अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से जुड़े डोमेस्टिक अवार्ड का प्रवर्तन हाईकोर्ट में होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

30 Dec 2025 1:45 PM IST

  • अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से जुड़े डोमेस्टिक अवार्ड का प्रवर्तन हाईकोर्ट में होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से संबंधित किसी घरेलू मध्यस्थता अवार्ड (Domestic Award) का प्रवर्तन मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 36 के तहत संबंधित अधिकार क्षेत्र वाले हाईकोर्ट द्वारा किया जाएगा।

    जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस राजीव भारती की खंडपीठ ने यह निर्णय देते हुए कहा कि

    अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से संबंधित डोमेस्टिक अवार्ड के प्रवर्तन के लिए धारा 36 के तहत आवेदन दाखिल करने के संबंध में 'कोर्ट' हाईकोर्ट ही होगा।

    मामला

    अपीलकर्ता ने सिंगल जज के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दायर की थी, जिसमें उत्तरदाताओं द्वारा मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 36 के तहत अवार्ड के प्रवर्तन के लिए दाखिल आवेदन को सुनवाई योग्य माना गया था।

    धारा 36 के तहत किसी मध्यस्थता अवार्ड को सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के प्रावधानों के अनुसार उसी प्रकार प्रवर्तित किया जाता है, जैसे वह किसी न्यायालय की डिक्री हो।

    खंडपीठ ने कहा कि धारा 36 में यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में पारित डोमेस्टिक अवार्ड के प्रवर्तन के लिए कौन-सा कोर्ट सक्षम होगा।

    ऐसे में इसका निर्धारण अधिनियम की धारा 36 और धारा 2(1)(e) के संयुक्त पाठ से किया जाना चाहिए।

    अदालत ने बताया कि धारा 2(1)(e) के अनुसार, सामान्य रूप से 'कोर्ट' का अर्थ जिला स्तर का प्रधान सिविल कोर्ट या वह हाईकोर्ट होता है, जिसे मूल सिविल अधिकारिता प्राप्त हो। वहीं, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के मामलों में, जहां हाईकोर्ट को मूल अधिकारिता प्राप्त नहीं है, वहां वह हाईकोर्ट सक्षम होगा, जिसे अधीनस्थ न्यायालयों की डिक्री के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार हो।

    अदालत ने कहा कि भले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट को मूल सिविल अधिकारिता प्राप्त नहीं है, लेकिन उसे अपने अधीनस्थ न्यायालयों की डिक्री के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से जुड़े डोमेस्टिक अवार्ड के प्रवर्तन का अधिकार इसी हाईकोर्ट के पास होगा।

    पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल इस आधार पर कि अवार्ड को डिक्री की तरह प्रवर्तित किया जाना है, यह नहीं माना जा सकता कि उसका प्रवर्तन जिला स्तर के कमर्शियल कोर्ट द्वारा ही किया जाएगा।

    अदालत ने भारत एल्यूमिनियम कंपनी बनाम कैसर एल्यूमिनियम टेक्निकल सर्विसेज इंक. और PASL विंड सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड बनाम जीई पावर कन्वर्जन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मामलों पर भरोसा करते हुए कहा कि मध्यस्थता अधिनियम का भाग-I और भाग-II अलग-अलग हैं। धारा 2(1)(e) में 'कोर्ट' की परिभाषा भाग-I पर लागू होती है, जिसमें धारा 36 भी शामिल है।

    अदालत ने मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2015 की धारा 10(1) का उल्लेख करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से जुड़े सभी आवेदन और अपीलें हाईकोर्ट में ही दाखिल होंगी। यह प्रावधान अधिनियम, 1996 की धारा 2(1)(e)(ii) और धारा 47 की व्याख्या के अनुरूप है।

    इन सभी तथ्यों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर खंडपीठ ने सिंगल जज का आदेश सही ठहराया और विशेष अपील खारिज कर दी।

    Next Story