संपादकीय

उपभोक्ता संरक्षण नियमों की वैधता को तय करने में बॉम्बे हाईकोर्ट के रास्ते में कोई बाधा नहीं : सुप्रीम कोर्ट
उपभोक्ता संरक्षण नियमों की वैधता को तय करने में बॉम्बे हाईकोर्ट के रास्ते में कोई बाधा नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि उपभोक्ता आयोगों (Consumer Commissions) में रिक्त पदों के मुद्दे से निपटने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा लिया गया स्वत: संज्ञान मामला, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 को चुनौती देने में बॉम्बे हाईकोर्ट के रास्ते में कोई बाधा नहीं है।अधिवक्ता डॉ महिंद्रा लिमये द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 के उन प्रावधानों को चुनौती दी है, जो राज्य आयोगों और जिला फोरम में...

दूसरी अपील- हाईकोर्ट सीपीसी की धारा 103 के तहत सीमित तथ्यात्मक समीक्षा कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
दूसरी अपील- हाईकोर्ट सीपीसी की धारा 103 के तहत सीमित तथ्यात्मक समीक्षा कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च न्यायालयों को नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 103 के तहत सीमित तथ्यात्मक समीक्षा करने का अधिकार है।न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने कहा कि यह नियम कि हाईकोर्ट कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न के बिना निचली अदालत के निष्कर्षों या तथ्य के समवर्ती निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, निम्नलिखित दो महत्वपूर्ण कैविएट के अधीन है।पहला, यदि तथ्य के निष्कर्ष स्पष्ट रूप से विकृत हैं या न्यायालय की अंतरात्मा को ठेस पहुँचाते हैं;...

मजिस्ट्रेट UAPA मामलों की जांच पूरी करने के लिए समय नहीं बढ़ा सकता : सुप्रीम कोर्ट
मजिस्ट्रेट UAPA मामलों की जांच पूरी करने के लिए समय नहीं बढ़ा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गैर-कानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) मामलों की जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाना मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि जैसा कि यूएपीए की धारा 43-डी (2) (बी) में प्रावधान में निर्दिष्ट है, उसके अनुसार इस तरह के अनुरोध पर विचार करने के लिए एकमात्र सक्षम प्राधिकारी "कोर्ट" होगा।इस मामले में, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, भोपाल ने यूएपीए की धारा 43-डी (2) (बी) के तहत जांच तंत्र द्वारा दायर...

सरकार कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास करे : सुप्रीम कोर्ट
सरकार कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास करे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास किया जाए।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा,जिस तरह सरकार कर से बचने को पसंद नहीं करती है, उसी तरह यह शासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी कर प्रणाली तैयार करे जिसके तहत एक विषय बजट और योजना बन सके।कोर्ट ने कहा कि अगर इन दोनों के बीच उचित संतुलन बना लिया जाए तो राजस्व सृजन से समझौता किए बिना अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है।अदालत विभिन्न बैंकों द्वारा दायर अपीलों पर...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को पूरे कार्यबल के साथ चलाने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC) को पूरे कार्यबल से चलाने को सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को निष्फल बताते हुए खारिज कर दिया।शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा की NHRC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर ध्यान देते हुए , जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि, "अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति को देखते हुए, यह रिट याचिका निष्फल हो गई है। खारिज की जाती है।"व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता...

सुप्रीम कोर्ट सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान को वापस लेने पर अगले सप्ताह विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान को वापस लेने पर अगले सप्ताह विचार करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह COVID-19 के कारण सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान को वापस लेने पर अगले सप्ताह विचार करेगा।भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना की अगुवाई वाली पीठ ने भारत के चुनाव आयोग द्वारा किए गए एक आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि जहां तक चुनाव याचिकाओं का संबंध है, सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान में संशोधन की मांग की गई है।जब आज ईसीआई का आवेदन लिया गया, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा,"हम समस्या को समझते हैं। हमें स्वत: संज्ञान मामले में पारित...

म्यूटेशन एंट्री किसी भी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वत्वाधिकार या सरोकार प्रदान नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट
म्यूटेशन एंट्री किसी भी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वत्वाधिकार या सरोकार प्रदान नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में म्यूटेशन (दाखिल खारिज) प्रविष्टि केवल वित्तीय उद्देश्यों के लिए है और यह किसी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वत्वाधिकार या हित सरकार प्रदान नहीं करती है।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा, "यदि टाइटल (स्वत्वाधिकार) के संबंध में कोई विवाद है और विशेष रूप से जब वसीयत के आधार पर म्यूटेशन प्रविष्टि की मांग की जाती है, तो जो पक्ष वसीयत के आधार पर स्वत्वाधिकार / अधिकार का दावा कर रहा है, उसे उपयुक्त सिविल कोर्ट/ अदालत का दरवाजा...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने 72 वर्षीय आरोपी व्यक्ति को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की; पटना हाईकोर्ट में उसकी अग्रिम जमानत याचिका पिछले छह महीने से सूचीबद्ध नहीं की गई

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 सितंबर) को एक 72 वर्षीय व्यक्ति को एक महीने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का अंतरिम सुरक्षा दिया, जिसकी अग्रिम जमानत याचिका पटना हाईकोर्ट में पिछले छह महीनों से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की गई है।यह ध्यान में रखते हुए कि पंचम सिंह (याचिकाकर्ता) विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह उनके द्वारा दायर अग्रिम जमानत आवेदन को आज से चार सप्ताह की अवधि के...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय के कर्मचारियों के वेतनमान के बीच भारी असमानता: केरल न्यायिक अधिकारी संघ ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया

सुप्रीम कोर्ट में केरल राज्य में जिला न्यायपालिका के सभी न्यायिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था केरल न्यायिक अधिकारी संघ ने एक आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों में अदालत के कर्मचारियों को राज्य के न्यायिक अधिकारियों की तुलना में अधिक वेतन दिया जाता है।यह प्रस्तुत किया गया कि राज्य सरकार के कर्मचारियों और शिक्षकों और अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के संशोधन पर ग्यारहवें वेतन संशोधन आयोग की सिफारिशों को राज्य द्वारा अनुमोदित किए...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
यह सामान्य अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि सभी COVID-19 मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुईंः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से कहा कि वह यह नहीं मान सकता कि दूसरी लहर में COVID ​​​​-19 के कारण हुई सभी मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुईं।शीर्ष न्यायालय ने उक्त टिप्‍पणी के साथ दीपक राज सिंह की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें ऑक्सीजन और आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मरने वाले COVID पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और अपने सुझावों...

डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन के लिए सामान्य निर्देश पारित नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन के लिए सामान्य निर्देश पारित नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन के लिए सामान्य निर्देश नहीं दे सकते हैं।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारत में रहने वाले सभी नागरिकों, विशेष रूप से बुजुर्गों, विकलांग, कम विशेषाधिकार प्राप्त, कमजोर वर्ग और जो अपने टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करने में असमर्थ हैं, के घर-घर जाकर COVID-19 के टीकाकरण का प्रावधान करने की मांग की गई...

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं को शामिल करने को अनुमति : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं को शामिल करने को अनुमति : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल करने की अनुमति देने का फैसला किया गया है। केंद्र ने हालांकि अदालत से अनुरोध किया कि बुनियादी ढांचे में बदलाव करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए चालू वर्ष के एनडीए में महिलाओं के प्रवेश से छूट दी जाए।अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने एनडीए परीक्षा में महिला को भाग लेने की अनुमति देने के मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी।एएसजी ने...

यदि देरी के कारणों का स्पष्टीकरण नहीं तो रेलवे ट्रेनों के देरी से आने के लिए मुआवजे का उत्तरदायी
यदि देरी के कारणों का स्पष्टीकरण नहीं तो रेलवे ट्रेनों के देरी से आने के लिए मुआवजे का उत्तरदायी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में दिए फैसले में कहा कि जब तक रेलवे सबूत नहीं देता और यह साबित नहीं करता कि ट्रेन की देरी के कारण उनके नियंत्रण से परे हैं, तब तक वे इस तरह की देरी के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।"इसलिए, जब तक तक देरी की व्याख्या करने वाले सबूत नहीं पेश किए जाते हैं और यह साबित नहीं हो जाता है कि देरी उनके नियंत्रण से बाहर थी और/ या यहां तक ​​​​कि देरी के लिए कुछ औचित्य था, रेलवे देरी और ट्रेन के देरी से पहुंचने के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल विस्तार बरकरार रखा, कहा आगे विस्तार नहीं मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल विस्तार बरकरार रखा, कहा आगे विस्तार नहीं मिलेगा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए कार्यकाल के विस्तार में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा 13 नवंबर, 2020 को पारित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने वर्तमान ईडी निदेशक के नियुक्ति आदेश को पूर्वव्यापी रूप से संशोधित करके उन्हें एक और वर्ष का पद दिया था। वह इसी साल मई में सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले थे।जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कॉमन कॉज ( एक रजिस्टर्ड सोसाइटी) बनाम भारत संघ और अन्य मामले...

सार्वजनिक रोजगार हासिल करने में धोखाधड़ी की प्रथा का कानून की अदालत द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सार्वजनिक रोजगार हासिल करने में धोखाधड़ी की प्रथा का कानून की अदालत द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक रोजगार हासिल करने के लिए धोखाधड़ी की प्रथा का कानून की अदालत द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता है।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा,सामाजिक कल्याण के उपाय और सामाजिक गतिशीलता के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में सार्वजनिक रोजगार की पवित्रता को ऐसी धोखाधड़ी प्रक्रिया के खिलाफ संरक्षित किया जाना चाहिए जो चयन प्रक्रिया में हेरफेर और इसे भ्रष्ट करती है।पृष्ठभूमिइस मामले में, मेसर्स भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के भालगोड़ा क्षेत्र के प्रबंधन...

महज इलाज सफल न होने या सर्जरी के दौरान मरीज की मौत होने मात्र से ही मेडिकल प्रोफेशनल को लापरवाह नहीं ठहराया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
महज इलाज सफल न होने या सर्जरी के दौरान मरीज की मौत होने मात्र से ही मेडिकल प्रोफेशनल को लापरवाह नहीं ठहराया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक मेडिकल प्रोफेशनल को केवल इसलिए लापरवाह नहीं माना जा सकता क्योंकि उपचार सफल नहीं हुआ या सर्जरी के दौरान रोगी की मृत्यु हो गई।न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि लापरवाही का संकेत देने के लिए रिकॉर्ड पर तथ्य उपलब्ध होना चाहिए या फिर उचित चिकित्सा साक्ष्य प्रस्तुत किया जाना चाहिए।अदालत ने कहा कि 'रिस इप्सा लोक्विटुर' (केवल कुछ प्रकार की दुर्घटना का होना ही लापरवाही का संकेत देने के लिए पर्याप्त है) का सिद्धांत तब लागू किया जा सकता है जब...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल से अधिक समय से यूपी की जेलों में बंद 97 दोषियों को अंतरिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की दो अलग-अलग जेलों में 20 साल से अधिक समय से बंद 97 दोषियों को अंतरिम जमानत दी।न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने आगरा और वाराणसी की जेलों में बंद याचिकाकर्ताओं की रिहाई की मांग करने वाली दो रिट याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया।याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उन सभी को दोषी ठहराया गया है और सभी आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुख्य रूप से आजीवन कारावास की सजा काट ली है और पहले ही सजा की वांछित अवधि से अधिक हो चुके हैं...