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सोसायटी पुनर्विकास के लिए डेवलपर नियुक्ति हेतु टेंडर अनिवार्य नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शासकीय प्रस्ताव को निर्देशात्मक बताया
सोसायटी पुनर्विकास के लिए डेवलपर नियुक्ति हेतु टेंडर अनिवार्य नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शासकीय प्रस्ताव को निर्देशात्मक बताया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि 4 जुलाई, 2019 को जारी शासकीय प्रस्ताव (Government Resolution - GR) जिसमें सोसायटी के पुनर्विकास के लिए डेवलपर को अंतिम रूप देने हेतु टेंडर जारी करना अनिवार्य किया गया, वह अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक प्रकृति का है।जस्टिस श्याम सुमन और जस्टिस मंजुषा देशपांडे की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि डेवलपर नियुक्त करने के लिए केवल टेंडर जारी न करना ही यह मतलब नहीं होगा कि किसी कानून के उद्देश्य का उल्लंघन हुआ है।हाईकोर्ट के इस मुद्दे पर दिए गए विभिन्न फैसलों का...

सेरोगेसी एक्ट उन जोड़ों के निहित अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण फ्रीज कराए: जस्टिस विश्वनाथन का समवर्ती निर्णय
सेरोगेसी एक्ट उन जोड़ों के निहित अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण फ्रीज कराए: जस्टिस विश्वनाथन का समवर्ती निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जिन दंपतियों ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 के 25 जनवरी, 2022 को लागू होने से पहले सरोगेसी के लिए भ्रूण फ्रीज कराए थे, उन्होंने सरोगेसी का निहित अधिकार अर्जित कर लिया था, जिसे यह अधिनियम पूर्वव्यापी रूप से नहीं छीन सकता।जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने अपने समवर्ती निर्णय में कहा कि वैधानिक कट-ऑफ तिथि से पहले निषेचन प्रक्रिया पूरी करके दंपतियों ने पहले ही कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त सीमा को पार कर लिया था और अधिनियम की धारा 4(iii)(c)(I) के तहत बाद में शुरू की गई...

सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकीलों को पेशेवर चैंबर/केबिन आवंटित करने के लिए समान नीति तैयार करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकीलों को पेशेवर चैंबर/केबिन आवंटित करने के लिए समान नीति तैयार करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के विभिन्न कोर्ट्स और बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों को पेशेवर चैंबर/केबिन आवंटित करने के लिए समान और लैंगिक-संवेदनशील नीति तैयार करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किया।याचिका में भविष्य के आवंटनों में महिला वकीलों के लिए चैंबर या केबिन में आरक्षण या वरीयता देने की मांग की गई। साथ ही यह भी मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट में 25 वर्ष से अधिक का प्रैक्टिस करने वाली और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की प्रतीक्षा सूची में शामिल महिला...

पैरोल न देने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लताड़ा, कहा- लंबे कारावास से जेल में अराजकता फैल सकती है
पैरोल न देने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लताड़ा, कहा- लंबे कारावास से जेल में अराजकता फैल सकती है

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली जेल नियम 2018 की अवहेलना करने के लिए राज्य के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों में लंबे समय से जेल में बंद कैदियों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पैरोल और फरलो के माध्यम से बिना किसी रुकावट के लंबे समय तक कैद से जेल के अंदर अनुशासनहीनता और अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है।कोर्ट ने कहा कि अधिकारी यह महसूस नहीं करते कि निर्धारित समय सीमा के भीतर पैरोल या फरलो न देने से केवल अशांति फैलती...

क्या एक ज़िले में एक से ज़्यादा बार एसोसिएशन हो सकते हैं? नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन की याचिका पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
क्या एक ज़िले में एक से ज़्यादा बार एसोसिएशन हो सकते हैं? नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन की याचिका पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को नीलगिरी महिला वकील संघ द्वारा मान्यता के लिए दायर आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था।याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट वी मोहना ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ को बताया कि एक ही ज़िले में महिला वकीलों के लिए अलग से एक बार एसोसिएशन की...

न्यायपालिका को अदालतों की सीमाओं से आगे बढ़कर हाशिए पर जी रहे लोगों तक न्याय पहुंचाना चाहिए: जस्टिस सूर्यकांत
न्यायपालिका को अदालतों की सीमाओं से आगे बढ़कर हाशिए पर जी रहे लोगों तक न्याय पहुंचाना चाहिए: जस्टिस सूर्यकांत

सुप्रीम कोर्ट के जज और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुर्य कांत ने शनिवार को कहा कि देश की न्याय प्रणाली को केवल अदालतों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे उन लोगों के जीवन तक पहुँचना चाहिए जो हाशिए पर हैं, विशेषकर पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में।गुवाहाटी के सोनापुर में आयोजित NALSA ईस्ट-जोन क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन संबोधन में जस्टिस सुर्य कांत ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल उद्घाटन नहीं है, बल्कि यह इस बात की पुष्टि है कि हमारा न्याय के प्रति संकल्प उस...

भारत का औपनिवेशिक हैंगओवर: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी भी मानहानि की सज़ा जेल में दे रहा है
भारत का औपनिवेशिक हैंगओवर: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी भी मानहानि की सज़ा जेल में दे रहा है

सितंबर 2025 में, सुप्रीम कोर्ट फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम अमिता सिंह की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जो द वायर के खिलाफ दायर एक आपराधिक मानहानि शिकायत से उत्पन्न हुआ मामला था। समन जारी होने से एक बार फिर यह बहस छिड़ गई: क्या भारत में मानहानि एक अपराध बनी रहनी चाहिए, या इस औपनिवेशिक अवशेष से छुटकारा पाने का समय आ गया है? हालांकि, यह कोई नया सवाल नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ (2016) में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860...

दिल्ली हाईकोर्ट का अवलोकन: दृष्टि दोष से पीड़ित अधिकारी का सेना में शामिल होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
दिल्ली हाईकोर्ट का अवलोकन: दृष्टि दोष से पीड़ित अधिकारी का सेना में शामिल होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि भारतीय सेना में दृष्टि दोष से पीड़ित किसी अधिकारी का शामिल होना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने एनडीए और नौसेना अकादमी परीक्षा (II) 2024 में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले उमा महेश्वरा शास्त्री दुर्बका को राहत देने से इनकार किया।दुर्बका ने अपनी सेवा के लिए सेना, वायु सेना, नौसेना अकादमी और नौसेना को वरीयता दी थी। उन्होंने बेंगलुरु के एयर कमोडोर, कमांडेंट...

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को कोर्ट-मार्शल दोषसिद्धि को संशोधित करने और कम दंड लगाने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को कोर्ट-मार्शल दोषसिद्धि को संशोधित करने और कम दंड लगाने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर) को कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 (Armed Forces Tribunal Act) के तहत सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को कोर्ट मार्शल के निष्कर्षों को प्रतिस्थापित करने का अधिकार है यदि इसके निष्कर्ष अत्यधिक, अवैध या अन्यायपूर्ण है।अदालत ने कहा,"इस प्रकार, 2007 अधिनियम की धारा 15 (6) (ए) और (बी) के तहत ट्रिब्यूनल को कोर्ट मार्शल के निष्कर्ष को प्रतिस्थापित करने का अधिकार है, जिसमें अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शामिल है। यदि यह अत्यधिक, अवैध या अन्यायपूर्ण...

यूपी राज्य में गोद लेना केवल रजिस्टर्ड डीड द्वारा ही हो सकता है, केवल नोटरीकृत दत्तक ग्रहण विलेख अमान्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यूपी राज्य में गोद लेना केवल रजिस्टर्ड डीड द्वारा ही हो सकता है, केवल नोटरीकृत दत्तक ग्रहण विलेख अमान्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(3) में राज्य संशोधन के आधार पर केवल पंजीकृत दत्तक ग्रहण विलेख यूपी राज्य में मान्य है। न्यायालय ने कहा कि केवल गोद लेने के दस्तावेज का नोटरीकरण इसे उत्तराधिकार साबित करने के लिए वैध नहीं बनाता है।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने की,"यूपी राज्य में लागू अधिनियम, 1956 की संशोधित धारा 16(2) और यूपी राज्य में लागू अधिनियम, 1908 की धारा 17 (1)(एफ) और (3) को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि 01.01.1977 के बाद...