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इलाहाबाद हाईकोर्ट के सात अतिरिक्त न्यायाधीशों ने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सात अतिरिक्त न्यायाधीशों ने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

केंद्र सरकार ने 22 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सात अतिरिक्त न्यायाधीशों की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने उन्हें सोमवार को पद की शपथ दिलाई।जस्टिस उमेश चंद्र शर्माजस्टिस रेनू अग्रवालजस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रजस्टिस मयंक कुमार जैनजस्टिस शिव शंकर प्रसादजस्टिस गजेंद्र कुमारजस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तवजस्टिस उमेश चंद्र शर्मा को 25 मार्च, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, जबकि जस्टिस...

बिहार फेडरेशन ऑफ वुमन लॉयर और बिहार स्टेस लीगल सर्विस अथॉरिटी ने कानूनी पेशे में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सहयोग का ऐलान किया
बिहार फेडरेशन ऑफ वुमन लॉयर और बिहार स्टेस लीगल सर्विस अथॉरिटी ने कानूनी पेशे में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सहयोग का ऐलान किया

पटना हाईकोर्ट में कानूनी पेशे में महिलाओं के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प के लिए उल्लेखनीय शुरुआत में बिहार फेडरेशन ऑफ वुमन लॉयर (BFWL) का उद्घाटन 2 सितंबर, 2023 को किया गया। BFWL कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के लिए हासिल की गई प्रगति और आगे की यात्रा का प्रमाण है, खासकर बिहार के क्षेत्र में।महिला वकीलों को सशक्त बनाने और कानूनी क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम में BFWL ने हाल ही में बिहार स्टेस लीगल सर्विस अथॉरिटी (BSLSA) के साथ एक बैठक बुलाई, जिससेउनके सहयोगात्मक...

[हिंदू विवाह अधिनियम] अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे संयुक्त परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकते: तेलंगाना हाईकोर्ट
[हिंदू विवाह अधिनियम] अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे संयुक्त परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकते: तेलंगाना हाईकोर्ट

संपादक का नोट: एक सितंबर को रेवनसिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति में अपने माता-पिता के हिस्से में अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों को मान्यता दी। यह माना गया कि अमान्य/शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं, जो उन्हें हिंदू सहदायिक संपत्ति के एक काल्पनिक विभाजन पर आवंटित किया गया होगा। हालांकि, ऐसे बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य सहदायिक की संपत्ति के हकदार नहीं...

वकील की अवैध फीस कोई कानूनी दावा नहीं: मद्रास हाइकोर्ट ने वकील को भुगतान किए गए चेक के अनादरण के लिए ग्राहक के खिलाफ कार्यवाही रद्द की
वकील की अवैध फीस कोई कानूनी दावा नहीं: मद्रास हाइकोर्ट ने वकील को भुगतान किए गए चेक के अनादरण के लिए ग्राहक के खिलाफ कार्यवाही रद्द की

मद्रास हाईकोर्ट हाल ही में एक ग्राहक की सहायता की, जिस पर एक वकील द्वारा चेक के अनादरण की शिकायत के आधार पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। कोर्ट ने कहा कि शुल्क, जो लीगल प्रैक्टिशनर्स रूल्स के अनुसार अवैध है, यह कोई कानूनी दावा नहीं होगा और इसका भुगतान करने के लिए ग्राहक पर कोई कानूनी दायित्व नहीं डाला जा सकता है। मदुरै पीठ के जस्टिस जी इलंगोवन ने यह देखते हुए मदुरै में फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को रद्द कर दिया कि ग्राहक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना...

सेवा से बर्खास्तगी से पहले कदाचार की गंभीरता, पिछला आचरण और पिछला दंड आवश्यक कारक: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सेवा से बर्खास्तगी से पहले कदाचार की गंभीरता, पिछला आचरण और पिछला दंड आवश्यक कारक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि सेवा से बर्खास्तगी की बड़ी सजा देते समय अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा पिछले रिकॉर्ड के साथ-साथ आसपास के कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।कोर्ट ने कहा,"कदाचार की गंभीरता पिछला आचरण, कर्तव्यों की प्रकृति, संगठन में स्थिति, पिछला जुर्माना, यदि कोई हो और लागू किए जाने वाले अनुशासन की आवश्यकता, प्रतिवादी को सजा देने से पहले अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा विचार करने के लिए प्रासंगिक है।"करीब 10 महीने तक बिना छुट्टी के अनुपस्थित रहने के कारण कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त...

उन्नाव बलात्कार मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के दोषी यूपी के पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत दी
उन्नाव बलात्कार मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के दोषी यूपी के पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत दी

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत दे दी, जिन्हें उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराया गया था।अशोक सिंह भदौरिया और कामता प्रसाद सिंह (अपीलकर्ता) को 04.03.2020 को ट्रायल कोर्ट द्वारा सह-अभियुक्त कुलदीप सिंह सेंगर और 3 अन्य के साथ आपराधिक साजिश और गैर- इरादतन हत्या सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई थी।दोषसिद्धि और सजा आदेश के खिलाफ उनकी अपील अदालत के समक्ष लंबित है।जस्टिस...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एशियन रिसर्फेसिंग में सुप्रीम कोर्ट के स्वत: स्थगन अवकाश निर्देश को जांच, पूछताछ सहित सभी चरणों में लागू किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'एशियन रिसर्फेसिंग' में सुप्रीम कोर्ट के स्वत: स्थगन अवकाश निर्देश को जांच, पूछताछ सहित सभी चरणों में लागू किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्वत: रोक का आदेश कार्यवाही के "चरण" के बावजूद सभी नागरिक और आपराधिक मामलों पर लागू होता है।जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा,"मेरी राय में, हालांकि निर्णय के पैरा-36 में "लंबित परीक्षण" शब्द का उपयोग किया गया है, लेकिन शीर्ष अदालत का इरादा कार्यवाही के "चरण" के बावजूद सभी नागरिक और आपराधिक मामलों में इस तरह के निर्देश को लागू करना था। अदालत का इरादा था कि...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, घोषित अपराधियों पर आईपीसी की धारा 174ए को सीआरपीसी की धारा 195 के तहत शामिल किया गया है, अपनी राय के पक्ष में  भारतीय न्याय संहिता का हवाला दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, घोषित अपराधियों पर आईपीसी की धारा 174ए को सीआरपीसी की धारा 195 के तहत शामिल किया गया है, अपनी राय के पक्ष में "भारतीय न्याय संहिता" का हवाला दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि भले ही धारा 195 सीआरपीसी को अपने दायरे में धारा 174 ए आईपीसी को शामिल करने के लिए संशोधित नहीं किया गया था, जिसे 2005 में निर्दिष्ट स्थान और समय पर घोषित अपराधियों की गैर-उपस्थिति को अपराध बनाने के लिए पेश किया गया था, प्रावधान को धारा 174ए सहित पढ़ा जाना चाहिए।इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी अदालत सीआरपीसी की धारा 195 के तहत लोक सेवक (न्यायाधीश सहित) की लिखित शिकायत को छोड़कर, धारा 174ए आईपीसी के तहत दंडनीय किसी भी अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।न्यायालय ने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपसी तलाक के लिए कूलिंग ऑफ पीयरेड माफ किया कहा, अदालतों को रूढ़िवादी दृष्टिकोण से हटना चाहिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपसी तलाक के लिए कूलिंग ऑफ पीयरेड माफ किया कहा, अदालतों को रूढ़िवादी दृष्टिकोण से हटना चाहिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग आठ साल तक अलग रहने के बाद कूलिंग ऑफ पीयरेड को माफ करने के बजाय पक्षकारों को मध्यस्थता करने का निर्देश देने वाले फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि बदलते समय के साथ न्यायालय को वास्तविकताओं के प्रति सचेत रहना चाहिए और वैवाहिक विवादों में अप्रचलित और रूढ़िवादी दृष्टिकोण से हटना चाहिए। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा,“वर्तमान समय में उत्पन्न होने वाले वैवाहिक विवादों के संदर्भ में अदालतों को जीवन की वास्तविकताओं के...

दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में व्यापक षड्यंत्रों के मामले यूएपीए के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में व्यापक षड्यंत्रों के मामले यूएपीए के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुहैल अहमद ठोकर नामक कश्मीरी नागर‌िक को जमानत देने से इनकार कर दिया। अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में आतंक गतिविधियों में शामिल होने के मामले में सुहैल को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आरोपित किया गया था। इसके खिलाफ उसने ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने दिल्‍ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की, जहां हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका पर ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार...

अदालतों में पेश होने वाले वकीलों की संख्या को सीमित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका
अदालतों में पेश होने वाले वकीलों की संख्या को सीमित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका

मद्रास हाईकोर्ट में एक वकील ने याचिका दायर करइस संबंध में नियम बनाने की मांग की है कि वीआईपी और वीवीआईपी सहित किसी भी वादकारी जब भी अधीनस्थ अदालतों में पेश हों तो अधिकतम संख्या में वकील उनके साथ आ सकें।चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी औडिकेसवालु ने कहा कि हालांकि नियम बनाने के लिए बार काउंसिल की शक्तियों के संबंध में दलीलें दी गईं, लेकिन बार काउंसिल को पक्षकार नहीं बनाया गया। इसके बाद बार काउंसिल को पक्षकार बना दिया गया।अपनी याचिका में वकील एन महेंद्र बाबू ने कहा कि जब वह 14 जुलाई,...

नाबालिग बच्चों की कस्टडी के मामले घर के बड़ों द्वारा नहीं निपटाए जाने चाहिए : तेलंगाना हाईकोर्ट
नाबालिग बच्चों की कस्टडी के मामले घर के बड़ों द्वारा नहीं निपटाए जाने चाहिए : तेलंगाना हाईकोर्ट

तेलंगाना हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बच्चों की कस्टडी के विवादों को घर के बुजुर्गों द्वारा नहीं सुलझाया जा सकता। कोर्ट ने साथ ही दोहराया कि ऐसे मामलों में नाबालिग बच्चों का कल्याण सर्वोपरि है। जस्टिस के. लक्ष्मण और जस्टिस के. सुजाना की खंडपीठ 7 वर्षीय बेटी की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पति ने उनकी बेटी का अवैध रूप से अपहरण कर लिया है और उसे अपनी कस्टडी में रखा है।“बुज़ुर्ग यह तय नहीं कर सकते कि नाबालिग ल‌डका मां के साथ रहे...

यदि अभियोजन मूलभूत तथ्यों की संभावना स्थापित करने में विफल रहता है तो पॉक्सो एक्ट की धारा 29 के तहत आरोपी के अपराध की कोई धारणा नहीं: मद्रास हाईकोर्ट
यदि अभियोजन मूलभूत तथ्यों की संभावना स्थापित करने में विफल रहता है तो पॉक्सो एक्ट की धारा 29 के तहत आरोपी के अपराध की कोई धारणा नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यद्यपि बच्चों से यौन अपराधों की रोकथाम अधिनियम (POCSO) के तहत एक आरोपी के अपराध के संबंध में एक वैधानिक धारणा है, लेकिन यह धारणा तब लागू नहीं होगी जब अभियोजन पक्ष मामले के संबंध में कुछ मूलभूत तथ्यों को साबित करने में विफल रहा हो।कोर्ट ने कहा,“POCSO अधिनियम के तहत एक मामले में, अभियोजन पक्ष को कुछ मूलभूत तथ्यों को, उचित संदेह से परे नहीं, बल्कि संभावना की प्रबलता के आधार पर साबित करना आवश्यक है। यदि अभियोजन पक्ष संभाव्यता की प्रबलता के आधार पर अपराध के मूलभूत...

पासपोर्ट अधिनियम - पुलिस को पुलिस वैरिफिकेशन में एफआईआर की पूरी स्थिति का खुलासा करना होगा : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पासपोर्ट अधिनियम - पुलिस को पुलिस वैरिफिकेशन में एफआईआर की पूरी स्थिति का खुलासा करना होगा : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि पुलिस अधिकारी पासपोर्ट वैरिफिकेशन में अधूरी रिपोर्ट भेज रहे हैं जो पासपोर्ट रिजेक्ट करने का मूल कारण बन रही है, कहा है कि पुलिस अधिकारियों को पासपोर्ट जारी करने के लिए किए गए वैरिफिकेशन रिपोर्ट में एफआईआर की पूरी स्थिति का खुलासा करना चाहिए। जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा कि मोहन लाल उर्फ ​​मोहना बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल द्वारा बुलाई गई बैठक में पुलिस अधिकारी द्वारा दी जाने वाली जानकारी के लिए तैयार किए गए...

मृत स्वतंत्रता सेनानी की तलाकशुदा बेटी को यह कहकर पेंशन न देना कि उसके संपन्न भाई उसकी देखभाल कर सकते हैं, पितृसत्तात्मक हैः केरल हाईकोर्ट
मृत स्वतंत्रता सेनानी की तलाकशुदा बेटी को यह कहकर पेंशन न देना कि उसके संपन्न भाई उसकी देखभाल कर सकते हैं, पितृसत्तात्मक हैः केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि केरल स्वतंत्रता सेनानी सतत पेंशन (केएफएफसीपी) का लाभ किसी मृत स्वतंत्रता सेनानी की तलाकशुदा बेटी को देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता है कि उसके भाई कमा रहे थे और आर्थिक रूप से व्यवस्थित थे।जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि पेंशन की अस्वीकृति के लिए उद्धृत कारण कि याचिकाकर्ता की देखभाल उसके भाई करेंगे, पितृसत्तात्मक धारणाओं पर आधारित है।“मुझे डर है कि विद्वान सरकारी वकील की दलीलों से पुरातन पितृसत्तात्मक धारणाओं की बू आती है। केवल इसलिए कि...

केरल में ओबीसी आरक्षण सूची में संशोधन: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, केरल सरकार और केएससीबीसी को अवमानना ​​नोटिस जारी किया
केरल में ओबीसी आरक्षण सूची में संशोधन: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, केरल सरकार और केएससीबीसी को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को एक अवमानना ​​याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार, केरल राज्य और केरल राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (केएससीबीसी) ने राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण सूची में संशोधन के लिए सामाजिक-आर्थिक अध्ययन करने के निर्देशों का पालन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ अल्पसंख्यक भारतीय योजना और सतर्कता आयोग ट्रस्ट" नामक संगठन द्वारा दायर...

अगर एक दूसरे को स्वीकार्य नहीं है तो फैमिली कोर्ट पक्षकारों को तलाक लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते : दिल्ली हाईकोर्ट
अगर एक दूसरे को स्वीकार्य नहीं है तो फैमिली कोर्ट पक्षकारों को तलाक लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पारिवारिक अदालतें उन पक्षकारों को तलाक लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैं जो एक दूसरे को स्वीकार्य नहीं हैं और उनका दृष्टिकोण सुलहकारी होना चाहिए। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ एक पति की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें पत्नी के खिलाफ एमओयू का पालन नहीं करने पर पति द्वारा दायर उसकी अवमानना ​​याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके तहत वे आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए सहमत हुए थे।2017 में शादी...

चंद्रबाबू नायडू की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, प्राधिकरण द्वारा अपने लाभ के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग आधिकारिक कार्य नहीं
चंद्रबाबू नायडू की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, प्राधिकरण द्वारा "अपने लाभ" के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग आधिकारिक कार्य नहीं

आंध्र प्रदेश हईकोर्ट ने करोड़ों रुपये के स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा दायर एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। जस्टिस के. श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि नायडू पर मुकदमा चलाने के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सार्वजनिक धन का उपयोग "सत्ता के रंग के तहत लेकिन वास्तव में अपने लाभ के लिए" को उनके आधिकारिक कार्यों के निर्वहन में किया गया कार्य नहीं माना जा सकता।नायडू ने दावा...

विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप आपराधिक नहीं, अदालतें वयस्कों पर अपनी नैतिकता की धारणा नहीं थोप सकतीं: दिल्ली हाईकोर्ट
विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप आपराधिक नहीं, अदालतें वयस्कों पर अपनी नैतिकता की धारणा नहीं थोप सकतीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दो सहमति वाले विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप को आपराधिक नहीं बनाया गया है, या इसके खिलाफ कानून नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसे विकल्प अवैध या अपराध नहीं हैं तो अदालतें व्यक्तियों पर नैतिकता की अपनी धारणा नहीं थोप सकती।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा,“उनके अनुसार किसी मामले में आपराधिकता नैतिकता के न्यायाधीश द्वारा मूल्यांकन पर निर्भर नहीं हो सकती है। न्यायाधीशों की निष्पक्षता न्याय की निष्पक्षता की कुंजी है और निर्णय देश के कानून के अनुसार...