भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत चुनावों से संबंधित अपराध - धारा 169 - 171

Himanshu Mishra

3 Sept 2024 5:58 PM IST

  • भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत चुनावों से संबंधित अपराध - धारा 169 - 171

    भारतीय न्याय संहिता 2023, जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित करते हुए 1 जुलाई 2024 से प्रभाव में आई है, में चुनावों से संबंधित अपराधों के लिए एक विशेष अध्याय है। इस अध्याय में रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव (Undue Influence) और चुनावी कदाचार के अन्य रूपों को परिभाषित किया गया है और उनके लिए दंड निर्धारित किया गया है। इस लेख में हम मुख्य धाराओं, धारा 169, 170, और 171 का सरल हिंदी में विश्लेषण करेंगे, जो चुनाव से जुड़े अपराधों को स्पष्ट करती हैं।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 169, 170, और 171 चुनावों में अपराधों से निपटने के लिए स्पष्ट और विस्तृत प्रावधान प्रदान करती हैं। रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव और अन्य प्रकार के चुनावी कदाचार को परिभाषित करके और उन्हें दंडित करके, ये धाराएँ सुनिश्चित करती हैं कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या भ्रष्टाचार से मुक्त रहें। इन प्रावधानों को समझना उम्मीदवारों, मतदाताओं और चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की जा सके।

    धारा 169: चुनाव से संबंधित परिभाषाएँ (Definitions Related to Elections)

    धारा 169 चुनावों से जुड़े अपराधों को समझने के लिए महत्वपूर्ण परिभाषाएँ प्रदान करती है। यह "उम्मीदवार" (Candidate) और "निर्वाचक अधिकार" (Electoral Right) जैसे शब्दों की परिभाषा करती है:

    • उम्मीदवार (Candidate): "उम्मीदवार" एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जिसे किसी भी चुनाव में उम्मीदवार के रूप में नामांकित किया गया हो। यह परिभाषा व्यापक है और इसमें किसी भी स्तर के चुनाव के लिए आधिकारिक रूप से खड़े सभी व्यक्ति शामिल होते हैं।

    • निर्वाचक अधिकार (Electoral Right): "निर्वाचक अधिकार" का अर्थ है किसी व्यक्ति का चुनाव में उम्मीदवार बनने या न बनने, उम्मीदवार के रूप में नामांकन वापस लेने, या मतदान करने या न करने का अधिकार। यह चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी के पूरे दायरे को शामिल करता है, चाहे वह उम्मीदवार हो या मतदाता।

    धारा 170: रिश्वतखोरी का अपराध (Offense of Bribery)

    धारा 170 चुनावों के संदर्भ में रिश्वतखोरी (Bribery) के अपराध को संबोधित करती है। इस धारा के अंतर्गत रिश्वतखोरी को चुनावी अधिकार (Electoral Right) के प्रयोग को प्रभावित करने के इरादे से प्रोत्साहन देने या स्वीकार करने के रूप में परिभाषित किया गया है।

    1. रिश्वत देना (Giving Bribery): कोई भी व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति को चुनावी अधिकार का प्रयोग करने या अन्य व्यक्ति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन (Gratification) देता है, वह रिश्वतखोरी का अपराध करता है।

    उदाहरण: मान लीजिए कि एक उम्मीदवार वोटरों के एक समूह को उनके वोट के बदले पैसे की पेशकश करता है। यह कार्य रिश्वतखोरी है क्योंकि उम्मीदवार ने वोटरों के चुनावी अधिकार को प्रभावित करने के लिए प्रोत्साहन (Money) दिया है।

    2. रिश्वत स्वीकार करना (Accepting Bribery): इसी तरह, कोई भी व्यक्ति जो स्वयं के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रोत्साहन स्वीकार करता है, वह भी रिश्वतखोरी का दोषी है।

    उदाहरण: मान लीजिए कि एक मतदाता किसी उम्मीदवार से यह वादा करके पैसे स्वीकार करता है कि वह उसे वोट देगा। मतदाता ने चुनावी अधिकार के प्रयोग के बदले प्रोत्साहन स्वीकार करके रिश्वतखोरी की है।

    यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि प्रोत्साहन देने या स्वीकार करने का क्या अर्थ है। यदि कोई व्यक्ति प्रोत्साहन देने की पेशकश करता है, सहमति देता है या उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है, तो उसे प्रोत्साहन देना माना जाएगा। इसी प्रकार, यदि कोई व्यक्ति प्रोत्साहन प्राप्त करता है, उसे स्वीकार करने के लिए सहमत होता है, या उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है, तो उसे प्रोत्साहन स्वीकार करना माना जाएगा।

    3. रिश्वत स्वीकारने का माने जाने वाला कार्य (Deemed Acceptance of Gratification): यदि कोई व्यक्ति कुछ करने के लिए, जो वह करने का इरादा नहीं रखता, प्रोत्साहन स्वीकार करता है, या किसी ऐसे कार्य के लिए प्रोत्साहन स्वीकार करता है जो उसने नहीं किया है, तो उसे प्रोत्साहन को पुरस्कार (Reward) के रूप में स्वीकार करना माना जाएगा।

    उदाहरण: यदि कोई मतदाता किसी उम्मीदवार से पैसे स्वीकार करता है लेकिन गुप्त रूप से किसी अन्य को वोट देने की योजना बनाता है, तो पैसे स्वीकारना रिश्वतखोरी माना जाएगा क्योंकि मतदाता ने इसे पुरस्कार के रूप में स्वीकार किया, भले ही उसने अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं की।

    इस धारा में यह भी एक अपवाद है कि सार्वजनिक नीति की घोषणा या सार्वजनिक कार्रवाई का वादा करना रिश्वतखोरी नहीं मानी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जनता के लिए किए गए वैध राजनीतिक वादों को इस प्रावधान के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाएगा।

    धारा 171: अनुचित प्रभाव का अपराध (Offense of Undue Influence)

    धारा 171 चुनावों के दौरान अनुचित प्रभाव (Undue Influence) के अपराध को संबोधित करती है। यह धारा मतदाताओं या उम्मीदवारों की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए बनाई गई है, ताकि उनके चुनावी अधिकार (Electoral Right) पर किसी प्रकार का दवाब या हस्तक्षेप न हो।

    1. सामान्य निषेध (General Prohibition): कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह अनुचित प्रभाव का अपराध करता है। यह प्रावधान व्यापक है और किसी भी प्रकार के बल या मनोवैज्ञानिक दवाब को कवर करता है जो चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

    उदाहरण: यदि एक उम्मीदवार किसी मतदाता को नुकसान पहुँचाने की धमकी देता है जब तक कि वह एक विशेष तरीके से वोट न दे, तो यह कार्य अनुचित प्रभाव है क्योंकि यह मतदाता के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है।

    2. विशिष्ट अनुचित प्रभाव के कार्य (Specific Acts of Undue Influence): यह धारा दो प्रकार के कार्यों को विशेष रूप से अनुचित प्रभाव के रूप में परिभाषित करती है:

    o चोट की धमकी (Threats of Injury): यदि कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार, मतदाता या किसी ऐसे व्यक्ति को चोट पहुँचाने की धमकी देता है जिसमें उम्मीदवार या मतदाता की रुचि हो, तो यह अनुचित प्रभाव माना जाएगा।

    उदाहरण: यदि एक उम्मीदवार किसी मतदाता के परिवार को नुकसान पहुँचाने की धमकी देता है यदि वह उसे वोट नहीं देता है, तो यह अनुचित प्रभाव है क्योंकि धमकी मतदाता के स्वतंत्र चुनाव पर हस्तक्षेप करती है।

    o आध्यात्मिक या दैवीय धमकी (Spiritual or Divine Threats): यदि कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार या मतदाता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि वह या उसका कोई प्रिय व्यक्ति दैवीय अप्रसन्नता या आध्यात्मिक निंदा का पात्र बनेगा, तो यह भी अनुचित प्रभाव माना जाएगा।

    उदाहरण: यदि कोई धार्मिक नेता मतदाताओं को बताता है कि अगर उन्होंने एक विशेष उम्मीदवार को वोट नहीं दिया तो वे दैवीय क्रोध का सामना करेंगे, तो यह मतदाताओं के चुनावी अधिकारों के साथ अनुचित हस्तक्षेप है।

    3. अनुचित प्रभाव से छूट (Exclusions from Undue Influence): यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि सार्वजनिक नीति की घोषणा, सार्वजनिक कार्रवाई का वादा या चुनावी अधिकार में हस्तक्षेप करने के इरादे के बिना किसी कानूनी अधिकार का मात्र प्रयोग अनुचित प्रभाव नहीं माना जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि वैध राजनीतिक चर्चा और कार्यों को अपराधीकरण न किया जाए।

    उदाहरण: यदि कोई उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद किसी विशेष नीति को लागू करने का वादा करता है, तो यह अनुचित प्रभाव नहीं है, जब तक कि इसमें मतदाताओं की पसंद को जबरदस्ती या हस्तक्षेप से प्रभावित करने का इरादा न हो।

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