भारतीय दंड संहिता 2023 के प्रावधान: सेना, नौसेना और वायुसेना से संबंधित अपराध (धारा 163 से 168)
Himanshu Mishra
2 Sept 2024 5:54 PM IST
परिचय
भारतीय दंड संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हुई है, ने पुराने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह ली है। इस संहिता में सेना, नौसेना और वायुसेना (Army, Navy, Air Force) से संबंधित अपराधों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इस लेख में हम धारा 163 से 168 तक के प्रावधानों को समझेंगे, जो कि सेना के कर्मियों द्वारा की जाने वाली अपराधों को रोकने और उन्हें अनुशासन में बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं। ये प्रावधान उन लोगों के लिए हैं जो सेना के सदस्यों को अनुशासनहीनता (Indiscipline) या कर्तव्य के प्रति उदासीनता (Negligence) के लिए प्रेरित करते हैं।
भारतीय दंड संहिता 2023 के धारा 163 से 168 तक के प्रावधान इस बात पर जोर देते हैं कि सेना, नौसेना और वायुसेना की गरिमा, अनुशासन और सम्मान को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। चाहे वह भगोड़ापन उकसाना हो, भगोड़ों को शरण देना हो, या बिना अनुमति के सैन्य वर्दी पहनना हो, इन कृत्यों को गंभीर अपराध माना गया है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इन कानूनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत की सशस्त्र बलों की गरिमा और अनुशासन में कोई कमी न आए।
पिछले प्रावधानों की संक्षिप्त चर्चा
लाइव लॉ हिंदी के पिछले पोस्ट में हमने इस अध्याय के धारा 159 से 162 तक के प्रावधानों पर चर्चा की थी। इन प्रावधानों में सेना के अधिकारियों द्वारा किए गए विद्रोह (Mutiny) के लिए उकसाने, वरिष्ठ अधिकारियों पर हमले और इन कृत्यों से जुड़े दंड का उल्लेख किया गया है। जैसे कि यदि कोई व्यक्ति सेना के कर्मियों को उनके कर्तव्य से विचलित करने की कोशिश करता है या विद्रोह के लिए उकसाता है, तो उसे आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है। यह प्रावधान सेना में अनुशासन और आदेश बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
धारा 163: सेना के सदस्यों को भगाने के लिए उकसाना (Abetting Desertion)
धारा 163 उन लोगों पर लागू होती है जो सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को भगाने के लिए उकसाते हैं। भगोड़ापन (Desertion) वह स्थिति है जब कोई व्यक्ति अपने पद (Duty) को बिना अनुमति के छोड़ देता है और वापस आने का कोई इरादा नहीं रखता। यदि कोई व्यक्ति किसी सैनिक को भगाने में मदद करता है या उसे उकसाता है, तो उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
उदाहरण: मान लीजिए कि राजीव नाम का व्यक्ति एक सैनिक रवि को अपना पद छोड़ने और वापस न आने के लिए प्रेरित करता है। राजीव रवि को भागने में मदद के लिए पैसा और वाहन प्रदान करता है। राजीव की इस क्रिया को धारा 163 के अंतर्गत भगाने के लिए उकसाना माना जाएगा और उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
धारा 164: भगोड़े सैनिकों को शरण देना (Harboring Deserters)
धारा 164 उस अपराध को निर्दिष्ट करती है जब कोई व्यक्ति यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण होने पर भी कि कोई सैन्यकर्मी भगोड़ा हो गया है, उसे शरण देता है। यदि कोई व्यक्ति इस स्थिति में किसी भगोड़े सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को शरण देता है, तो उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। हालांकि, यदि यह शरण किसी भगोड़े के जीवनसाथी (Spouse) द्वारा दी जाती है, तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
उदाहरण: मान लीजिए कि श्याम को पता है कि उसका मित्र रमेश, जो नौसेना में नाविक है, भगोड़ा हो गया है। इसके बावजूद श्याम रमेश को अपने घर में ठहरने की अनुमति देता है। श्याम को धारा 164 के अंतर्गत दो साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। लेकिन, यदि रमेश अपने जीवनसाथी के साथ शरण लेता है, तो इस धारा के तहत जीवनसाथी पर कोई आरोप नहीं लगेगा।
धारा 165: व्यापारी जहाजों पर भगोड़े सैनिकों को शरण देने की सजा (Penalty for Harboring Deserters on Merchant Vessels)
धारा 165 उस व्यक्ति की जिम्मेदारी पर लागू होती है जो किसी व्यापारी जहाज (Merchant Vessel) के प्रभारी होता है, अगर उस जहाज पर भारतीय सेना, नौसेना या वायुसेना का कोई भगोड़ा छिपा हुआ हो। यदि प्रभारी व्यक्ति इस छिपाव (Concealment) से अनजान भी हो, तो भी वह तीन हजार रुपये तक के जुर्माने के लिए उत्तरदायी हो सकता है, अगर यह पाया गया कि वह इस छिपाव को जान सकता था लेकिन अपने कर्तव्य में किसी कमी (Negligence) या अनुशासन की कमी के कारण जान नहीं पाया।
उदाहरण: मान लीजिए कि वायुसेना का एक भगोड़ा व्यापारी जहाज पर छिपा हुआ है। जहाज का कप्तान राजेश इस बात से अनजान है, लेकिन जहाज की सही तरीके से जांच नहीं करने के कारण यह छिपाव हो गया। यदि बाद में भगोड़ा पकड़ा जाता है, तो राजेश पर तीन हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
धारा 166: अनुशासनहीनता के कार्य को उकसाना (Abetting Insubordination)
धारा 166 उस अपराध पर लागू होती है जिसमें कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी कि वह अनुशासनहीनता (Insubordination) के कार्य को उकसा रहा है, ऐसा करता है। अनुशासनहीनता वह स्थिति होती है जब कोई सैनिक अधिकारी के आदेशों का पालन नहीं करता या उसके प्रति असम्मान दिखाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए उकसाता है और अनुशासनहीनता की घटना होती है, तो उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
उदाहरण: मान लीजिए कि प्रकाश नाम का व्यक्ति कुछ सैनिकों से कहता है कि वे अपने कमांडर के आदेशों का पालन न करें क्योंकि आदेश अनुचित हैं। यदि सैनिक वास्तव में आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो प्रकाश को धारा 166 के अंतर्गत दो साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
धारा 167: सैन्यकर्मियों के लिए इस संहिता के तहत सजा से छूट (Exemption for Military Personnel from Punishment under this Sanhita)
धारा 167 के अनुसार, वायु सेना अधिनियम, 1950, सेना अधिनियम, 1950, और नौसेना अधिनियम, 1957 के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति इस संहिता के तहत इस अध्याय में परिभाषित किसी भी अपराध के लिए सजा के पात्र नहीं होंगे। इसका मतलब है कि जो व्यक्ति इन अधिनियमों द्वारा शासित हैं, उन्हें इस अध्याय के अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत नहीं दंडित किया जाएगा।
व्याख्या: उदाहरण के लिए, यदि कोई सैनिक विद्रोह या भगोड़ापन से संबंधित अपराध करता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के बजाय सेना अधिनियम, 1950 के तहत दंडित किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सैन्यकर्मी उन कानूनों के अंतर्गत आते हैं जो विशेष रूप से सशस्त्र बलों के लिए बनाए गए हैं।
धारा 168: बिना अनुमति के सैन्य वर्दी पहनना (Unauthorized Wearing of Military Uniforms)
धारा 168 उन लोगों पर लागू होती है जो बिना अनुमति के सैन्य वर्दी या सैन्य प्रतीक चिन्ह (Military Token) पहनते हैं, और इस इरादे से करते हैं कि लोग उन्हें सैन्यकर्मी समझें। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे तीन महीने तक की कैद, दो हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
उदाहरण: कल्पना कीजिए कि सुरेश नाम का एक व्यक्ति, जो सैनिक नहीं है, लेकिन सेना की वर्दी पहनता है और सैन्य बैज (Badge) धारण करता है ताकि लोग उसे सैनिक समझें। सुरेश को धारा 168 के तहत तीन महीने तक की कैद, दो हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।