महिला और बेटे की कथित अवैध हिरासत और धर्मांतरण का मामला: केरल हाईकोर्ट ने पति की याचिका पर मामले की जांच के आदेश दिए

LiveLaw News Network

2 July 2021 11:15 AM IST

  • केरल हाईकोर्ट

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    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति (पति) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक महिला (पत्नी) और उसके बेटे को कथित तौर पर कस्टडी में लिया गया और इस्लाम में धर्मांतरण किया गया। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष उन्हें पेश करने का आदेश दिया।

    न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए.ए. ने पुलिस को मामले की जांच कर रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है।

    याचिकाकर्ता गिल्बर्ट पीटी (पूर्व माकपा कार्यकर्ता) ने 29 जून 2021 को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसमें कोझीकोड के एक धार्मिक संस्थान, थेरबियाथुल इस्लाम सभा से अपनी पत्नी और बेटे को अवैध कस्टडी से रिहा करने की मांग की गई थी। यह भी प्रार्थना की गई कि उनकी कस्टडी याचिकाकर्ता को दी जाए, जो उनका कानूनी अभिभावक है।

    याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी और बेटे को कुछ व्यक्तियों द्वारा उनकी इच्छा के विरुद्ध मजबूर किया गया और उक्त संस्थान में कस्टडी में रखा गया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कुछ स्थानीय समिति के सदस्य पत्नी और बेटे को सभा में ले गए और कथित तौर पर उस महिला को, जो मूल रूप से एक ईसाई है, को 24 घंटों के भीतर इस्लाम में धर्मांतरण किया गया।

    याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता वी साजिथ कुमार पेश हुए और तर्क दिया कि हालांकि पुलिस ने उन्हें ढूंढ लिया और उसकी पत्नी को उसके बयान के लिए मजिस्ट्रेट के सामने लाया गया, लेकिन ऐसा करते समय उसे प्रतिवादियों की धमकी के तहत मजबूर किया गया। इसलिए वह अपना बयान स्वतंत्र इच्छा से नहीं दे पाई।

    याचिकाकर्ता ने धर्म परिवर्तन को अवैध बताया क्योंकि यह कथित तौर पर उसकी मर्जी के खिलाफ किया गया था। बेटे का अभी तक धर्मांतरण नहीं हुआ है, लेकिन वह प्रतिवादियों की अवैध कस्टडी में है। गिल्बर्ट ने अपने बेटे को किसी भी तरह के अवैध धर्मांतरण से बचाने के लिए कहा है।

    पृष्ठभूमि

    याचिकाकर्ता अपनी पत्नी और 13 साल के बेटे के साथ मलप्पुरम में 13 साल से किराए के मकान में रह रहा है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जहां वे एकमात्र ईसाई परिवार हैं।

    याचिकाकर्ता की पत्नी के इस्लाम में धर्मांतरित होने के बदले में 25 लाख नकद के साथ एक स्थायी घर की पेशकश करने के लिए पंचायत के कुछ सदस्य अक्सर उनसे संपर्क करते हैं। एसडीपीआई के कुछ अन्य व्यक्तियों ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पेश कर चुके हैं। याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर उक्त प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

    याचिकाकर्ता के अनुसार 8 जून को जब वह काम के लिए बाहर गया तो प्रतिवादियों ने उनकी पत्नी और बेटे का कथित रूप से अपहरण कर लिया, उन्हें उपरोक्त धार्मिक संस्थान में ले गए और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया। तब से वे उसी संस्थान में अवैध कस्टडी में हैं।

    याचिकाकर्ता को उनके लापता होने का पता चलने पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराई गई और पुलिस ने उनका का पता लगा लिया है। उन्हें पहले थाने ले जाया गया और बाद में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसने अपनी पत्नी और बेटे को अवैध हिरासत से तत्काल रिहा करने की मांग करते हुए स्थानीय पुलिस थानों में एक अभ्यावेदन दायर किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है, जिसने उसे इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया।

    याचिकाकर्ता को इस घटना से आतंकवादी संबंधों का संदेह है और इसलिए उसने अपनी पत्नी के इस तरह के जबरदस्ती धर्मांतरण के पीछे की मंशा की जांच करने और यह पता लगाने के लिए दबाव डाला कि क्या यह उसकी स्वतंत्र इच्छा से किया गया है। हालांकि इस संबंध में अभी तक कुछ भी साबित नहीं हो पाया है।

    याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग उसकी पत्नी और बेटे के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उन्हें कथित अवैध हिरासत से मुक्त करने का आदेश दें।

    केस का शीर्षक: गिल्बर्ट पीटी बनाम केरल राज्य और अन्य।

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