पाटीदार आंदोलन हिंसा : कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम संरक्षण को 20 मार्च तक बढ़ाया
LiveLaw News Network
6 March 2020 3:07 PM IST
2015 गुजरात पाटीदार आंदोलन में हिंसा के आरोपी कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक को 20 मार्च तक बढ़ा दिया है।
जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने इससे पहले 6 मार्च तक गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अंतरिम संरक्षण दिया था। हार्दिक पटेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
28 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने गुजरात पुलिस पर नाराज़गी जताते हुए कहा था कि पुलिस 5 साल से जांच पर बैठी है। अब वो बताए कि इस मामले की जांच के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने गुजरात पुलिस को बताने को कहा कि इस मामले में कितने लोग गिरफ्तार हुए, कब हुए और वो क्या जमानत पर हैं और उन आरोपियों और हार्दिक के आरोपों में क्या अंतर हैं।
इस दौरान गुजरात की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गिरफ्तारी से संरक्षण देने का विरोध किया था लेकिन पीठ ने उनकी दलील नहीं मानी। इस दौरान हार्दिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील
अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया था कि 2015 से पुलिस ने हार्दिक को एक बार भी नहीं बुलाया है और FIR में हार्दिक का नाम तक नहीं है। इस मामले में सिर्फ एक ही धारा गैरजमानती है और उस पर आरोप है कि राज्य सरकार के खिलाफ बयान दिए गए हैं।
दरअसल हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के अग्रिम जमानत ना देने के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात हाईकोर्ट ने 17 फरवरी को 2015 के पाटीदार आंदोलन के सिलसिले में गैरकानूनी तरीके से लोगों के जमा होने के मामले में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति वीएम पंचोली ने पटेल की पृष्ठभूमि के आधार पर सरकार की आपत्ति पर विचार करने के बाद उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने अदालत में कहा था कि पटेल के खिलाफ 10 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गए थे।
ये मामला अगस्त 2015 का है जब पटेल के नेतृत्व में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने आरक्षण आंदोलन के तहत अहमदाबाद में एक बड़ी रैली आयोजित की थी। इस मामले में गैरकानूनी तरीके से जमावड़े के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस का दावा था कि रैली को आवश्यक अनुमति नहीं मिली थीं। पुलिस ने दलील दी थी कि लोगों के गैरकानूनी तरीके से जमा होने से हिंसा भड़की, जिसमें एक दर्जन से अधिक युवा मारे गए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा।
पटेल ने अग्रिम जमानत अर्जी में दावा किया था कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उन्हें सताया जा रहा है जिसने उनके खिलाफ कई झूठे, मनगढ़ंत मामले दर्ज किए थे। उन्होंने कहा कि पुलिस राजनीतिक दबाव में उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काम कर रही है।