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'अगर केस बनता है तो हम ECI को ड्राफ्ट रोल्स के पब्लिकेशन की तारीख बढ़ाने का निर्देश दे सकते हैं': SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में इलेक्टोरल रोल्स के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 नवंबर) को मौखिक रूप से कहा कि अगर ज़रूरी लगा तो वह ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल्स के पब्लिकेशन की डेडलाइन बढ़ा सकता है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत ने यह मौखिक टिप्पणी तब की जब पश्चिम बंगाल मामले में पेश हुए पक्षों ने कोर्ट द्वारा केस को 9 दिसंबर तक पोस्ट करने पर चिंता जताई, जो SIR शेड्यूल के अनुसार ड्राफ्ट रोल के पब्लिकेशन की तारीख...
Kerala SIR | 99% वोटर्स को फॉर्म दिए गए, स्थानीय निकाय चुनावों का हवाला देकर प्रोसेस टालने की कोई ज़रूरत नहीं: ECI ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
केरल में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) टालने की अपील का विरोध करते हुए इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 99% वोटर्स को गिनती के फॉर्म दे दिए गए हैं और 50% फॉर्म डिजिटाइज़ कर दिए गए।ECI की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को बताया कि स्थानीय निकाय चुनाव प्रोसेस की वजह से SIR को टालने की कोई ज़रूरत नहीं है। साथ ही कहा कि ECI स्टेट इलेक्शन कमीशन के साथ कोऑर्डिनेशन में काम कर रहा...
कोलेजियम सिस्टम सर्वोत्तम, पर जवाबदेही अनिवार्य: SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने लंबित MoP को जल्द अंतिम रूप देने की मांग की
संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने जजों की नियुक्ति संबंधी मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) को शीघ्र अंतिम रूप देने की जोरदार अपील की। उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम अब भी सर्वोत्तम है लेकिन इसकी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है।विकास सिंह ने चीफ जस्टिस, कानून मंत्री और कोलेजियम के अन्य सदस्यों से आग्रह किया कि 2016 से लंबित MoP को तुरंत अंतिम रूप दिया जाए ताकि उच्च न्यायपालिका में नियुक्त...
'इस कोर्ट में पेंडेंसी 90,000 है; एक लाख को पार कर जाएगी; कौन ज़िम्मेदार है?' : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने के लिए वकील को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वकीलों के क्लाइंट से इंस्ट्रक्शन लेने के लिए सुनवाई टालने के तरीके की आलोचना की। साथ ही कहा कि इस तरह के बर्ताव से कोर्ट में पेंडेंसी बढ़ती है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कर्नाटक राज्य की ओर से पेश वकील को फटकार लगाई, जब उन्होंने बिना इजाज़त घुसने और कॉफी बीन्स की चोरी के आरोपों से जुड़े एक क्रिमिनल केस में इंस्ट्रक्शन लेने के लिए समय मांगा।जस्टिस नागरत्ना ने कहा,"जब भी हम कोई सवाल पूछते हैं तो वकील कहते हैं कि मुझे इंस्ट्रक्शन लेने हैं। इसी...
राष्ट्रीयता के शक में बांग्लादेश डिपोर्ट किए गए लोगों को सुनवाई का मौका देने के लिए वापस लाया जाए: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि वह पश्चिम बंगाल के कुछ निवासियों को कुछ समय के लिए वापस लाए, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें विदेशी होने के शक में बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था।यह कहते हुए कि डिपोर्ट किए गए लोग, जो खुद को भारतीय नागरिक बताते हैं, उन्हें सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स के साथ अधिकारियों के सामने अपना मामला रखने का अधिकार है, कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार उन्हें अंतरिम उपाय के तौर पर वापस लाए और उन्हें सुनवाई का मौका दे। इसने यह भी कहा कि सरकारी एजेंसियां डिपोर्ट...
सुप्रीम कोर्ट देश भर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कामकाज की जांच करेगा, सरकारों और UGC से डिटेल्स मांगीं
देश भर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कामकाज की जांच करने का इरादा जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार, राज्य/UT सरकारों से सभी प्राइवेट और डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी को बनाने, उनके कामकाज और रेगुलेटरी निगरानी के बारे में पूरी जानकारी मांगी।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने एक अजीब मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जो एक स्टूडेंट द्वारा एमिटी यूनिवर्सिटी को उसका ऑफिशियल नाम बदलने को स्वीकार करने का निर्देश देने के लिए रिट पिटीशन फाइल करने से शुरू...
सिर्फ़ इसलिए शादी को टूटा हुआ नहीं मान लेना चाहिए, क्योंकि पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को चेतावनी दी कि सिर्फ़ इसलिए शादी खत्म न करें, क्योंकि कपल अलग रह रहे हैं। साथ ही इसे टूटने वाला ऐसा रिश्ता न कहें, जिसे सुधारा न जा सके। कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जजों को अलग होने के कारणों की अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए और पति-पत्नी के अलग रहने का असली कारण पता लगाना चाहिए।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस ऑर्डर को रद्द करते हुए यह बात कही,“हम यह भी कहना चाहेंगे कि...
लेटर ऑफ़ इंटेंट एक 'भ्रूण में वादा': जब तक पहले की शर्तें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक यह निहित अधिकार नहीं बनाता: सुप्रीम कोर्ट
यह मानते हुए कि लेटर ऑफ़ इंट्रेस्ट (LoI) तब तक कोई लागू करने लायक या निहित अधिकार नहीं देता जब तक सभी तय पहले की शर्तें पूरी नहीं हो जातीं, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें उसने एक प्राइवेट कंपनी को उसके पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट-ऑफ़-सेल (ePoS) डिवाइस की सप्लाई के लिए जारी LoI को कैंसिल कर दिया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुयान और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा,"एक LoI (लेटर ऑफ़...
MV Act | सुप्रीम कोर्ट ने कैशलेस इलाज से जुड़े मामलों को जस्टिस सप्रे कमेटी के पास भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज और पूरे इंश्योरेंस कवरेज से जुड़े मामलों को जस्टिस एएस सप्रे कमेटी (सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी) के पास भेज दिया।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच डॉ. एस राजसीकरन (गंगा हॉस्पिटल, कोयंबटूर के ऑर्थोपेडिक सर्जरी डिपार्टमेंट के चेयरमैन और हेड) की 2012 की PIL में एडवोकेट किशन चंद जैन की तरफ से दायर इंटरवेंशन एप्लीकेशन पर विचार कर रही थी, जो सड़क दुर्घटना में हुई मौतों से जुड़ी थी।इनमें से एक एप्लीकेशन...
Order XXI Rule 90 CPC | ऑक्शन सेल को उन वजहों से चुनौती नहीं दी जा सकती, जो घोषणा से पहले उठाई जा सकती थीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 नवंबर) को कहा कि कोई जजमेंट-डेटर देर से एग्ज़िक्यूशन प्रोसीडिंग्स में ऑक्शन सेल पर सवाल नहीं उठा सकता, खासकर जब सेल पूरी हो गई हो। कोर्ट ने कहा कि सिविल प्रोसीजर कोड के ऑर्डर XXI रूल 96(3) के तहत ऐसी चुनौती की इजाज़त नहीं है, जब जजमेंट-डेटर को बिक्री की घोषणा जारी होने से पहले आपत्तियां उठाने का पहले से मौका मिला हो।जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट का फैसला खारिज करते हुए कहा, जिसमें ऑक्शन सेल (अपीलेंट के पक्ष में की गई) को ऑक्शन सेल...
क्या कस्टम्स पोर्ट से निकले सामान को ज़ब्त कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खुला छोड़ा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कस्टम्स, एक्साइज़ और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (CESTAT) के इस नज़रिए के खिलाफ़ अपील पर विचार करने से मना कर दिया कि एक बार पोर्ट से सामान क्लियर हो जाने के बाद कस्टम्स अधिकारी लाइसेंस की शर्तों का पालन न करने जैसे उल्लंघन के लिए उसे ज़ब्त करने का अधिकार खो देते हैं।हालांकि, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने यह सवाल खुला छोड़ दिया कि क्या कस्टम्स अधिकारियों को पोर्ट से निकलने के बाद सामान को ज़ब्त करने का अधिकार होगा।यह विवाद तब शुरू हुआ, जब...
CCTVs In Police Stations : सुप्रीम कोर्ट ने States/UTs को कंप्लायंस एफिडेविट के लिए आखिरी डेडलाइन दी
सुप्रीम कोर्ट ने उन States/UTs को 3 हफ़्ते का समय दिया, जिन्होंने देश भर के पुलिस स्टेशनों में CCTV कैमरों के काम न करने से जुड़े मामले में अपने कंप्लायंस एफिडेविट फाइल नहीं किए।कोर्ट ने आगे कहा कि डेडलाइन का पालन न करने की स्थिति में मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होना होगा।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच देश भर के पुलिस स्टेशनों में CCTV कैमरों के काम न करने के मामले में खुद से शुरू किए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।इस मामले में एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट...
'नो इंस्ट्रक्शंस' पर्सिस पर 7 दिन की नोटिस जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि जब कोई अधिवक्ता केवल यह बताते हुए “नो इंस्ट्रक्शंस” पर्सिस दाखिल करता है कि उसे अपने मुवक्किल से निर्देश नहीं मिल रहे, तो इसे वकालतनामा वापस लेना नहीं माना जा सकता, और ऐसे में Bombay High Court Appellate Side Rules, 1960 तथा Civil Manual में निर्धारित सात दिन पहले की अनिवार्य नोटिस की आवश्यकता लागू नहीं होती।एक मकान मालिक द्वारा दायर बेदखली वाद में किरायेदारों के वकील द्वारा “नो इंस्ट्रक्शंस” पर्सिस दाखिल किए जाने और उसके बाद ट्रायल...
'समाज को जाति के आधार पर न बाँटें': महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव मामले में CJI सूर्यकांत
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने आज महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज को किसी भी हाल में जाति की लाइनों पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।सुनवाई में सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने चिंता जताई कि यदि 50% आरक्षण की सीमा को अनिवार्य रखा गया, तो महाराष्ट्र के कई इलाकों में जहाँ SC-ST आबादी अधिक है, वहाँ केवल SC-ST आरक्षण ही 50% तक पहुँच जाएगा और OBC के लिए कोई स्थान नहीं बचेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 1931 के बाद...
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट सख़्त, कहा: आगे की अधिसूचनाएं 50% आरक्षण सीमा के भीतर ही जारी हों
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र में लंबित स्थानीय निकाय चुनावों पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि आगे से जारी होने वाली किसी भी चुनाव अधिसूचना में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की, जब महाराष्ट्र सरकार ने समय मांगते हुए बताया कि वह इस मुद्दे पर राज्य निर्वाचन आयोग से विचार-विमर्श कर रही है।इसके साथ ही अदालत ने सुनवाई शुक्रवार तक स्थगित कर दी।चीफ जस्टिस सुर्याकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ के समक्ष राज्य निर्वाचन आयोग के लिए सीनियर...
ISKCON संचालित स्कूलों में यौन शोषण के आरोप : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को बाल अधिकार आयोगों से संपर्क करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) द्वारा संचालित स्कूलों में कथित यौन शोषण की शिकायतों की जांच की मांग करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के राज्य बाल अधिकार आयोगों के पास नया प्रतिवेदन देने की अनुमति दी।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि आंतरिक रिकॉर्ड गंभीर यौन शोषण की घटनाओं की ओर संकेत करते...
धार्मिक परेड से इनकार पर बड़ा फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई अधिकारी की बर्खास्तगी को सही ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना के अधिकारी सैमुअल कमलेसन की याचिका खारिज करते हुए उनकी सेवा से बर्खास्तगी को सही ठहराया। कमलेसन ने अपने पद से हटाए जाने को चुनौती दी थी, जो उन्हें साप्ताहिक रेजिमेंटल धार्मिक परेड में भाग लेने से लगातार इनकार करने के कारण किया गया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से साफ इंकार कर दिया।सुनवाई के दौरान कमलेसन की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने केवल...
'97 कानूनों में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव करने वाले नियम': NHRC ने सुप्रीम कोर्ट में बताया, दिए सुझाव
नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेंट्रल/स्टेट लेवल पर 97 मौजूदा कानून हैं, जिनमें कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव करने वाले नियम हैं।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच 2010 में शुरू की गई एक PIL पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने राज्यों को कमेटी बनाने का निर्देश दिया ताकि अलग-अलग कानूनों वगैरह में ऐसे नियमों की पहचान की जा सके जो कुष्ठ रोग से पीड़ित या ठीक हो चुके लोगों के साथ भेदभाव करते हैं और उन्हें हटाने के लिए कदम उठाए जाएं...
'डिस्ट्रिक्ट जज अपने PSO से बदला लेने के लिए इतना नीचे गिर गए': सुप्रीम कोर्ट ने विजिलेंस जांच के खिलाफ याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज की विजिलेंस जांच के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया, क्योंकि उन पर अपने ही पूर्व पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) से बदला लेने के लिए अपने पद का गलत इस्तेमाल करने का आरोप था।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। सीनियर एडवोकेट दामा शेषाद्रि नायडू याचिकाकर्ता-जज की ओर से पेश हुए।संक्षेप में मामलायाचिकाकर्ता ने मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत रजिस्ट्रार (विजिलेंस) को उनके खिलाफ पावर के गलत इस्तेमाल और भेदभाव...
हर खराब रिश्ते को रेप में बदलना अपराध की गंभीरता को कम करता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 नवंबर) को एक वकील के खिलाफ रेप का केस खारिज किया, जिस पर शादी का झूठा झांसा देकर महिला के साथ बार-बार रेप करने का आरोप था। यह देखते हुए कि सेक्स सहमति से हुआ था, शादी के किसी झूठे वादे से प्रभावित नहीं था, कोर्ट ने महिला के आरोपों को झूठा पाया और यह सहमति से बने रिश्ते के बाद में खराब होने का एक क्लासिक उदाहरण है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट (औरंगाबाद बेंच) का आदेश रद्द करते हुए कहा,“रेप का अपराध, जो सबसे गंभीर किस्म का है,...




















