“पीड़िता ने अपने बयान में धीरे-धीरे सुधार किए”: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप और आपराधिक धमकी के मामले में बरी करने का फैसला बरकरार रखा
Shahadat
31 Dec 2025 11:08 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप और आपराधिक धमकी के मामले में एक आरोपी को बरी करने का फैसला यह मानते हुए बरकरार रखा कि पीड़िता की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें कई विरोधाभास थे और कार्यवाही के हर स्टेज पर इसमें सुधार किए गए।
कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि पीड़िता ने समय के साथ अपने बयान को बढ़ा-चढ़ाकर बताया, जिससे उसके बयानों पर भरोसा करना मुश्किल हो गया।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस सुशील कुकरेजा की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी की,
“यह एक ऐसा मामला है, जहां पीड़िता ने अपने बयान में धीरे-धीरे सुधार किए, इसलिए यह पता लगाना मुश्किल है कि उसका कौन सा बयान भरोसेमंद और विश्वसनीय है।”
यह अपील एडिशनल सेशंस जज, ऊना द्वारा 25 अप्रैल 2014 को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई, जिसमें आरोपी को IPC की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराधों से बरी कर दिया गया।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि नवंबर, 2012 में करवा चौथ की शाम को उसे सह-आरोपी सीमा देवी के घर बुलाया गया, जहां कथित तौर पर आरोपी ज्ञान चंद ने उसके साथ रेप किया।
पीड़िता ने दावा किया कि आरोपी ने उसे धमकी दी कि वह जादू-टोना जानता है और चाकू दिखाकर धमकी दी कि वह उसे और उसके पति को मार डालेगा।
कोर्ट ने गौर किया कि भले ही कथित घटना नवंबर, 2012 में हुई थी, लेकिन शिकायत औपचारिक रूप से अप्रैल, 2013 में ही दर्ज की गई और पंचायत के दखल से समझौता हुआ था।
कोर्ट ने दोहराया,
“पीड़िता का बयान सजा का एकमात्र आधार हो सकता है, जब तक कि कोर्ट के पास बयान पर सीधे तौर पर विश्वास करने में हिचकिचाहट के ठोस कारण न हों या पुष्टि की आवश्यकता न हो।”
इसके अलावा, कोर्ट ने पाया कि पीड़िता ने अलग-अलग स्टेज पर सह-आरोपी की भूमिका के बारे में अपना बयान बदला, खासकर उसकी संलिप्तता के बारे में।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि पार्टियों के बीच संबंध तनावपूर्ण थे और पहले भी उनके बीच मुकदमेबाजी चल रही थी, इसलिए इस मामले को दुश्मनी का नतीजा भी कहा जा सकता है।
इस प्रकार, हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी करने का फैसला बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।
Case Name: Urmila Devi v/s State of H.P. and others

