सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक दलीलों के लिए तय की समय-सीमा, सुनवाई को अधिक प्रभावी और तेज बनाने के लिए जारी किया SOP
Amir Ahmad
30 Dec 2025 4:10 PM IST

कोर्ट्स में बेहतर प्रबंधन और मामलों के शीघ्र निपटारे के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की, जिसके तहत अब सभी पोस्ट-नोटिस और नियमित सुनवाई वाले मामलों में मौखिक दलीलों के लिए स्पष्ट और अनिवार्य समय-सीमा तय की जाएगी।
नए SOP के तहत सीनियर वकीलों, बहस करने वाले वकीलों और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) को सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले मौखिक दलीलों के लिए प्रस्तावित समय-सीमा अदालत को बतानी होगी।
यह जानकारी ऑनलाइन अपीयरेंस स्लिप पोर्टल के माध्यम से दी जाएगी, जो पहले से ही एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के लिए उपलब्ध है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सीनियर एडवोकेट, बहस करने वाले वकील और संबंधित AoR की संयुक्त होगी।
अदालत की तैयारी और सुनवाई को अधिक प्रभावी बनाने के लिए SOP में लिखित प्रस्तुतियों को भी सीमित किया गया। इसके तहत अधिकतम पांच पन्नों की एक संक्षिप्त लिखित दलील या नोट सुनवाई की निर्धारित तिथि से कम से कम तीन दिन पहले दाखिल करना अनिवार्य होगा। यह लिखित प्रस्तुति विपक्षी पक्ष को पहले से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ऐसी फाइलिंग एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के माध्यम से या अदालत द्वारा नामित नोडल काउंसल के जरिये की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस SOP में यह भी जोर देकर कहा है कि सभी वकीलों को अदालत द्वारा निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करना होगा और मौखिक बहस उसी निर्धारित समय के भीतर समाप्त करनी होगी।
यह कदम लंबी, दोहरावपूर्ण और अनावश्यक मौखिक दलीलों पर रोक लगाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है, जिसे लेकर संवैधानिक और वाणिज्यिक मामलों में पहले भी चिंता जताई जाती रही है।
न्यायालय के इस नए दिशा-निर्देश को सुनवाई की प्रक्रिया को अधिक अनुशासित, केंद्रित और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है, जिससे न केवल अदालत का समय बचेगा बल्कि लंबित मामलों के निपटारे में भी तेजी आने की उम्मीद है।

