राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 55 : वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन

Himanshu Mishra

6 May 2025 7:44 PM IST

  • राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 55 : वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन

    राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) की धारा 55 (Section 55) न्यायालय को कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत संपत्ति के मूल्यांकन पर जांच करने का अधिकार प्रदान करती है।

    यह धारा सुनिश्चित करती है कि वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन सही और निष्पक्ष हो, ताकि न्यायालय द्वारा उचित शुल्क निर्धारित किया जा सके।

    धारा 50 और 54 का संदर्भ

    धारा 50 (Section 50) के अनुसार, वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए आवेदन के साथ संपत्ति का मूल्यांकन प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यह मूल्यांकन दो प्रतियों में होना चाहिए और इसे संबंधित जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है। धारा 54 (Section 54) में कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया है कि वह प्रस्तुत मूल्यांकन की जांच कर सकता है और यदि उसे संदेह होता है कि मूल्यांकन कम करके प्रस्तुत किया गया है, तो वह न्यायालय से जांच कराने का अनुरोध कर सकता है।

    धारा 55 के अंतर्गत न्यायालय की प्रक्रिया

    1. न्यायालय द्वारा जांच का आदेश: जब कलेक्टर धारा 54(5) के अंतर्गत न्यायालय से संपत्ति के वास्तविक मूल्य की जांच कराने का अनुरोध करता है, तो न्यायालय स्वयं या अपने अधीनस्थ न्यायालय या अधिकारी के माध्यम से जांच कराता है। इस जांच में कलेक्टर एक पक्ष के रूप में शामिल होता है।

    2. साक्ष्य का संकलन: जांच के दौरान न्यायालय या उसका अधिकृत अधिकारी आवेदक से शपथपूर्वक बयान ले सकता है और अन्य साक्ष्य एकत्रित कर सकता है जो संपत्ति के वास्तविक मूल्य को प्रमाणित करते हों। यदि जांच किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकारी द्वारा की जाती है, तो वह जांच की रिपोर्ट और साक्ष्य न्यायालय को प्रस्तुत करता है।

    3. निष्कर्ष और निर्णय: जांच पूरी होने के बाद या रिपोर्ट प्राप्त होने पर न्यायालय संपत्ति के वास्तविक मूल्य का निर्धारण करता है और यह निर्णय अंतिम होता है।

    4. खर्चों का निर्धारण: न्यायालय जांच से संबंधित खर्चों का निर्धारण सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) के प्रावधानों के अनुसार करता है।

    प्रक्रिया का उदाहरण

    मान लीजिए, एक व्यक्ति ने वसीयत के लिए आवेदन किया और संपत्ति का मूल्यांकन ₹40 लाख प्रस्तुत किया। कलेक्टर की जांच में पता चलता है कि संपत्ति का वास्तविक मूल्य ₹60 लाख है। कलेक्टर न्यायालय से जांच कराने का अनुरोध करता है। न्यायालय जांच के बाद निर्धारित करता है कि संपत्ति का मूल्य ₹60 लाख है और इसके आधार पर शुल्क का पुनः निर्धारण करता है।

    धारा 55 न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन सही है। यदि कलेक्टर को संदेह होता है कि मूल्यांकन कम करके प्रस्तुत किया गया है, तो वह न्यायालय से जांच कराने का अनुरोध कर सकता है। न्यायालय जांच के बाद संपत्ति के वास्तविक मूल्य का निर्धारण करता है और इसके आधार पर शुल्क का निर्धारण करता है। यह प्रक्रिया न्यायालय को उचित शुल्क निर्धारण में सहायता करती है और कानून के पालन को सुनिश्चित करती है।

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