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हेट स्पीच के खिलाफ आपराधिक कानून चुनिंदा तरीके से लागू होता है; लोग दीवानी के तरीकों का उपयोग करें: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आरएफ नरीमन ने कहा
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने शुक्रवार को कहा कि दीवानी अदालतों को हेट स्पीच के खिलाफ याचिकाएं सुननी चाहिए और न केवल दोषियों के खिलाफ निषेधाज्ञा और घोषणाएं जारी करनी चाहिए, बल्कि दंडात्मक हर्जाना भी देना चाहिए।उन्होंने कहा,"हम जानते हैं कि आपराधिक कानून चुनिंदा रूप से लागू किया जाता है। लेकिन मैं एक उपाय सुझाने जा रहा हूं। उपाय यह है। दीवानी न्यायालयों को किसी भी नागरिक द्वारा हेट स्पीच के खिलाफ दायर एक मुकदमा लेना चाहिए। हेट स्पीच सद्भाव को बाधित करती है। जिस क्षण एक नागरिक हेट...
आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला : झारखंड हाईकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ केस खारिज किया
झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।यह मामला 06 मई, 2019 को रांची में मतदान के दिन का है, जब सीएम सोरेन अपनी पत्नी के साथ वोट डालने के लिए एक मतदान केंद्र पर गए थे, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर झामुमो के साथ स्कार्फ / पट्टा पहना था और उसी पर पार्टी का चिन्ह बना हुआ था। इसके तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने संबंधित थाना प्रभारी को आईपीसी की धारा 188 और...
संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल ने सीएए, यूएपीए का बचाव किया; कहा-मानवाधिकार समर्थकों को देश के कानून का पालन करना चाहिए
गुरुवार को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद (HRC) में आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवाधिकार समर्थकों, नागरिक समाज के सदस्यों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की भूमिका की सराहना की, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके कार्रवाई देश के कानून के अनुरूप होनी चाहिए।"भारत ने हमेशा मानवाधिकार समर्थकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उत्पीड़न, डराने-धमकाने, बदनाम करने वाले अभियानों और हिंसक हमलों की निंदा की है, साथ ही...
सीआरपीसी की धारा 409 के तहत मामले को वापस लेने की सत्र न्यायाधीश की शक्ति का प्रयोग एएसजे के समक्ष एक बार ट्रायल शुरू होने के बाद नहीं किया जा सकता है: जेएंडकेएंड एल हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी जिले के प्रधान सत्र न्यायाधीश के पास एक ऐसे मामले को वापस लेने/बुलाने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष ट्रायल/ सुनवाई शुरू हो गई है, जैसा कि धारा 409 (2) सीआरपीसी में प्रदान किया गया है।जस्टिस एमए चौधरी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके माध्यम से याचिकाकर्ता ने दो मामलों को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत से श्रीनगर में सक्षम क्षेत्राधिकार के किसी अन्य न्यायालय...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने COVID-19 कर्तव्यों का पालन करते हुए मरने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के परिजनों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में राज्य को COVID-19 ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मृत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बेटी को मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण योजना योजना के तहत 50 लाख रुपये के बीमा धन का भुगतान करने का निर्देश दिया।मामले के तथ्य यह थे कि याचिकाकर्ता की मां COVID-19 की पहली लहर के दौरान अपने गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सेवा दे रही थी। अपने कर्तव्यों के एक भाग के रूप में वह लोगों को पौष्टिक भोजन वितरित करने के रास्ते में थी जब वह एक पत्थर से टकरा गई और घायल...
सीलबंद कवर प्रक्रिया एक खतरनाक मिसाल कायम करती है; न्याय वितरण प्रणाली के कार्य को प्रभावित करती है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सील्ड कवर प्रक्रिया एक 'खतरनाक मिसाल' स्थापित करती है, यह 'निर्णय की प्रक्रिया अस्पष्ट और अपारदर्शी' बनाती है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने 20 अक्टूबर 2022 को दिए एक फैसले में कहा कि यह प्रक्रिया न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज को प्रभावित करती है और प्राकृतिक न्याय के गंभीर उल्लंघन का कारण बनती है।असाधारण परिस्थितियों में संवेदनशील जानकारी के गैर-प्रकटीकरण का उपाय उस उद्देश्य के अनुपात में होना चाहिए, जो गैर-प्रकटीकरण की पूर्ति करना चाहता है, बेंच...
भारत में योग्य डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने नियमों का उल्लंघन करने के लिए एनएमसी को फटकार लगाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में योग्य डॉक्टरों की बढ़ती आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि योग्य मेडिकल कॉलेजों को मेडिकल पेशेवरों की ताकत बढ़ाने में योगदान देने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि मेडिकल बुनियादी ढांचे में वृद्धि महत्वपूर्ण है, इसलिए राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) जैसे नियामक निकायों की भूमिका "निस्संदेह महत्वपूर्ण है।"अदालत ने कहा,"यह सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण प्रक्रिया का वास्तव में कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में...
धारा 36A(4) एनडीपीएस एक्ट | वैधानिक अवधि से परे अभियुक्तों को हिरासत में लेने के कारणों के अलावा अभियोजक की रिपोर्ट में जांच की प्रगति का खुलासा होना चाहिए: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 की धारा 36-ए (4) के अनुसार जांच की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 180 दिनों की वैधानिक अवधि का विस्तार करने के लिए लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में आरोपी व्यक्ति को हिरासत में लेने के कारणों के अलावा जांच की प्रगति का खुलासा होना चाहिए।जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा,"... लोक अभियोजक द्वारा अपनी रिपोर्ट में जांच अधिकारी के आवेदन या अनुरोध का पुन: उत्पादन भर , वह भी विवेक के आवेदन के प्रदर्शन के बिना और अपनी...
केरल सर्विस रूल्स | सरकार पीएचडी करने के लिए नियम 91A के तहत कर्मचारियों की छुट्टी के आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज नहीं कर सकती: हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने केरल सेवा नियमों के भाग I के नियम 91A के तहत अपने कर्मचारियों को पीएचडी करने के लिए छुट्टी नहीं देने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए सोमवार को कहा कि राज्य डॉक्टरेट या पोस्टडॉक्टरल रिसर्च के लिए छुट्टी के आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज नहीं कर सकता।जस्टिस देवन रामचंद्रन ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि पीएचडी उम्मीदवारों को नियम 91ए के तहत छुट्टी नहीं देने का सामान्य निर्णय लिया गया।उच्च शिक्षा विभाग के सचिव और अन्य बनाम वी.आर.राजलक्ष्मी और अन्य का जिक्र करते हुए अदालत...
हाईकोर्ट खुद माफी की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक पुनर्विचार की शक्ति का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट खुद माफी की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता।मौजूदा मामले में हत्या के एक मामले में दोषी को 12 साल और 9 महीने की वास्तविक सजा और जब उसने समय से पहले रिहाई की मांग की तो माफी के साथ 14 साल और 6 महीने की सजा मिली थी।अधिकारियों ने इस मुद्दे को लंबित रखा, जिसके बाद उन्होंने एक रिट याचिका दायर करके पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने माफी के अनुरोध को खुद इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि यह नीतियों द्वारा...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अस्पताल को 13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के 25 सप्ताह के गर्भ को मेडिकल रूप से समाप्त करने पर विचार करने का निर्देश दिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को बेंगलुरु के अस्पताल को 13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की जांच करने और 25 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने पर विचार करने का निर्देश दिया।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि अस्पताल राज्य की कीमत पर अपने अस्पताल में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रुल्स, 1971 के तहत प्रक्रिया को तुरंत पूरा करेगा। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ऐसी प्रक्रिया के लिए किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।कोर्ट ने कहा,"प्रक्रिया डॉक्टर की आगे की परीक्षा के अधीन है, जिसे...
आसिया अंद्राबी के 2004 में घोषित आतंकवादी संगठन दुख्तारन-ए-मिल्लत ने यूएपीए प्रतिबंध को चुनौती दी
अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के नेतृत्व वाले दुख्तारन-ए-मिल्लत (डीईएम) ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने वाली अधिसूचना को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।यूएपीए की धारा 3 के तहत 30 दिसंबर, 2004 को केंद्र द्वारा कश्मीर स्थित सभी महिला संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 2018 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार अंद्राबी अभी भी न्यायिक हिरासत में है।अदालत के समक्ष याचिका में डीईएम ने यूएपीए अधिसूचना की प्रति की आपूर्ति और अधिनियम की...
एसएलपी में कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ 'अपमानजनक' कथन: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसके एओआर को अवमानना नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ किए गए 'अपमानजनक' कथनों के लिए वादी और उसके ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट (एओआर) को अवमानना नोटिस जारी किया।वकील मोहन चंद्र पी. ने कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर करके कर्नाटक राज्य द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन को चुनौती दी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रिट याचिका खारिज कर दी। रिट अपील खारिज करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि उसने अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए अदालत के समक्ष...
"विचाराधीन कैदियों का मुद्दा लोकतंत्र के समक्ष हठपूर्वक खड़ा है ": राजस्थान हाईकोर्ट ने 6 साल से जेल में बंद एनडीपीएस आरोपी को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों, कानूनी और कार्यकारी सुधारों के बावजूद अंडर-ट्रायल्स की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, हाल ही में एनडीपीएस मामले के एक अभियुक्त को अंडर-ट्रायल के रूप में 6 साल से अधिक कैद के मद्देनजर जमानत दे दी।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने कहा,"अदालत इस बात से चिंतित है कि जेलें विचाराधीन कैदियों को कमजोर कर देती हैं और यदि लंबे इंतजार के बाद आरोपी को अंततः बरी कर दिया जाता है तो हिरासत में बिताए गए लंबे वर्षों को उसे कैसे वापस किया जाएगा......
किसी स्पष्ट और पेटेंट त्रुटि के अभाव और क्या ये अलग करने योग्य है पर निष्कर्ष के बिना अदालत अवार्ड को आंशिक रूप से रद्द नहीं कर सकती : उत्तराखंड हाईकोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि मध्यस्थ अवार्ड में किसी स्पष्ट और पेटेंट त्रुटि के अभाव में, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) की धारा 34 के तहत अदालत आंशिक रूप से इसे बरकरार रखते हुए और इसके द्वारा दावेदार के शेष दावों को अस्वीकार करके अवार्ड में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने इस बारे में कोई निष्कर्ष नहीं दिया था कि क्या उसके द्वारा रद्द किए गए दावों को पेटेंट अवैधता से समाप्त किया गया था...
क्या आईबीसी के तहत मोहलत ईडी के पीएमएलए के तहत संपत्ति की कुर्की के अधिकार को छीन लेती है? दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, नहीं
यह कहते हुए कि संपत्ति, जो एक अनुसूचित अपराध के गठन द्वारा प्राप्त की जा सकती है, को पीएमएलए की कठोरता से छूट या प्रतिरक्षा नहीं दी जा सकती है, दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि धन शोधन अधिनियम के प्रावधान दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2006 की धारा 14 में शामिल मोहलत प्रावधान के अधीन नहीं हैं।अदालत ने कहा, "इस तरह के एक विवाद की स्वीकृति न केवल विधायी नीति के विपरीत होगी बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से निपटने के लिए विधायिका के प्रयासों को भी कमजोर करेगी। वास्तव में यदि धारा 14 की...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति मामले में शिकायतकर्ता के निजी वकील को लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले में शिकायतकर्ता के निजी वकील को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने के उपायुक्त के फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोपित एक आरोपी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है।जस्टिस के.नटराजन ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के नियम उपायुक्त को नियम 4 के खंड (5) के तहत पीड़िता की ओर से एक प्रतिष्ठित वकील नियुक्त करने का अधिकार देते हैं।"इसलिए, यह गलत नहीं समझा जा सकता है कि पीड़ित के अनुरोध पर एक वकील की नियुक्ति एससी / एसटी...
एमएस धोनी की अवमानना याचिका: मद्रास हाईकोर्ट ने आईपीएस अधिकारी संपत कुमार को 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया
मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी जी संपत कुमार को क्रिकेटर एमएस धोनी (MS Dhoni) की तरफ से दायर अवमानना याचिका में 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आरएमटी टीका रमन की पीठ ने आज मामले की सुनवाई के दौरान वैधानिक नोटिस का आदेश दिया।धोनी ने 2013 के आईपीएल घोटाले के संबंध में उच्चतम न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की...
हवाई अड्डे पर विदेशी करेंसी के साथ पकड़ा गया पुलिसकर्मी: दिल्ली हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को बरकरार रखा, कानून तोड़ने वालों को नहीं बख्शा जाना चाहिए
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक पुलिस हेड कांस्टेबल की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है, जिसे 1996 में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों के पासपोर्ट की जांच के दौरान 75 दिरहम के साथ पकड़ा गया था।कोर्ट ने कहा कि कानून तोड़ने वालों को नहीं बख्शा जाना चाहिए।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने इसे "ओपन और शट केस" बताते हुए कहा कि गवाहों के बयान के साथ औचक जांच के समय हेड कांस्टेबल की जेब में विदेशी करेंसी का होना स्पष्ट रूप से उसके द्वारा किए गए...
एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायतकर्ता को कंपनी के निदेशकों की सटीक भूमिका का पता नहीं हो सकता है, परोक्षा देयता के बारे में बुनियादी जानकारी पर्याप्त: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत एक कंपनी के निदेशकों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में, शिकायतकर्ता से केवल यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी परोक्ष देयता के बारे में आवश्यक बयान दे और उसके बाद निदेशकों पर यह साबित करने का भार होता है कि वे दोषी ठहराए जाने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा,"शिकायतकर्ता को केवल आम तौर पर यह जानना चाहिए कि कंपनी के मामलों के प्रभारी कौन थे ... शिकायतकर्ता से केवल यह अपेक्षा...