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सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 53: आदेश 9 नियम 9 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 9 नियम 8 के अधीन वाद के खारिज होने पर नया वाद लाने के अधिकार पर रोक लगाता है। यह नियम प्रकार से रेस्जुडिकेट के सिद्धांत पर आधारित है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 9 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-9 व्यतिक्रम के कारण वादी के विरुद्ध पारित डिक्री नए वाद का वर्जन करती है- (1) जहाँ वाद नियम 8 के अधीन पूर्णतः या भागतः खारिज कर दिया...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 52: आदेश 9 नियम 8 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 8 केवल प्रतिवादी के उपस्थित होने के संबंध में प्रावधान करता है। यदि किसी वाद में केवल प्रतिवादी उपस्थित होता है तब न्यायालय क्या उपचार कर सकता है यह इस नियम में स्पष्ट किया गया है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 8 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-8 जहाँ केवल प्रतिवादी उपसंजात होता है वहाँ प्रक्रिया- जहाँ वाद की सुनवाई के लिए पुकार...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 51: आदेश 9 नियम 7 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 7 प्रतिवादी के अनुपस्थित रहने बाद उपस्थित होकर अनुपस्थिति के हेतुक बताने के संबंध में है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 7 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-7 जहाँ प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन उपसंजात होता है और पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा हेतुक दिखाता है वहाँ प्रक्रिया-जहाँ न्यायालय ने एकपक्षीय रूप में वाद की सुनवाई स्थगित कर...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 50: आदेश 9 नियम 5 एवं 6 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 5 वादी द्वारा समन तामील के खर्चे देने में व्यतिक्रम से संबंधित है एवं नियम 6 प्रतिवादी द्वारा उपस्थित नहीं होने से संबंधित है। इन दोनों परिस्थितियों में न्यायालय क्या निर्णय ले सकता है यह प्रावधान इन नियमों में स्पष्ट होते हैं। इस आलेख के अंतर्गत इन दोनों नियमों पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-5 जहाँ वादी, समन तामील के बिना...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 49: आदेश 9 नियम 4 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 4 अनुपस्थिति में वाद के खारिज होने के पश्चात नया वाद लाने के संबंध में है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 4 प्रकाश डाला जा रहा है।नियम-4 वादी नया वाद ला सकेगा या न्यायालय को फाइल पर प्रत्यावर्तित कर सकेगा- जहाँ वाद नियम 2 या नियम 3 के अधीन खारिज कर दिया जाता है वहाँ वादी नया वाद (परिसीमा विधि के अधीन रहते हुए) ला सकेगा या वह उस खारिजी...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 48: आदेश 9 नियम 1 से 3 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। यदि कोई पक्षकार किसी भी स्तर पर अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं होता है तब अदालत के पास ऐसे क्या उपचार उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कर वह कार्यवाही को आगे बढ़ा सकती है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही आदेश 9 के नियम 1 से 3 तक पर संयुक्त रूप से टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-1 पक्षकार उस दिन उपसंजात होंगे जो प्रतिवादी के उपसंजात होने और उत्तर देने के लिए समन...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 47: आदेश 8 नियम 10 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 का अंतिम नियम नियम 10 है जो कि लिखित कथन प्रस्तुत करने में प्रतिवादी के असफल होने के संबंध में प्रावधान करता है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 10 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-10 जब न्यायालय द्वारा अपेक्षित लिखित कथन को उपस्थित करने में पक्षकार असफल रहता है, तब प्रक्रिया-जहाँ ऐसा कोई पक्षकार जिससे नियम 1 या नियम 9 के अधीन लिखित कथन अपेक्षित है, उसे न्यायालय...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 46: आदेश 8 के नियम 7,8 एवं 9 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 के नियम 7,8 एवं 9 भी महत्वपूर्ण नियम हैं इनमें प्रतिरक्षा से संबंधित प्रावधान हैं। इस आलेख के अंतर्गत इन तीनों नियमों पर संयुक्त रूप से विश्लेषण किया जा रहा है।नियम-7 पृथक् आधारों पर आधारित प्रतिरक्षा या मुजरा-जहाँ प्रतिवादी पृथक् और सुभिन्न तथ्यों पर आधारित प्रतिरक्षा के मुजरा के [या प्रतिदावे के] कई सुभिन्न आधारों पर निर्भर करता है वहाँ उनका कथन जहाँ तक हो सके,...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 45: प्रतिदावा (काउंटर क्लेम) से संबंधित प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 के नियम 6 में नियम 6(क) से लेकर नियम 6(छ) तक नियम जोड़े गए हैं एवं उन्हें जोड़कर प्रतिदावे से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है। सीपीसी में प्रतिदावा से संबंधित प्रावधान ठीक मुजरा के प्रावधान के बाद उपलब्ध करवाए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत प्रतिदावा से संबंधित इन्हीं नियमों पर चर्चा की जा रही है।नियम-6(क) प्रतिवादी द्वारा प्रतिदावा (1) वाद में प्रतिवादी नियम...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 44: आदेश 8 नियम 6 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 के नियम 6 में मुजरा संबंधी प्रावधान हैं। मुजरा का अंग्रेजी अर्थ सेट ऑफ होता है अर्थात किसी मामले से किसी मामले को समायोजित करना। इस आलेख के अंतर्गत नियम 6 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-6 मुजरा की विशिष्टियां लिखित कथन में दी जाएंगी - (1) जहां तक धन की वसूली के वाद में प्रतिवादी न्यायालय की अधिकारिता की धन-संबंधी सीमाओं से अनधिक धन की कोई अभिनिश्चित राशि...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 43: आदेश 8 नियम 3,4 एवं 5 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 के नियम 3,4 व 5 किसी भी लिखित कथन में इंकार करने से है। वादपत्र के तथ्यों का आधा या स्पष्ट इंकार कैसा होगा यह इन नियमों में बताया गया है। इस आलेख के अंतर्गत इन तीनों नियमों पर संयुक्त रूप से टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-3 प्रत्याख्यान विनिर्दिष्टः होगा-प्रतिवादी के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि वह अपने लिखित कथन में उन आधारों का साधारणत: प्रत्याख्यान कर दे जो...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 42: आदेश 8 नियम 2 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 का नियम 2 नए तथ्यों के रूप में अभिवचन के संबंध में है। इसका अर्थ यह है कि यदि प्रतिवादी अपनी कोई बात अलग से कहना चाहता है तो उसे विशेष रूप से ऐसे अभिवचन करने होंगे। इस आलेख के अंतर्गत नियम-2 पर प्रकाश डाला जा रहा है।नियम-2 नए तथ्यों का विशेष रूप से अभिवचन करना होगा-प्रतिवादी को अपने अभिवचन द्वारा वे सब बातें उठानी होंगी जिनसे यह दर्शित होता है कि वाद [पोषणीय नहीं...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 41: आदेश 8 नियम 1 व 1(क) के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 8 लिखित कथन से संबंधित है जो प्रतिवादी का प्रतिवाद पत्र होता है। आदेश 8 के नियम 1 में आधारभूत सिद्धांत को समाविष्ट करते हुए लिखित कथन को दिया गया है। आदेश 8 का नियम 1 महत्वपूर्ण नियम है जो कि लिखित कथन के आधारभूत सिद्धांत के साथ लिखित कथन प्रस्तुत करने की समयावधि भी देता है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 1 व नियम 1(क) पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-1 लिखित कथन- प्रतिवादी, उस पर समन तामील किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर, अपनी...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 40: आदेश 8 लिखित कथन
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 जैसे ही समाप्त होता है वैसे ही आदेश 8 में लिखित कथन दिए हैं। वादपत्र वादी का अभिवचन होता है अभिवचन क्या है और इसके सिद्धांत क्या हैं यह आदेश 6 में समझा जा चुका है, प्रतिवादी का अभिवचन लिखित कथन या मुजरा कहलाता है। इस आदेश 8 के अंतर्गत ऐसे ही प्रतिवादी के अभिवचन अर्थात लिखित कथन के संबंध में नियम दिए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 8 पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।आदेश 8 में 10 नियम है, जो लिखित कथन, मुजरा और प्रतिदावा...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 39: आदेश 7 नियम 14 से 18 तक के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा। आदेश 7 के नियम 14 से 18 तक दस्तावेज के संबंध में उल्लेख है, यह वह दस्तावेज हैं जिनपर कोई वादपत्र निर्भर करता है। इस आलेख के अंतर्गत इन्हीं नियमों पर संयुक्त रूप से विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।नियम-14 उन दस्तावेजों की प्रस्तुति जिन पर वादी वाद लाता है या निर्भर करता है-(1) जहाँ वादी किसी दस्तावेज के आधार पर वाद लाता है या अपने दावे के समर्थन में अपने कब्जे या...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 38: आदेश 7 नियम 11 से 13 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा। आदेश 7 के नियम 11,12,13 वाद के नामंजूर करने से संबंधित हैं। इस आलेख के अंतर्गत इन्हीं तीनों नियमों पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-11 वादपत्र का नामंजूर किया जाना-वादपत्र निम्नलिखित दशाओं में नामंजूर कर दिया जाएगा-(क) जहाँ वह वादहेतुक प्रकट नहीं करता है:(ख) जहाँ दावाकृत अनुतोष का मूल्यांकन कम किया गया है और वादी मूल्यांकन को ठीक करने के लिए...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 37: आदेश 7 नियम 9 से 10(बी) तक प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा। आदेश 7 के नियम 9 एवं 10 एवं नियम 10(बी) वादपत्र के ग्रहण करने एवं लौटाए जाने से संबंधित हैं। इस आलेख के अंतर्गत इन्हीं नियमों पर संयुक्त रूप से टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-9 वादपत्र ग्रहण करने पर प्रक्रिया-जहां न्यायालय यह आदेश करता है कि प्रतिवादियों पर समनों की तामील आदेश 5 के नियम 9 में उपबंधित रीति से की जाए वह, वादी को ऐसे आदेश की तारीख से सात दिन के...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 36: आदेश 7 नियम 7 एवं 8 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा क्या क्या चीज़े वादपत्र का हिस्सा होगी। आदेश 7 के नियम 7 एवं 8 वादपत्र में अनुतोष के संबंध में कथन से संबंधित हैं। अनुतोष वादपत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 7 एवं 8 पर टिप्पणी की जा रही है।नियम-7 अनुतोष का विनिर्दिष्ट रूप से कथन - हर वादपत्र में उस अनुतोष का विनिर्दिष्ट रूप से कथन होगा जिसके लिए वादी सामान्यतः या अनुकल्पतः दावा करता है और यह...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 35: वादपत्र में वाद मूल्यांकन एवं न्याय शुल्क संबंधित अभिवचन
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा क्या क्या चीज़े वादपत्र का हिस्सा होगी। आदेश 7 के अंतर्गत बनने वाले वादपत्र में वाद मूल्यांकन एवं न्याय शुल्क संबंधित कथन भी करने होते हैं। इस आलेख में वादपत्र पर न्याय शुल्क से संबंधित अभिवचन पर चर्चा की जा रही है।वाद-मूल्यांकन और न्यायालय-शुल्क सम्बन्धी कथन का इस नियम के अनुसार अधिकारिता के और न्यायालय फीस के प्रयोजनों के लिए वाद की विषय-वस्तु के मूल्य ऐसा कथन...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 34: आदेश 7 नियम 6 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 7 वादपत्र है। आदेश 7 यह स्पष्ट करता है कि एक वादपत्र किस प्रकार से होगा क्या क्या चीज़े वादपत्र का हिस्सा होगी। आदेश 7 के नियम 6 में परिसीमा संबंधी बातों का उल्लेख किया गया है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 6 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-6 परिसीमा विधि से छूट के आधार जहां वाद परिसीमा विधि द्वारा विहित अवधि के अवसान के पश्चात् संस्थित किया जाता है वहां वादपत्र में वह आधार दर्शित किया जाएगा जिस पर ऐसी विधि से छूट पाने का दावा किया...