"वीसी सुनवाई में पेशी": ''वकील का बेड पर आराम करना, महिला का फेसपैक लगाकर पेशी पर आना अस्वीकार्य'': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार को 'असावधानी' नहीं बरतने के लिए कहा

LiveLaw News Network

2 July 2021 7:15 AM GMT

  • वीसी सुनवाई में पेशी: वकील का बेड पर आराम करना, महिला का फेसपैक लगाकर पेशी पर आना अस्वीकार्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार को असावधानी नहीं बरतने के लिए कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने सदस्यों को सलाह दें कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष पेश होने के दौरान कोई ऐसा लापरवाह/असावधानीपूर्ण दृष्टिकोण न अपनाएं, जिससे न्याय के प्रशासन में बाधा उत्पन्न हो सकती हो।

    न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने बुधवार को यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि कोर्ट ने पाया कि वीसी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) मोड के माध्यम से एक पक्ष की ओर से पेश एक वकील रंगीन शर्ट पहने हुआ था और उसके आचरण पर आपत्ति किए जाने के बावजूद उसे कोई पछतावा नहीं था।

    इस पर कोर्ट ने कहाः

    ''इस कोर्ट के अलावा अन्य हाईकोर्ट ने, यहां तक​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी विभिन्न घटनाओं को देखा है, जहां कई अधिवक्ताओं ने वर्चुअल मोड के माध्यम से पेश होने के दौरान बहुत ही आकस्मिक/असावधानीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया और वह बनियान पहने,पूजा की पोशाक में, स्कूटर चलाते हुए, टी शर्ट या रंगीन शर्ट पहने,इत्मीनान से टहलते हुए, बाजाद आदि में खड़े वाहन के अंदर से, शोर-शराबे वाले स्थानों से, अप्रिय पृष्ठभूमि वाले स्थानों से, फोन पर बात करते हुए या वीडियो के माध्यम से अदालत पर ध्यान न देते हुए और ऑडियो टैब चालू रखकर, यहां तक कि एक वकील बिस्तर पर आराम करते हुए और एक महिला फेस पैक लगाए हुए पेश हो गई थी।''

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं की ऐसी आरामदायक पोशाक में उपस्थिति बहुत ही अनुचित है और किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार्य है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं को यह समझना चाहिए कि उनके घर या कार्यालय या चैंबर से वर्चुअल मोड के माध्यम से मामलों की सुनवाई के लिए उनकी उपस्थिति एक विस्तारित अदालत कक्ष की तरह है और यह एक अदालत के अंदर अदालती कार्यवाही में भाग लेने के समान गंभीर है।

    इस संदर्भ में, कोर्ट ने बार काउंसिल के 14.5.2020 के प्रशासनिक आदेश पर भी ध्यान दिया, जिसमें लिखा थाः

    ''देश के सभी अधिवक्ताओं की जानकारी के लिए यह (बार काउंसिल ऑफ इंडिया के संकल्प दिनांक 13.05.2020 के तहत) अधिसूचित किया जाता है कि चिकित्सा सलाह और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिनांक 13.05.2020 को जारी सर्कुलर पर विचार करते हुए, सभी अधिवक्ताअ वर्तमान में इस प्रकार की ड्रेस पहन कर पेश हो सकते हैं-सभी उच्च न्यायालयों और अन्य सभी न्यायालयों, न्यायाधिकरणों, आयोगों और अन्य सभी फोरम के समक्ष सुनवाई/कार्यवाही के दौरान ''सादी सफेद शर्ट/सफेद सलवार-कमीज/सादे सफेद गर्दन बैंड के साथ सफेद साड़ी'' पहन सकते हैं और ऐसी समयावधि के दौरान,जिसमें कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बड़ा हो,कोई कोट या गाउन/रोब पहनना आवश्यक नहीं है या ऐसे समय तक जब तक काउंसिल इस आदेश को संशोधित/ओवरराइड करने के लिए एक और प्रशासनिक आदेश जारी नहीं करती है।''

    इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं को किसी भी परिसर से वर्चुअल मोड के माध्यम से पेश होने के दौरान 'सादी सफेद शर्ट/सफेद सलवार-कमीज/सादे सफेद गर्दन बैंड के साथ सफेद साड़ी' पहनना आवश्यक है। इसके अलावा अदालत को संबोधित करते समय, उनके पास एक उचित और शांतिपूर्ण परिवेश के अलावा प्रस्तुत करने योग्य पृष्ठभूमि होनी चाहिए और उन्हें अदालत के प्रति अपना ध्यान बनाए रखना चाहिए। यदि वे काला कोट भी पहनते हैं तो उनकी सराहना की जाएगी।

    अंत में, कोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इस आदेश की एक प्रति हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन को तुरंत भेजने का निर्देश दिया है।

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