DDA के खिलाफ अवमानना ​​मामले में याचिकाकर्ताओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा

Shahadat

13 July 2024 4:59 AM GMT

  • DDA के खिलाफ अवमानना ​​मामले में याचिकाकर्ताओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जुलाई) को कहा कि कोई भी अधिकारी दिल्ली रिज फॉरेस्ट एरिया में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के खिलाफ अवमानना ​​का मामला दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को परेशान नहीं करेगा।

    अवमानना ​​मामले में याचिकाकर्ता ने अवमानना ​​याचिका दायर किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली पुलिस पूछताछ कर रही है और बैंक अकाउंट का विवरण एकत्र कर रही है। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त और एक्सिस बैंक को पक्षकार बनाने के लिए एक आवेदन दायर किया।

    हालांकि कोर्ट ने आवेदन पर कोई आदेश पारित करने से परहेज किया, लेकिन उसने कहा कि याचिकाकर्ताओं को किसी के द्वारा परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की विशेष पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "इस स्तर पर हम कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम सभी अधिकारियों को यह स्पष्ट कर देते हैं कि कोई भी व्यक्ति अवमानना ​​याचिका में याचिकाकर्ताओं को केवल इसलिए परेशान करने का प्रयास नहीं करेगा, क्योंकि उन्होंने अवमानना ​​याचिका दायर की है। इस अदालत के आदेशों के घोर उल्लंघन को इस अदालत के संज्ञान में लाया है। फिलहाल यह टिप्पणी याचिकाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त है।"

    उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के खिलाफ सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए दिल्ली के रिज वन के पेड़ों को अवैध रूप से काटने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना ​​कार्रवाई की।

    सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि पुलिस ने याचिकाकर्ता से उस एफआईआर के संबंध में संपर्क किया है जो अवमानना ​​याचिका से पहले दर्ज की गई।

    जस्टिस ओक ने टिप्पणी की,

    "संयोग से, यह सब उसके अवमानना ​​याचिका दायर करने के बाद ही शुरू हुआ।"

    याचिकाकर्ता न्यू दिल्ली नेचर सोसाइटी के सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने अपने मुवक्किल के लिए सुरक्षा मांगी। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल से दूसरे याचिकाकर्ता बिंदु कपूरिया के बारे में पूछा जा रहा है। न्यायालय ने आदेश में कहा कि वह इस समय कोई निर्देश जारी नहीं कर रहा है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि कोई भी अधिकारी याचिकाकर्ताओं को केवल इसलिए परेशान न करे, क्योंकि उन्होंने अवमानना ​​याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया कि यह अवलोकन उनके हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त होना चाहिए।

    मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई, 2024 को दोपहर 2 बजे के लिए सूचीबद्ध की गई।

    शंकरनारायणन ने बुधवार को न्यायालय को बताया,

    "5 जून के बाद से लोग मेरे घर आने लगे, पुलिस और वे मुझसे पूछने लगे कि मैं (याचिकाकर्ता) कौन हूं, मेरा ट्रस्ट किस बारे में है। फिर अगले दिन वे आते हैं और मुझसे दूसरी अवमानना ​​याचिका में याचिकाकर्ता के बारे में पूछते हैं। पूरा विवरण मांगते हैं, खुलासे के लिए कहते हैं। फिर वे मेरे बैंक से संपर्क करते हैं। उन्होंने मेरे बैंक अकाउंट का विवरण ले लिया।

    केस टाइटल: बिंदु कपूरिया बनाम सुभाशीष पांडा | डायरी नं. 21171-2024, नई दिल्ली नेचर सोसायटी बनाम राजेश कुमार कौशल एवं अन्य डायरी नं. 21740-2024

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