बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नागरिकों को शिक्षित करने के लिए राज्य की जेल मैनुअल और पुलिस मैनुअल इंटरनेट पर अपलोड करने का आदेश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को राज्य के जेल मैनुअल और पुलिस को ऑनलाइन डालने का आदेश दिया, ताकि कैदियों और उनके रिश्तेदारों को जेल में रहते हुए उनके अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी मिल सके। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि जेल मैनुअल उन दस्तावेजों में से एक है जो इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है और इस तरह लोग अपने अधिकारों से अनजान हैं।जस्टिस मोहिते-डेरे ने मौखिक रूप से आदेश दिया, "जेल मैनुअल को वेबसाइट पर क्यों नहीं डाला जा सकता, क्योंकि यह एक...
एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी मामले में कुणाल कामरा को गिरफ्तार न करें पुलिस: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कथित रूप से की गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी और गद्दार शब्द के इस्तेमाल को लेकर दर्ज (FIR) में कॉमेडियन कुणाल कामरा को गिरफ्तार न किया जाए।जस्टिस सरंग कोतवाल और जस्टिस श्रीराम मोडक की खंडपीठ ने कहा कि यदि पुलिस को कामरा का बयान दर्ज करना है तो उसे चेन्नई (विलुपुरम के पास, जहां कामरा रहते हैं) जाकर स्थानीय पुलिस की मदद लेनी चाहिए।कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिका के लंबित रहने के दौरान चार्जशीट दायर की जाती है...
मुस्लिम पिता द्वारा बेटे को दी गई संपत्ति के उपहार (हिबा) में वास्तविक कब्जा देना जरूरी नहीं, पिता उसी संपत्ति में रह सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने हाल ही में कहा कि एक मुस्लिम पिता जो इस्लामी कानून के तहत हिबा के रूप में अपने बेटे को संपत्ति उपहार में देना है, वह उस संपत्ति में अपने बेटे के साथ रह सकता है। उसे वह निवास स्थान छोड़ने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कानून वास्तविक और भौतिक कब्जे की डिलीवरी को अनिवार्य नहीं मानता, बल्कि केवल संरचनात्मक कब्जे (Constructive Possession) की आवश्यकता होती है।जस्टिस रोहित जोशी की एकल बेंच ने मोहम्मद शेख द्वारा अपने बेटे रहमान शेख को 11 जून 2005 को हिबा के रूप में...
मध्यस्थता समझौते को समाप्त करने का एकतरफा विकल्प उसे अवैध नहीं बनाता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन की पीठ ने मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए एक आवेदन का निपटारा करते हुए कहा कि मध्यस्थता खंड जो केवल एक पक्ष को मध्यस्थता समझौते से बाहर निकलने का विकल्प देता है, वह अपने आप में अमान्य नहीं है। इस तरह के मध्यस्थता समझौते को एकतरफा विकल्प को समाप्त करके या ऐसे अधिकार को द्विपक्षीय बनाकर बचाया जा सकता है। तथ्यवर्तमान आवेदन मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 के तहत दायर किए गए हैं, जिसमें 31 जनवरी, 2016 के एक ऋण समझौते और 31 अक्टूबर, 2017 के एक अन्य...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई यूनिवर्सिटी में लॉ स्टूडेंट्स की अनुपस्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई पूरी की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार 24 अप्रैल को उन लॉ स्टूडेंट्स के खिलाफ अनिवार्य उपस्थिति नियमों को लागू कराने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को यह कहते हुए निपटा दिया कि याचिकाकर्ता ने ऐसे किसी कॉलेज का विवरण प्रस्तुत नहीं किया, जहां स्टूडेंट को कम उपस्थिति के बावजूद परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है।चीफ जस्टिस अलोक अराधे और जस्टिस एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।याचिका मुंबई यूनिवर्सिटी की एक लॉ प्राध्यापक द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि कई कॉलेजों में स्टूडेंट्स की...
केवल तीन तलाक प्रतिबंधित, तलाक-ए-अहसन नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 केवल तत्काल और अपरिवर्तनीय "तीन तलाक" को प्रतिबंधित करता है। इसे "तलाक-ए-बिद्दत" भी कहा जाता है, लेकिन इस्लाम के तहत तलाक के पारंपरिक तरीके को प्रतिबंधित नहीं करता है, जिसे "तलाक-ए-अहसन" कहा जाता है।जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की खंडपीठ ने एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR खारिज की। उन पर शिकायतकर्ता पत्नी को कथित तौर पर तलाक-ए-बिद्दत कहने का आरोप लगाया गया था।जजों ने...
सेवानिवृत्ति के एक महीने से अधिक समय तक ग्रेच्युटी भुगतान में देरी पर 10% ब्याज लगेगा: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रवींद्र वी घुगे और जस्टिस अश्विन डी भोबे की खंडपीठ ने माना कि नौरोसजी वाडिया कॉलेज को एक सेवानिवृत्त शिक्षक को 10% ब्याज के साथ ग्रेच्युटी का भुगतान करना था, क्योंकि उनके सेवानिवृत्ति लाभों में बिना किसी औचित्य के देरी की गई थी। अदालत ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान एक महीने से अधिक समय तक ग्रेच्युटी नहीं रोक सकते, भले ही पेंशन गणना पर विवाद हो। पृष्ठभूमिनौरोसजी कॉलेज ने डॉ. चेतना राजपूत को 25 साल के लिए प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया था, जब तक कि वह 2023 में सेवानिवृत्त...
वैधानिक समर्थन के अभाव में दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जा सकते: गलत तरीके से कैद किए गए लोगों के लिए कोष बनाने की मांग करने वाली याचिका पर हाईकोर्ट
गलत तरीके से कैद किए गए लोगों को मुआवजा देने के लिए धन की मांग करने वाली जनहित याचिका को वापस लेने की अनुमति देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वैधानिक समर्थन के अभाव में वह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत केंद्र या राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकता।90 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका में दुर्भावनापूर्ण और गलत अभियोजन के लिए अधिकतम सजा से अधिक अवधि तक जेल में रहने वाले विचाराधीन कैदियों को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने के निर्देश देने...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हवाई अड्डों पर यात्रियों की "व्हीलचेयर संबंधी समस्याओं" पर विचार करने के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति गठित की
यह देखते हुए कि किसी भी नागरिक को हवाई अड्डों पर परेशानी नहीं होनी चाहिए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस (सेवानिवृत्त) गोदा रघुराम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की, जो वरिष्ठ नागरिकों, शारीरिक रूप से विकलांग नागरिकों और यहां तक कि बच्चों और महिलाओं के लिए व्हीलचेयर और अन्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के मुद्दे पर विचार करेगी। जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और यहां तक कि उन नागरिकों...
अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ FIR सोशल मीडिया के जरिए जागरूकता अभियान: महाराष्ट्र DGP ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक (DGP) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि राज्य में अवैध लाउडस्पीकरों और ध्वनि प्रदूषण को लेकर पुलिस विभाग द्वारा कई अभियान और पहलें चलाई गई हैं।यह हलफनामा अवमानना याचिका के संदर्भ में दाखिल किया गया, जिसमें राज्य में 2940 अवैध लाउडस्पीकर होने का आरोप लगाया गया था।यह अवमानना याचिका उन निर्देशों के पालन न किए जाने के आरोप में दायर की गई, जो कोर्ट ने 16 अगस्त, 2016 को एक जनहित याचिका में धार्मिक कार्यक्रमों और त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित...
बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों ने वकील के आरोपों के बाद खुद को मामले से किया अलग, अवमानना नोटिस जारी और जांच के आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील द्वारा जजों पर प्रतिवादी के साथ मिलीभगत के आरोप लगाने को गंभीरता से लेते हुए खुद को उस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया। साथ ही संबंधित वकील विजय कुर्ले को आपराधिक अवमानना का शोकॉज नोटिस जारी किया। इसके अलावा, महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल को उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए।जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि भविष्य में यदि किसी भी मामले में वकील विजय कुर्ले उपस्थित हों तो वह मामला इन दो जजों के समक्ष न लाया जाए।न्यायालय...
महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत वैधानिक संरक्षण को 'शीघ्र बेदखली' की मांग करने के लिए मध्यस्थता याचिका दायर करके दरकिनार नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
जस्टिस सोमशेखर सुंदरसन की बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने माना कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत अधिकार क्षेत्र का उपयोग महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम, 1999 के तहत किरायेदारों को दी जाने वाली वैधानिक सुरक्षा को दरकिनार करने के लिए नहीं किया जा सकता है। धारा 9 के तहत अंतरिम उपायों को मध्यस्थता कार्यवाही में सहायता करनी चाहिए और बेदखली और पुनर्विकास के लिए किराया अधिनियम के तहत विशेष वैधानिक तंत्र को ओवरराइड या संघर्ष नहीं करना चाहिए। न्यायालय ने देखा कि संरक्षित किरायेदारों...
बस स्टॉप्स पर पहुंच-योग्यता को लेकर दिव्यांग व्यक्तियों की शिकायतों पर शीघ्र निर्णय लें: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सलाहकार बोर्ड को निर्देश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार (17 अप्रैल) को राज्य सलाहकार बोर्ड ऑन डिसएबिलिटी को निर्देश दिया कि वह बस स्टॉप्स पर दिव्यांगजनों की पहुंच-योग्यता (Accessibility) से संबंधित शिकायतों पर शीघ्रता से विचार करे।चीफ जस्टिस आलोक आराधे और जस्टिस एम.एस. कारनिक की खंडपीठ ने राज्य सलाहकार बोर्ड को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगजनों की शिकायतों के निवारण के लिए उचित कार्रवाई करे।कोर्ट स्वतः संज्ञान (Suo Motu) से दायर याचिका और जनहित याचिका (PIL) पर एक साथ सुनवाई कर रही थी। स्वतः संज्ञान याचिका फुटपाथों के प्रवेश...
BREAKING | बॉम्बे हाईकोर्ट से कुणाल कामरा को मिली राहत, फैसला होने तक गिरफ्तारी पर रोक
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (16 अप्रैल) को कॉमेडियन कुणाल कामरा को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित तौर पर बनाए गए व्यंग्यात्मक वीडियो और "गद्दार" टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की याचिका पर गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।कामरा को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करते हुए और याचिका पर आदेश सुरक्षित रखते हुए जस्टिस सारंग कोतवाल और जस्टिस श्रीराम मोदक की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"तर्क समाप्त हो गए हैं। आदेश के लिए सुरक्षित। इस बीच पब्लिक प्रॉसिक्यूटर...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से आदेश सुनाने में देरी के लिए स्थगन की मांग करने वाले वकील के आचरण की जांच करने को कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल को वकील के आचरण के बारे में जांच करने का निर्देश दिया, जिसने आदेश पारित करने के लिए मामले को सूचीबद्ध किए जाने के बावजूद स्थगन की मांग की।यह टिप्पणी करते हुए कि वकील ने अपने मुवक्किल के “मुखपत्र” के रूप में काम किया, जस्टिस माधव जे. जामदार ने कहा कि वकीलों का पहला कर्तव्य न्यायालय के प्रति है और वकील अपने मुवक्किलों के एजेंट नहीं हैं।उन्होंने कहा,"यद्यपि मिस्टर विजय कुर्ले, वकील को यह सूचित किया गया कि मामला आदेश पारित करने के लिए रखा गया, फिर भी...
धारा 16 HAMA के तहत अनुमान, बच्चे को गोद देने और लेने वाले व्यक्तियों द्वारा दत्तक ग्रहण विलेख पर हस्ताक्षर करने पर सशर्त: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि गोद लेने के दस्तावेज के पंजीकरण मात्र से हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 16 के तहत अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसने कहा कि धारा 16 के तहत अनुमान बच्चे को गोद देने वाले और लेने वाले व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने पर सशर्त है। “केवल इसलिए कि गोद लेने का दस्तावेज एक पंजीकृत दस्तावेज है, इसे धारा 16 के तहत अनुमानित मूल्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। धारा 16 के तहत अनुमान केवल तभी लागू होता है जब दस्तावेज में किए गए गोद लेने के विवरण दर्ज...
मानव दांत खतरनाक हथियार नहीं, इससे हुई चोट धारा 323 IPC के अंतर्गत आएगी, धारा 324 के तहत नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि मानव दांतों से काटकर चोट पहुंचाना IPC की धारा 324 के बजाय धारा 323 के अंतर्गत स्वेच्छा से चोट पहुंचाना माना जाता है, क्योंकि मानव दांतों को हथियार नहीं माना जा सकता।जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय ए. देशमुख की खंडपीठ आवेदकों की उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने की याचिका पर विचार कर रही थी।आवेदकों पर IPC की धारा 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना),...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एम्बुलेंस की आपूर्ति के लिए सरकारी निविदा में कथित अवैधताओं पर जनहित याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और एम्बुलेंस की आपूर्ति और संचालन के लिए राज्य सरकार की निविदा प्रक्रिया में कथित अवैधताओं से संबंधित याचिका खारिज कर की।महाराष्ट्र आपातकालीन चिकित्सा सेवा (MEMS) परियोजना 2024 नामक निविदा को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि पिछले अनुबंध को उचित औचित्य के बिना बढ़ाया गया था और बाद के अनुबंध को गैरकानूनी रूप से एक संघ को दिया गया।निविदा प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाते हुए चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा,“विषय निविदा...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जस्टिस नीलेश ओझा का आपत्तिजनक वीडियो हटाने का दिया आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को यूट्यूब और मराठी समाचार चैनल एबीपी माझा को अधिवक्ता नीलेश ओझा के उस वीडियो को हटाने का आदेश दिया जिसमें उसने उच्च न्यायालय के मौजूदा जजों के खिलाफ 'अपमानजनक' आरोप लगाए थे।चीफ़ जस्टिस आलोक अराधे की अध्यक्षता वाली पांच जजों की खंडपीठ ने जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पूर्व चीफ़ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय के खिलाफ 'अपमानजनक और मानहानिकारक' आरोप लगाने के लिए ओझा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। खंडपीठ में जस्टिस अतुल चंदुरकर, जस्टिस महेश सोनक, जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस...
श्रम न्यायालय के आदेश का पालन न करने के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष को उत्तरदायी ठहराया गया: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस वाई. जी. खोबरागड़े की एकल पीठ ने श्रम न्यायालय के निर्णय को लागू करने में विफल रहने के लिए काइनेटिक इंजीनियरिंग लिमिटेड के अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया जारी करने को बरकरार रखा। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक प्रतिष्ठान के मामलों पर नियंत्रण और पर्यवेक्षण की स्थिति में रहने वाले व्यक्ति न्यायालय के निर्णयों को लागू करने के लिए बाध्य हैं, भले...














