मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जिला कलेक्टरों को ईडी के समन पर रोक लगाई
Shahadat
28 Nov 2023 1:37 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जिला कलेक्टरों को जारी किए गए समन की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कथित रेत खनन धन शोधन मामले में तमिलनाडु में जिला कलेक्टरों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी किए गए समन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच में अंतरिम आदेश पारित किए। कोर्ट ने मामले में जवाब देने के लिए निदेशालय को तीन हफ्ते का समय दिया है।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील दवे ने तर्क दिया कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम अपने आप में कोड है और केंद्रीय प्राधिकरण के पास अधिनियम के तहत कोई जांच शक्ति नहीं है। दवे ने यह भी कहा कि एमएमडीआर एक्ट के तहत अपराध धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराध नहीं है और उस संबंध में भी ईडी के पास कोई शक्तियां नहीं है।
दवे ने यह भी बताया कि ईडी की शक्तियां बेलगाम नहीं हैं और समन जारी करने की शक्ति पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराधों तक ही सीमित है। वर्तमान मामले में इस बात पर जोर देते हुए कि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है, दवे ने कहा कि ईडी ने अपनी शक्तियों के बाहर काम किया है, जिसके लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। दवे ने यह भी कहा कि यदि एजेंसी को अधिकारियों की सहायता की आवश्यकता है तो उन्हें अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए था न कि समन जारी करना चाहिए।
दूसरी ओर, ईडी की ओर से पेश एएसजी एआरएल सुंदरेसन ने कहा कि अधिकारियों को केवल ईडी की सहायता के लिए बुलाया जा रहा है और निदेशालय द्वारा कोई मछली पकड़ने या घूमने की जांच नहीं की जा रही है।
याचिकाओं की सुनवाई योग्यता को चुनौती देते हुए सुंदरेसन ने तर्क दिया कि मामले में कोई भी याचिकाकर्ता आरोपी नहीं है। इस प्रकार, जांच को रोकने के लिए वर्तमान याचिका को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सुंदरेसन ने यह भी कहा कि तमिलनाडु राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जो आईपीसी की धारा 417,418,419,420,471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध है क्योंकि इसमें अधिकारी भी शामिल है। सुंदरेसन ने प्रस्तुत किया, ये अनुसूचित अपराध हैं, जो ईडी को इस मुद्दे की जांच करने का अधिकार क्षेत्र देते हैं।
सुंदरेसन ने यह भी तर्क दिया कि राज्य और उसके अधिकारी संभावित अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे। यह भी प्रस्तुत किया गया कि अधिनियम की धारा 50 के अनुसार, निदेशालय के अधिकारी को किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, चाहे वह निजी व्यक्ति हो या अधिकारी धारक। ईडी के अनुसार, यदि सैट की दलील को स्वीकार कर लिया जाए तो इससे आपराधिक प्रावधानों और नागरिक कानून को लागू करने से संबंधित सभी कार्य बेकार हो जाएंगे।
राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल आर शुनमुगसुंदरम, एडिशनल एडवोकेट जनरल अमित आनंद तिवारी भी उपस्थित हुए। ईडी के विशेष अभियोजक एन रमेश ईडी की ओर से पेश हुए।
केस टाइटल: तमिलनाडु राज्य बनाम प्रवर्तन निदेशालय
केस नं.: W.P नंबर 33459 से 33468/2023