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निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 18: विधि विरुद्ध साधनों से प्राप्त की गई लिखित ( धारा 58)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत विधि विरुद्ध साधनों से प्राप्त किए गए लिखित से संबंधित प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला गया है। परक्राम्य लिखित एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरण हो जाता है तथा यह संभव है कि ऐसे लिखित की चोरी भी हो सकती है, इसकी कूट रचना भी की जा सकती है तथा इसे अवैध प्रतिफल के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है। इस विपदा से निपटने हेतु इस अधिनियम की धारा 58 के अंतर्गत प्रावधान किए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा 58 से संबंधित...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 17: निरंक पृष्ठांकन का पूर्ण पृष्ठांकन में परिवर्तन (धारा 49)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत निरंक पृष्ठांकन से पूर्ण पृष्ठांकन में परिवर्तन से संबंधित प्रावधान इस अधिनियम की धारा 49 में समाहित किए गए हैं। यह इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। निरंक पृष्ठांकन के प्रकारों का भी उल्लेख इस धारा में मिलता है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 49 से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है।निरंक पृष्ठांकनधारा 49 के अंतर्गत दिए गए निरंक पृष्ठांकन के प्रावधान को विधि विदानों के दिए इस उदाहरण से समझा...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 16: पृष्ठांकन द्वारा परक्रामण
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) से संबंधित आलेखों में परक्रामण तथा परिदान द्वारा प्रक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा चुकी है। परक्रामण से संबंधित आलेख में यह स्पष्ट किया गया था कि परक्रामण परिदान द्वारा किया जा सकता है और पृष्ठांकन द्वारा भी प्रक्रमण किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम के अत्यंत महत्वपूर्ण भाग पृष्ठांकन द्वारा प्रक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर सारगर्भित टीका प्रस्तुत किया जा रहा है तथा साथ ही उससे संबंधित न्याय निर्णय भी...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 15 : परिदान और परिदान द्वारा परक्रमण
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत इस आलेख पूर्व के आलेख में परक्रमण शब्द की परिभाषा को समझा था तथा उससे संबंधित प्रावधान पर प्रकाश डाला गया था कि प्रक्रमण क्या होता है। परक्रमण से संबंधित आलेख केे अंत में इस प्रावधान का उल्लेख किया गया था कि परक्रमण कुछ प्रकारों के द्वारा किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत परिदान द्वारा परक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर संक्षिप्त टीका प्रस्तुत किया जा रहा है तथा इस सारगर्भित आलेख के अंतर्गत परिदान द्वारा प्रकरण को समझने का...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 14 : परक्रामण क्या होता है (Negotiation)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत अब तक पक्षकारों के दायित्व से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा चुकी है। परक्रामण इस अधिनियम का महत्वपूर्ण भाग है तथा इस अधिनियम के नाम से ही संबंधित है। परक्रामण के संबंध में इस अधिनियम के अंतर्गत पक्षकारों के दायित्व के प्रावधानों के बाद के प्रावधानों में उल्लेख किया गया है। प्रक्रमण का उल्लेख एक प्रकार से इस अधिनियम के मध्य में किया गया है। हालांकि परक्रामण की परिभाषा इस अधिनियम की धारा 14 में प्रस्तुत की गई है।...
पुनर्विलोकन (Review) से संबंधित कानून क्या है ?
पुनर्विलोकन से सम्बंधित प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 114 एवं आदेश 47 के अंतर्गत मौजूद है। पुनर्विलोकन यानी दुबारा अवलोकन संहिता के अंतर्गत दी गयी एक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत परिस्थिति विशेष में अदालत द्वारा पारित निर्णय एवं इसके तथ्यों की जांच की जाती है। लैटिन सिद्धांत 'फ़ंक्टस ऑफ़िसियो' कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए किसी भी अदालत द्वारा पारित निर्णय के संबंध में लागू होता है। सिद्धांत का अर्थ है कि यदि मामले में उचित और निष्पक्ष सुनवाई और परीक्षण के बाद फैसला सुनाया गया...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 13 : बिना प्रतिफल के परक्राम्य लिखत की रचना (धारा 43)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) से संबंधित आलेखों में इससे पूर्व के आलेखों में पक्षकारों के दायित्व से संबंधित प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया था, इस आलेख के अंतर्गत बगैर प्रतिफल के परक्राम्य लिखत की रचना से संबंधित प्रावधानों पर टीका किया जा रहा है। एक परक्राम्य लिखत के भुगतान के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसमे कोई प्रतिफल हो परन्तु यह आवश्यक है कि जब लिखत की रचना हो तब उसके पीछे न कोई प्रतिफल आवश्यक रूप से होना चाहिए। इस धारा से संबंधित कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए जा...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 12 : पक्षकारों के दायित्व- (धारा 30, 31, 32)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत इससे पूर्व के आलेखों में पक्षकारों के संबंध में उल्लेख किया जा चुका है। विदित रहे कि इस अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रकार के लिखत के संबंध में उल्लेख किया गया है जो क्रमशः वचन पत्र, विनिमय पत्र और चेक है। इन लिखत के पक्षकारों कौन होते हैं इसका भी उल्लेख पूर्व के आलेखों में किया जा चुका है, पक्षकारों से संबंधित जानकारी के लिए पूर्व के आलेखों का अध्ययन किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत अधिनियम में प्रावधानित किए गए इन...
धारा 151 सिविल प्रक्रिया संहिता क्या है?
सिविल मामलों में सबसे ज्यादा प्रयोग में ली जाने वाली धारा है धारा 151 जिसके अंतर्गत न्यायालय को अन्तर्निहित शक्तियाँ प्रदान की गयी है। इस धारा को प्रत्येक अन्य धारा/आदेश/नियम के जोड़ कर पेश किया जाता है. यह धारा न्यायालय को वह सभी शक्तियां प्रदान करती है जो न्याय की प्राप्ति एवं कानून के दुरुपयोग रोकने के लिए आवश्यक है। न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियां बहुत व्यापक हैं और किसी भी तरह से संहिता के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं। वे संहिता द्वारा न्यायालय को विशेष रूप से प्रदत्त शक्तियों के...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 10 : लिखत के पक्षकारों की सक्षमता (धारा 26)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 26 लिखत के पक्षकारों की सक्षमता के संबंध में उल्लेख करती है। यह इस अधिनियम का अति महत्वपूर्ण भाग है जो लिखत के पक्षकारों की सक्षमता का उल्लेख करता है। कौन व्यक्ति लिखत के लिए सक्षम पक्षकार हो सकता है यह इस अधिनियम हेतु जानना आवश्यक हो जाता है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही प्रावधान पर चर्चा की जा रही है।पक्षकारों की सक्षमता-संविदात्मक क्षमता– धारा 26 किसी व्यक्ति के सामर्थ्य के सम्बन्ध में नियम को स्थापित करती है कि किसी वचन पत्र,...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 11 : अभिकरण (एजेंसी) किस प्रकार निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स लिख सकती है (धारा 27)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) जो तीन प्रकार के लिखत विनिमय पत्र, वचन पत्र, और चेक का उल्लेख करता है उनमे इस अधिनियम में लिखत के पक्षकारों और उनकी सक्षमता के साथ ही एक अभिकरण द्वारा लिखत लिखे जाने संबंधी प्रावधान भी उपलब्ध है। इस आलेख के अंतर्गत इस प्रकार से अभिकरण द्वारा जारी किए जाने वाले लिखत से संबंधित नियमों पर चर्चा की जा रही है जो कि इस अधिनियम की धारा 27 से संबंधित है।अभिकरण द्वारा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स-किसी लिखत के लिखने, प्रतिग्रहीत करने या पृष्ठांकित...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 9 : सम्यक अनुक्रम में संदाय क्या होता है (धारा 10)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) से संबंधित पिछले आलेख में इस अधिनियम की धारा 8, 9 से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की गई थी। इस आलेख में सम्यक अनुक्रम में संदाय जो कि धारा 10 से संबंधित है पर चर्चा की जा रही है। इस धारा से संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।सम्यक अनुक्रम में संदाय-सम्यक् अनुक्रम संदाय की आवश्यक शर्ते- सम्यक् अनुक्रम संदाय के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए-1. लिखत के प्रकट शब्दों के अनुसार संदाय,2. सद्भावना पूर्वक3. बिना...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 8 : सम्यक अनुक्रम धारक क्या होता है (धारा 9)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 9 सम्यक अनुक्रम धारक के संबंध में उल्लेख कर रही है। पिछले आलेख के अंतर्गत लिखत के पक्षकारों के संबंध में उल्लेख किया गया है। इस आलेख के अंतर्गत सम्यक अनुक्रम धारक क्या होता है इससे संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है।धारक एवं सम्यक् अनुक्रम शब्दों को समान रूप में नहीं लेना चाहिए। इनमें मौलिक अन्तर है। "प्रत्येक सम्यक् अनुक्रम धारक एक धारक होता है, परन्तु प्रत्येक धारक एक सम्यक अनुक्रम धारक नहीं होता है।" अधिनियम की धारा...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 7 : लिखत के पक्षकार कौन होते हैं
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत तीन प्रकार के लिखत पर प्रावधान किए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत उल्लेख किए गए लिखत के पक्षकारों पर चर्चा की जा रही है। किसी भी लिखत के विषय में प्रावधानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण उसके पक्षकारों का उल्लेख है। इससे अधिनियम में यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यवहार से संबंधित किस व्यक्ति को क्या कहा जाएगा।लिखत के पक्षकार-लिखत के पक्षकार विनिमय पत्र एवं चेक के पक्षकार होते हैं, 'लेखीवाल', 'ऊपरवाल' एवं...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 5 : चेक क्या होता है
परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act, 1881) जिन तीन प्रमुख इंस्ट्रूमेंट्स का उल्लेख करता है उनमे चेक सबसे महत्वपूर्ण इंस्ट्रूमेंट्स है। इस अधिनियम जो नए संशोधन किए गए हैं वह भी चेक के नियमन से ही संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत चेक की परिभाषा और उसका परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है और उससे संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।इंग्लिश लॉ के अनुसार परिभाषा - विनिमय पत्र अधिनियम, 1882 (आंग्ल) की धारा 73 में चेक को कुछ इन शब्दों में परिभाषित किया है:-"एक चेक विनिमय पत्र है जो...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 6 : निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स की परिभाषा
परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत पिछले आलेख में चेक की परिभाषा प्रस्तुत गई थी। सभी अधिनियम में अधिनियम से संबंधित शब्दों की परिभाषा धारा 2 या 3 में प्रस्तुत की जाती है परंतु इस अधिनियम में इस प्रकार शब्दोंं की परिभाषा प्रस्तुत नहीं है। जैसेे कि धारा 13 में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। इस आलेख केेे माध्यम से नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट की परिभाषा पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।परक्राम्य लिखते [ धारा 13 ]आधुनिक वाणिज्य को दुनिया...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 4 : विनिमय पत्र क्या होता है
परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) जैसा कि तीन प्रकार के लिखत का उल्लेख कर रहा है वचन पत्र, विनिमय पत्र, और चेक। पिछले आलेख में वचन पत्र के संबंध में उल्लेख किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत विनिमय पत्र का उल्लेख किया जा रहा है। विनिमय पत्र भी इस अधिनियम का महत्वपूर्ण भाग है तथा उससे संबंधित नियमों को भी इस आलेख में प्रस्तुत किया गया है। विनिमय पत्र की परिभाषा और उसका परिचय इस आलेख में प्रस्तुत किया जा रहा है साथ ही उससे संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत है।यह विनिमय...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 5 : चेक क्या होता है
परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act, 1881) जिन तीन प्रमुख इंस्ट्रूमेंट्स का उल्लेख करता है उनमे चेक सबसे महत्वपूर्ण इंस्ट्रूमेंट्स है। इस अधिनियम जो नए संशोधन किए गए हैं वह भी चेक के नियमन से ही संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत चेक की परिभाषा और उसका परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है और उससे संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।इंग्लिश लॉ के अनुसार परिभाषा - विनिमय पत्र अधिनियम, 1882 (आंग्ल) की धारा 73 में चेक को कुछ इन शब्दों में परिभाषित किया है:-"एक चेक विनिमय पत्र है जो...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 3 : वचन पत्र क्या होता है
परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत तीन प्रकार के दस्तावेजों का उल्लेख किया गया है उनमें पहला महत्वपूर्ण दस्तावेज वचन पत्र है। अधिनियम की धारा 4 वचन पत्र के संबंध में उल्लेख करती है। इस आलेख के अंतर्गत वचन पत्र संबंधित से प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है तथा उससेे संबंधित न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहेे हैं।वचन पत्र ऐसा पत्र है जिसने ऋण चुकाने का वचन समाहित है। इसका संबंध ऋण से है। यदि ऋण है तो वहां वचन पत्र भी होने की संभावना रहती है। सामान्य व्यवहारों में...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 2 : बैंककार क्या होता है
परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत बैंककार का महत्व है तथा इस अधिनियम को समझने से पूर्व इससे संबंधित विशेष शब्दों को समझा जाना महत्वपूर्ण होगा। बैंककार इस अधिनियम का महत्वपूर्ण भाग है तथा इसकी परिभाषा इस अधिनियम की धारा 3 में प्रस्तुत की गई। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा पर संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।अधिनियम के अंतर्गत दी गई परिभाषा:-बैंककार–"बैंककार" के अन्तर्गत बैंककार के तौर पर कार्य करने वाला कोई भी व्यक्ति और कोई भी डाक घर बचत बैंक आता है।इस...