संपादकीय

हिंदू उत्तराधिकार | अगर बंटवारे के मुकदमे में अंतिम फैसला पारित करने से पहले कानून में संशोधन हो जाता है तो पक्षकार इसका लाभ ले सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
हिंदू उत्तराधिकार | अगर बंटवारे के मुकदमे में अंतिम फैसला पारित करने से पहले कानून में संशोधन हो जाता है तो पक्षकार इसका लाभ ले सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बंटवारे के मुकदमे के लंबित रहने के दरमियान, जब तक अंतिम डिक्री पारित ना की गई हो पक्षकार संशोधित कानून का लाभ ले सकते हैं। इसी के मुताबिक, यदि पार्टियों के मामलों से संबंधित कानून में संशोधन होता है तो बंटवारे के मुकदमे में शुरुआती डिक्री और अंतिम डिक्री कार्यवाही में अंतर हो सकता है।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने कहा कि संयुक्त संपत्ति के बंटवारे के मुकदमे में केवल कुछ पक्षों के बीच सहमति के कारण एक डिक्री टिकाऊ नहीं हो सकती है। समझौते की वैधता...

गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईसी के उस आदेश को खारिज किया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी देने का निर्देश दिया था; दिल्ली सीएम पर 25 हजार का जुर्माना लगाया
गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईसी के उस आदेश को खारिज किया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी देने का निर्देश दिया था; दिल्ली सीएम पर 25 हजार का जुर्माना लगाया

गुजरात हाईकोर्ट ने शु्क्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को "श्री नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम पर डिग्री के बारे में जानकारी" प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ, ज‌स्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से दायर अपील को इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि उसे बिना नोटिस दिए पारित कर दिया गया था।उल्लेखनीय है कि संबंधित पक्षों को विस्तार से सुनने के...

सरकार से सवाल करने वाले राष्ट्र-विरोधी नहीं है: सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने कानून मंत्री की टिप्पणियों के बारे में कहा
सरकार से सवाल करने वाले 'राष्ट्र-विरोधी' नहीं है: सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने कानून मंत्री की टिप्पणियों के बारे में कहा

भारत के केंद्रीय कानून मंत्री जबब सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को कठोर तरीके से वर्णित करते हैं तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। मंत्री के लिए "राज्य की नीतियों" पर सवाल उठाने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को "भारत विरोधी" तत्वों के रूप में लेबल करना न केवल अवधारणाओं की त्रुटिपूर्ण समझ का मामला है, बल्कि नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय भी है।मंत्री का विदाई शॉट इस गलत धारणा के आधार पर कि कुछ न्यायाधीश भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं और "कीमत चुकानी होगी", अपने लहजे में न केवल डराने वाला है बल्कि...

इस अदालत की ओर से गलती हुई: सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक मामले में दो व्यक्तियों को रुपये देने का आदेश वापस लिया
'इस अदालत की ओर से गलती हुई': सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक मामले में दो व्यक्तियों को रुपये देने का आदेश वापस लिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बहाली के सिद्धांत को लागू किया और दो व्यक्तियों को यूनिटेक की मैसर्स देवास ग्लोबल सर्विसेज एलएलपी को बेची गई जमीन की बिक्री आय से अपने आदेश के अनुसार वितरित धन वापस करने का निर्देश दिया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने बहाली का आदेश पारित करते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण बनाम मनोहरलाल और अन्य में निहित सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि न्यायालय के किसी आदेश से किसी भी पक्ष को अनुचित लाभ नहीं पहुँचना चाहिए।खंडपीठ ने...

एनडीपीएस एक्ट धारा 37 की सरल और शाब्दिक व्याख्या जमानत को असंभव बना देगी : सुप्रीम कोर्ट ने  प्रथम दृष्ट्या परीक्षण अपनाया
एनडीपीएस एक्ट धारा 37 की सरल और शाब्दिक व्याख्या जमानत को असंभव बना देगी : सुप्रीम कोर्ट ने ' प्रथम दृष्ट्या' परीक्षण अपनाया

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक विचाराधीन कैदी को ज़मानत पर रिहा करते हुए, जिसे सात साल पहले एक प्रतिबंधित पदार्थ को बेचने में कथित संलिप्तता के लिए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत गिरफ्तार किया गया था, यह कहा कि धारा 37 के तहत कठोर शर्तों की एक सरल और शाब्दिक व्याख्या करने से जमानत देना असंभव हो जाएगा।जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, "धारा 37 के तहत शर्तों की एक स्पष्ट और शाब्दिक व्याख्या पूरी तरह से जमानत देने को प्रभावी रूप से बाहर कर...

यह क्यों मान लिया जाए कि महिलाएं तकनीक के प्रयोग में पीछे हैं? : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला वकीलों को ई-फाइलिंग से छूट देने की मांग वाली याचिका खारिज की
'यह क्यों मान लिया जाए कि महिलाएं तकनीक के प्रयोग में पीछे हैं?' : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला वकीलों को ई-फाइलिंग से छूट देने की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में डेब्ट्स रिकवरी ट्रिब्यूनल्स (डीआरटी) और डेब्ट्स रिकवरी अपीलीय ट्रिब्यूनल (डीआरएटी) में अनिवार्य ई-फाइलिंग की पुष्टि की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने ऐसा करते हुए इस धारणा पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की कि लेडी डॉक्टर्स को अनिवार्य ई-फाइलिंग के नियम से छूट की आवश्यकता होगी।याचिका में वित्त मंत्रालय की अधिसूचना को चुनौती दी गई, जिसने डेब्ट्स रिकवरी...

साक्षात्कार में शामिल होने को बाद उम्मीदवार इसलिए इसे चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि उन्हें लगता है कि ज्यादा अंक मिलने चाहिए थे : सुप्रीम कोर्ट
साक्षात्कार में शामिल होने को बाद उम्मीदवार इसलिए इसे चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि उन्हें लगता है कि ज्यादा अंक मिलने चाहिए थे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को जम्मू और कश्मीर (जे एंड के) अधीनस्थ सेवा चयन और भर्ती बोर्ड (बोर्ड) द्वारा 2009 की चयन प्रक्रिया और औषधि निरीक्षकों की नियुक्ति को बरकरार रखा।जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "साक्षात्कार में एक उम्मीदवार के प्रदर्शन के मूल्यांकन के मानदंड विविध हो सकते हैं और इनमें से कुछ व्यक्तिपरक हो सकते हैं। हालांकि, बिना किसी आपत्ति या विरोध के साक्षात्कार प्रक्रिया में शामिल होने के बाद, इसे बाद में केवल इसलिए चुनौती नहीं दी जा सकती है क्योंकि उम्मीदवार...

संवैधानिक अदालतें उन मामलों में भी बिना छूट के एक निश्चित अवधि की सजा सुना सकते हैं जहां मौत की सजा ना दी गई हो : सुप्रीम कोर्ट
संवैधानिक अदालतें उन मामलों में भी बिना छूट के एक निश्चित अवधि की सजा सुना सकते हैं जहां मौत की सजा ना दी गई हो : सुप्रीम कोर्ट

एक उल्लेखनीय फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक संवैधानिक न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि किसी मामले में उम्रकैद की सजा बिना किसी छूट के न्यूनतम अवधि के लिए होनी चाहिए, यहां तक कि उस मामले में भी जहां मौत की सजा नहीं दी गई हो।यहां तक ​​कि अगर मौत की सजा देने के लिए मामला "दुर्लभतम से भी दुर्लभ" मामले की श्रेणी में नहीं आता है, तो एक संवैधानिक न्यायालय निश्चित अवधि के आजीवन कारावास की सजा दे सकता है।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा, "ऐसे मामले में भी जहां मृत्युदंड...

उपभोक्ता आयोग अत्यधिक विवादित तथ्यों, आपराधिक या अत्याचारी कृत्यों से जुड़ी शिकायतों पर फैसला नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
उपभोक्ता आयोग अत्यधिक विवादित तथ्यों, आपराधिक या अत्याचारी कृत्यों से जुड़ी शिकायतों पर फैसला नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि उपभोक्ता अदालतें तथ्यों के अत्यधिक विवादित प्रश्नों या कपटपूर्ण कृत्यों या धोखाधड़ी जैसे आपराधिक मामलों से संबंधित शिकायतों का फैसला नहीं कर सकती। इसने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत "सेवा में कमी" की अवधारणा को आपराधिक या अत्याचारपूर्ण कृत्यों से अलग किया जाना चाहिए।जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने समझाया,"आयोग के समक्ष कार्यवाही प्रकृति में संक्षिप्त होने के कारण तथ्यों के अत्यधिक विवादित प्रश्नों या कपटपूर्ण कृत्यों...

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले लोकसभा सचिवालय ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल की
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले लोकसभा सचिवालय ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल की

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर कहा कि लक्षद्वीप के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल की अयोग्यता केरल हाईकोर्ट द्वारा 25 जनवरी को उनकी सजा को निलंबित करने के मद्देनजर समाप्त हो गई।एनसीपी सांसद द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले लोकसभा की अधिसूचना आई, जिसमें उनकी दोषसिद्धि पर रोक के बावजूद उनकी अयोग्यता को रद्द करने से इनकार किया गया।जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ के समक्ष उक्त मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।अधिसूचना में कहा...

सीसीएस (पेंशन) नियम - संविदा कर्मचारी के रूप में प्रदान की गई सेवा पेंशन लाभ के योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सीसीएस (पेंशन) नियम - संविदा कर्मचारी के रूप में प्रदान की गई सेवा पेंशन लाभ के योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के अनुसार, संविदा कर्मचारी के रूप में प्रदान की गई सेवाओं की अवधि को मूल नियुक्ति पर प्रदान की गई सेवा नहीं कहा जा सकता है। इसलिए, संविदा कर्मचारी के रूप में ऐसी सेवा पेंशन लाभ के प्रयोजन के लिए सेवा के रूप में योग्य नहीं होगी।ऐसा कहते हुए, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की एक पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ भारतीय दूरदर्शन प्रसार भारती निगम के महानिदेशक द्वारा दायर एक अपील की अनुमति दी, जिसमें कहा गया था कि...

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने बुनियादी संरचना सिद्धांत, कॉलेजियम पर टिप्पणी करने पर उपराष्ट्रपति, कानून मंत्री को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने बुनियादी संरचना सिद्धांत, कॉलेजियम पर टिप्पणी करने पर उपराष्ट्रपति, कानून मंत्री को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए शीर्ष न्यायालय और कॉलेजियम प्रणाली द्वारा विकसित बुनियादी संरचना सिद्धांत के बारे में सार्वजनिक रूप से उनकी टिप्पणी के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ जनहित याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि दो सरकारी पदाधिकारियों ने संविधान में "विश्वास की कमी" दिखाते हुए, इसकी संस्था, यानी सुप्रीम कोर्ट पर हमला करके और इसके...

एमबीबीएस : सुप्रीम कोर्ट ने स्वदेश लौटे अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों को दो प्रयासों में फाइनल परीक्षा पास करने की अनुमति दी
एमबीबीएस : सुप्रीम कोर्ट ने स्वदेश लौटे अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों को दो प्रयासों में फाइनल परीक्षा पास करने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूक्रेन, चीन, फिलीपींस आदि से स्वदेश लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों की याचिकाओं के एक बैच का निस्तारण, केंद्र की ओर से यह जवाब प्राप्त होने के बाद कर दिया कि एक बार के असाधारण उपाय के रूप में अंतिम वर्ष के छात्रों को किसी भी भारतीय मेडिकल कॉलेज में नामांकित हुए बिना एमबीबीएस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। अदालत ने केंद्र के सुझाव में एक संशोधन करते हुए ऐसे छात्रों को दो प्रयासों में एमबीबीएस की अंतिम परीक्षा पास करने की अनुमति दी। केंद्र ने एक प्रयास की...