दिल्ली हाईकोर्ट ने मैकेनिकल फोल्डिंग डिवाइस से जुड़ा पेटेंट आवेदन बहाल किया, पेटेंट ऑफ़िस का आदेश रद्द किया

Amir Ahmad

30 Dec 2025 4:36 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने मैकेनिकल फोल्डिंग डिवाइस से जुड़ा पेटेंट आवेदन बहाल किया, पेटेंट ऑफ़िस का आदेश रद्द किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने आविष्कारक रेशम प्रियदर्शिनी द्वारा दायर एक पेटेंट आवेदन खारिज करने के पेटेंट कार्यालय का आदेश रद्द कर दिया।

    अदालत ने कहा कि पेटेंट आवेदन को अधूरी और गलत व्याख्या के आधार पर अस्वीकार किया गया तथा मामले को नए सिरे से विचार के लिए पेटेंट कार्यालय को वापस भेज दिया।

    24 दिसंबर, 2025 को दिए गए फैसले में जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की एकल पीठ ने कहा कि पेटेंट कार्यालय ने आवेदन में किए गए दावों, आश्रित दावों ड्रॉइंग्स और विस्तृत विनिर्देशों की समुचित जांच किए बिना ही यह निष्कर्ष निकाल लिया कि आविष्कार अस्पष्ट है और उसमें कोई आविष्कारक कदम नहीं है।

    यह मामला मार्च, 2020 में दायर एक पेटेंट आवेदन से जुड़ा है, जिसका शीर्षक था “किसी वस्तु को मोड़ने या झुकाने के लिए एक उपकरण”। यह आविष्कार एक यांत्रिक उपकरण से संबंधित है, जो किसी वस्तु को प्रोसेसिंग के दौरान फोल्ड या बेंड करता है। इसमें इनपुट कन्वेयर के माध्यम से वस्तु को अंदर लाया जाता है, एक मूविंग मेंबर उसे प्लेटफॉर्म तक पहुंचाता है जहां वस्तु को मोड़ा या झुकाया जाता है। इसके बाद आउटपुट मैकेनिज्म तैयार वस्तु को बाहर ले जाता है।

    पेटेंट कार्यालय ने फरवरी, 2023 में आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मुख्य दावा (independent claim) इनपुट कन्वेयर और आउटपुट मैकेनिज्म को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करता तथा यह आविष्कार पूर्व कला (Prior Art) की तुलना में कोई तकनीकी उन्नति नहीं दर्शाता।

    हालांकि हाईकोर्ट ने इस दृष्टिकोण से असहमति जताई। अदालत ने कहा कि पेटेंट कार्यालय ने दावों को संपूर्णता में नहीं पढ़ा। स्वतंत्र दावा भले ही सामान्य शब्दों में था, लेकिन आश्रित दावों में तकनीकी विशेषताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया।

    इसके अलावा, ड्रॉइंग्स और विस्तृत विवरण से भी आविष्कार की संरचना और कार्यप्रणाली स्पष्ट होती है।

    अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पूर्ण विनिर्देश में दिए गए चित्र और संबंधित अनुच्छेद इनपुट कन्वेयर और आउटपुट मैकेनिज्म की तकनीकी विशेषताओं को और अधिक स्पष्ट करते हैं।

    आविष्कारक कदम के मुद्दे पर अदालत ने पेटेंट कार्यालय के आदेश को विरोधाभासी बताया। कोर्ट ने कहा कि एक ओर यह कहा गया कि आविष्कार की तकनीकी विशेषताएं स्पष्ट नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं विशेषताओं की तुलना पूर्व कला से कर यह निष्कर्ष निकाल लिया गया कि कोई तकनीकी उन्नति नहीं है।

    अदालत ने टिप्पणी की कि यदि नियंत्रक को तकनीकी विशेषताएं स्पष्ट नहीं थीं तो यह समझ से परे है कि उन्होंने किस आधार पर पूर्व कला से तुलना की।

    हाईकोर्ट ने माना कि पेटेंट कार्यालय का यह निष्कर्ष कि आविष्कार में कोई आविष्कारशील कदम नहीं है बिना पर्याप्त कारणों के और अचानक लिया गया निर्णय है।

    इसके साथ ही अदालत ने अस्वीकृति आदेश रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए पेटेंट कार्यालय को वापस भेज दिया।

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