मुख्य सुर्खियां
क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर COVID-19 रोगियों को निवारक दवाओं के अलावा सहायक दवाएं भी दे सकते हैं: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर निवारक दवाओं के अलावा COVID-19 रोगियों के लिए निर्धारित सहायक दवाएं दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा अपनी आयुष सिफारिशों में रोगियों के इलाज के लिए होम्योपैथी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।याचिका होम्योपैथिक चिकित्सक जयप्रसाद द्वारा अधिवक्ता वीटी माधवनुन्नी और एमएस विनीत के माध्यम से दायर की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह COVID-19 रोगियों का इलाज करते हैं तो केरल राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ आपदा...
'परंपराओं और रीति-रिवाजों को राष्ट्रीय हित के लिए झुकना पड़ता है': जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने परिजनों को कोरोना से मरने वालों के शव सौंपने की मांग खारिज की
''व्यक्तिगत अधिकारों पर व्यापक जनहित हमेशा प्रबल होता है और परंपराओं और रीति-रिवाजों को विशेष रूप से इस अभूतपूर्व समय में राष्ट्रीय हित के लिए झुकना पड़ेगा'', यह टिप्पणी करते हुए जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने COVID19 पीड़ितों के शव उनके निकट के संबंधियों को सौंपने का निर्देश पारित करने से इनकार दिया।मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल की खंडपीठ ने कहा कि COVID19 शव प्रबंधन पर केंद्र द्वारा जारी दिशानिर्देश परिवार के सदस्यों की धार्मिक भावनाओं का पर्याप्त रूप से ध्यान रख रहे...
'एक बार जब वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता': जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि एक बार जब पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है।न्यायमूर्ति संजय धर की खंडपीठ ने कहा कि यदि मामले के फिर से अन्वेषण करने की कोई गुंजाइश है, तो निचली रैंक का अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने मामले के पुन: अन्वेषण के लिए अपनी राय रख सकता था, लेकिन वह खुद से पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है।पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ...
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों को प्राइवेट स्कूल के छात्रों के समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जानी चाहिएः मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले वंचित वर्गों के छात्रों और ग्रामीण छात्रों को निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एन. किरुबकरण और न्यायमूर्ति टी. वी. थमिलसेल्वी की पीठ सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के रूप में पदोन्नत होने के लिए सेवा शर्तों के संबंध में दायर एक रिट अपील पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने कहा...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी अंतरिम आदेशों की अवधि 9 जुलाई तक बढ़ाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र और गोवा में पारित सभी अंतरिम आदेशों की अवधि 9 जुलाई तक या दूसरी लहर के मद्देनजर अगले आदेश तक बढ़ा दी। (स्वतः संज्ञान जनहित याचिका संख्या 1, 2021)।मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस एए सैय्यद, जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस पीबी वरले की चार न्यायाधीशों की पीठ द्वारा उठाया गया मामला 9 अप्रैल को अस्तित्व में आने वाले सभी अंतरिम आदेशों पर लागू होगा, जब तक कि विशेष रूप से न्यायिक आदेश नहीं आ जाता है।पीठ ने कहा,"हमने नागपुर और औरंगाबाद में मुख्य सीट और गोवा...
दिल्ली हाईकोर्ट 18 जून को घर-घर राशन योजना पर दिल्ली एलजी द्वारा रोक लगाने के आदेश को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा
दिल्ली हाईकोर्ट 18 जून को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की "घर घर राशन योजना" पर रोक लगाने के आदेश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है।इसके बाद, याचिका प्रतिवादी अधिकारियों से फुटपाथ पर रहने वाले प्रभावित और निराश्रित लोगों को भोजन, आश्रय, चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना करती है ताकि उनका पुनर्वास किया जा सके।याचिका में कहा गया,"दिल्ली में 72 लाख राशन कार्ड धारक हैं, जिन्हें राशन मिल रहा है और वर्तमान में राशन...
COVID-19: झारखंड हाईकोर्ट ने प्रमुख चिकित्सा उपकरणों की कीमत को नियंत्रित करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा
झारखंड हाईकोर्ट ने दवा मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 (Drugs Price Control Order, 2013) के तहत शामिल प्रमुख चिकित्सा उपकरणों जैसे पल्स ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन कंसेटेटर की कीमत को नियंत्रित करने के लिए अपने सक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ उस याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें केंद्र और राज्य को ऑक्सीजन कंसेंटेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर मशीन आदि जैसे चिकित्सा उपकरणों को मूल्य को आवश्यक वस्तु...
अंतरधार्मिक जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करते समय महिला का इस्लाम में धर्मांतरण प्रासंगिक कारक नहीं होना चाहिए: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
एक अंतर-धार्मिक जोड़े, जिन्होंने आरोप लगाया था कि निजी प्रतिवादी उनके वैवाहिक जीवन और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहे हैं, की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता (लड़की) के इस्लाम स्वीकार करने का तथ्य यह, सुनिश्चित करते हुए कि याचिकाकर्ताओं की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप ना हो, प्रासंगिक कारक नहीं होगा।जस्टिस सलिल कुमार राय की पीठ एक लड़की (20 वर्ष की आयु, जिसने इस्लाम स्वीकार कर लिया) और पुरुष (40 वर्ष की आयु) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी...
केरल हाईकोर्ट ने वर्चुअल कार्यक्रम में ई कमेटी न्यूज़ लेटर का शुभारम्भ किया
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से दोपहर 2:00 बजे अपने न्यूज लेटर का पहला संस्करण लॉन्च किया।केरल के मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार ने कई न्यायाधीशों, प्रशासनिक समिति के न्यायाधीशों और रजिस्ट्रारों की मौजूदगी में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में न्यूज लेटर का शुभारंभ किया।मुख्य न्यायाधीश ने अपने संदेश में कहा,"मेरा दृढ़ विचार है कि इन ई-पहलों और आने वाले अन्य लोगों के माध्यम से हम पिछले वर्षों की तुलना में अधिक तेजी से और कुशलता से सभी के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने...
केवल गलत आदेश पारित करने के लिए किसी लोक सेवक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती, जब कि यह सबूत ना हो कि आदेश बाहरी विचारों से प्रभावित है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला में कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी लोक सेवक के खिलाफ केवल एक गलत आदेश पारित करने के कारण, जब कि यह प्रदर्शित करने के लिए कि आदेश को बाहरी विचारों या परोक्ष उद्देश्यों के तहत जानबूझकर पारित किया गया था, कोई सामग्री मौजूद ना हो, आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।हाईकोर्ट ने यह फैसला उडुंबंचोला के तत्कालीन तहसीलदार पी.सुनील कुमार की ओर से दायर याचिका पर दिया, जिन्होंने सरकार के प्रतिकूल एक आदेश पारित करने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज...
मद्रास हाईकोर्ट 14 जून से अगले आदेश तक वर्चुअल मोड के माध्यम से कामकाज करेगा
मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार (10 जून) को COVID-19 मामलों की हालिया वृद्धि को देखते हुए निर्देश दिया कि हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच और मदुरै पीठ में मामलों की सुनवाई केवल वर्चुअल मोड के माध्यम से होगी।सभी अधिवक्ताओं/पक्षकारों को निर्देश दिया गया है कि वे सोमवार (14 जून) से अगले आदेश तक केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हों।हालाँकि, माननीय न्यायालय द्वारा आवश्यक हो तो राज्य और केंद्र सरकार के विधि अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि के सरकारी वकील की फिजिकल...
'वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेशों की उपेक्षा, देश में कानून के शासन पर गंभीर परिणाम होगा': इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेशों की उपेक्षा का देश में कानून के शासन पर गंभीर परिणाम होगा।न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने आगे टिप्पणी की कि कोर्ट ने समय-समय पर जमानत आवेदनों के सरकारी अधिवक्ता को निर्देश प्रदान करने में पुलिस अधिकारियों की विफलता को देखा है।पीठ ने कहा कि, "एक बार पुलिस अधिकारियों को इस तथ्य के प्रति सचेत कर दिया गया है कि समय पर निर्देश देने में विफलता कानून की जड़ पर हमला है। यह अक्सर एक आरोपी की अनुचित कैद की ओर...
जस्टिस संजय यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
भारत के राष्ट्रपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय यादव को उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया।न्यायमूर्ति संजय यादव, एम.ए., एलएलबी, ने 25.08.1986 को अधिवक्ता के रूप में अपना नामांकन करवाया। उन्होंने जबलपुर में सिविल, संवैधानिक, श्रम और सेवा मामलों में 20 वर्षों तक अभ्यास किया और श्रम और सेवा मामलों में विशेषज्ञता हासिल की।उन्होंने मार्च 1999 से अक्टूबर 2005 तक सरकारी अधिवक्ता के रूप में काम किया। वह अक्टूबर 2005 से उप महाधिवक्ता...
ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए केंद्र का आवंटन पर्याप्त नहींः आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा
यह देखते हुए कि केंद्र द्वारा राज्य को आवंटित लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी ब्लैक फंगस के मरीजों इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को रोगियों की संख्या के आधार पर विभिन्न राज्यों को किए जाने वाले आवंटन के संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति के विजयलक्ष्मी और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से म्यूकाॅरमायकोसिस या ब्लैक फंगस के कारण, प्रभाव और इससे निपटने के लिए किए जाने वाले निवारक उपायों पर प्रकाश डालते हुए जागरूकता अभियान शुरू करने का...
विवाहित और अविवाहित व्यक्ति के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप की मान्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट लिव-इन-रिलेशनशिप में सुरक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं (महिला-पुरुष) की याचिका पर विचार किया। कोर्ट ने देखा कि याचिकाकर्ता नम्बर 2 (पुरुष) पहले से ही विवाहित है। यह नोट करते हुए अदालत ने कहा कि:"एक विवाहित और अविवाहित व्यक्ति के बीच लिव-इन-रिलेशन की अनुमति नहीं है।"न्यायमूर्ति पंकज भंडारी की पीठ 29 साल की एक महिला और 31 साल के एक पुरुष की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने लिव-इन-रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग की।कोर्ट ने आगे कहा कि डी. वेलुसामी बनाम डी. पचैअम्मल (2010)...
"यह अनुच्छेद 20 के तहत प्राप्त संवैधानिक सुरक्षा में असंगति पैदा कर सकता है": त्रिपुरा हाईकोर्ट ने केंद्र को बिना किसी देरी के एनडीपीएस एक्ट की धारा 27A में संशोधन करने का निर्देश दिया
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को बिना किसी देरी के नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act), 1985 की धारा 27A में संशोधन के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने देखा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 27A के तहत धारा 2(viiiib)(i-v) को प्रतिस्थापित करने के लिए कोई संशोधन नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति एस तालापात्रा और न्यायमूर्ति एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि, "हम मानते हैं कि जब तक एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 A में उचित रूप से संशोधन करके उचित विधायी...
क्या स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी IBC के तहत एक वित्तीय सेवा प्रदाता है? एनसीएलएटी जांच करेगा
नेशनल कंपनी अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी), नई दिल्ली ने हाल ही में कानून के एक गंभीर प्रश्न की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की है कि क्या स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 की धारा 3(16) के तहत वित्तीय सेवा प्रदाता के रूप में माना जाना चाहिए और दिवाला और आईबीसी संहिता, 2016 ("आईबीसी") के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए?एनसीएलएटी ने कॉरपोरेट देनदार यानी सीमांधर ब्रोकिंग लिमिटेड के लेनदारों की समिति के गठन परक्या स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी IBC के तहत एक वित्तीय सेवा प्रदाता है?...
"चार धाम के खुलने की संभावना से चिंतित", राज्य में COVID की स्थिति की समीक्षा करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा
राज्य में COVID की स्थिति की समीक्षा करते हुए, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह चार धाम के खुलने की संभावना से चिंतित है, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है। चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस तथ्य कि वैज्ञानिक समुदाय ने निकट भविष्य में तीसरी COVID लहर की चेतावनी दी है और ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार के लिए कई निर्देश जारी किए।न्यायालय ने कहा, "राज्य को COVID-19 की तीसरी लहर और म्यूकरमाइकोसिस की निरंतरता,...
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला क्या पेंशन का लाभ पाने की हकदार होगी? मद्रास हाईकोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा
मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ी बेंच को यह सवाल भेजा है कि क्या पुरुष के जीवनकाल में निरंतर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला, उसकी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद एक पत्नी का दर्जा प्राप्त कर लेती है ताकि पति की मृत्यु के बाद वह पेंशन का लाभ प्राप्त कर सके। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन की एकल न्यायाधीश पीठ ने बड़ी पीठ के विचार के लिए निम्नलिखित प्रश्न को संदर्भित किया हैः ''...एक उपपत्नी, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 का अधिनियमन लागू होने के बाद, अपने पति के जीवनकाल के दौरान पहली पत्नी की मृत्यु के बाद एक...
'जघन्य अपराधों में अन्वेषण और चार्जशीट दाखिल करने में देरी, जांच एजेंसी की छवि के लिए ठीक नहीं': कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (9 जून) को आपराधिक मामलों की अन्वेषण में देरी के संबंध में स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि जघन्य अपराधों में अन्वेषण और चार्जशीट दाखिल करने में देरी, जांच एजेंसी की छवि के लिए ठीक नहीं है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार 999 मामले ऐसे हैं जहां विभिन्न कानूनों के अनुसार समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की गई हैं। कुछ मामले तो एक दशक से भी पुराने हैं।पूरा मामलाजलपाईगुड़ी पीठ द्वारा पारित 29...




















