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लॉ ऑन  रील्स : जातीय हिंसा और बखौफ हो चुकी राजसत्ता की मार्मिक कहानी है जय भीम
लॉ ऑन रील्स : जातीय हिंसा और बखौफ हो चुकी राजसत्ता की मार्मिक कहानी है जय भीम

शैलेश्वर यादवसिंघम और दबंग जैसी फिल्मों के जरिए हिंदी सिनेमा पुलिस की हिंसा और उसकी बेलगाम ताकत को लंबे समय से पर्दे पर रुमानी तरीके से पेश करता रहा है। हालांकि 'जय भीम' ने हिरासत में हिंसा, पुलिस प्रताड़ना और पुलिसकर्म‌ियों द्वारा कानून के दुरुपयोग की स्याह तस्वीर पेश की है। फिल्म कुछ हद तक पुलिस की बर्बरता का बखान करने की प्रवृत्त‌ि को तोड़ती है।टीजे ज्ञानवेल द्वारा निर्देशित 'जय भीम' जाति की विभाजानकारी रेखाओं और राज्य सत्ता के परस्पर प्रतिच्छेद बिंदुओं की पड़ताल करती है। मारी सेल्वराज की...

सामाजिक एंव शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग की पहचान करने की राज्य की शक्ति: क्या 105वां संविधान संशोधन मराठा कोटा मामले में सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या को पूरी तरह से समाप्त कर देता है?
सामाजिक एंव शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग की पहचान करने की राज्य की शक्ति: क्या 105वां संविधान संशोधन मराठा कोटा मामले में सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या को पूरी तरह से समाप्त कर देता है?

क्या 105वां संविधान संशोधन उच्चतम न्यायालय द्वारा 102वें संशोधन की व्याख्या के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त कर देता है, जिसने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्य विधानसभाओं की शक्ति को छीन लिया था?हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का एक पठन, जिसने सबसे पिछड़े वर्गों की श्रेणी के तहत वन्नियार समुदाय को 10.5% का आंतरिक आरक्षण प्रदान करने वाले तमिलनाडु कानून को रद्द कर दिया, इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक में देता है। घटनाओं का कालक्रमसंविधान (102वां संशोधन) अधिनियम,...

जमानत के बाद रिहाई में देरी: सभी न्यायालयों में FASTER (इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का तेज और सुरक्षित ट्रांसमिशन) की आवश्यकता
जमानत के बाद रिहाई में देरी: सभी न्यायालयों में "FASTER" (इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का तेज और सुरक्षित ट्रांसमिशन) की आवश्यकता

"सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में हम अभी भी आदेशों को संप्रेषित करने के लिए आसमान की ओर कबूतरों को देख रहे हैं।" चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने एक मामले में जेल से कैदियों की र‌िहाई में हुई देरी पर यह टिप्पणी की थी। मामले में जेल अधिकारियों की जिद थी कि उन्हें जमानत के आदेश की भौतिक प्रतियां दी जाए। ये जिद कैदियों की र‌िहाई में देरी का कारण बनी।आगरा से 13 कैदियों की रिहाई में देरी के बारे में एक अखबार में छपी रिपोर्ट पर सीजेआई ने मामले को स्वतः संज्ञान लेने और जमानत आदेशों के...

सुप्रीम कोर्ट के नए जजों की सूची में जस्टिस कुरैशी का न होना परेशान करने वाले सवाल उठाता है
सुप्रीम कोर्ट के नए जजों की सूची में जस्टिस कुरैशी का न होना परेशान करने वाले सवाल उठाता है

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नौ नई नियुक्तियों की मौजूदा सूची में जस्टिस अकील कुरैशी की अनुपस्थिति चर्चा का ज्वलंत विषय बन गई है। जस्टिस कुरैशी से जुड़ा विवाद पहली बार 2018 में सामने आया था। तब वे तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सुभाष रेड्डी की पदोन्नति के बाद इसके वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में गुजरात हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनने वाले थे। हालांकि उन्हें बॉम्बे हाईकोर्टमें स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें पांचवें नंबर का निम्न वरिष्ठता का पद लेना था। गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने...

जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका के पास राज्य की जवाबदेही लागू करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का रिकॉर्ड है
जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका के पास राज्य की जवाबदेही लागू करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का रिकॉर्ड है

जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया है। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में और बाद में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में सामान्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य की ज्यादतियों के खिलाफ कई उल्लेखनीय न्यायिक हस्तक्षेप किए हैं।उन्होंने अपने न्यायिक करियर में अब तक एक जन-समर्थक और एक अधिकार-आधारित दृष्टिकोण प्रदर्शित किया है, जिसमें संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर राज्य के कार्यों पर सवाल उठाने में कोई हिचकिचाहट नहीं रही है।उनके करियर की एक...

क्या लंबी अवधि की कैद के बाद बरी हुए लोगों के लिए मुआवजा और क्षतिपूर्ति होनी चाहिए?
क्या लंबी अवधि की कैद के बाद बरी हुए लोगों के लिए मुआवजा और क्षतिपूर्ति होनी चाहिए?

मुझसे जो प्रश्न पूछा गया है, वह यह है कि क्या लंबी अवधि की कैद के बाद बरी किए गए लोगों के लिए मुआवजे और क्षतिपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए? प्रश्न का उत्तर एक शब्द में दिया जा सकता है- हां, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन मैं विषय से परे जाना चाहूंगा; यह केवल जेल में रहने और बरी होने के लिए मुआवजे का सवाल नहीं है, हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में कई अन्य घटनाएं हैं, जिनके लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।सभी वक्ताओं ने संकेत दिया है कि देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के कठोर...