संपादकीय

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
'दोनों पक्षों को एक साथ रहने के लिए राजी करने का कोई मतलब नहीं, रिश्ता भावनात्मक रूप से मर चुका है': सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 में निहित अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए शादी को रद्द करने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 में निहित अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए शादी को रद्द करने की अनुमति दी और कहा कि दोनों पक्षों को एक साथ रहने के लिए राजी करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि दंपति की बीच का रिश्ता भावनात्मक रूप से मर चुका है।इस मामले में पति ने पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि क्रूरता का कोई मामला नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने भी बर्खास्तगी को बरकरार रखा।सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष, पति ने प्रस्तुत...

तीसरे प्रयास में जेईई मेन्स उत्तीर्ण करने वाले छात्रों ने जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा 2021 में बैठने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
तीसरे प्रयास में जेईई मेन्स उत्तीर्ण करने वाले छात्रों ने जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा 2021 में बैठने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

सुप्रीम कोर्ट में तीसरे प्रयास में जेईई मेन्स 2021 उत्तीर्ण करने वाले छात्रों ने 3 अक्टूबर, 2021 को होने वाली जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा 2021 में बैठने की मांग करते हुए रिट याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।इस मामले की सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच करेगी।एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर की गई याचिका में जेईई (एडवांस्ड), 2020 सूचना ब्रोशर में क्लॉज 11 (लगाए गए मानदंड) के मानदंड 4 में निर्धारित अपात्रता घोषित...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
अदालत पर धारा 9 (3) के तहत रोक नहीं होगी अगर मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के गठन तक विचार नहीं किया गया है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 9 (3) के तहत रोक तभी संचालित होती है जब धारा 9 (1) के तहत आवेदन पर मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के गठन तक विचार नहीं किया गया हो।"एक बार जब एक मध्यस्थ ट्रिब्यूनल का गठन किया जाता है तो न्यायालय धारा 9 के तहत विचार के लिए आवेदन नहीं ले सकता है, जब तक कि धारा 17 के तहत उपाय अप्रभावी न हो। हालांकि, एक बार आवेदन को इस अर्थ में माना जाता है कि इसे विचार के लिए लिया गया है, और न्यायालय ने अपना विवेक लगाया तो अदालत द्वारा निश्चित रूप से आवेदन पर फैसला...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
केंद्र, राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट से पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मानदंडों में भ्रांति दूर करने का आग्रह किया

केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट से पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया है क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण लागू करने के मानदंडों में अस्पष्टता के कारण कई नियुक्तियां रुकी हुई हैं।मंगलवार को, विभिन्न राज्यों से उत्पन्न होने वाली कुल 133 याचिकाओं को जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।भारत के अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अदालत को...

सिविल सूट में ट्रायल कब शुरू होता है? मुख्य परीक्षण में हलफनामा दाखिल करना या प्रति-परीक्षण? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
सिविल सूट में ट्रायल कब शुरू होता है? मुख्य परीक्षण में हलफनामा दाखिल करना या प्रति-परीक्षण? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) पर नोटिस जारी किया, जो एक दीवानी मुकदमे में ट्रायल शुरू होने के चरण के बारे में मुद्दा उठाती है।यह मामला सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश VI नियम 17 की व्याख्या के संदर्भ में उत्पन्न हुआ है, जिसमें अभिवचनों में संशोधन का प्रावधान है। आदेश VI नियम 17 के प्रावधान में कहा गया है कि ट्रायल शुरू होने के बाद किसी भी संशोधन आवेदन की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब तक कि अदालत को यह विश्वास नहीं हो जाता है कि पक्षकार पहले आवेदन नहीं कर सकता...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
COVID से मौत पर मृत्यु प्रमाण पत्र और मुआवजे के आदेश के गैर अनुपालन पर केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 30 जून, 2021 के शीर्ष न्यायालय के फैसले की अवज्ञा के लिए केंद्र के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत ने एनडीएमए को उन लोगों के आश्रितों को मुआवजे के अनुदान के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था जिनकी COVID से मृत्यु हो गई थी। साथ ही मृत्यु का कारण बताते हुए "COVID के कारण मृत्यु" का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने और वित्त आयोग द्वारा अपनी XV वीं वित्त आयोग की...

आप काले कोट में हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपका जीवन अधिक कीमती है: सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 ​​से मरने वाले वकीलों के परिजनों को मुआवजे की याचिका खारिज की
'आप काले कोट में हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपका जीवन अधिक कीमती है': सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 ​​से मरने वाले वकीलों के परिजनों को मुआवजे की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया।इस याचिका में COVID-19 से मरने वाले एक वकील के परिजन को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की मांग की गई थी।उक्त वकील 60 वर्ष की आयु था और उसकी मृत्यु COVID-19 या किसी अन्य तरीके से मृत्यु हो गई थी।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने जनहित याचिका को बोगस करार दिया।साथ ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा,"यदि आप काले कोट में...

अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति : तलाकशुदा बेटी अविवाहित या विधवा बेटी के समान नहीं : सुप्रीम कोर्ट
अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति : तलाकशुदा बेटी 'अविवाहित' या 'विधवा बेटी' के समान नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एक तलाकशुदा बेटी कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति) नियम, 1996 के उद्देश्य के लिए अविवाहित या विधवा बेटी के समान वर्ग में आएगी।न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने दोहराया कि आवेदन पर विचार करने की तिथि पर प्रचलित मानदंड अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार का आधार होना चाहिए।इस मामले में, रिट याचिकाकर्ता की मां कर्नाटक सरकार के साथ मांड्या जिला कोषागार में द्वितीय श्रेणी...

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए एक ठोस योजना प्रस्तुत करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए एक ठोस योजना प्रस्तुत करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बाल और कल्याण विभाग, महाराष्ट्र राज्य को COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए एक ठोस योजना प्रस्तुत करने को कहा।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि COVID-19 महामारी के कारण लगभग 19,000 बच्चों ने कम से कम अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया और यह अनुमान लगाया गया कि महामारी के कारण 593 बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है।कोर्ट ने बाल एवं कल्याण विभाग को 3...

तलाक देने के उद्देश्य से पति या पत्नी के खिलाफ बार-बार मामले और शिकायतें दर्ज करना क्रूरता की श्रेणी में आ सकता है : सुप्रीम कोर्ट
तलाक देने के उद्देश्य से पति या पत्नी के खिलाफ बार-बार मामले और शिकायतें दर्ज करना 'क्रूरता' की श्रेणी में आ सकता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने के उद्देश्य से पति या पत्नी के खिलाफ बार-बार मामले और शिकायतें दर्ज करना 'क्रूरता' की श्रेणी में आ सकता है।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने एक मामले में इस तरह के आचरण का उल्लेख किया, भले ही वे तलाक की याचिका दायर करने के बाद, शादी के अपरिवर्तनीय टूटने के आधार पर एक 'पति' को क्रूरता के आधार पर तलाक देने के लिए था।इस मामले में 'पत्नी' ने शादी के पहले दिन ही 'पति' का साथ छोड़ दिया। जैसा कि उसने उसके साथ रहने...

अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड इनपुट सेवाओं के आधार पर नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 (3) को वैध ठहराया
अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड इनपुट सेवाओं के आधार पर नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 (3) को वैध ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम की धारा 54 (3) (ii) इनपुट सेवाओं के कारण जमा हुए अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट को बाहर करती है।जब न तो संवैधानिक गारंटी है और न ही वापसी के लिए वैधानिक अधिकार, यह प्रस्तुत करना कि अप्रयुक्त आईटीसी की वापसी के मामले में वस्तुओं और सेवाओं को समान रूप से माना जाना चाहिए, स्वीकार नहीं किया जा सकता है, अदालत ने इस आधार पर धारा 54 (3) के खिलाफ चुनौती को खारिज करते हुए कहा यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करती...

केंद्र के स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर हलफनामा दाखिल करने पर अनिच्छा जाहिर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा
केंद्र के स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर हलफनामा दाखिल करने पर अनिच्छा जाहिर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नागरिकों, पत्रकारों आदि की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाइवेयर के कथित अवैध उपयोग की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया।ये कदम तब आया जब केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंताओं का हवाला देते हुए इस मामले में एक हलफनामा दायर करने की अनिच्छा व्यक्त की।सीजेआई ने शुरू में कहा, "हमने सोचा था कि सरकार जवाबी हलफनामा दायर करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी। अब केवल अंतरिम आदेश पारित किए जाने वाले मुद्दे पर विचार किया जाना है।"कोर्ट ने कहा...

दूसरी अपील में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न को तैयार करने की आवश्यकता केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसका पालन किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
दूसरी अपील में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न को तैयार करने की आवश्यकता केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसका पालन किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरी अपील में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न को तैयार करने की आवश्यकता केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसका पालन किया जाना चाहिए।न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि प्रथम अपीलीय न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने वाली दूसरी अपील में उच्च न्यायालय द्वारा शक्ति के प्रयोग की सीमा उच्च सार्वजनिक नीति पर आधारित है।इस मामले में, वादी ने यह घोषित करने के लिए एक वाद दायर किया कि उसके पास प्रतिवादी की संपत्ति के माध्यम से सुखभोग का अधिकार है। वाद को...

स्वामी विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता की वकालत की, सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का विश्लेषण किया: सीजेआई एनवी रमाना
स्वामी विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता की वकालत की, सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का विश्लेषण किया: सीजेआई एनवी रमाना

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने रविवार को स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं की तीव्र प्रासंगिकता पर विचार किया। सीजेआई स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128वीं वर्षगांठ और विवेकानंद मानव उत्कृष्टता संस्थान, हैदराबाद के 22वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।सीजेआई ने स्वामी विवेकानंद के 1893 में शिकागो के 'धर्मों की संसद' के संबोधन का जिक्र करते हुए टिप्पणी की,"स्वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन में सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति के...

किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण करने के लिए कर्मचारी ज़ोर नहीं दे सकता, यह नियोक्ता को तय करना है : सुप्रीम कोर्ट
किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण करने के लिए कर्मचारी ज़ोर नहीं दे सकता, यह नियोक्ता को तय करना है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण या स्थानांतरण न करने पर जोर देना कर्मचारी का अधिकार नहीं है, बल्कि आवश्यकता को देखते हुए नियोक्ता स्थानांतरण के मुद्दे पर निर्णय ले सकता है।न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने उस विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने स्वयं को दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण करने...

बार और बेंच की मानसिकता में बदलाव के बिना पेपरलेस कोर्ट संभव नहीं : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
बार और बेंच की मानसिकता में बदलाव के बिना पेपरलेस कोर्ट संभव नहीं : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि बार और बेंच की मानसिकता में बदलाव के बिना सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की ई-समिति का कोई भी प्रयास संभव नहीं हो सकता।जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "मेरा मानना ​​​​है कि वकीलों और न्यायाधीशों दोनों को मानसिकता में बदलाव लाना चाहिए। जब ​​मैंने लगभग डेढ़ साल पहले पेपरलेस कोर्ट (कागज रहित अदालत) में काम करना शुरू किया तो मैं किसी भी अन्य न्यायाधीश की तरह था, जिसे सीखने और अपना काम करने के लिए पारंपरिक तरीकों से तैयार और प्रशिक्षित किया...

अचल संपत्ति के स्वामित्व हस्तांतरण के मामले में सेवा में कमी का आरोप लगाने वाली उपभोक्ता शिकायतें सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
अचल संपत्ति के स्वामित्व हस्तांतरण के मामले में सेवा में कमी का आरोप लगाने वाली उपभोक्ता शिकायतें सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अचल संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण से संबंधित सेवा में कमी के आधार पर उपभोक्ता की शिकायतें सुनवाई योग्य नहीं है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति 'सेवा' में आवास निर्माण शामिल है न कि किसी साइट या भूखंड का आवंटन।इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष शिकायतकर्ता ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा आवंटित प्लॉट को अपेक्षित रूपांतरण शुल्क की स्वीकृति पर लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड साइट में बदलने की मांग की है। जिला फोरम ने चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
पीसी एक्ट खुद में एक कोड है- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के आरोपी का बैंक खाता सीआरपीसी की धारा 102 के तहत अटैच नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत आरोपी व्यक्ति के बैंक खाते को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के तहत कुर्क (अटैच) नहीं किया जा सकता है।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील मंजूर करते कहा, "सीआरपीसी की धारा 102 का सहारा लेकर अपीलकर्ता के बैंक खाते की फ्रीजिंग को जारी रखना संभव नहीं है, क्योंकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम अपने आप में एक संहिता (कोड) है।"इस मामले में, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की...