही सुनवाई का हवाला देते हुए अपना कैमरा बंद कर दिया और खुद को म्यूट कर लिया, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के विरुद्ध है।जस्टिस तेजस करिया ने आदेश पारित किया और वकील को अब से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी अदालत में पेश होने से रोक दिया।कोर्ट ने कहा,"प्रतिवादी नंबर 1 और 2 की वकील शुरुआत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुईं और जब इस न्यायालय द्वारा एक...

कॉलेजियम प्रणाली न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है: जस्टिस सूर्यकांत
कॉलेजियम प्रणाली न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है: जस्टिस सूर्यकांत

श्रीलंका के दौरे के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) का एक मजबूत उदाहरण है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों पर न्यायपालिका के नियंत्रण को इसका मुख्य उदाहरण बताया।जस्टिस सूर्यकांत ने श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में “द लिविंग कॉन्स्टिट्यूशन: कैसे भारतीय न्यायपालिका संवैधानिकता को सुरक्षित करती है” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कालेगियम सिस्टम न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में मदद करता है। ...

मंदिर में पूजा का अधिकार छीना नहीं जा सकता; राज्य को आस्था और सार्वजनिक व्यवस्था में संतुलन बनाना होगा: हिमाचल हाईकोर्ट
मंदिर में पूजा का अधिकार छीना नहीं जा सकता; राज्य को आस्था और सार्वजनिक व्यवस्था में संतुलन बनाना होगा: हिमाचल हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी पूरी समुदाय को उनके देवी-देवता के मंदिर में पूजा करने से रोकना उनके संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।अदालत ने कहा कि इस तरह के अधिकार केवल सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य के आधार पर ही सीमित किए जा सकते हैं, और वह भी उचित और अनुपातिक उपायों के माध्यम से। जस्टिस संदीप शर्मा ने कहा,“कुछ व्यक्तियों के अवैध कार्य यह आधार नहीं बन सकते कि व्यापक जनता के धार्मिक स्वतंत्रता, आस्था, पूजा...

बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा राशि नहीं काट सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट
बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा राशि नहीं काट सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी बैंक को यह अधिकार नहीं है कि वह सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा पैसा काट ले सिर्फ इसलिए कि उसने किसी ऋण के लिए गारंटी दी थी।जस्टिस संजीब कुमार पाणिग्रही ने कहा कि पेंशन खाते से बिना नोटिस या सुनवाई के पैसा काटना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। बैंक को कम से कम कारण बताने का अवसर देना चाहिए था। मामला एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से जुड़ा था, जिसने अपनी पत्नी के वाहन और कार ऋणों में गारंटर के रूप में हस्ताक्षर किए थे। फरवरी 2024 में बैंक ने उनके और...

गृहिणी मकानमालकिन पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए की संपत्ति मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट
गृहिणी मकानमालकिन पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए की संपत्ति मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर मकानमालकिन गृहिणी है, तो वह अपने पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए पर दी गई संपत्ति वापस मांग सकती है। यह “सद्भावनापूर्ण आवश्यकता” (bona fide requirement) मानी जाएगी।जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि मकानमालकिन का पति उम्र में बड़ा और उस पर निर्भर है, यह जरूरत साबित करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि यह मानना गलत है कि गृहिणी को ऐसी कोई जरूरत नहीं हो सकती। कानून में मकानमालिक के परिवार के सदस्य भी “अपने उपयोग” की परिभाषा में शामिल हैं। अदालत...

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट को दिया निर्देश: झूठे गवाहों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर करें कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट को दिया निर्देश: झूठे गवाहों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर करें कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान यदि कोई गवाह अदालत के सामने असत्य बयान देता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की जाए।यह मामला अप्रैल 2019 में शाहदरा, दिल्ली में विजेंद्र सिंह की हत्या से संबंधित है। पीड़ित के बेटे राहुल शर्मा (याचिकाकर्ता) ने आरोपी राज शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जमानत रद्द करने की मांग की।याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जैसे...

फैसले के बाद भी मदद मांग सकते हैं जज, फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
फैसले के बाद भी मदद मांग सकते हैं जज, फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी को किसी मुद्दे पर पर्याप्त स्पष्टता या आवश्यक सहायता के बिना फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यदि कोई जज महसूस करता है कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर फैसला सुनाया जाना संभव नहीं है और कुछ स्पष्टीकरणों के लिए आगे मदद की आवश्यकता है तो यह मामला सुनवाई के लिए फिर से खोलने का बन जाता है।कोर्ट ने कहा,"केवल इसलिए कि पीठासीन अधिकारी ने पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था,...

व्हाट्सएप मैसेज में अनकहे शब्द भी बढ़ा सकते हैं दुश्मनी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
व्हाट्सएप मैसेज में अनकहे शब्द भी बढ़ा सकते हैं दुश्मनी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही कोई व्हाट्सएप मैसेज सीधे तौर पर धर्म का उल्लेख न करता हो लेकिन उसके 'अनकहे शब्दों' और सूक्ष्म संदेश के माध्यम से भी समुदायों के बीच शत्रुता, नफरत या वैमनस्य को बढ़ावा मिल सकता है।जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अफक अहमद नामक याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता पर कथित तौर पर कई लोगों को भड़काऊ व्हाट्सएप मैसेज भेजने का आरोप था।आरोप है कि कथित मैसेज में याचिकाकर्ता ने एक...

मुआवजे पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना नहीं चलेगा: राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण विवादों के लिए मध्यस्थता कानून ही अनिवार्य
मुआवजे पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना नहीं चलेगा: राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण विवादों के लिए मध्यस्थता कानून ही अनिवार्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे के मामलों में निर्णायक फैसला सुनाया, जिसके तहत ज़मीन मालिकों को सीधे हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करने से रोक दिया गया।कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम (NH Act) की धारा 3G के तहत दिए गए मुआवजे को चुनौती देने के लिए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration Act) ही एकमात्र कानूनी रास्ता है।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने यह व्यवस्था दी कि यदि मुआवजे की राशि से असंतुष्ट हर...

UAPA के तहत गिरफ्तारी रद्द: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- गिरफ्तारी के लिखित कारण बताना अनिवार्य, कोर्ट का समझाना पर्याप्त नहीं
UAPA के तहत गिरफ्तारी रद्द: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- गिरफ्तारी के लिखित कारण बताना अनिवार्य, कोर्ट का समझाना पर्याप्त नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत गैरकानूनी गतिविधियों और साजिश के अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द कर दिया।न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि गिरफ्तारी के लिखित कारण प्रदान करने की अनिवार्य आवश्यकता का पालन नहीं किया गया।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि रिमांड रिपोर्ट में...