विदेशी राष्ट्रों के खिलाफ अपराध: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 154 से 158 का सरल विश्लेषण
Himanshu Mishra
28 Aug 2024 5:05 PM IST
भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita 2023) ने 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस संहिता के अंतर्गत धारा 154 से 158 विशेष रूप से उन अपराधों से संबंधित हैं जो विदेशी राष्ट्रों के खिलाफ होते हैं और जिनमें सार्वजनिक सेवक (public servants) की लापरवाही या जानबूझकर की गई सहायता शामिल होती है। इस लेख में, हम प्रत्येक धारा का सरल भाषा में विश्लेषण करेंगे और उदाहरणों के माध्यम से समझाएंगे कि ये कानून कैसे लागू होते हैं।
इस अध्याय के पिछले प्रावधानों, जैसे धारा 151 से 153, में भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अलगाववादी गतिविधियों और उच्च अधिकारियों पर दबाव डालने से संबंधित अपराधों का विवरण दिया गया है। इन धाराओं को Live Law Hindi के पिछले पोस्ट में विस्तार से कवर किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 154 से 158 में उन अपराधों का विस्तृत वर्णन है जो विदेशी राष्ट्रों के खिलाफ लूटपाट, सार्वजनिक सेवकों की लापरवाही, और राज्य या युद्ध कैदियों की सहायता से संबंधित हैं। ये प्रावधान न केवल अपराधियों को दंडित करने के लिए बनाए गए हैं, बल्कि इनसे जुड़ी संपत्तियों की जब्ती और दोषियों पर अतिरिक्त जुर्माने का भी प्रावधान है।
संबंधित अपराधों और प्रावधानों की गहन समझ के लिए, पाठकों को Live Law Hindi पर उपलब्ध इस अध्याय की अन्य धाराओं का अध्ययन करने की सलाह दी जाती है।
धारा 154: विदेशी राष्ट्र के क्षेत्र में लूटपाट करना या उसकी तैयारी करना
धारा की समझ: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 154 उस व्यक्ति से संबंधित है जो किसी विदेशी राष्ट्र के क्षेत्र में, जो भारत सरकार के साथ शांति में है, लूटपाट (depredation) करता है या उसकी तैयारी करता है। इस धारा का उद्देश्य उन व्यक्तियों को दंडित करना है जो किसी मित्र राष्ट्र के क्षेत्र में हिंसक और अवैध गतिविधियों में शामिल होते हैं।
सजा: इस अपराध के लिए सजा सात साल तक की कैद (rigorous या simple), जुर्माना, और उस संपत्ति की जब्ती (forfeiture) है जो इस लूटपाट में इस्तेमाल की गई या उसे प्राप्त करने के लिए उपयोग की गई हो।
उदाहरण: मान लीजिए कि 'A' और उसके साथी 'B' किसी विदेशी राष्ट्र के क्षेत्र में एक गांव पर हमला करने की योजना बनाते हैं, जो भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों में है। वे हमला करने से पहले हथियार और वाहन तैयार करते हैं। भले ही वे इस हमले को अंजाम न दें, लेकिन केवल तैयारी के लिए भी 'A' और 'B' धारा 154 के तहत दोषी होंगे।
धारा 155: लूटे गए माल को प्राप्त करना
धारा की समझ: धारा 155 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो यह जानते हुए कि कोई संपत्ति धारा 153 या 154 में वर्णित अपराधों में से किसी एक के दौरान ली गई है, उसे प्राप्त करते हैं। यह धारा उन लोगों को दंडित करने के लिए बनाई गई है जो अवैध रूप से प्राप्त की गई संपत्ति को अपने पास रखते हैं।
सजा: इस अपराध के लिए सजा सात साल तक की कैद (rigorous या simple), जुर्माना, और उस संपत्ति की जब्ती है जो इस अपराध में प्राप्त की गई हो।
उदाहरण: अगर 'C' को पता है कि 'D' ने विदेशी राष्ट्र के क्षेत्र में लूटपाट करके कुछ मूल्यवान सामान प्राप्त किया है, और इसके बावजूद 'C' वह सामान खरीदता है, तो 'C' धारा 155 के तहत दोषी होगा।
धारा 156: राज्य कैदी या युद्ध कैदी को स्वेच्छा से भागने देना
धारा की समझ: धारा 156 उस सार्वजनिक सेवक (public servant) से संबंधित है जो किसी राज्य कैदी (State prisoner) या युद्ध कैदी (prisoner of war) को जानबूझकर भागने देता है। यह धारा सार्वजनिक सेवकों की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है, जो कैदियों की निगरानी करते हैं।
सजा: इस अपराध के लिए सजा उम्रकैद (life imprisonment) या दस साल तक की कैद (rigorous या simple) और जुर्माना है।
उदाहरण: मान लीजिए कि 'E' एक जेल का अधिकारी है, जिसके अधीन एक राज्य कैदी बंद है। अगर 'E' जानबूझकर उस कैदी को भागने का मौका देता है, तो 'E' धारा 156 के तहत दोषी होगा।
धारा 157: राज्य कैदी या युद्ध कैदी को लापरवाही से भागने देना
धारा की समझ: धारा 157 भी सार्वजनिक सेवक से संबंधित है, लेकिन इसमें उस स्थिति को संबोधित किया गया है जब कैदी की निगरानी में लापरवाही के कारण कैदी भाग जाता है। यह धारा उन सार्वजनिक सेवकों को दंडित करती है जो अपनी ड्यूटी में लापरवाही करते हैं।
सजा: इस अपराध के लिए सजा तीन साल तक की साधारण कैद (simple imprisonment) और जुर्माना है।
उदाहरण: अगर 'F', जो एक जेल का अधिकारी है, अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतता है और इसी वजह से एक युद्ध कैदी भाग जाता है, तो 'F' धारा 157 के तहत दोषी होगा।
धारा 158: राज्य कैदी या युद्ध कैदी की भागने में सहायता करना
धारा की समझ: धारा 158 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानबूझकर किसी राज्य कैदी या युद्ध कैदी की भागने में सहायता करते हैं, या उन्हें छिपाते हैं, या उन्हें पुनः पकड़ने में अवरोध (resistance) उत्पन्न करते हैं। इस धारा का उद्देश्य उन सभी लोगों को दंडित करना है जो कैदियों के भागने में किसी भी प्रकार से मदद करते हैं।
सजा: इस अपराध के लिए सजा उम्रकैद (life imprisonment) या दस साल तक की कैद (rigorous या simple) और जुर्माना है।
स्पष्टीकरण: यदि कोई राज्य कैदी या युद्ध कैदी जिसे भारत में किसी निश्चित सीमा के भीतर मुक्त रूप से घूमने की अनुमति दी गई है, उस सीमा से बाहर जाता है, तो इसे कानूनी हिरासत से भागना माना जाएगा।
उदाहरण: मान लीजिए कि 'G' एक राज्य कैदी को उसकी कानूनी हिरासत से भागने में मदद करता है, और बाद में उसे अपने घर में छिपाता है। इस स्थिति में, 'G' धारा 158 के तहत दोषी होगा।