संपादकीय
उमेश पाल अपहरण केस- अतीक अहमद समेत 3 को उम्रकैद की सजा
उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद / विधायक अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई। उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।कोर्ट ने इस मामले में अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को दोषी करार दिया। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 364 A के तहत इन्हें दोषी ठहराया। कोर्ट ने अतीक के भाई अशरफ अहमद सहित सात आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है। अतीक और उसके भाई दोनों पर पिछले महीने उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप है।उमेश पाल बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का चश्मदीद...
दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए, ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटा
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोप मुक्त करने के ट्रायल कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप तय किए।2019 के जामिया हिंसा मामले में आरोपियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर यह फैसला सुनाया गया।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शांतिपूर्ण सभा का अधिकार उचित प्रतिबंधों के अधीन है और हिंसा या...
सुप्रीम कोर्ट ने अपराध के समय दोषी को नाबालिग पाया, 28 साल बाद सजा ए मौत के कैदी को तुरंत रिहा करने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौत की सजा पाए एक दोषी को यह पता चलने पर रिहा कर दिया कि भले ही वह अपराध के समय किशोर था, उस पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया गया था और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।यह कहते हुए कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (2015 अधिनियम) के तहत, किसी को मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता है और अधिकतम सजा तीन साल की सजा है, जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने 28 साल से अधिक समय तक हिरासत में रहने के बाद ने नारायण चेतनराम चौधरी...
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नकली शराब और अवैध भट्टियों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध शराब के निर्माण और बिक्री के मुद्दे से संबंधित एक याचिका पर अवैध भट्टियों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने के साथ कार्यवाही बंद कर दी। जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की खंडपीठ पंजाब राज्य द्वारा दायर एक जवाबी हलफनामे पर विचार करने के बाद ऐसा करने की इच्छा जताई, जिसमें इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के उपायों का वर्णन किया गया था।पिछले साल 15 दिसंबर को राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि अदालत की मेहरबानी की वजह से...
हाथरस केस: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज की (वीडियो)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाथरस केस (Hathras Case) में पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और परिवार को हाथरस से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर विचार करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी। शुरुआत में ही, भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर आश्चर्य जाताया।पूरी वीडियो यहां देखें:
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र (वीडियो)
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (20 मार्च, 2023 से 24 मार्च, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र। वीडियो यहां देखें:
हाथरस केस: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाथरस केस (Hathras Case) में पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और परिवार को हाथरस से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर विचार करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी।शुरुआत में ही, भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर आश्चर्य जाताया।यूपी के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने पीठ को बताया कि राज्य...
कर्जदारों के खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले बैंकों को कर्जदारों को सुनवाई का अवसर देना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि उधारकर्ताओं को उनके खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले सुना जाना चाहिए।न्यायालय ने कहा कि "ऑडी अल्टरम पार्टेम" के सिद्धांतों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक खातों के धोखाधड़ी खातों के वर्गीकरण पर जारी सर्कुलर में पढ़ा जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि धोखाधड़ी के रूप में खातों के वर्गीकरण के परिणामस्वरूप उधारकर्ताओं के लिए गंभीर सिविल परिणाम होते हैं; उधारकर्ताओं को "ब्लैक लिस्ट में डालने" के समान है; इसलिए धोखाधड़ी पर मास्टर...
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के डर से कार्यालय में महिलाओं से बचने के लिए मेल एंपलॉयर्स की प्रवृत्ति की निंदा की
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ ने कानूनी पेशे में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के बारे में बात करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ रूढ़िवादिता ने उनके लिए भर्ती करना मुश्किल बना दिया। उन्होंने बताया कि अकेले तमिलनाडु में प्रत्येक 50,000 पुरुष इनरॉलमेंट के लिए केवल 5000 महिला इनरॉलमेंट है। ये आंकड़े पूरे देश में समान है।सीजेआई मदुरै में जिला अदालत परिसर में अतिरिक्त अदालत भवनों की आधारशिला रखने और मयिलादुत्रयी में जिला और सत्र न्यायालय और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के उद्घाटन...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (20 मार्च, 2023 से 24 मार्च, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।‘COVID-19 में पैरोल पर रिहा हुए सभी कैदी 15 दिनों के भीतर सरेंडर करें’: सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देशCOVID-19 के दौरान देश भर में कई कैदियों को पैरोल दी गई थी। पैरोल का मतलब- कैदी की अस्थाई रिहाई। आज सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के समय पैरोल पर रिहा हुए सभी कैदियों को 15 दिनों के भीतर सरेंडर करने का...
परिस्थितिजन्य साक्ष्य | जब दो दृष्टिकोण संभव हों, तो अभियुक्त की बेगुनाही के दृष्टिकोण को प्राथमिकता देनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि ऐसे मामलों में जहां परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भरोसा करते हुए दो विचार संभव हों, अभियुक्त के पक्ष में विचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।न्यायिक मिसाल पर भरोसा करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा,"...ऐसे मामलों में जहां परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भरोसा किया जाता है, जहां दो दृष्टिकोण संभव हैं, एक अभियुक्त के अपराध की ओर इशारा करता है और दूसरा उसकी बेगुनाही की ओर, तो जो अभियुक्त के अनुकूल है उसे अपनाया जाना चाहिए।"अदालत की टिप्पणी...
हिंदू कानून में विवाह संस्कार है, कॉन्ट्रैक्ट नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (वीडियो)
"शादी से पहले कॉन्ट्रैक्ट, जिसमें ये शर्त रखी गई हो कि पत्नी मातृत्व यानी खुद के बच्चे पैदा करने से वंचित रहेगी, ऐसी शर्त को क्रियान्वित नहीं किया जा सकता। ये अमानवीय है। हिंदू कानून में विवाह एक संस्कार है न कि कॉन्ट्रैक्ट।"हाईकोर्ट ने पति की पत्नी से तलाक की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणी की।जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बैंच ने कहा, “अगर पत्नी ने बच्चा पैदा करने की इच्छा जताई, तो इसे पति के प्रति क्रूरता नहीं कहा जा सकता है।“पूरी वीडियो यहां देखें:
सुप्रीम कोर्ट ने बीस साल पहले 300 रुपये रिश्वत लेने के दोषी व्यक्ति को बरी किया
20 साल पहले 300 रुपए की रिश्वत लेने के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि रिश्वत मांगने का कोई सबूत नहीं है। ये फैसला जस्टिस अभय सिंह ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की डिवीजन बेंच ने सुनाया। पूरी वीडियो यहां देखें:
राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद, 2 साल की सजा पर निर्वाचित सदस्यों की स्वत: अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर
जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 (1951 अधिनियम) की धारा 8 (3) के अनुसार किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने और कम से कम दो साल के कारावास की सजा दिए जाने पर निर्वाचित विधायी निकायों के प्रतिनिधियों की स्वत: अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।याचिका में बताया गया है कि याचिका दायर करने का कारण राहुल गांधी की अयोग्यता का मुद्दा है। याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रकृति, गंभीरता और अपराधों की गंभीरता के बावजूद एक व्यापक अयोग्यता प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ...
प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता को आपराधिक बनाने वाले यूएपीए प्रावधान में अस्पष्टता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 10 (ए) (i) को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रावधान अस्पष्ट या अनुचित नहीं है। अधिनियम की उक्त धारा गैरकानूनी संगठन की सदस्यता को अपराध बनाती है।अदालत ने अरुप भुइयां बनाम असम राज्य, इंद्र दास बनाम असम राज्य और केरल राज्य बनाम रनीफ में 2011 के अपने फैसलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि प्रतिबंधित संगठन की मात्र सदस्यता गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) के तहत अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिनियम 1967 या आतंकवाद और...
‘COVID में पैरोल पर रिहा सभी कैदी 15 दिनों के भीतर सरेंडर करें’: सुप्रीम कोर्ट का आदेश (वीडियो)
COVID-19 के दौरान देश भर में कई कैदियों को पैरोल दी गई थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के समय पैरोल पर रिहा हुए सभी कैदियों को 15 दिनों के भीतर सरेंडर करने का निर्देश दिया है। हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिश पर COVID-19 के समय कैदियों को आपातकालीन पैरोल दी गई थी।पूरी वीडियो यहां देखें:
पत्नी करती थी पति और उसके परिवार का अपमान, हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक को ठहराया सही (वीडियो)
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में क्रूरता के आधार पर तलाक से जुड़ा एक केस आया। हाईकोर्ट ने पति के तलाक लेने के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी,पति और उसके परिवार के सदस्यों का सम्मान नहीं करती तो ये क्रूरता मानी जाएगी।जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा किपत्नी काफी समय से बिना किसी कारण पति से अलग रह रही है। साल 2013 में ही ससुराल छोड़ दिया था। इसलिए क्रूरता के आधार पर शादी को खत्म किया जा सकता है।“ पूरी वीडियो यहां देखें:
जाति/जनजाति के दावे की सत्यता निर्धारित करने के लिए अफ्फिनिटी टेस्ट आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस सवाल से संबंधित संदर्भ का जवाब दिया कि क्या अफ्फिनिटी टेस्ट (Affinity Test) जाति जांच समिति द्वारा बनाई गई जाति की स्थिति के निर्धारण का अभिन्न अंग है।अफ्फिनिटी टेस्ट का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या व्यक्ति समुदाय के पारंपरिक सांस्कृतिक लक्षणों का पालन करता है।जस्टिस एस.के. कौल, जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि अफ्फिनिटी टेस्ट जाति का नाम तय करने के लिए लिटमस टेस्ट नहीं है और हर मामले में जाति/जनजाति के नाम की शुद्धता के निर्धारण...
महज प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना भी यूएपीए के तहत अपराध है: सुप्रीम कोर्ट ने 2011 की मिसालों को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसले में अरूप भुइयां बनाम असम राज्य, इंद्र दास बनाम असम राज्य और केरल राज्य बनाम रानीफ में अपने 2011 के फैसलों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना भी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 या आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जब तक कि यह कुछ प्रत्यक्ष हिंसक के साथ न हो।जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने...
सीबीआई और ईडी ने 95% विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच की: सुप्रीम कोर्ट में गैर-बीजेपी दलों ने बताया
विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करने में केंद्रीय जांच एजेंसियों प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के कथित मनमाने इस्तेमाल के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिवसेना सहित 14 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने इस मामले का उल्लेख किया।राजनीतिक दलों ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत पर कानून लागू करने वाली...


















