संपादकीय
ग्रेच्युटी कानून के बारे में जानिए खास बातें
ग्रेच्युटी को हिंदी भाषा में उपदान कहा जाता है। इसका अर्थ नौकरी पेशा व्यक्तियों को रिटायरमेंट या बीमारी के कारण नौकरी नहीं कर पाने के कारण एक निश्चित धनराशि दी जाती है। यह धनराशि उस नियोजक द्वारा दी जाती है जिस नियोजक के पास में व्यक्ति नौकरी कर रहा था। ग्रेच्युटी को मोटे तौर पर इस तरह समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति किसी रजिस्टर्ड कंपनी में कम से कम पांच साल तक नौकरी करता है और किसी कारण वह नौकरी जारी नहीं रखता है तो वह अपने नियोक्ता से ग्रेच्युटी के रूप में एक निश्चित धनराशि पाने का हकदार...
लापरवाही भरे रिमांड आदेशों को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने न्यायिक अकादमी को दिया निर्देश, मजिस्ट्रेट को दें प्रशिक्षण
पटना हाईकोर्ट ने पटना स्थित न्यायिक अकादमी के निदेशक से कहा है कि वह कस्टडी और रिमांड को लेकर दायर होने वाले आवेदनों के मामलों में न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करें। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आकस्मिक रिमांड आदेश को देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की पीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया है। अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य, (2014) 8 एससीसी 273 मामले में सर्वोच्च...
जानिए पासपोर्ट अधिनियम 1967, कौन सी परिस्थितियों में पासपोर्ट हो सकता है ज़ब्त
पासपोर्ट एक बड़ा दस्तावेज है जो विदेशों में किसी देश के नागरिकों की नागरिकता और पहचान साबित करता है। सभी देश अपने नागरिकों को अलग-अलग तरह के पासपोर्ट प्रदान करते हैं। नागरिक इन पासपोर्ट के माध्यम से विश्व भर के अलग-अलग देशों की यात्रा करते हैं। भारत में भी इस तरह के यात्रा दस्तावेज या पासपोर्ट का निर्धारण किया गया है। सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले पासपोर्ट के माध्यम से भारत के नागरिकों को एवं भारत के बाहर रह रहे भारत के नागरिकों को पहचान दी जाती है। यह पहचान विश्व भर में उन लोगों को...
उत्तरप्रदेश में लागू हुई पुलिस कमिशनर प्रणाली क्या है, जानिए ख़ास बातें
उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार (14-01-2020) को राज्य के 2 शहरों, लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली (Commissionerate System of Policing) लागू करने की घोषणा की। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमारी सरकार द्वारा आज पुलिस सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तर-प्रदेश कैबिनेट ने लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।" इस प्रणाली को लागू करने से दोनों ही जिलों में कानून व्यवस्था समेत तमाम प्रशासनिक...
जानिए क्या होते हैं सिविल प्रकृति के वाद
हम यह जानते हैं कि जहाँ भी और जब भी हमारे अधिकारों का हनन होता है, तो कानून के अंतर्गत उसके सम्बन्ध में हमे उपचार/उपाय भी उपलब्ध कराये गए हैं। हालाँकि हमे उन उपचारों को प्राप्त करने के लिए किस फोरम में जाना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे किस प्रकार के अधिकार का हनन हुआ है। मौजूदा लेख में हम 'सिविल प्रकृति' के उन मामलों के बारे में बात करेंगे जिनका विचारण सिविल अदालतों द्वारा किया जा सकता है। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 9 में यह प्रावधान है कि दीवानी अदालतों के पास सभी सिविल...
हिन्दू उत्तराधिकार : हिन्दू पुरुष की मौत के बाद उसकी सम्पत्ति संयुक्त परिवार की सम्पत्ति नहीं रह जाती
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में हिन्दू उत्तराधिकार कानून 1956 के तहत उत्तराधिकार के सिद्धांतों पर विचार किया है। अधिनियम की धारा छह और आठ का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि हिन्दू पुरुष की मौत के बाद उसकी सम्पत्ति का खयाली बंटवारा (नोशनल पार्टिशन) होगा और यह उसके कानूनी वारिस को उसके अपेक्षित हिस्से के तौर पर हस्तांतरित होगा। इसलिए, इस तरह की सपत्ति ऐसे बंटवारे के बाद 'संयुक्त परिवार की सम्पत्ति' नहीं रह जायेगी। ये वारिस संबंधित सम्पत्ति के 'टिनेंट्स-इन-कॉमन' के सदृश होंगे तथा तब तक...
क्या है पुलिस अधिनियम 1861 जानिए खास बातें
भारत में पुलिस अलग अलग राज्य सरकारों के अधीन रहती है तथा अलग-अलग राज्य विधान मंडल द्वारा पुलिस से संबंधित कानून तैयार किए जाते हैं। कुछ केंद्रीय कानून भी देश भर की पुलिस के लिए उपलब्ध है। यह कानून संपूर्ण भारत पर अधिनियमित होता है, इसे पुलिस अधिनियम 1861 कहा जाता है। इस अधिनियम का उद्देश्य पुलिस को पुनर्गठन करना और अपराधों को निर्धारित करने तथा उनका पता लगाने के लिए उसे और पुलिस को अधिक दक्ष उपकरण बनाना है। इस अधिनियम के होते हुए भी अलग-अलग राज्यों द्वारा अपनी पुलिस को शक्तियां कर्तव्य...
जानिए मृत्यु वारंट क्या होता है एवं इसके निष्पादन पर क्या है कानून?
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार (7 जनवरी, 2020) को निर्भया बलात्कार-हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा के लिए 22 जनवरी को सुबह 7 बजे डेथ वारंट जारी किया है। चार दोषियों - मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आदेश की सूचना दी गई। पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश अरोड़ा उनके खिलाफ डेथ वारंट के निष्पादन की याचिका पर विचार कर रहे थे। इससे पहले दिसंबर 2018 में, निर्भया के माता-पिता ने दोषियों को मिले मृत्युदंड को निष्पादित...
प्रतिकूल कब्जे के जरिये अपने नागरिकों की जमीन पर सरकार को पूर्ण स्वामित्व की अनुमति नहीं दी जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश की एक 80-वर्षीया निरक्षर विधवा को राहत प्रदान की है, जिसकी जमीन राज्य सरकार ने 1967-68 में सड़क निर्माण के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाये बिना जबरन ले ली थी। न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने व्यवस्था दी कि सरकार नागरिकों से हड़पी जमीन पर पूर्ण स्वामित्व के लिए प्रतिकूल कब्जे (एडवर्स पजेशन) के सिद्धांत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर निजी सम्पत्ति से किसी को जबरन बेदखल करना उसके मानवाधिकार तथा...
सिविल वाद कैसे दर्ज करें, नए अधिवक्ताओं के लिए विशेष
नवीन पंजीकृत हुए अधिवक्ताओं के लिए सिविल प्रकृति के वादों को न्यायालय में संस्थित करना कठिनाई भरा काम हो सकता है। नवीन अधिवक्ता वाद की प्रकृति के अनुरूप यह तय नहीं कर पाते हैं कि वाद किस प्रकृति का है तथा इस वाद को कौन से न्यायालय में दर्ज करना है। जब वाद की प्रकृति मालूम हो जाती है तो वाद को दर्ज करने के संबंध में कठिनाई होती है। इस आलेख के माध्यम से नवीन अधिवक्ता अपने मुकदमे दर्ज करने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं। किसी सिविल वाद को दर्ज करवाने में निम्न चरण हो सकते हैं। इन चरणों का अनुसरण...
स्पेसिफिक परफॉर्मेंस एक्ट में अस्थायी आदेश का अनुरोध करने वाले वादी को अविवादित तथ्यों के आईने में प्रथमदृष्ट्या मजबूत आधार दिखाना होगा : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि करार के तहत निश्चित अदायगी (स्पेसिफिक परफॉर्मेंस) से संबंधित मुकदमे में अस्थायी आदेश के तौर पर राहत पाने के लिए अविवादित तथ्यों के जरिये प्रथमदृष्ट्या मजबूत आधार बनाना जरूरी है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि निश्चित अदायगी खुद में विवेकाधीन उपाय है। पीठ ने यह भी कहा कि अंतरिम आदेश के लिए प्रथमदृष्ट्या मामला, सुविधा का संतुलन और अपूरणीय क्षति जैसे तथ्यों के अलावा संबंधित पक्षों का व्यवहार...
इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के खिलाफ याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण ने सुनवाई से खुद को अलग किया
जस्टिस अशोक भूषण ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। यह तब हुआ जब इलाहाबाद हेरिटेज सोसाइटी द्वारा दायर याचिका जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एम आर शाह की बेंच के सामने आई। इसके पीछे कारण हो सकता है कि जस्टिस भूषण इलाहाबाद से हैं। इस याचिका में 26 फरवरी, 2019 को दिए गए इलाहाबाद के फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें इलाहाबाद का नाम बदलने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका को...
निर्भया केस : ट्रायल कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया, 22 जनवरी को होगी दोषियों को फांसी
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को निर्भया बलात्कार-हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा के लिए 22 जनवरी को सुबह 7 बजे डेथ वारंट जारी किया। चार दोषियों - मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आदेश की सूचना दी गई। पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश अरोड़ा उनके खिलाफ डेथ वारंट के निष्पादन की याचिका पर विचार कर रहे थे। दिसंबर 2018 में, निर्भया के माता-पिता ने मृत्युदंड को निष्पादित करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए पटियाला हाउस...
मैरिज ब्यूरो रिश्ता तलाश करने में रहा विफल, ग्राहक को रिफंड के साथ मुआवज़ा देने का आदेश
दुल्हन की तलाश में मैरिज ब्यूरो आए एक व्यक्ति ने अनुचित व्यापार अभ्यास और सेवा में कमी के लिए मैरिज ब्यूरो पर मुकदमा किया, क्योंकि ब्यूरो उसके लिए एक आदर्श जीवनसाथी खोजने या किसी भी संभावित उम्मीदवार के साथ बैठक करवाने में विफल रहा। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के आदेश के अनुसार मैरिज ब्यूरो की सेवा में काफी कमी पाई और ब्यूरो को प्रीमियम वैवाहिक सेवाओं की फीस के रूप में शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान किए गए 31,000 रुपये वापस करने और उसे 5,000 रुपये मानसिक पीड़ा के मुआवज़े के रूप में देने का...
जानिए संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों के बारे में ख़ास बातें (भाग 2/2)
जैसा कि आप जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के 6 प्रधान अंगों को विस्तार से समझने के लिए हम 2 लेखों की एक श्रृंखला आपके सामने लेकर आये हैं। संयुक्त राष्ट्र संगठन का निर्माण करने वाले 6 प्रधान अंगों को महासभा (The General Assembly), सुरक्षा परिषद (The Security Council), न्यास परिषद (The Trusteeship Council), आर्थिक और सामाजिक परिषद (The Economic and Social Council), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) एवं सचिवालय (The Secretariat) के नाम से जाना जाता है। इस...
जानिए महिलाओं से संबंधित भारतीय कानून
विश्व भर में समय-समय पर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठती रही है। भारत में महिलाएं सामाजिक रीति-रिवाजों द्वारा शोषित और दमित होती रही हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व भी महिलाओं पर अत्याचारों की संख्याओं में कोई कमी नहीं थी तथा स्वतंत्रता के बाद भी महिलाओं के संबंध में अत्याचार और अपराध निरंतर घटित हो रहे थे। इन अपराधों के निवारण में कमी एवं इन पर रोक हेतु सशक्त विधान की आवश्यकता थी तथा भारतीय संसद में महिलाओं के संबंध में ऐसे विधान को बनाने से तनिक भी संकोच नहीं किया है। समय-समय पर...
जानिए संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों के बारे में ख़ास बातें (भाग 1)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए विनाश का सामना फिर से दुनिया को कभी न करना पड़े इसके लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को अस्तित्व में लाया गया था। हम यह भी जानते हैं कि किसी भी अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र जितनी मान्यता एवं सम्मान प्राप्त नहीं किया है। संयुक्त राष्ट्र के विषय में जितना साहित्य मौजूद है, उतना किसी अन्य संगठन को लेकर मौजूद नहीं है। यह संगठन, अपने अस्तित्व में आने के बाद से, पिछले 70 वर्षों की अधिकांश वैश्विक चुनौतियों और संकटों को सुलझाने में...
जानिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के बारे में खास बातें और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
हम सभी ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के बारे में सुना है। हालाँकि इसका मुख्य कार्य क्या है इसको लेकर हम सभी की उत्सुकता बनी रहती है। यह तो हम समझते हैं कि यह संगठन वैश्विक स्तर पर सभी राष्ट्रों (हम अपनी सुविधा के लिए इन्हें 'देश' कह सकते हैं) के बीच सामान्य मूल्यों को स्थापित करता है, जिससे हर राष्ट्र एक यूनिफार्म तरीके से कुछ मूल्यों को अपना सके और इन मूल्यों का अपनाया जाना सभी राष्ट्रों के हित में होता है। सामान्य अर्थों में हम यह कह सकते हैं कि इसका एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि वैश्विक...
ईयरली राउंड अप : क्रिमिनल लॉ पर सुप्रीम कोर्ट के साल 2019 के ये अहम फैसले
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के क्रिमिनल लॉ पर दिए गए खास जजमेंट/ऑर्डर पर एक नज़र।मजिस्ट्रेट ट्र्रायल शुरू होने से पहले तक मामले में आगे की जांच के आदेश दे सकते हैं, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की एक बेंच ने वस्तुतः एक 43 साल पुरानी मिसाल को बदल दिया। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि मजिस्ट्रेट के पास एक अपराध की जांच करने का आदेश देने की...
सुप्रीम कोर्ट मंथली डाइजेस्ट : दिसंबर 2019
अगर किसी नॉन-स्पीकिंग आदेश से विशेष अनुमति याचिका को ख़ारिज किया गया हो तो उस पर विलय का सिद्धांत लागू नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी विशेष अनुमति याचिका को निरस्त करने के लिए कोई नॉन-स्पीकिंग आदेश संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत क़ानून का उद्घोष नहीं है और न ही यह विलय का सिद्धांत इस पर लागू होता है। पी सिंगरवेलन बनाम ज़िला कलेक्टर, तिरुपुर का यह मामला तमिलनाडु सरकार के एक आदेश की व्याख्या से जुड़ा था। अदालत ने पाया कि ऐसे बहुत सारे आदेश आए हैं जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने...