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मोटर वाहन दुर्घटना में क्लेम करने की प्रोसेस, ट्रिब्यून और अपील के बारे में विस्तृत जानकारी
मोटर वाहन दुर्घटना में क्लेम करने की प्रोसेस, ट्रिब्यून और अपील के बारे में विस्तृत जानकारी

21 वी सदी में जब टेक्नोलॉजी अपने उन्नति के नए आयाम पर है तो वर्तमान समय में परिवहन की भूमिका चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, हमारे सामाजिक संपर्कों तथा कमर्शियल लेनदेन के लिए आवश्यक हो गई है। परिवहन तकनीकी रूप से हर दूसरे दिन और अधिक उन्नत हो रहा है। मोटर वाहनों के उपयोग में एक बड़ा विस्तार हो रहा है क्यों की बदलते समय की मांग है समय की बचत और समय के बचत के लिए लोग उन्नत किस्म के परिवहन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं पर कहते है है हर सुविधा के दो पहलू होते है-तकनीक की उन्नति के साथ भी हमें सड़क...

जब महात्मा गांधी ने माफी मांगने से इनकार किया और अवमानना की कार्रवाई का सामना किया
जब महात्मा गांधी ने माफी मांगने से इनकार किया और अवमानना की कार्रवाई का सामना किया

अशोक किनीअवमानना मामले में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान में महात्मा गांधी के कथन को उद्धृत किया था। महात्मा गांधी के उक्त कथन की काफी चर्चा हुई। दरअसल महात्मा गांधी ने उक्त कथन 1919 में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दिया था। तब गांधी के खिलाफ़ उस कोर्ट ने अवमानना ​​कार्यवाही शुरु की थी। आलेख गांधी के खिलाफ चलाए गए अवमानना ​​मामले और उस मामले में फैसले पर चर्चा की गई है। मोहनदास करमचंद गांधी और महादेव हरिभाई देसाई "यंग इंडिया" नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र के...

मेरे प्यारे दोस्त, कल केस है! आपके वकील ने ब्रीफ तक नहीं पढ़ी है भूलाभाई देसाई की कहानी, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए जिरह की
"मेरे प्यारे दोस्त, कल केस है! आपके वकील ने ब्रीफ तक नहीं पढ़ी है" भूलाभाई देसाई की कहानी, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए जिरह की

संजोय घोष"और यह न्याय का मज़ाक होगा, अगर हमें किसी फैसले के नतीजे रूप में बताया जाए या अन्य‌था हो, कि भारतीय, एक सैनिक के रूप में जर्मनी के खिलाफ इंग्लैंड की आज़ादी के लिए लड़ सकता है, इंग्लैंड की आज़ादी के लिए इटली के खिलाफ, जापान के खिलाफ लड़ सकता है, और अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है कि जब एक आज़ाद भारतीय राज्य खुद को इंग्लैंड सहित किसी भी देश से आज़ाद करने की इच्छा व्यक्त नहीं कर सकता है।" यह ऐसा ट्रायल था, जिस पर सभी की ‌निगाह थी। खचाखच भरे कोर्ट रूप में उस गुजराती वकील के एक-एक शब्द गूंज...

संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में है: संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम ऐज़ाज़ रसूल के भाषण के अंश
'संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में है': संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम ऐज़ाज़ रसूल के भाषण के अंश

('संविधान सभा में महिलाएं' श्रृंखला में भारत की संविधान सभा में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका की चर्चा की जा रही है। यह श्रृंखला का चौथा लेख है।) "संविधान की सर्वोत्कृष्ट विशेषता यह है कि भारत विशुद्ध धर्मनिरपेक्ष राज्य है। संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में निहित है और हमें इस पर गर्व है। मुझे पूरा विश्वास है कि धर्मनिरपेक्षता संरक्षित और अक्षुण्‍ण रहेगी, भारत के लोगों की पूर्ण एकता इसी पर निर्भर है, इसके बिना प्रगति की सभी आशाएं व्यर्थ हैं।" [1] 22 नवंबर 1949...

अध्ययन सूच‌ी परियोजनाः कानून के छात्रों और वकीलों के लिए आवश्यक किताबें
अध्ययन सूच‌ी परियोजनाः कानून के छात्रों और वकीलों के लिए आवश्यक किताबें

हमजा लकड़वाला विचार भारत में कानून के अधिकांश छात्रों को उनकी कानूनी शिक्षा पुरानी और अधूरी लगती है। कॉलेज और विश्वविद्यालय अक्सर मूलभूत सिद्धांतों और अवधारणाओं के सा‌थ कुछ बुनियादी प्रक्रियात्मक और ठोस कानूनों को सिखाते हैं। यह बुनियादी समझ बनाने में मदद करता है, मगर, किसी भी तरह से पर्याप्त नहीं है। ज्ञान क्षुधा की पूर्ति के लिए अधिकांश छात्र स्वाध्याय का सहारा लेते हैं, हालांकि ऐसा करने में, उन्हें यह महसूस होता है कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें क्या पढ़ना है ओर क्या नहीं। हालांकि कई...

किसी संक्रमित बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के रोग की सूचना किसी अन्य व्यक्ति को देना अपराध नहीं है अपितु लोक नीति के पक्ष में
किसी संक्रमित बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के रोग की सूचना किसी अन्य व्यक्ति को देना अपराध नहीं है अपितु लोक नीति के पक्ष में

इस समय विश्व भर में कोरोना वायरस जैसी गंभीर संक्रमित बीमारी चल रही है। इस बीमारी ने भारत भर को भी अपने चपेट में ले रखा है। यह एक संक्रामक रोग है तथा एक से दूसरे में संक्रमित होता है। आम जनसाधारण के भीतर इस बीमारी को लेकर एक बड़ा प्रश्न वैधानिक दृष्टिकोण से पैदा होता है कि यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार का कोई संक्रमित रोग है, जिस से वह संक्रमण दूसरों में भी फैल सकता है तो ऐसी परिस्थिति में क्या ऐसे व्यक्ति की पहचान को अभिव्यक्त करना अपराध है। किसी की बीमारी को सार्वजनिक करना अपराध हो सकता...

क्या गोपालन का भूत अभी भी हमारे न्यायशास्त्र को परेशान करता है? : एके गोपालन बनाम मद्रास राज्य मामले की समकालीन प्रासंगिकता की तलाश
"क्या गोपालन का भूत अभी भी हमारे न्यायशास्त्र को परेशान करता है?" : एके गोपालन बनाम मद्रास राज्य मामले की समकालीन प्रासंगिकता की तलाश

जस्टिस जयशंकरन नांबियार एके हमारे संविधान के क्रियाशील होने के पहले साल में, जिन ऐतिहासिक मामलों पर फैसला हुआ, मेरा मानना ​​है कि उनमें गोपालन मामले को उसका उचित श्रेय नहीं मिलता है। मैं इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानता हूं क्योंकि गोपालन मामलें में कई मतों को पढ़ने से न‌िरे पांडित्य, न्यायिक अनुशासन और विचारों की स्पष्टता का पता चलता है, जिन्होंने जजों को अपने-अपने फैसले देने में मदद की, मामले में पेश हुए वकीलों की आकर्षक, प्रेरक और उत्तेजक दलीलों का उल्‍लेख ही न कीजिए! विचार से प्रकट होता है कि...