राजस्थान कोर्ट फीस मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धाराएं 52 और 53 : वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए आवश्यक शुल्क
Himanshu Mishra
3 May 2025 7:08 PM IST

राजस्थान कोर्ट फीस और मुकदमों का मूल्यांकन अधिनियम, 1961 के अध्याय VI में वसीयत (प्रोबेट) और उत्तराधिकार पत्र (लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन) से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इस अध्याय की धाराएं 50 से 58 तक हैं, जो इन दस्तावेजों के लिए आवेदन, शुल्क निर्धारण, और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट करती हैं। विशेष रूप से, धाराएं 52 और 53 इन प्रक्रियाओं में न्यायालय की भूमिका और शुल्क के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं।
धारा 52: वसीयत या उत्तराधिकार पत्र की अनुमति
धारा 52 के अनुसार, यदि आवेदन के साथ प्रस्तुत संपत्ति के मूल्यांकन के आधार पर अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम शुल्क का भुगतान किया गया है, तो न्यायालय वसीयत या उत्तराधिकार पत्र की अनुमति प्रदान कर सकता है। हालांकि, यदि यह शुल्क भुगतान नहीं किया गया है, तो न्यायालय अनुमति नहीं देगा, जब तक कि:
• प्रशासक-जनरल (Administrator-General) अपने आधिकारिक पद में न्यायालय को यह आश्वासन न दे कि निर्धारित शुल्क एक निश्चित समयावधि में भुगतान किया जाएगा।
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय की प्रक्रिया शुल्क भुगतान के बिना बाधित न हो, लेकिन साथ ही शुल्क की वसूली भी सुनिश्चित हो।
धारा 53: कई अनुमतियों के मामलों में राहत
धारा 53 में उन परिस्थितियों का उल्लेख है, जहां एक ही संपत्ति के लिए एक से अधिक बार वसीयत या उत्तराधिकार पत्र की अनुमति दी जाती है। इसके दो प्रमुख प्रावधान हैं:
1. यदि किसी संपत्ति के लिए पहले ही पूर्ण शुल्क के साथ वसीयत या उत्तराधिकार पत्र की अनुमति दी जा चुकी है, तो उसी संपत्ति के लिए पुनः अनुमति देने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
2. यदि पहले किसी संपत्ति के एक भाग के लिए अनुमति दी गई थी और अब उसी संपत्ति के शेष भाग के लिए अनुमति मांगी जा रही है, तो पहले से भुगतान किए गए शुल्क की राशि को नए शुल्क से घटा दिया जाएगा।
इन प्रावधानों का उद्देश्य आवेदकों को अनावश्यक दोहराव और अतिरिक्त शुल्क से बचाना है।
न्यायालय द्वारा उठाए गए मूलभूत मुद्दे
इन धाराओं के तहत न्यायालय ने निम्नलिखित मूलभूत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है:
• शुल्क भुगतान की अनिवार्यता: न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि वसीयत या उत्तराधिकार पत्र की अनुमति के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान अनिवार्य है। बिना शुल्क भुगतान के अनुमति नहीं दी जा सकती, सिवाय प्रशासक-जनरल के मामलों के।
• प्रशासक-जनरल के लिए विशेष प्रावधान: प्रशासक-जनरल को न्यायालय से अनुमति प्राप्त करने के लिए शुल्क का अग्रिम भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते वह न्यायालय को आश्वस्त करे कि शुल्क निर्धारित समय में भुगतान किया जाएगा।
• कई अनुमतियों के मामलों में राहत: यदि एक ही संपत्ति के लिए पहले ही अनुमति दी जा चुकी है और शुल्क का भुगतान हो चुका है, तो पुनः अनुमति देने पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
राजस्थान कोर्ट फीस और मुकदमों का मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धाराएं 52 और 53 वसीयत और उत्तराधिकार पत्र की अनुमति प्रक्रिया में शुल्क भुगतान के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं। ये प्रावधान न्यायालय की प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखने और आवेदकों को अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। न्यायालय ने इन धाराओं की व्याख्या करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि कानून का उद्देश्य पूरा हो और सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो।

