सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप, पिछले सप्ताह शीर्ष अदालत के प्रमुख ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
Sharafat Khan
9 March 2020 10:00 AM IST
Supreme Court Weekly Round Up March 2nd to March 6th, 2020
सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछले सप्ताह? यह जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप के तहत 2 मार्च से 6 मार्च 2020 तक सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख ऑर्डर/जजमेंट पर डालते हैं एक नज़र।
चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिट याचिका दर्ज की
सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए एक मैकेनिज़्म विकसित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए एक रिट याचिका दर्ज की है।
शीर्ष अदालत पंद्रह साल पहले दायर चेक अनादर की शिकायत के एक मामले पर दर्ज विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने टिप्पणी की:
"एक ऐसा मामला, जिसे छह महीने में ट्रायल कोर्ट द्वारा निपटाया जाना चाहिए, इस मामले को ट्रायल कोर्ट के स्तर पर निस्तारित करने में सात साल लग गए। विभिन्न अदालतों में 15 साल से ऐसी प्रकृति का विवाद लंबित है और न्यायिक समय लेते हुए इस न्यायालय तक स्थान ले रहा है। "
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यदि मुआवज़ा ख़ज़ाने में जमा करवा दिया गया है तो पुराने अधिनियम के तहत कार्यवाही समाप्त नहीं होगी : भूमि अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट की 5-न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत यदि मुआवजे का भुगतान खजाने में जमा करके किया गया हो तो कार्यवाही समाप्त नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि भूमि के मालिक इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि राशि को अदालत में जमा किया जाना चाहिए जिससे 1 जनवरी, 2014 से नए भूमि अधिग्रहण कानून के शुरू होने पर पुराने अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को बनाए रखा जा सके।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने पीठ का फैसला पढ़ते हुए कहा कि यदि सरकार ने खजाने में राशि जमा कर दी है, तो भूमि मालिक यह नहीं कह सकते कि कार्यवाही में चूक हुई है।
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राहत उन्मुख न्यायिक दृष्टिकोण स्वयं न्यायिक अधिकारी की ईमानदारी और अखंडता पर संदेह करने के लिए आधार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए कहा कि किसी न्यायिक अधिकारी की ईमानदारी और अखंडता पर संदेह करने के लिए राहत उन्मुख न्यायिक दृष्टिकोण स्वयं आधार नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे , जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि सिर्फ संदेह 'कदाचार' का गठन नहीं कर सकता है और कदाचार की किसी भी 'संभावना' को मौखिक या दस्तावेजी सामग्री के साथ समर्थन करने की आवश्यकता है, हालांकि प्रमाण के मानक स्पष्ट रूप से किसी आपराधिक मामले के समान नहीं होंगे।
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सीएए का विरोध : सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन में हिंसा करने वाले 22 लोगों को जमानत देने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
19 दिसंबर, 2019 को मंगलुरु में एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और पुलिस पर हमले के आरोप में मैंगलोर पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए गए 22 लोगों को जमानत देने के कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की 3-न्यायाधीशों की पीठ ने राज्य के अधिकारियों द्वारा दाखिल याचिका में कथित प्रदर्शनकारियों को नोटिस भी जारी किए हैं।
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एक समान तथ्यों पर दायर दूसरी शिकायत सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी शिकायत का पहले निपटारा योग्यता के आधार पर और कानून के तहत निर्धारित तरीके से हो चुका हो तो लगभग उन्हीं तथ्यों के समान तथ्यों के आधार पर दायर दूसरी शिकायत (जो तथ्य पहली शिकायत में उठाए गए थे) सुनवाई योग्य नहीं होगी।
जस्टिस यू.यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि पहली शिकायत के समान तथ्यों पर दायर दूसरी शिकायत सुनवाई योग्य नहीं हो सकती। पीठ ने कहा कि यदि दोनों शिकायतों का मूल एक ही था तो दूसरी शिकायत पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
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FCRA : बिना राजनीतिक संबद्धता के सार्वजनिक मुद्दों का समर्थन करने वाले संगठन विदेशी योगदान लेने से प्रतिबंधित नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बिना राजनीतिक संबद्धता के सार्वजनिक मुद्दों का समर्थन करने वाले संगठनों को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम ( FCRA) 2010 और बाद के नियमों के संदर्भ में विदेशी योगदान स्वीकार करने पर प्रतिबंध नहीं है।
FCRA की धारा 3 (1) (एफ) के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट एक "राजनीतिक प्रकृति का संगठन" विदेशी योगदान प्राप्त करने से प्रतिबंधित है। FCRA नियम 2011 के नियम 3 के अनुसार केंद्र द्वारा किसी संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने के मानदंड निर्धारित किए गए थे। इन मानदंडों की वैधता को इंडियन सोशल एक्शन फोरम (INSAF) नामक संगठन द्वारा अस्पष्ट और मनमानी के रूप में चुनौती दी गई थी।
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अपराधी मानसिक परेशानी में था' : सुप्रीम कोर्ट ने तीन बच्चों के अपहरण- हत्या के दोषी की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदली
सुप्रीम कोर्ट ने तीन बच्चों के अपहरण के बाद उनकी हत्या के आरोपी शख्स की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है। ट्रायल कोर्ट द्वारा मनोज सूर्यवंशी को IPC की धारा 302 और 364 के तहत दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई। बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इसकी पुष्टि की। शिवलाल के दो बेटे, 8 वर्ष का विजय, 6 वर्ष के अजय और चार साल की बेटी कुमारी साक्षी का आरोपियों ने अपहरण किया और फिर हत्या कर दी थी।
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भीमा कोरेगांव हिंसा : सुप्रीम कोर्ट से गौतम नवलखा और तेलतुंबडे को 16 मार्च तक
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तारी से 16 मार्च तक संरक्षण दिया है। पीठ इस मामले की सुनवाई 16 मार्च को ही करेगी। वहीं मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( NIA) कर रही है।
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अयोध्या राम जन्मभूमि- बाबरी विवाद : सुप्रीम कोर्ट में पीस पार्टी के बाद अब PFI ने दाखिल की क्यूरेटिव याचिका
अयोध्या रामजन्म भूमि- बाबरी विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में दूसरी क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई है। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल क्यूरेटिव याचिका में कहा है कि भले ही वो इस मामले में मूल वादी नहीं रहा लेकिन इस फैसले से उसके हित भी प्रभावित हुए हैं। संगठन ने सु्प्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 के फैसले पर विचार करने का अनुरोध किया है जिसमें जमीन का हक देवता रामलला को दे दिया गया था।
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पाटीदार आंदोलन हिंसा :कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम संरक्षण को 20 मार्च तक बढ़ाया
2015 गुजरात पाटीदार आंदोलन में हिंसा के आरोपी कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक को 20 मार्च तक बढ़ा दिया है। जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने इससे पहले 6 मार्च तक गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अंतरिम संरक्षण दिया था। हार्दिक पटेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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हर्ष मंदर मामला : सरकार दूत को ही गोली मार रही है, असली अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हर्ष मंदर को दिल्ली पुलिस द्वारा पेश किए गए हलफनामे पर जवाब देने के लिए कहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और आपत्तिजनक बयान दिए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
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राजद्रोह के मामलों पर FIR दर्ज करने के लिए दिशानिर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह के आपराधिक मामलों पर FIR दर्ज करने के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई थी। जस्टिस ए एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा, "अदालत के समक्ष संबंधित पक्षों को आने दीजिए।"
दरअसल मानवाधिकार कार्यकर्ता ने CAA-NPR-NRC की आलोचना में कर्नाटक के बीदर में शाहीन स्कूल में आयोजित एक नाटक के संबंध में 26 जनवरी को दर्ज देशद्रोह की FIR को रद्द करने के निर्देश के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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निर्भया केस : दोषियों को अलग- अलग फांसी देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 23 मार्च के लिए टाली, 20 मार्च को होनी है फांसी
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को सुनवाई करेगा जिसमें दोषियों को अलग- अलग फांसी देने का अनुरोध किया गया है।
हालांकि पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 20 मार्च के लिए नया डेथ वारंट जारी किया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ को बताया कि पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट तो जारी किया है लेकिन दोषी इसे भी फिर से उलझा सकते हैं इसलिए दो दोषियों को तो फांसी देने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
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वाहन मालिक का बीमा दावा सिर्फ इसलिए नकारा नहीं जा सकता कि ड्राइवर के पास फर्जी लाइसेंस था : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है बीमा कंपनी वाहन मालिक के बीमा दावे को केवल इस आधार पर नकार नहीं सकती कि चालक के पास फर्जी लाइसेंस था। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कहा कि यह साबित करने का दायित्व बीमा कंपनी पर है कि बीमित व्यक्ति ने लाइसेंस की प्रामाणिकता सत्यापित करने के लिए पर्याप्त सावधानी नहीं बरती या उसने बीमा पॉलिसी की शर्तों या बीमा करार का जानबूझकर उल्लंघन किया था।
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हर्ष मंदर मामला : ' हमें इस कार्रवाई में आपकी जरूरत नहीं है' : मुख्य न्यायाधीश ने कॉलिन गोंजाल्विस से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस को सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की उस याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया जिसमें हेट स्पीच के जरिए नफरत फैलाने वाले नेताओं के खिलाफ पुलिस जांच की मांग की गई है जो कथित रूप से दिल्ली में हुए दंगों की वजह बने। गोंजाल्विस ने मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे से मामले में हस्तक्षेप की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
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सीएए के खिलाफ याचिकाएं : कपिल सिब्बल ने जल्द सुनवाई की मांग की, मुख्य न्यायाधीश ने सहमति जताई
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे से जल्द सुनवाई की मांग की है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने सिब्बल को कहा कि सबरीमला मामले की 16 मार्च से सुनवाई की जाएगी। इसके बाद इसकी सुनवाई होगी। हालांकि सिब्बल ने आग्रह किया कि मामले में 2 घंटे की सुनवाई अंतरिम राहत देने के लिए शुरू की जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश बोबडे इस पर विचार करने के लिए सहमत हुए और कहा कि सिब्बल होली की छुट्टियों के बाद उल्लेख कर सकते हैं।
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पहली बार होली की छुट्टियों में सुप्रीम कोर्ट में होगी वेकेशन बेंच
देश के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने गुरुवार को अदालत में कहा कि इस बार होली की छुट्टियों के दौरान सुप्रीम कोर्ट में वेकेशन बेंच काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ये पहली बार होगा जब होली की छुट्टियों में इस तरह बेंच का गठन किया गया है। दरअसल गुरुवार को एक वकील ने अपने मामले की जल्द सुनवाई के लिए मेंशन किया और कहा कि संबंधित मामले में एक अन्य याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
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' फर्जी खबरें ही दंगों का मूल कारण ' : सोशल मीडिया खातों को आधार से लिंक करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल
फर्जी खबरों को दंगों की मूल वजह बताते हुए कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर फर्जी सोशल मीडिया खातों को खत्म करने के लिए आधार को सोशल मीडिया से जोड़ने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल WP ( C) 11394/2019 में 9 दिसंबर, 2019 को दिए गए उस फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की गई है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
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कोर्ट दस्तावेजों की प्रतियां आरटीआई कानून के बजाय, कोर्ट नियमों के तहत आवेदन करके पाई जा सकती हैंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि न्यायिक पक्ष में सूचनाओं की प्राप्य/ प्रमाणित प्रतियों को हाईकोर्ट नियमों के तहत प्रदान किए गए तंत्र के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और ऐसी सूचनाओं को पाने के लिए आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सहारा नहीं लिया जाएगा। जस्टिस भानुमती, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त बनाम गुजरात हाईकोर्ट व अन्य के मामले में कहा कि अदालत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने के लिए अदालत के नियमों के तहत आवेदन करना चाहिए।
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आपराधिक मामला दायर करने और उसके बाद बरी होने को स्वत: ही तलाक देने का आधार नहीं माना जा सकता, यदि तलाक की याचिका में इस तरह का आधार न दिया गया हो : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाह के लिए एक पक्ष द्वारा कोई आपराधिक मामला दायर करने और उसके बाद बरी होने को स्वत: ही तलाक देने के लिए आधार के रूप में नहीं माना जा सकता यदि तलाक की याचिका में इस तरह का आधार नहीं उठाया गया है। न्यायमूर्ति आर बानुमति , न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक अपील पर विचार किया, जिसमें (दूसरी अपील की अनुमति देते हुए) एक व्यक्ति को इस आधार पर तलाक दे दिया कि उसके खिलाफ पत्नी द्वारा दायर की गई शिकायत का परिणाम बरी होने के तहत हुआ है, भले ही ऐसा कोई आधार तलाक की याचिका का आधार नहीं था।
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कंज़्यूमर फोरम के पास प्रतिवादी के जवाब दाखिल करने की अवधि 45 दिनों से अधिक बढ़ाने का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ता मामले में प्रतिवादी (opposite party) के जवाब दाखिल करने की समय अवधि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित 45 दिनों की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती। न्यायालय ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ने उपभोक्ता फोरम को 45 दिनों की अवधि से आगे का समय बढ़ाने का अधिकार नहीं दिया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13 के तहत निर्धारित समय अवधि अनिवार्य है, और निर्देशिका नहीं, पीठ के लिए न्यायमूर्ति विनीत सरन द्वारा लिखित निर्णय अभिनिर्धारित किया गया।
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सुप्रीम कोर्ट ने RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाया प्रतिबंध हटाया
एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को RBI द्वारा जुलाई 2018 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में सेवाएं प्रदान करने या क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से निपटने के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया। जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन जजों की बेंच ने फैसला ये फैसला सुनाते हुए 2018 के परिपत्र / अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) की याचिका पर ये फैसला आया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनलों के निष्क्रिय रहने और रिक्तियों पर केंद्र की खिंचाई की
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार दोपहर 2 बजे देश भर में ट्रिब्यूनलों के कामकाज की अक्षमता के मुद्दे पर बेंच को अवगत कराने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और ASG आत्माराम नाडकर्णी को लंच से पहले बुलाया। SG तुषार मेहता और ASG नाडकर्णी ने जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी माहेश्वरी की पीठ ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT ) सहित विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्तियों के मुद्दे और उनके बचाव की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए 16 मार्च 2020 तक के लिए समय मांगा।
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ग्रीन पटाखे : रोक के बावजूद बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल ? सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा कंपनियों की CBI जांच के आदेश दिए
एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु स्थित शिवकाशी की पटाखा निर्माण कंपनियों द्वारा पटाखों में प्रतिबंधित बेरियम नाइट्रेट के इस्तेमाल के आरोपों की CBI जांच का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की पीठ ने सीबीआई से 6 हफ्ते में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 8 हफ्ते बाद करेगा।
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर
एक महत्वपूर्ण घटना में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के इस कदम की आलोचना की है। MEA के प्रवक्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारत के जिनेवा में स्थायी मिशन को संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने मानवाधिकार से सोमवार शाम को सूचित किया कि उनके कार्यालय ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है।
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सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान साक्ष्य की दृष्टि से अमान्य, दोषसिद्धि के लिए भरोसे लायक नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज बयान साक्ष्य की दृष्टि से अमान्य है और आरोपी की दोषसिद्धि के लिए उस पर भरोसा या उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने हत्या के एक मामले में ट्रायल कोर्ट एवं हाईकोर्ट के दोषसिद्धि के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज बयान का इस्तेमाल केवल विरोधाभासों और/अथवा चूक को साबित करने के लिए ही किया जा सकता है।
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डीआरएटी प्री-डिपोजिट पर जोर दिये बिना SARFAESI एक्ट की धारा 18 के तहत अपील की सुनवाई नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) प्री-डिपोजिट पर जोर दिये बिना सिक्यूरिटाईजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ़ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एन्फोर्समेंट ऑफ़ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट (SARFAESI) अधिनियम की धारा 18 के तहत एक अपील की सुनवाई नहीं कर सकता है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें उसने कहा था कि डीआरएटी द्वारा अपील की सुनवाई के लिए प्री-डिपोजिट की आवश्यकता नहीं है।
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रिटायर्ड लोगों को सुरक्षा ज़रूरी, 15 साल या अधिक की नौकरी के बाद VRS लेने वाले SBI कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन का हकदार माना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक के कर्मचारी जिन्होंने 15 वर्ष या उससे अधिक वर्षों की सेवा के बाद 2000 वीआरएस योजना के अनुसार जैसे कि कट-ऑफ तारीख पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है, एसबीआई पेंशन फंड नियमों के अनुसार आनुपातिक पेंशन के हकदार हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बीआर गवई की 3-जजों वाली बेंच ने वीआरएस के तहत पेंशन की स्वीकार्यता के संबंध में न्यायाधीशों के बीच विचारों के परस्पर विरोधी संदर्भ का जवाब देते यह कहा।
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LLM छात्रा से बलात्कार : चिन्मयानंद के खिलाफ ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर करने की याचिका पर सुनवाई से जस्टिस बानुमति ने खुद को अलग किया
सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बानुमति ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यौन शोषण मामले में स्वामी चिन्मयानंद को जमानत देने के आदेश को चुनौती देने और चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे ट्रायल को शाहजहांपुर से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया। शुक्रवार को शीर्ष अदालत इस मामले पर सोमवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी और इस मामले को जस्टिस बानुमथी और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।
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अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का पीठ ही करेगी सुनवाई, बड़ी पीठ को संदर्भित करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने के लिए 5 और 6 अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को संदर्भित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि संविधान पीठ के दो पुराने फैसलों में कोेई विरोधाभासी टिप्पणी नहीं है और वर्तमान पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए सक्षम है। हालांकि पीठ ने कोई तारीख सुनवाई के लिए तय नहीं की है।