हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

10 Oct 2021 10:30 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (चार अक्टूबर, 2021 से आठ अक्टूबर, 2021 तक) क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप।

    पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    धारा 138 एनआई एक्टः एक साहूकार के लिए दूसरा ऋण देना असंभव है, जबकि पहला ऋण अभी भी बकाया है: केरल हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी किया

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि यह अत्यधिक असंभवित है कि 1996 में समाप्त हो चुकी एक चेकबुक की चेक लीफ का उपयोग ड्रॉअर ने 2000 में पैदा हुई अपनी देनदारी का निर्वहन करने के लिए किया होगा।

    जस्टिस गोपीनाथ पी ने कहा कि एक साहूकार के लिए दूसरे ऋण का लेनदेन शुरू करने की अत्यधिक संभावना नहीं थी, जब पहले ऋण के लेनदेन का भुगतान किया जाना बाकी था, जिसने अपीलकर्ता के मामले को और कमजोर कर दिया।

    केस शीर्षक: वीपी जकारिया बनाम केरल राज्य और अन्य।

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    मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर उत्पन्न होनेवाली समस्याओं को कम करने के लिए नेताओं के प्रतिमाओं को 'लीडर्स पार्क' में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए

    मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु में अधिक से अधिक स्थानों पर 'लीडर पार्क' की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि की पहचान करे, ताकि सार्वजनिक क्षेत्रों में राजनीतिक या वैचारिक नेताओं की प्रतिमाओं के निर्माण के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कम किया जा सके।

    कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर यातायात में बाधा डालने वाले प्रतिमाओं को ऐसे पार्कों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

    केस का शीर्षक: एम वीरराघवन बनाम गृह सचिव, तमिलनाडु सरकार

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    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम और इंटीग्रेटेड वीडियो सर्विलांस सिस्टम शुरू किया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के सभी अधीनस्थ न्यायालयों के हर कोर्ट रूम की लाइव स्ट्रीमिंग को सक्षम करने के लिए कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम (क्लास) और इंटीग्रेटेड वीडियो सर्विलांस सिस्टम (आईवीएसएस) परियोजना शुरू करने की घोषणा की है।

    प्रायोगिक चरण शीघ्र ही जिला न्यायालय, जबलपुर और तहसील न्यायालय, पाटन में शुरू होगा, इसके बाद 3 चरणों में राज्यव्यापी परियोजना कार्यान्वयन होगा। एक पथ-प्रदर्शक कदम में यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को आत्मसात करने वाला पहला उच्च न्यायालय बन गया है, जैसा कि स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों के रूप में अपनी सभी पीठों की लाइव-स्ट्रीमिंग कार्यवाही द्वारा निर्धारित किया गया है।

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    चैंबर में बीजेपी नेता से मजिस्ट्रेट की मुलाकात केस के ट्रांसफर का आधार नहीं हो सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रांसफर की मांग वाली याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मामले को दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वर्तमान में मामले की सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता से उनके चैंबर में मुलाकात की थी।

    न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) एक राजनीतिक नेता से मिले, किसी विशेष अदालत से किसी मामले को स्थानांतरित करने या वापस लेने का यह एकमात्र आधार नहीं हो सकता।

    केस का शीर्षक: हिमांशु सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए अस्पतालों में COVID विशिष्ट मातृ देखभाल केंद्रों की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लाभ के लिए राष्ट्रीय राजधानी के सभी अस्पतालों में COVID-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करने वाले विशेष मातृ देखभाल केंद्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक याचिका पर नोटिस जारी किया है।

    जस्टिस रेखा पल्ली ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा और जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। चार गर्भवती महिलाओं ने ‌याचिका दायर की है। सभी अपनी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में, जिन्हें महामारी के दौरान सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ा।

    केस का शीर्षक: सीमा और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया और अन्य।

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    बार एसोसिएशन और अधिवक्ता चैंबर कॉरिडोर, पार्किंग या कोर्ट परिसर में कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं कर सकते: बार काउंसिल ऑफ दिल्ली

    बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की विशेष अनुशासनात्मक समिति ने आदेश दिया है कि सभी बार एसोसिएशन और अधिवक्ता चैंबर कॉरिडोर, पार्किंग क्षेत्र या कोर्ट परिसर के भीतर कोई भी धार्मिक कार्यक्रम नहीं कर सकते हैं।

    यह आदेश एक अधिवक्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही में कथित रूप से धर्म परिवर्तन और निकाह करने के लिए अपने कक्ष परिसर का उपयोग करने के लिए आया है। दिल्ली बार काउंसिल ने यह देखते हुए कि उपरोक्त "अवैध और असामाजिक गतिविधियाँ" कानूनी पेशे की गरिमा को नकारती हैं, एडवोकेट सोहन सिंह तोमर के लाइसेंस को अनुशासनात्मक समिति की जांच होने तक तक अंतरिम उपाय के रूप में निलंबित कर दिया है।

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    सीबीआई कोर्ट ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को रणजीत सिंह हत्याकांड में दोषी ठहराया

    डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआई कोर्ट ने रणजीत सिंह हत्याकांड में दोषी करार दिया है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज सुशील गर्ग ने उसे और अन्य को दोषी ठहराया। सजा की मात्रा के मुद्दे पर सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

    उल्लेखनीय है कि गुरमीत राम रहीम पहले से ही बलात्कार के अपराध में सजा काट रहा है। अब उसे अपने शिष्य रणजीत सिंह की हत्या का दोषी ठहराया गया है। उसके साथ ही 4 अन्य लोगों को भी हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया है। गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को रणजीत सिंह के बेटे द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें विशेष सीबीआई जज, पंचकूला के समक्ष लंबित राम रहीम सिंह के खिलाफ हत्या के मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 के अवध बार एसोसिएशन चुनाव परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर एल्डर कमेटी, रिटर्निंग ऑफिसर को नोटिस जारी किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 सितंबर को हाल ही में संपन्न बार चुनाव के परिणाम को चुनौती देने वाली एक याचिका पर अवध बार एसोसिएशन की एल्डर कमेटी और रिटर्निंग ऑफिसर को नोटिस जारी किया।

    न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ अधिवक्ता आनंद मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो खुद 'अध्यक्ष' पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे और एक वोट से चुनाव हार गए थे। नोटिस जारी करते हुए मामले को अब 22 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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    ''हस्तक्षेप न करना महिला को पति के आश्रय से वंचित कर देगा'': गुजरात हाईकोर्ट ने नाबालिग पत्नी से बलात्कार करने के आरोपी की सजा रद्द की

    गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते नाबालिग पत्नी से बलात्कार करने के मामले में आरोपी एक व्यक्ति को दी गई सजा को रद्द करते हुए कहा कि अदालत द्वारा हस्तक्षेप न करने से महिला और दो बच्चे अपने पति/पिता के आश्रय से वंचित हो जाएंगे और जो न्याय के हित में नहीं होगा। इसी के साथ हाईकोर्ट ने इस व्यक्ति को दोषी करार देने वाले निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया।

    इस मामले में, कथित पीड़िता (पत्नी) ने स्वीकार किया है कि वह स्वंय ही दोषी/अपीलकर्ता के साथ उसकी पत्नी के रूप में रहने लगी थी और उसने उसके दो बच्चों को भी जन्म दिया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि न तो उसने और न ही दोषी/पति ने अपने दो बच्चों के जन्म और पितृत्व से इनकार किया है।

    केस का शीर्षक - अश्विनभाई उर्फ राज रणछोड़भाई पोयाला बनाम गुजरात राज्य

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    'नीतिगत मामला': दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया द्वारा आपराधिक जांच की रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश जारी करने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को मीडिया आउटलेट्स द्वारा आपराधिक जांच से संबंधित समाचारों की रिपोर्टिंग को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश की मांग वाली याचिका पर निर्देश देने से इनकार कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि यह मामला राज्य की नीति का मामला है।

    केस का शीर्षक: मो. खलील बनाम भारत संघ

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    प्रक्रिया के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला: केरल हाईकोर्ट ने असाधारण परिस्थितियों के अभाव में 1000 दिनों से अधिक की देरी को माफ करने से इनकार किया

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आवेदन की अनुमति देने से इनकार कर दिया, जिसमें पुनर्विचार याचिका को प्राथमिकता देने में 1062 दिनों की देरी को माफ करने की मांग की गई थी क्योंकि आवेदक अत्यधिक देरी के लिए पर्याप्त कारण बताने में विफल रहा था।

    जस्टिस राजा विजयराघवन वी और जस्टिस टीआर रवि की खंडपीठ ने कहा, "हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि यह इस न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। याचिकाकर्ताओं ने न तो योग्यता के आधार पर कोई मामला बनाया है और न ही उन्होंने हमें 1000 दिनों से अधिक की देरी को माफ करने के लिए एक वैध कारण बताया है। यह अनुकरणीय जुर्माना लगाने के लिए प्रमुख रूप से एक उपयुक्त मामला है, हालांकि विद्वान वकील के उत्साही निवेदनों को देखते हुए हम ऐसा करने से बच रहे हैं।"

    केस शीर्षक: केनरा बैंक एंड अन्य बनाम देवा प्रॉपर्टीज लिमिटेड।

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    "बिना पूछे नौकर का सिम इस्तेमाल करना उसकी प्रतिष्ठा के खिलाफ": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे की पत्नी की आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे (बीकरू, कानपुर) की पत्नी ऋचा दुबे द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। इसमें उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419 और 420 के तहत नौकर की इच्छा के बिना उसके सिम कार्ड का उपयोग करने के लिए दर्ज एक मामले में पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।

    न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत अपराध के लिए सामग्री पूरी तरह से उसके खिलाफ बनाई गई।

    केस का शीर्षक - ऋचा दुबे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

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    'अदालतों को डॉक्टर की भूमिका निभानी चाहिए और मरने से पहले अधिकारों को बचाना चाहिए': दिल्ली ‌हाईकोर्ट ने 2008 के सीरियल ब्लास्ट मामले में 12 साल से कैद विचाराधीन को जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2008 के सिलसिलेवार विस्फोटों के मामले में 12 साल से अधिक समय से विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में बंद एक व्यक्ति को जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि अदालतों को डॉक्टर की भूमिका निभानी चाहिए और संवैधानिक अधिकारों को मृत्यु से बचाना चाहिए।

    जस्टिस अनूप जे भंभानी और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, "अदालतों को मृत्यु समीक्षक की भूमिका अदा नहीं करनी चाहिए और कानूनी या संवैधानिक अधिकारों की तभी सुनवाई नहीं करनी चाहिए, जब वे "मृत" हो जाएं। इसके बजाय हमें डॉक्टर की भूमिका निभानी चाहिए, और ऐसे अधिकारों को मृत्यु से पहले उन्हें बचाना चाहिए। अदालतों को इस प्रकार के अधिकारों को खत्‍म करने और दफन होने से बचाने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाना चाहिए। "

    शीर्षक: मो. हाकिम बनाम राज्य

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    जांच एजेंसी के खिलाफ कोई प्रतिकूल धारणा नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों चैम्बर्स पर तलाशी और जब्ती को रेगुलेट करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक वकील के परिसर में तलाशी और जब्ती अभियान चलाते समय पुलिस या जांच अधिकारियों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा, "सीआरपीसी के तहत परिसर में तलाशी और जब्ती के तरीके के बारे में पर्याप्त प्रावधान हैं।"

    केस शीर्षक: निखिल बोरवणकर बनाम जीएनसीटीडी

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    फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को डीएनए टेस्ट किट की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को उपभोग्य और मानक किट की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है ताकि डीएनए टेस्ट बिना किसी कठिनाई के किया जा सके।

    न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की खंडपीठ ने बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी द्वारा जमानत याचिका में कहा दावा किया गया है कि चूंकि अभियोजक मुकर गया और अभियोजन पक्ष का समर्थन करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इसलिए वह जमानत का हकदार है।

    केस टाइटल- दीपक तोमर बनाम एमपी राज्य एंड अन्य

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    ऐच्छि‌क यौन संबंध के ज‌रिए यौन स्वायत्तता का प्रयोग कर रही महिला के बारे में यह नहीं माना जा सकता है कि उसने प्रजनन अधिकारों के उल्लंघन के लिए सहमति दी हैः ‌दिल्‍ली कोर्ट

    दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि एक महिला अपने सा‌‌‌थी के साथ ऐच्छ‌िक यौन संबंध के ज‌रिए अपनी यौन स्वायत्तता का प्रयोग करती है, यह नहीं माना जा सकता है कि उसने प्रजनन अधिकारों के उल्लंघन के लिए अपनी सहमति दी है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि एक महिला का यौन विकल्पों का प्रयोग करना उसके साथी को उसका यौन शोषण करने का अधिकार नहीं देता और जब वह अपने साथी के साथ यौन संबंध में प्रवेश करती है तो वह प्रजनन अधिकारों सहित अपने अधिकारों का त्याग नहीं करती है।

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    राज्य एक धार्मिक संप्रदाय की आंत‌रिक लड़ाई में मदद कर रहा है: गुजरात हाईकोर्ट ने पुजारियों के खिलाफ पारित निर्वासन आदेश को रद्द किया

    गुजरात हाईकोर्ट ने एक धार्मिक संप्रदाय की आंतरिक लड़ाई में सहयोग करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट चुनावों के संबंध में स्वामीनारायण संप्रदाय के आंतरिक विवाद के कारण गधाड़ा मंदिर के दो पुजारियों के खिलाफ पारित निर्वासन आदेश को रद्द कर दिया।

    जस्टिस परेश उपाध्याय की खंडपीठ मंदिर के दो पुजारियों स्वामी सत्यप्रकाशदासजी और स्वामी घनश्यामवल्लभदासजी की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बोटाद जिला अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ पारित किए गए निर्वासन आदेश को चुनौती दे रहे थे।

    केस शीर्षक - स्वामी सत्यप्रकाशदासजी गुरु घनश्यामप्रसाद दासजी और स्वामी घनश्यामवल्लभदासजी गुरु स्वामी नारायणप्रियदासजी बनाम गुजरात राज्य और अन्य।

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    बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ ले जाने वाले उच्च शिक्षित व्यक्तियों के खिलाफ अधिक अनुमान: दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में जमानत से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक एक्ट से संबंधित एक मामले में एक महिला को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक बड़ा अनुमान है कि एक शिक्षित व्यक्ति होने के नाते बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ ले जाना एक अपराध है।

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, "एक अशिक्षित व्यक्ति अपने पास पाए गए पदार्थ के बारे में कोई जानकारी नहीं होने का दावा कर सकता है और पदार्थ के सबंध में उन पर लगाए जा रहे आरोप पर अपना बचाव कर सकता है, लेकिन एक उच्च शिक्षित व्यक्ति होने के नाते, अधिक से अधिक अनुमान है कि बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ ले जाना एक अपराध है और इसके कानून में परिणाम होंगे जो कठोर और अपरिवर्तनीय हो सकते हैं।"

    केस शीर्षक: सोनिया शामराव नाइक गांवकर बनाम नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो

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    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानूनी पेशे के सदस्यों की पहचान और सुरक्षा के लिए आरएफआईडी कार्ड के लिए एसओपी जारी किए

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में रोहिणी ट्रायल कोर्ट में एक विचाराधीन कैदी पर हालिया हमले के आलोक में कानूनी पेशे के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की। एसओपी ने न्यायालयों की सुरक्षा को एक अनुप्रास वाक्यांश में 3पी के रूप में वर्णित किया है। इसमें- परिधि, समीपस्थ और व्यक्तिगत शामिल हैं।

    परिधि सुरक्षा पहले चरण से संबंधित है, जहां संभावित हमलावर अदालत परिसर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है। समीपस्थ सुरक्षा दूसरा चरण है, जहां हमलावर ने पहले चरण का उल्लंघन किया है और अदालत परिसर तक उसकी पहुंच है। व्यक्तिगत सुरक्षा जज और कोर्ट रूम के अंदर के कर्मचारियों की सुरक्षा से संबंधित है, जो जरूरत पड़ने पर जज के लिए एक सशस्त्र पीएसओ प्रदान की जाती है। इस एसओपी में हम केवल पहले चरण यानी परिधि सुरक्षा से संबंधित हैं।

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    यह दावा कि अज्ञात बदमाशों ने कॉर्पस का अपहरण किया है, बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि केवल एक दावा है कि कॉर्पस का अज्ञात शरारती तत्वों ने अपहरण किया है, बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट जारी करने की मांग के लिए पर्याप्त नहीं है।

    जस्टिस एसए धर्माधिकारी की खंडपीठ ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट स्थापित करने के लिए पूर्व शर्त यह है कि जिस व्यक्ति की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट मांगी गई है, वह हिरासत में होना चाहिए और उसे अधिकारियों या किसी न‌ीजि व्यक्ति द्वारा हिरासत में रखा जाना चाहिए।

    केस का शीर्षक - श्रीमती छाया गुर्जर बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य

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    अटार्नी जनरल ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव पर आपराधिक अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार किया

    भारत के अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पिछले हफ्ते त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव पर कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए आपराधिक अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया।

    एजी सुप्रीम कोर्ट के वकील अबू सोहेल द्वारा भेजे गए एक पत्र पर विचार कर रहे थे, जिसमें उनसे अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 15 (1) (बी) के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने का अनुरोध किया गया था।

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    अवैध हिरासत के संदेह के बिना गुमशुदगी का मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के दायरे में नहीं आ सकता: गुवाहाटी उच्च न्यायालय

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लापता व्यक्तियों के मामले(अवैध रूप से हिरासत के संदेह के बिना) बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के दायरे नहीं आते हैं, हालांकि इस प्रकार के मामलों को भारतीय दंड संहिता की नियमित प्रावधानों के तहत पंजीकृत करना आवश्यक है।

    जस्टिस कल्याण राय सुराणा की पीठ ममोनी काकोटी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसके बेटे भास्कर ज्योति काकोटी को बरामद करने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी, जो सितंबर 2016 से लापता है।

    केस शीर्षक - ममोनी काकोटी बनाम असम राज्य और 6 अन्य।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की पहचान पर ट्वीट पर कार्रवाई की याचिका पर राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से किया इनकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दिल्ली कैंट इलाके में कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में कथित रूप से संवेदनशील विवरण का खुलासा करने और नौ वर्षीय पीड़िता के परिवार की तस्वीरें प्रकाशित करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया, जिन्हें इस मामले में प्रतिवादी के रूप में भी रखा गया।

    केस शीर्षक: मकरंद सुरेश म्हादलेकर बनाम राहुल गांधी और अन्य।

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    'मिस्टर', 'मैसर्स' जैसे अभिवादनों की अनुपस्थिति चेक ड्रा करते समय अप्रासंगिक; यह सेक्‍शन 138, एनआई एक्ट के तहत बरी करने का आधार नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला में कहा कि आरोपी द्वारा चेक ड्रा करते समय अभिवादन की अनुपस्थिति आरोपी को परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत कार्यवाही से बरी किए जाने का आधार नहीं हो सकती है।

    जस्टिस गोपीनाथ पी ने अपील की अनुमति देते हुए कहा, "अक्षर 'M/s' जो 'मेसर्स' का संक्षिप्त रूप है, आम तौर पर एक साझेदारी फर्म जैसे अनिगमित व्यक्तियों के समूह को संदर्भित करने के लिए एक अभिवादन है। आरोपी द्वारा चेक ड्रा करते समय इस तरह के अभिवादन की अनुपस्थिति आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकती। ऐसा दृष्टिकोण यह कहने जितना जैसा है कि अगर चेक में प्राप्तकर्ता को ''मिस्टर...'' के रूप में संदर्भित नहीं किया जाता है, तो आरोपी को बरी कर दिया जाना चाहिए।"

    केस शीर्षक: आर रवींद्रन बनाम शाजाजन और अन्य

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    दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहींः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि एक दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और भवन में कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता, भले ही उसने भवन के निर्माण के लिए कुछ राशि खर्च की हो।

    न्यायमूर्ति एन. अनिल कुमार की पीठ ने जुर्माना लगाते हुए दूसरी अपील को खारिज कर दिया और कहा कि, ''जब संपत्ति वादी के कब्जे में है, तो प्रतिवादी दामाद यह दलील नहीं दे सकता है कि उसे वादी की बेटी के साथ विवाह के बाद परिवार के सदस्य के रूप में अपनाया गया था और संपत्ति में उसका अधिकार है ... अगर दामाद का कोई निवास, यदि वादी के भवन में है तो वह प्रकृति में केवल अनुज्ञात्मक है। इसलिए, दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और भवन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है, भले ही उसने भवन के निर्माण पर कुछ राशि खर्च की हो।''

    केस का शीर्षकः डेविस राफेल बनाम हेंड्री थॉमस

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    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सोल्यूशन का उद्घाटन

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने हाईकोर्ट और जिला न्यायपालिका के लिए एक अनुकूलित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सोल्यूशन (समाधान) का वस्तुतः उद्घाटन किया है।

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कई नई सुविधाओं के साथ सिस्को वेबएक्स के 1200 लाइसेंस और 500 लाइसेंसों का एक और दर अनुबंध प्राप्त किया है। हाईकोर्ट और जिला अदालतों के लिए के लिए वी.सी. समाधान सीआईएमएस प्रणाली के साथ एकीकृत है। यह वी.सी. समाधान को वर्तमान सीआईएस 3.2 सॉफ्टवेयर सिस्टम के साथ जोड़ा जाना है।

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    राज्य सरकार को दुर्गा पूजा उत्सव से जुड़े श्रमिकों को वित्तीय सहायता देने का निर्देश नहीं दे सकते: उड़ीसा हाईकोर्ट

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार को यह निर्देश नहीं दिया जा सकता है कि वह दुर्गा पूजा समारोह से जुड़े श्रमिकों को अलग से वित्तीय सहायता प्रदान करे, जिनकी आजीविका पर COVID-19 के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

    चीफ जस्टिस डॉ एस मुरलीधर और जस्टिस बीपी राउत्रे की पीठ उन याचिकाकर्ताओं के एक समूह की सुनवाई कर रही थी, जो कटक शहर और उसके आसपास विभिन्न पूजा समितियों के पदाधिकारी हैं। उन्होंने कोर्ट के समक्ष व्यापक रूप से दो प्रार्थनाएं की थीं।

    केस शीर्षक - अमूल्य बेहरा और अन्य बनाम ओडिशा राज्य और अन्य

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    सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली अर्जी महज विलंब के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक मजिस्ट्रेट केवल शिकायत दर्ज करने में देरी के आधार पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत आवेदन खारिज नहीं कर सकता है।

    न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने कहा कि मजिस्ट्रेट यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि शिकायत दर्ज करने में देरी के कारण यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आवेदन को अत्यधिक देरी के आधार पर प्राथमिकी के रूप में नहीं माना जा सकता है।

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