हाईकोर्ट
RBI की लोकपाल योजना में वकील के माध्यम से शिकायत पर रोक को चुनौती, एमपी हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को याचिका पर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नोटिस जारी किया। यह याचिका RBI की एकीकृत लोकपाल योजना (Integrated Ombudsman Scheme) 2021 के खंड 10(2)(f) और 16(1)(a) की वैधता को चुनौती देती है, जो किसी वकील के माध्यम से शिकायत दर्ज करने पर रोक लगाती है।याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लोकपाल योजना के प्रावधान एडवोकेट एक्ट की धारा 30 का उल्लंघन करते हैं, जो वकीलों को देश भर की अदालतों और प्राधिकरणों के समक्ष वकालत करने का अधिकार देता है।खंड 10(2)(f):...
एक्टर ऋतिक रोशन के पर्सनैलिटी राइट्स' की सुरक्षा: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल फैन पेजों को हटाने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक्टर ऋतिक रोशन के व्यक्तित्व अधिकारों (Personality Rights) का कथित रूप से उल्लंघन करने वाले विभिन्न इंटरनेट और ई-कॉमर्स वेबसाइटों के कुछ लिंक्स और लिस्टिंग को हटाने का निर्देश दिया।हालांकि, कोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर के उन इंस्टाग्राम पेजों और फैन क्लबों के खिलाफ एकतरफा राहत (Ex-Parte Relief) देने से इनकार किया, जिन पर वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उनके व्यक्तित्व का अनधिकृत उपयोग करने का आरोप था। एक्टर ने अपनी याचिका में इन्हीं अधिकारों की सुरक्षा की मांग की थी।जस्टिस...
CrPC की धारा 319: घायल व्यक्ति ने नाम नहीं लिया तो अन्य गवाहों का बयान पर्याप्त नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक हमले के मामले में तीन अतिरिक्त व्यक्तियों को समन करने के लिए CrPC की धारा 319 के तहत दायर याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि जब घायल व्यक्ति स्वयं उन तीनों की संलिप्तता और भूमिका के बारे में चुप है, तो अन्य गवाहों के बयान मुश्किल से कोई फर्क डालते हैं।पूरा मामलायाचिकाकर्ता का दावा था कि तीन प्रतिवादियों ने मामले में पहले से नामजद दो सह-आरोपियों के साथ मिलकर घायल व्यक्ति पर...
सैनिक को व्हाट्सएप पर भेजा गया समन वैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण-पोषण का एकतरफा आदेश रद्द किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी कि सशस्त्र बलों में तैनात सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को व्हाट्सएप नंबर पर समन भेजना पर्याप्त नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य नियम (सिविल और आपराधिक) 2018 के आदेश 31 नियम 5 और CPC के आदेश V नियम 28 के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन है।कोर्ट ने इस आधार पर पति के खिलाफ पत्नी द्वारा दायर भरण-पोषण मामले में फैमिली कोर्ट द्वारा पारित एकतरफा आदेश रद्द कर दिया।जस्टिस अनूप कुमार ढंड की पीठ सिपाही द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो भारतीय सेना में...
43.03 करोड़ के धान/चावल घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग पर एमपी हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कथित 43.03 करोड़ के धान घोटाले की राज्य स्तरीय जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में आरोप लगाया गया कि चावल मिल मालिकों और ट्रांसपोर्टरों ने सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगाठ करके जाली दस्तावेजों का उपयोग करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए स्वीकृत चावल को खुले बाजार में अवैध रूप से बेच दिया।मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पहले ही कार्रवाई शुरू की जा चुकी है और मामला...
परिसीमा के नियम अधिकारों को नष्ट करने के लिए नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर याचिका खारिज करने का आदेश रद्द किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व बोर्ड का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता के आवेदन को इस तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया था कि मूल आवेदन के साथ परिसीमा अधिनियम की धारा 5 के तहत देरी माफी की अर्जी संलग्न नहीं थी, जिसे बाद में दाखिल किया गया था।असिस्टेंट कलेक्टर का आदेश बहाल करते हुए, जिसने याचिका स्वीकार की थी, जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि कोर्ट का प्राथमिक कार्य विवाद का न्यायनिर्णयन करना है और परिसीमा के नियम पक्षों के अधिकारों को नष्ट करने के लिए नहीं बनाए गए हैं।कोर्ट ने टिप्पणी...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मॉब लिंचिंग रोकने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश सरकार की 'निष्क्रियता' पर उठाए सवाल
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ (2018) मामले में सुप्रीम कोर्ट के बाध्यकारी निर्देशों को लागू करने में उत्तर प्रदेश सरकार की स्पष्ट निष्क्रियता पर सवाल उठाया। इन निर्देशों में देश भर में मॉब लिंचिंग रोकने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडात्मक उपाय निर्धारित किए गए।यह देखते हुए कि इन निर्देशों के सात साल बाद भी राज्य द्वारा क्या कार्रवाई की गई, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है, कोर्ट ने कहा कि जुलाई 2018 में पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा जारी परिपत्र, सरकार की नीति और प्रशासनिक रुख...
पिछड़ा वर्ग श्रेणी के अंतर्गत आरक्षण का दावा केवल मूल राज्य में ही किया जा सकता है, जन्म या निवास स्थान में नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के अंतर्गत आरक्षण का लाभ केवल मूल राज्य में ही लिया जा सकता है, जन्म या उसके बाद के निवास स्थान में नहीं।यह निर्णय पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (PSPCL) में पिछड़ा वर्ग कोटे के तहत भर्ती के लिए इच्छुक अभ्यर्थी की याचिका खारिज करते हुए लिया गया। इस अभ्यर्थी ने कहा था कि वह हिमाचल प्रदेश में आरक्षण का दावा कर सकता है, जो अधिसूचना के समय उसका स्थायी निवास है, न कि पंजाब में।जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने स्पष्ट किया,"जाति या समुदाय...
करिश्मा कपूर के बच्चों ने वसीयत में अपने सर्वमानों के 'लिंग' पर उठाए सवाल, बुधवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के बच्चों ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उनके दिवंगत पिता उद्योगपति संजय कपूर की कथित वसीयत में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर 'वसीयतकर्ता' शब्द के स्त्रीलिंग रूप का प्रयोग किया गया। सात ही मृतक की "बुद्धि" को देखते हुए यह संभव नहीं है कि वसीयत पर उनके पिता के हस्ताक्षर हों।जस्टिस ज्योति सिंह वादी समायरा कपूर और उनके भाई के उस मुकदमे की सुनवाई कर रही हैं, जिसमें उन्होंने अपने दिवंगत पिता की निजी संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की। एक्ट्रेस के बच्चों ने...
किरायेदारी के दौरान जालसाजी के आरोप पर भी किरायेदार मकानमालिक के स्वामित्व से इनकार नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि किराएदारी की अवधि के दौरान किरायेदार मकानमालिक के स्वामित्व (टाइटल) से इनकार नहीं कर सकता, भले ही जालसाजी (forgery) के आरोप लगाए गए हों।जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा, “एक बार जब किरायेदार को कब्जे में लिया गया हो, तो वह किराएदारी की अवधि के दौरान मकानमालिक के स्वामित्व से इनकार नहीं कर सकता। यहां तक कि जब जालसाजी के आरोप लगाए जाते हैं, तब भी विश्वसनीय साक्ष्य की अनुपस्थिति या अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा चुनौती न दिए जाने...
9 महीने की गर्भवती रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से एमपी हाईकोर्ट का इनकार, जन्म के 15 दिन बाद बच्चे को CWC को सौंपने का निर्देश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की 9 माह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार किया। कोर्ट ने यह देखते हुए फैसला सुनाया कि भ्रूण जीवित स्थिति में है और इस अवस्था में गर्भपात करने से पीड़िता के जीवन को खतरा हो सकता है।कोर्ट ने साथ ही यह निर्देश भी दिया कि बच्चे के जन्म के 15 दिनों के भीतर बाल कल्याण समिति (CWC) उसकी कस्टडी ले ले और बच्चे के पालन-पोषण के लिए हर देखभाल और सावधानी बरते।जस्टिस विशाल मिश्रा की पीठ ने अवलोकन किया,"गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।...
नागरिकता अधिनियम की अंतिम तारीख: धारा 3 और धारा 6ए पर सुप्रीम कोर्ट के संतुलनकारी निर्णय का विश्लेषण
कानूनी पहलुओं पर चर्चा करने से पहले, असम के विशिष्ट इतिहास और राजनीतिक स्थिति को समझना आवश्यक है। भारत में अद्वितीय यह संदर्भ, 26 जनवरी, 1950 को राज्य के गठन के बाद से इन मुद्दों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यसदियों से, विभिन्न जातीय समूहों ने अलग-अलग समय पर असम में प्रवेश किया है। असम में सबसे पहले प्रवेश का श्रेय उत्तर भारत से आए इंडो-आर्यों को दिया जाता है, जो तीसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान वर्मन शासन के दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में प्रवास कर गए थे। एक और उल्लेखनीय प्रवास कुछ...
UAPA ट्रिब्यूनल के कार्य सिविल कोर्ट के समान क्यों नहीं हैं? दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI मामले में दिया जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गठित ट्रिब्यूनल (UAPA Tribunal) के कार्यों को एक सिविल कोर्ट के कार्यों के बराबर नहीं माना जा सकता।चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गडेला की खंडपीठ ने कहा कि UAPA ट्रिब्यूनल का कार्य केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए संदर्भ पर निर्णय लेना है कि क्या किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने का पर्याप्त कारण मौजूद है या नहीं। ट्रिब्यूनल का कार्यक्षेत्र किसी सिविल कोर्ट की तरह पक्षों के बीच विवाद (lis) का...
विलंब माफ़ी के बाद निचली अदालत सीमा अवधि पर दोबारा विचार नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत को स्थापित करते हुए कहा कि एक बार जब हाई कोर्ट द्वारा किसी मामले में सीमा अवधि से हुई देरी को माफ कर दिया जाता है तो जिला अदालत उसी मुद्दे पर पुनर्विचार नहीं कर सकती है। कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (DTL) द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए दिया जिसमें DTL ने हिंदुस्तान अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के पक्ष में दिए गए मध्यस्थ निर्णय को चुनौती दी।जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम...
NDPS Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा छापा मारने वाली टीम और शिकायतकर्ता के कॉल रिकॉर्ड्स पेश करने पर रोक नहीं, बशर्ते गोपनीयता बनी रहे
दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) के मामलों में छापा मारने वाली टीम के सदस्यों और पुलिस शिकायतकर्ता के कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDRs) और लोकेशन चार्ट पेश करने पर कोई रोक नहीं है बशर्ते उनकी सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित की जाए।जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा,"CDRs/लोकेशन चार्ट को कोर्ट के सामने उचित चरण में पेश करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि छापा मारने वाली टीम के सदस्यों और पुलिस शिकायतकर्ता की सुरक्षा और गोपनीयता के...
हेडमास्टर नहीं, सिर्फ एक टीचर, शर्मनाक स्थिति: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूल की खस्ता हालत पर केंद्र को भी फंड देने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अमृतसर के टापियाला स्थित सरकारी स्कूल की दयनीय स्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने पाया कि स्कूल में न तो कोई हेडमास्टर है, न पर्याप्त बुनियादी ढांचा और केवल एक शिक्षक है, जो सभी स्टूडेंट्स को पढ़ाता है। स्टाफ के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं है। तीन कक्षाओं (छठी से आठवीं) के लिए केवल एक कमरा उपलब्ध है।जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने इस आदेश को चीफ जस्टिस...
पत्नी का गुस्सा पति की प्रतिष्ठा धूमिल करने का हक नहीं देता: MP हाईकोर्ट ने बेवफाई के झूठे आरोपों पर दी तलाक की मंजूरी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में माना कि अपने जीवनसाथी के खिलाफ चरित्रहीनता (Moral Turpitude) के निराधार और झूठे आरोप लगाना क्रूरता (Cruelty) की श्रेणी में आता है और यह तलाक का आधार बन सकता है।हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी का गुस्सा उसे निराधार आरोप लगाकर पति की छवि को धूमिल करने का अधिकार नहीं देता है। इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए पति को तलाक दिया, जिसमें केवल न्यायिक पृथक्करण मंजूर किया गया था लेकिन तलाक नहीं दिया गया था।जस्टिस विशाल धगट...
पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध हैंडलिंग जनता को प्रभावित करती है, यह निजी विवाद नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध हैंडलिंग और उनमें मिलावट से जुड़े अपराधों का सीधा असर सार्वजनिक सुरक्षा अर्थव्यवस्था और राज्य के राजस्व पर पड़ता है। इसलिए इन्हें पक्षों के बीच मात्र निजी विवाद के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे अपराध सार्वजनिक जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्रभावित करते हैं और अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय इन्हें अत्यंत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।जस्टिस अमित बोरकर चेतन, राम गंगवानी और यश...
गड्ढों से मौत पर 6 लाख मुआवजा: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागरिक निकायों और ठेकेदारों को जवाबदेह ठहराया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में सोमवार को यह स्पष्ट किया कि अब से यदि गड्ढों या खराब सड़कों के कारण किसी की मृत्यु होती है तो सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार और संबंधित नागरिक प्राधिकरण उस मौत के लिए जिम्मेदार होंगे और उन्हें पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देना होगा।जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस संदेश पाटिल की खंडपीठ ने जवाबदेही तय करते हुए गड्ढों या खराब सड़कों के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवारों को 6 लाख और गंभीर रूप से घायल होने वालों को 50 हजार से 2.50 लाख तक मुआवजा देने...
NGO के नाम पर याचिका दायर करने वाले व्यक्ति पर हाईकोर्ट सख्त, जांच के दिए आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को गैर-सरकारी संगठन (NGO) की ओर से अनधिकृत रूप से रिट याचिका दायर करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। यह याचिका शहर के जामिया नगर इलाके में कथित अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर की गई।आरोपी व्यक्ति ने याचिका दायर करने के लिए स्पष्ट रूप से NGO के लेटर हेड का दुरुपयोग किया। हालांकि बाद में NGO के प्रमुख कोर्ट में उपस्थित हुए और कोर्ट को बताया कि उस व्यक्ति का NGO से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने NGO के नाम पर दायर की गई याचिका को वापस लेने की मांग की।इस बीच...


















