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तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने गो टू कश्मीर वाले टिप्पणी पर डीएमके के निलंबित प्रवक्ता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत की
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने 'गो टू कश्मीर' वाले टिप्पणी पर डीएमके के निलंबित प्रवक्ता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत की

तमिलनाडु के राज्यपाल डॉ. आरएन रवि ने उन पर अपमानजनक टिप्पणी मामले में निलंबित डीएमके सदस्य शिवाजी कृष्णमूर्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए चेन्नई के प्रधान जिला और सत्र न्यायालय का रुख किया है।13 जनवरी को दिए गए एक भाषण में, कृष्णमूर्ति ने टिप्पणी की थी कि अगर राज्यपाल तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए भाषण को नहीं पढ़ सकते हैं, तो वे कश्मीर जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वो फिर आतंकवादियों को भेजेंगे ताकि वे राज्यपाल को गोली मार सकें।कृष्णमूर्ति ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने भले ही संविधान के...

सुनवाई का अवसर दिए बिना जांच अधिकारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने की ‌थी प्रतिकूल टिप्पणी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हटाया
सुनवाई का अवसर दिए बिना जांच अधिकारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने की ‌थी 'प्रतिकूल' टिप्पणी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हटाया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में सुनवाई का अवसर दिए बिना जांच में विसंगति पर एक जांच अधिकारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई 'प्रतिकूल' टिप्पणी को खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप, उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी।जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की पीठ ने जोर देकर कहा कि एक जज का कर्तव्य है कि वह अनुचित और अयोग्य टिप्पणी न करे, विशेष रूप से गवाहों या पक्षकारों के मामले में, जो उनके चरित्र और प्रतिष्ठा को प्रभावित नहीं कर रहे हैं, जब तक कि यह मामले के न्यायसंगत और उचित...

जांच अधिकारी के स्वयं कानूनी विशेषज्ञ होने पर विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे कर्मचारी को अपने बचाव के लिए वकील नियुक्त करने की अनुमति है: गुजरात हाईकोर्ट
जांच अधिकारी के स्वयं कानूनी विशेषज्ञ होने पर विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे कर्मचारी को अपने बचाव के लिए वकील नियुक्त करने की अनुमति है: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट विभागीय कार्यवाही के संदर्भ में माना कि जांच अधिकारी के स्वयं कानूनी विशेषज्ञ होने पर आरोपी कर्मचारी अपने बचाव के लिए वकील नियुक्त करने का हकदार है।जस्टिस ए.एस. सुपेहिया ने ऐसे ही कर्मचारी द्वारा की गई याचिका स्वीकार करते हुए कहा,"वर्तमान मामले में चूंकि जांच अधिकारी खुद सिटी सिविल जज हैं और कानूनी कार्यवाही के विशेषज्ञ हैं, इसलिए याचिकाकर्ता के मामले में बचाव करने के लिए वकील नियुक्त करने से इनकार नहीं किया जा सकता... सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ शुरू...

यदि जांच अधिकारी कानूनी विशेषज्ञ है तो विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे कर्मचारी को अपने बचाव के लिए एडवोकेट नियुक्त करने की अनुमति हैः गुजरात हाईकोर्ट
यदि जांच अधिकारी कानूनी विशेषज्ञ है तो विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे कर्मचारी को अपने बचाव के लिए एडवोकेट नियुक्त करने की अनुमति हैः गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने माना कि विभागीय कार्यवाही के संदर्भ में दोषी कर्मचारी अपने बचाव के लिए एक वकील नियुक्त करने का हकदार है, जहां जांच अधिकारी स्वयं एक कानूनी विशेषज्ञ है।ऐसे ही एक कर्मचारी की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए ज‌स्टिस एएस सुपेहिया ने कहा, "मौजूदा मामले में चूंकि जांच अधिकारी खुद सिटी सिविल जज हैं और कानूनी कार्यवाही के विशेषज्ञ हैं, इसलिए याचिकाकर्ता के मामले के बचाव के लिए एक लीगल प्रोफेशनल की सहायता से इनकार नहीं किया जा सकता... सुप्रीम कोर्ट मानता है कि यदि किसी...

पीड़ित के मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत सुनवाई के दौरान पॉक्सो पीड़ितों की उपस्थिति पर दिशानिर्देश जारी किए
'पीड़ित के मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है': दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत सुनवाई के दौरान पॉक्सो पीड़ितों की उपस्थिति पर दिशानिर्देश जारी किए

दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत की सुनवाई के दौरान पॉक्सो पीड़ितों की उपस्थिति के संबंध में कई निर्देश जारी किए। कोर्ट ने उक्त निर्देश यह देखते हुए जारी किए कि इसका पीड़ित के मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।जस्टिस जसमीत सिंह ने निर्देश दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) की सहायता से पीड़ित को वस्तुतः अदालत के समक्ष या तो आईओ या सहायक व्यक्ति द्वारा पेश किया जा सकता है।यह देखते हुए कि पीड़िता और अभियुक्त इस तरीके से आमने-सामने नहीं आएंगे और यह "पीड़ित के...

‘COVID-19 की वजह से भारत में फंसा ब्रिटेन के नागरिक को ओवरस्टे के लिए जुर्माने के भुगतान के बिना वापस अपने देश जाने की अनुमति दी जाए’: मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिए
‘COVID-19 की वजह से भारत में फंसा ब्रिटेन के नागरिक को ओवरस्टे के लिए जुर्माने के भुगतान के बिना वापस अपने देश जाने की अनुमति दी जाए’: मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिए

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने केंद्र को निर्देश दिया है कि COVID-19 महामारी की वजह से भारत में फंसा ब्रिटेन के नागरिक को ओवरस्टे के लिए दंड के भुगतान के बिना वापस अपने देश जाने की अनुमति दी जाए।अदालत ने एक दलील पर ध्यान दिया कि गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जो विदेशी नागरिक COVID-19 महामारी के कारण भारत में फंसे हुए हैं, वे बाहर निकलने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो बिना किसी ओवरस्टे के दंड के वापस अपने देश जा सकते हैं।जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ब्रिटेन...

फीस न भर पाने की वजह से छात्र को बोर्ड परीक्षा देने से रोकना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: दिल्ली हाईकोर्ट
फीस न भर पाने की वजह से छात्र को बोर्ड परीक्षा देने से रोकना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि फीस न भर पाने की वजह से एक छात्र को बोर्ड परीक्षा देने से रोकना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन होगा।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि एक बच्चे के भविष्य को परीक्षा देने से रोक कर खराब नहीं होने दिया जा सकता है, खासकर दसवीं और बारहवीं की महत्वपूर्ण परीक्षाओं में।कोर्ट ने कहा,"इस प्रकार, एक बच्चे को फीस का भुगतान न करने के आधार पर शैक्षणिक सत्र के बीच में कक्षाओं में बैठने से और परीक्षा देने से नहीं रोका जा...

हत्या करने का कोई इरादा नहींः मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी को आग लगाने वाली महिला की उम्रकैद की सजा कम की
हत्या करने का कोई इरादा नहींः मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी को आग लगाने वाली महिला की उम्रकैद की सजा कम की

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी नाबालिग बेटी को आग लगाने और इस तरह उसकी मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाली एक मां को राहत देते हुए उसकी सजा को रद्द कर दिया है।जस्टिस पीएन प्रकाश (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस जी जयचंद्रन ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत लगाए गए आरोपों को धारा 304 के तहत बदलते हुए कहा कि प्राथमिक प्रश्न यह था कि क्या अपीलकर्ता मां का अपनी बेटी की हत्या करने का इरादा किया था?मृतक मारीसेल्वी 13 साल की थी और उसे आगे की पढ़ाई के लिए कोविलपट्टी के सरकारी सहायता...

पत्रकारों को जांच एजेंसियों को अपने सोर्स का खुलासा करने से छूट नहीं: दिल्ली कोर्ट
पत्रकारों को जांच एजेंसियों को अपने सोर्स का खुलासा करने से छूट नहीं: दिल्ली कोर्ट

दिल्ली की एक अदालत ने पाया कि पत्रकारों को जांच एजेंसियों के सामने अपने सोर्स का खुलासा करने से कोई वैधानिक छूट नहीं है, विशेष रूप से जहां आपराधिक मामले की जांच में सहायता के लिए इस तरह का खुलासा आवश्यक है।राउज एवेन्यू कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंजनी महाजन ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों के संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित और टीवी चैनलों पर प्रसारित एक रिपोर्ट से संबंधित मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मुलायम सिंह यादव और...

बिजली के कथित अनधिकृत उपयोग के आधार पर अतिरिक्त राशि वसूलने का बिजली बोर्ड का दावा परिसीमा कानून द्वारा वर्जित नहीं : केरल हाईकोर्ट
बिजली के कथित अनधिकृत उपयोग के आधार पर अतिरिक्त राशि वसूलने का बिजली बोर्ड का दावा परिसीमा कानून द्वारा वर्जित नहीं : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि बिजली के कथित अनधिकृत उपयोग के आधार पर अतिरिक्त राशि के लिए बिजली बोर्ड का दावा परिसीमा कानून द्वारा वर्जित नहीं है, जब उल्लंघन लगातार और आवर्ती हो।न्यायालय ने पाया कि यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 की धारा 126 (5) के तहत प्रदान किए गए कारकों के अतिरिक्त है।जस्टिस शाजी पी चैली ने कहा,मेरा यह भी विचार है कि परिसीमा अधिनियम के तहत परिसीमा याचिकाकर्ता द्वारा संतुष्ट बोर्ड के दावे को प्रभावित नहीं करती, क्योंकि वर्तमान उल्लंघन निरंतर और आवर्ती उल्लंघन है, जब तक कि...

आरटीआई | सार्वजनिक हित के लिए उपयोगी ना हो, ऐसी व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता: गुजरात हाईकोर्ट
आरटीआई | सार्वजनिक हित के लिए उपयोगी ना हो, ऐसी व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से दायर एक याचिका को स्वीकार करते हुए, जस्टिस बीरेन वैष्णव की एकल पीठ ने राज्य सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें प्रशासन को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक न्यायिक अधिकारी द्वारा मांगी गई कुछ तीसरे पक्ष की व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करना ‌था।पीठ ने दोहराया कि सूचना जो "व्यक्तिगत" प्रकृति की है और जो किसी भी सार्वजनिक हित की पूर्ति नहीं करती है, उसे सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदान नहीं किया जा सकता है।न्यायिक अधिकारी ने अन्य न्यायिक अधिकारियों के...

गैरकानूनी असेंबली| जमानत याचिका पर फैसला करते समय प्रत्येक अभियुक्त की व्यक्तिगत भूमिका पर विचार नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
गैरकानूनी असेंबली| जमानत याचिका पर फैसला करते समय प्रत्येक अभियुक्त की व्यक्तिगत भूमिका पर विचार नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि एक हत्या के आरोपी द्वारा दायर जमानत अर्जी पर फैसला करते समय आरोपी की व्यक्तिगत भूमिका पर विचार नहीं किया जा सकता है, जो एक गैरकानूनी असेंबली का हिस्सा था और जिसने कथित तौर पर एक सामान्य उद्देश्य के अनुसरण में अपराध किया था।जस्टिस एचपी संदेश की ‌सिंगल जज बेंच ने आरोपी अब्दुल मजीद द्वारा लगातार दायर जमानत अर्जी को खारिज करते हुए यह अवलोकन किया, जिस पर धारा 143, 144, 147, 148, 341, 342, 323, 324, 364, 307, 302, 506 सहपठित धारा 149 आईपीसी के तहत आरोप लगाए गए थे। इससे...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को जेल में सुपीरियर क्लास देने का गाजीपुर कोर्ट का आदेश खारिज किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को जेल में 'सुपीरियर क्लास' देने का गाजीपुर कोर्ट का आदेश खारिज किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के गाजीपुर में एक ट्रायल कोर्ट के मार्च 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें बांदा जिला जेल के एसएसपी को 'गैंगस्टर' और यूपी के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को जेल में 'सुपीरियर क्लास' देने का निर्देश दिया था। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने अंसारी को एक खूंखार अपराधी और बाहुबली बताते हुए प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, एमपी/एमएलए, गाजीपुर के आदेश को न केवल अधिकार क्षेत्र से बाहर बल्कि गुण-दोष के आधार पर टिकाऊ नहीं पाया। नतीजतन, गाजीपुर का आदेश...

पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के व्यक्तिगत दायित्व से पति इस आधार पर मुक्त नहीं हो सकता कि उसके पास भुगतान करने का कोई साधन नहींः गुवाहाटी हाईकोर्ट
पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के व्यक्तिगत दायित्व से पति इस आधार पर मुक्त नहीं हो सकता कि उसके पास भुगतान करने का कोई साधन नहींः गुवाहाटी हाईकोर्ट

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने माना है कि वैवाहिक मुकदमेबाजी में उलझे पतियों की यह एक बहुत ही आम दलील होती है कि वे अपनी पत्नी और बच्चों को पालने की आर्थिक स्थिति में नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि ठोस आधार के अभाव में इस तरह की दलील पति को पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के उसके ‘‘व्यक्तिगत दायित्व’’ से मुक्त नहीं कर सकती है। जस्टिस मालाश्री नंदी ने कहा कि, ‘‘प्रत्येक याचिका में, आम तौर पर पति द्वारा यह दलील दी जाती है कि उसके पास भुगतान करने का साधन नहीं है या उसके पास नौकरी नहीं है या उसका व्यवसाय अच्छा नहीं...

उत्तराखंड उपभोक्ता फोरम ने सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क नसबंदी ऑपरेशन के बाद गर्भवती दंपत्ति को मुआवजा देने से इनकार किया
उत्तराखंड उपभोक्ता फोरम ने सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क नसबंदी ऑपरेशन के बाद गर्भवती दंपत्ति को मुआवजा देने से इनकार किया

देहरादून स्थित उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के उस आदेश को रद्द किया जिसमें सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क नसबंदी कराने के दो साल बाद लड़की पैदा करने वाले दंपति को छह लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा गया था।जस्टिस डी.एस. त्रिपाठी और सदस्य उदय सिंह टोलिया की खंडपीठ ने यह देखने के लिए कई उदाहरणों का उल्लेख किया कि नसबंदी गर्भावस्था के खिलाफ 100% सुरक्षा नहीं है। बेंच यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता ने एक सरकारी अस्पताल में मुफ्त सेवा का लाभ उठाया था।बेंच ने...

मुंसिफ मजिस्ट्रेट-ट्रेनी न्यायिक अधिकारी नहीं, अनुमति के बाद जिला जज के रूप में नियुक्ति पर रोक नहीं: केरल हाईकोर्ट
मुंसिफ मजिस्ट्रेट-ट्रेनी न्यायिक अधिकारी नहीं, अनुमति के बाद जिला जज के रूप में नियुक्ति पर रोक नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जब एक व्यक्ति जिला जज के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन करने की तिथि पर या उस पद पर नियुक्ति की तिथि पर न्यायिक अधिकारी नहीं था, बल्‍कि केवल मुंसिफ मजिस्ट्रेट-ट्रेनी था, तब यह जिला जज के पद पर उनकी नियुक्ति के लिए बाधक नहीं बनेगा।जस्टिस अनु शिवरामन ने एवी टेल्स (तीसरा प्रतिवादी) की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि वह केरल न्यायिक अकादमी में मुंसिफ मजिस्ट्रेट की ट्रेनिंग ले रहे थे।कोर्ट ने कहा, "तीसरे...

प्रथम दृष्टया मामला बनाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित रूप से निर्दोष व्यक्तियों को झूठे रेप केस में फंसाने के मामले में नफीसा गैंग की 5 महिलाओं को राहत देने से इनकार किया
'प्रथम दृष्टया मामला बनाता है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित रूप से निर्दोष व्यक्तियों को झूठे रेप केस में फंसाने के मामले में 'नफीसा गैंग' की 5 महिलाओं को राहत देने से इनकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कथित रूप से निर्दोष व्यक्तियों को झूठे रेप केस में फंसाने के मामले में 'नफीसा गैंग' की 5 महिलाओं को राहत देने से इनकार किया।कोर्ट ने इन महिलाओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।इन महिलाओं पर आरोप है कि कथित रूप से पैसे निकालने के उद्देश्य से निर्दोष व्यक्तियों को झूठे रेप और एससी-एसटी अधिनियम के तहत केस में फंसाती हैं।जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस गजेंद्र कुमार की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रथम...

पूरे शहर में समय-समय पर जांच की जा रही है कि कोई बैरिकेड मानवरहित न रहे : हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा
पूरे शहर में समय-समय पर जांच की जा रही है कि कोई बैरिकेड मानवरहित न रहे : हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा

दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में समय-समय पर जांच कर रही है कि कोई भी बैरिकेड मानव रहित न रहे और वह सभी बैरिकेड्स को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने प्रस्तुतियों पर ध्यान देते हुए मानव रहित बैरिकेड्स के संबंध में पिछले साल अदालत द्वारा दायर जनहित याचिका का स्वत: संज्ञान लिया।दिल्ली पुलिस द्वारा 6 जनवरी को स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें कहा गया कि मार्च, 2022 में जारी...