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संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 46: किसी दान को कैसे निरस्त किया जा सकता है जानिए क्या कहते हैं प्रावधान (धारा 126)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 46: किसी दान को कैसे निरस्त किया जा सकता है जानिए क्या कहते हैं प्रावधान (धारा 126)

संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत दान एक महत्वपूर्ण अंतरण का माध्यम है। यह प्रश्न सदा देखने को मिलता है कि दान को निरस्त किए जाने संबंधित क्या प्रावधान है। संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 126 दान को निरस्त किए जाने संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित करती है। इस आलेख के अंतर्गत इस प्रकार दान को निरस्त किए जाने संबंधित धारा 126 पर व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है।धारा 126-दान एक प्रतिफल रहित संव्यवहार है जिसमें सम्पत्ति का स्वामी बिना प्रतिफल के सम्पत्ति का स्वामित्व अन्तरित करता है। साधारणतया दान के...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 45: दान का अंतरण कैसे किया जाता है! इससे संबंधित प्रक्रिया (धारा 123)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 45: दान का अंतरण कैसे किया जाता है! इससे संबंधित प्रक्रिया (धारा 123)

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 123 के अंतर्गत दान के माध्यम से संपत्ति के अंतरण से संबंधित प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। विदित रहे कि इससे पूर्व के आलेख में संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत दान के संबंध में उल्लेख किया गया था जहां दान की परिभाषा प्रस्तुत की गई थी। दान भी संपत्ति के अंतरण का एक माध्यम है। धारा 123 दान से होने वाले संपत्ति के अंतरण से संबंधित विस्तृत प्रक्रिया का उल्लेख कर रही है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 123 से संबंधित प्रक्रिया को उल्लेखित किया जा रहा है।धारा 123, दान किस...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 43: विनिमय क्या होता है? विनिमय की परिभाषा (धारा 118)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 43: विनिमय क्या होता है? विनिमय की परिभाषा (धारा 118)

संपत्ति अंतरण अधिनियम एक विशाल अधिनियम है। जैसा कि कहा जाता है जिस प्रकार आपराधिक विधानों में भारतीय दंड संहिता का महत्व है उसी प्रकार सिविल विधि में संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 का महत्व है जो अनेकों प्रकार के अधिकारों का उल्लेख कर रहा है। जैसा कि इससे पूर्व के आलेखों में संपत्ति अंतरण के माध्यमों में अनेक माध्यमों पर चर्चा की जा चुकी है जिसमें विक्रय पर चर्चा की गई पट्टे पर चर्चा की गई। इसी प्रकार संपत्ति अंतरण का एक माध्यम विनिमय भी होता है। विनिमय के माध्यम से भी संपत्ति का अंतरण किया जा सकता...

कोर्ट कमिश्नर क्या होता है और इसकी नियुक्ति के सम्बन्ध में क्या कानून है?
कोर्ट कमिश्नर क्या होता है और इसकी नियुक्ति के सम्बन्ध में क्या कानून है?

सिविल कोर्ट ने दाखिल मुकदमों के निस्तारण के लिए न्यायालय को विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होता है। किन्तु कुछ ऐसे विषय होते है जिन्हें दस्तावेजों से समाज पाना अथवा दस्तावेजों के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुँचना मुश्किल होता है। उदहारण के लिए जब पक्षकारों के मध्य विवाद आने-जाने वाले रास्ते के लिए हो और वादी का कहना को कि आवागमन के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है और वो भी प्रतिवादी द्वारा रोक लिया गया है, तो ऐसी स्थिति में सिर्फ साक्ष्य/सबूतों के आधार पर न्यायालय किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सकता है।...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 33: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत भार क्या होता है (धारा 100)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 33: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत भार क्या होता है (धारा 100)

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 100 भार की परिभाषा प्रस्तुत करती है भार और बंधक में अंतर होता है। भार का संबंध किसी संपत्ति के ऋण से होता है। जब कभी किसी संपत्ति पर कोई ऋण होता है तब कुछ संपत्ति को भार रखने वाली संपत्ति कहा जाता है तथा ऐसी परिस्थिति में संपत्ति का अंतरण नहीं किया जा सकता है। यह धारा इसी प्रकार के भार का प्रावधान करती हैं तथा संबंधित नियमों को प्रस्तुत करती है। इस आलेख में धारा 100 से संबंधित नियमों को प्रस्तुत किया गया है और उससे संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 32: कौन व्यक्ति मोचन के लिए वाद ला सकते हैं तथा प्रत्यासन का क्या अर्थ है (धारा 91- 92)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 32: कौन व्यक्ति मोचन के लिए वाद ला सकते हैं तथा प्रत्यासन का क्या अर्थ है (धारा 91- 92)

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 91 एवं 92 दोनों ही महत्वपूर्ण धाराएं हैं। इसकी पहली धारा के अंतर्गत मोचन के अधिकार के संबंध में उल्लेख किया गया है। जैसा कि इससे पूर्व के आलेख में न्यायालय में निक्षेप के माध्यम से मोचन के अधिकार के संबंध में उल्लेख किया गया था जो कि इस अधिनियम की धारा 90 से संबंधित है। एक बंधककर्ता को अपनी संपत्ति पर मोचन का अधिकार प्राप्त होता है। बंधककर्ता के अलावा भी कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें मोचन का अधिकार प्राप्त है। धारा-91 उन्हीं व्यक्तियों का उल्लेख कर रही है इस...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 31: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय में निक्षेप क्या होता है (धारा 83)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 31: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय में निक्षेप क्या होता है (धारा 83)

संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 के अंतर्गत किसी भी बंधककर्ता को अपनी बंधक संपत्ति को मोचन करने का अधिकार प्राप्त है। यदि किसी बंधककर्ता ने अपनी कोई संपत्ति बंधक की संविदा के अंतर्गत बंधकदार को अंतरण की है तो उस संपत्ति की ऋण की अदायगी के समय विमोचन के अधिकार का प्रयोग कर पुनः प्राप्त कर सकता है। इस अधिनियम की धारा-83 इसी प्रकार मोचन के अधिकार का एक प्रारूप है। यदि कोई व्यक्ति अपने मोचन के अधिकार का प्रयोग करना चाहता है तथा अपने लिए गए ऋण की अदायगी करना चाहता है तब उसके पास में यह विकल्प उपलब्ध होगा...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 30: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत क्रमबंधन और अभिदाय क्या होता है (धारा 81-82)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 30: संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत क्रमबंधन और अभिदाय क्या होता है (धारा 81-82)

संपत्ति अंतरण अधिनियम से संबंधित इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 81 जो क्रमबंधन का उल्लेख करती है तथा धारा 82 जो अभिदाय का उल्लेख करती है पर सारगर्भित टिप्पणियां प्रस्तुत की जा रही है। इससे पूर्व के आलेख में पूर्विक बंधकदार के मुल्तवी किए जाने के संबंध में उल्लेख किया गया था। इस एक ही आलेख के अंतर्गत इन दोनों ही धाराओं पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां प्रस्तुत की जा रही है जिससे एक ही आलेख में दोनों ही धाराओं पर महत्वपूर्ण जानकारियों को प्राप्त किया जा सके।क्रमबंधन- (धारा 81)'क्रमबन्धन' से...