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धारा 451 सीआरपीसी| हाथी की अंतरिम कस्‍टडी बेहतर स्वामित्व रखने वाले व्यक्ति को दी जा सकती है, प्रतीकात्मक पेशी पर्याप्त: केरल हाईकोर्ट
धारा 451 सीआरपीसी| हाथी की अंतरिम कस्‍टडी बेहतर स्वामित्व रखने वाले व्यक्ति को दी जा सकती है, प्रतीकात्मक पेशी पर्याप्त: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि जब किसी संपत्ति को सीआरपीसी की धारा 451 के तहत पूछताछ या मुकदमे के दरमियान ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाता है, तो अदालत बेहतर स्‍वामित्व रखने वाले व्यक्ति को संपत्ति की अंतरिम कस्टडी सौंप सकती है।धारा 451 सीआरपीसी आपराधिक अदालत की लंबित मुकदमे की संपत्ति की कस्टडी और निपटान का आदेश देने की शक्ति से संबंधित है और प्रावधान में कहा गया है कि 'अदालत संपत्ति की उचित कस्टडी के लिए जैसा उचित समझे वैसा आदेश दे सकती है'न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट,...

निजता, स्वायत्तता के अधिकार को प्रभावहीन नहीं करता विवाह: पति के आधार की जानकारी मांगने वाली पत्नी की आरटीआई पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा
निजता, स्वायत्तता के अधिकार को प्रभावहीन नहीं करता विवाह: पति के आधार की जानकारी मांगने वाली पत्नी की आरटीआई पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा

कर्नाटक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें यूआईडीएआई को एक आधार कार्ड धारक को सुनवाई का नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था। आधार कार्ड धारक की पत्नी ने आधार की निजी जानकारी, जैसे उसकी नौकरी का पता आदि जानने के लिए एक आरटीआई आवेदन दायर किया था, ताकि भरण-पोषण के आदेश को लागू किया जा सके। एकल पीठ ने सहायक महानिदेशक, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, यूआईडीएआई को सुनवाई/जांच करने और यह तय करने का निर्देश दिया था कि क्या पति के आधार विवरण उसकी पत्नी को बताए जा सकते हैं।यह देखते...

औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत चिकित्सा प्रतिनिधियों को कर्मचारी माना जाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत चिकित्सा प्रतिनिधियों को "कर्मचारी" माना जाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि बिक्री संवर्धन कर्मचारी (सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1976 (एसपीई एक्ट) के अधिनियमन के बाद चिकित्सा प्रतिनिधियों (Medical Representatives) को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत "कर्मचारी" (Workman) माना जाता है। एसजी फार्मास्यूटिकल्स डिवीजन ऑफ अंबाला साराभाई एंटरप्राइजेज लिमिटेड बनाम यूडी पदेमवार में बॉम्बे हाईकोर्ट और एचआर अद्यानथया बनाम सैंडोज (इंडिया) लिमिटेड में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भरोसा करते हुए जस्टिस आलोक माथुर ने कहा कि "छह मई, 1987 के बाद सभी चिकित्सा...

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मां की हत्या और भाई को घायल करने के आरोपी को बरी किया; कहा- आपत्तिजनक परिस्थितियां निर्णायक रूप से साबित नहीं हुईं
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मां की हत्या और भाई को घायल करने के आरोपी को बरी किया; कहा- आपत्तिजनक परिस्थितियां निर्णायक रूप से साबित नहीं हुईं

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी मां की कथित तौर पर हत्या करने और अपने भाई को घायल करने के दोषी एक व्यक्ति की सजा को इस आधार पर रद्द कर दिया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष आपत्तिजनक परिस्थितियों को सभी उचित संदेहों से परे साबित नहीं किया गया था।जस्टिस माइकल ज़ोथनखुमा और जस्टिस मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने कहा कथित रूप से आपत्तिजनक परिस्थितियों के जर‌िए घटनाओं की एक पूरी श्रृंखला नहीं बनाई गई, जिससे यह संकेत मिले कि आरोपी ने अपराध किया था।मामलामामले में बारबरी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी के पास...

लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू विवाद: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का ADGP जेल से सवाल- जांच समिति ने अभी तक रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की
लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू विवाद: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का ADGP जेल से सवाल- जांच समिति ने अभी तक रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के अतिरिक्त जेल जायरेक्टर जनरल (ADGP) को यह बताने के लिए तलब किया कि जेल से लॉरेंस बिश्नोई के मीडिया इंटरव्यू के विवरण की जांच के लिए मार्च, 2023 में गठित समिति ने अभी तक रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की।यह निर्देश तब आया जब अदालत ने पहले पंजाब जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया और टिप्पणी की,"यह गंभीर चिंता का विषय है कि पुलिस या न्यायिक हिरासत में संदिग्ध को लंबे समय इंटरव्यू आयोजित करने की अनुमति दी गई। जिन अधिकारियों ने इंटरव्यू की अनुमति...

POCSO Act | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने केवल 13 वर्षीय पीड़िता की गवाही के आधार पर दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी
POCSO Act | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने केवल 13 वर्षीय पीड़िता की गवाही के आधार पर दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़िता की एकान्त, बेदाग गवाही पर आरोप के सबूत के आधार पर हरियाणा में 13 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने के व्यक्ति की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास सजा बरकरार रखी।जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि पीड़िता की गवाही की विश्वसनीयता खत्म हो गई, क्योंकि उसकी मां अपने पहले दिए गए बयान से भटक गई।खंडपीठ ने कहा,"दोषी अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप अच्छी तरह से स्थापित हैं या नहीं, यह समझने के लिए मुख्य सिद्धांत पीड़ित की...

मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जिला कलेक्टरों को ईडी के समन पर रोक लगाई
मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जिला कलेक्टरों को ईडी के समन पर रोक लगाई

मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जिला कलेक्टरों को जारी किए गए समन की कार्रवाई पर रोक लगा दी।जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कथित रेत खनन धन शोधन मामले में तमिलनाडु में जिला कलेक्टरों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी किए गए समन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच में अंतरिम आदेश पारित किए। कोर्ट ने मामले में जवाब देने के लिए निदेशालय को तीन हफ्ते का समय दिया है।तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील दवे ने तर्क दिया कि...

Income Tax Act की धारा 148ए(बी) के तहत जारी नोटिस विशेष रूप से निर्धारिती को नहीं दिया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आयकर विभाग पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
Income Tax Act की धारा 148ए(बी) के तहत जारी नोटिस विशेष रूप से निर्धारिती को नहीं दिया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आयकर विभाग पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आयकर विभाग पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 148ए (डी) के तहत आदेश और आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस रद्द किया।जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की खंडपीठ ने पाया कि Income Tax Act की धारा 148ए(बी) के तहत 19 मार्च, 2022 को दिए गए नोटिस की विशेष रूप से तामील नहीं की गई और Income Tax Act की धारा 148ए(डी) के तहत आदेश दिया गया। इसके बाद बिना अवसर दिए 4 अप्रैल 2022 को अधिनियम पारित किया जाना प्राकृतिक न्याय...

ट्रांसफर ऑर्डर, कलंक और पूर्वाग्रह को रोकने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत महत्वपूर्ण: केरल हाईकोर्ट
ट्रांसफर ऑर्डर, कलंक और पूर्वाग्रह को रोकने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत महत्वपूर्ण: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में एकल न्यायाधीश का आदेश बरकरार रखा, जिसके तहत कॉर्पोरेट प्रबंधकों के अधीन काम करने वाले टीचर का ट्रांसफर ऑर्डर रद्द कर दिया गया था।जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि ट्रांसफर ऑर्डर केरल शिक्षा नियम (KER) के नियम 10(4) के अनुसार जारी किया गया था, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राकृतिक सिद्धांत पक्षपात को रोकने के लिए जांच शुरू करके और टीचर को सुनवाई का अवसर देकर न्याय किया गया।गौरतलब है कि ट्रांसफर ऑर्डर...

भुला दिए जाने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फैसले में पहचान छुपाने की याचिका पर हाईकोर्ट रजिस्ट्री, Google और इंडियन कानून से जवाब मांगा
भुला दिए जाने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फैसले में पहचान छुपाने की याचिका पर हाईकोर्ट रजिस्ट्री, Google और इंडियन कानून से जवाब मांगा

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को उन याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर विचार किया, जिन्हें आपराधिक मामले में पहले और दूसरे आरोपी के रूप में पेश किया गया, जिसे बाद में पक्षकारों के बीच सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया।याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वर्ष 2012 में अदालत के फैसले के जरिए एफआईआर रद्द कर दी गई। उनका आरोप है कि अदालत का फैसला उनके नाम के साथ हाईकोर्ट की वेबसाइट के साथ-साथ इंडियन कानून जैसी वेबसाइटों पर भी उपलब्ध है, जो उनके निजता और सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन है।जस्टिस देवन...

सरकारी कार्यालयों में ज़मीनी स्तर तक फैला भ्रष्टाचार चुपचाप लोकतंत्र के स्तंभों को निगलने वाला दीमक है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
सरकारी कार्यालयों में ज़मीनी स्तर तक फैला भ्रष्टाचार चुपचाप लोकतंत्र के स्तंभों को निगलने वाला दीमक है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि "सरकारी कार्यालयों के भीतर जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार लोकतंत्र के स्तंभों को खामोशी के साथ निगलने वाले दीमक के समान है।" इसके साथ ही कोर्ट ने पटवारी की दूसरी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर म्यूटेशन की प्रक्रिया के लिए रिश्वत मांगने का आरोप है।जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा,"यह उन संस्थानों में हमारे नागरिकों के विश्वास को कुठाराघात करता है, जो उनकी सेवा के लिए बने हैं। न्याय की पवित्रता बनाए...

केरल हाईकोर्ट में याचिका, हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में पिछड़े समुदाय के समान प्रतिनिधित्व की मांग
केरल हाईकोर्ट में याचिका, हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में पिछड़े समुदाय के समान प्रतिनिधित्व की मांग

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से सेवानिवृत्त एक वैज्ञानिक ने केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लैटिन कैथोलिक आदि जैसे पिछड़े वर्गों के समान प्रतिनिधित्व की मांग की गई है।डॉ एमके मुकुंदन, जो खुद एक पिछड़े समुदाय से हैं, ने आरोप लगाया कि केरल हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में संविधान के अनुच्छेद 38, 46 और 335 में परिकल्पित सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के 34 जजों...

पीसी एक्ट | तीसरे पक्ष की कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही नहीं, नियोक्ता ऐसे आधार पर पेंशन नहीं रोक सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
पीसी एक्ट | तीसरे पक्ष की कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही नहीं, नियोक्ता ऐसे आधार पर पेंशन नहीं रोक सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ तीसरे पक्ष द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को न्यायिक कार्यवाही की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है, जिससे नियोक्ता को सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन रोकने की अनुमति मिल जाती है। जस्टिस एस सुनील दत्त यादव और जस्टिस विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश के खिलाफ कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें केपीटीसीएल कर्मचारी की सभी सेवानिवृत्ति लाभों के वितरण...

ब्लैकलिस्टिंग | कानून का शासन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ब्लैकलिस्टिंग | कानून का शासन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ पारित ब्‍लैकलिस्टिंग ऑर्डर और माइन‌िंग लीज़ को रद्द करने के आदेश को रद्द करते हुए हाल ही में कहा कि एक सभ्य समाज में, कानून का शासन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता को आक्षेपित आदेश पारित करने से पहले नहीं सुना गया था, अदालत ने उसे पट्टे पर दी गई भूमि पर काम करने की अनुमति देने के निर्देश पारित किए।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस शेखर बी सराफ की खंडपीठ ने कहा कि,"यह कुछ लोगों को लग सकता...

खनन पट्टा | परिणामी आदेश कारण बताओ नोटिस के दायरे से बाहर नहीं जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
खनन पट्टा | परिणामी आदेश कारण बताओ नोटिस के दायरे से बाहर नहीं जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि कारण बताओ नोटिस के परिणामस्वरूप पारित कोई भी आदेश कारण बताओ नोटिस में कथित आरोपों से आगे नहीं बढ़ सकता है। कोर्ट ने कहा कि कारण बताओ नोटिस में किसी व्यक्ति के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए।अवैध खनन से संबंधित विवाद से निपटते समय, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस शेखर बी सराफ की पीठ ने कहा कि प्राधिकारी को कारण बताओ नोटिस के दायरे से बाहर जाने की अनुमति नहीं देने का कारण यह है कि "याचिकाकर्ता को उक्त कारण बताओ नोटिस के संबंध में अपना मामला...

तलाक कानून | पति या पत्नी के अवैध संबंधों के आरोपों को याचिका में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
तलाक कानून | पति या पत्नी के अवैध संबंधों के आरोपों को याचिका में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि जीवनसाथी के अवैध संबंधों के आरोपों को अदालत की कल्पना पर नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसे आरोप स्पष्ट होने चा‌हिए। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13ए के तहत न्यायिक अलगाव की डिक्री देते हुए, न्यायालय ने कहा, “अवैध संबंध के अस्तित्व का अनुमान लगाने के लिए अदालत की कल्पना पर यह नहीं छोड़ा जाना चाहिए कि पक्ष आरोप के माध्यम से क्या कहना चाहते होंगे....अवैध संबंध होने का आरोप स्पष्ट होना चाहिए।”जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ...

भूमि पर अनाधिकृत कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति कानून के अनुसार बेदखल होने पर अनुच्छेद 19, 21 के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता: मद्रास हाईकोर्ट
भूमि पर अनाधिकृत कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति कानून के अनुसार बेदखल होने पर अनुच्छेद 19, 21 के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु भूमि अतिक्रमण के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि भूमि पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने वाला व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता है, जब बेदखली की कार्यवाही कानून के अनुसार हो। कोर्ट ने कहा,“वैसे भी, अनधिकृत कब्जे वाला कोई व्यक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के संरक्षण का दावा नहीं कर सकता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, किसी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत...

यूपी राजस्व संहिता 2006 | अतिक्रमणकारी सार्वजनिक उपयोग की भूमि को अपनी भूमि से बदल नहीं सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यूपी राजस्व संहिता 2006 | अतिक्रमणकारी सार्वजनिक उपयोग की भूमि को अपनी भूमि से बदल नहीं सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि सार्वजनिक उपयोग के लिए दर्ज भूमि को अतिक्रमणकर्ता अपनी भूमि में नहीं बदला सकता है।जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने कहा कि तालाब का जीर्णोद्धार करना और उसका रखरखाव करना ग्रामीणों के लिए और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए फायदेमंद है। कोर्ट ने कहा कि यूपी राजस्व संहिता की धारा 101 (विनिमय) के तहत एक भूमिदार किसी अन्य भूमिदार द्वारा रखी गई भूमि का आदान-प्रदान कर सकता है या धारा 59 के तहत किसी ग्राम पंचायत या स्थानीय प्राधिकारी को सौंपी या सौंपी हुई मानी गई भूमि का...

AIIMS, DU और GGSIPU में नर्सिंग कोर्स केवल महिलाओं तक सीमित करने वाले नियम के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका
AIIMS, DU और GGSIPU में नर्सिंग कोर्स केवल महिलाओं तक सीमित करने वाले नियम के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट में उस नियम को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि केवल महिला उम्मीदवार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी (GGSIPU) द्वारा संचालित नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग कोर्स के लिए पात्र हैं।यह याचिका इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन द्वारा दायर की गई है, जो देश भर में नर्सों के कल्याण के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी रजिस्टर्ड संस्था है।याचिका में नया नियम लाने पर विचार करने का...

यदि मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट पर्याप्त रूप से जन्मतिथि साबित करता है तो डीएनए टेस्ट का आदेश नहीं दिया जाएगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यदि मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट पर्याप्त रूप से जन्मतिथि साबित करता है तो डीएनए टेस्ट का आदेश नहीं दिया जाएगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी स्कूल द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट को जन्मतिथि निर्धारित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रमाण माना जाता है। कोर्ट ने कहा कि जहां ऐसा सर्टिफिकेट गलत साबित नहीं हुआ, वहां डीएनए टेस्ट जरूरी नहीं।जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने अपर्णा अजिंक्य फिरोदिया बनाम अजिंक्य अरुण फिरोदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा,“जैसा कि अपर्णा अजिंक्य फ़िरोदिया (सुप्रा) में कहा गया कि डीएनए टेस्ट कराने का आदेश नियमित तरीके से पारित नहीं किया जा सकता है और इसे...