हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2021-03-30 07:31 GMT

22 मार्च 2021 से 27 मार्च 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

धारा 138, एनआई एक्ट- सर्टिफिकेट ऑफ पोस्टिंग के तहत नोटिस की सेवा की कोई आवश्यकता नहीं; रजिस्टर्ड डाक से सेवा उचित: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि नेगोशिएबल इंस्ट्र‌ूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत पंजीकृत डाक से नोटिस भेजना उचित है, और पोस्टिंग के सर्टिफिकेट के तहत नोटिस की भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है। जस्ट‌िस अशोक जी निजगन्नावर की पीठ ने धारा 138 एनआई एक्ट के तहत एक अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा, "जब एक प्रेषक ने सही पता लिखकर रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से नोटिस भेजा है, तो जनरल क्लॉज एक्ट की धारा 27 को लाभप्रद रूप से आयात किया जा सकता है और ऐसी स्थिति में नोटिस की सेवा को प्रेषक पर प्रभावी माना जाता है, जब तक कि वह यह साबित नहीं करता है कि वास्तव में नोटिस की सेवा नहीं की गई और वह इस तरह की गैर-सेवा के लिए जिम्मेदार नहीं था।"

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लॉ कॉलेजों की मशरूमिंग- यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अवसरों के निर्माण के नाम पर शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता न किया जाए: मद्रास हाईकोर्ट

द्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 मार्च) को नए निजी लॉ कॉलेजों की संख्या को कम करने के लिए नियम बनाने की मांग वाली याचिका पर कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आने वाले नए लॉ कॉलेजों द्वारा अवसरों के निर्माण के नाम पर शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता न किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा लॉ कॉलेजों में उपलब्ध शिक्षा के मानक और उपलब्ध बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

केस का शीर्षक – एम.डी. अशोक बनाम तमिलनाडु राज्य सरकार के मुख्य सचिव और अन्य [W.P.No.1858 of 2021]

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"अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए एक महीने की सामुदायिक सेवा करें", दिल्ली HC ने महिला पर हमला करने के आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (26 मार्च) को एक व्यक्ति को एक महिला पर हमला करने के आरोप में 1 महीने तक सामुदायिक सेवा करके अपने पापों का प्रायश्चित करने का निर्देश दिया और पार्टियों के बीच हुए समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द कर दी। न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की एक एकल-न्यायाधीश पीठ ने आरोपी पर 1 लाख की लागत लगाते हुए यह निर्देश पारित किया। अदालत ने यह भी कहा कि शिकायत को देखकर लगता है कि याचिकाकर्ता ने बहुत मनमाने ढंग से कार्य किया।

केस का शीर्षक - विक्रमजीत सिंह बनाम राज्य और अन्य

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डेवलपर का महीनों 'ट्रांजिट रेंट' का भुगतान नहीं करना 'बढ़ता सामाजिक अन्याय'; एक भी डिफ़ॉल्ट समझौते को समाप्त करने के लिए पर्याप्त: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, जिसमें मुंबई में 'पुनर्विकास' की वास्तविकताओं का पता लगता है, कहा है कि परियोजना के पूरा होने या किराए में भुगतान में थोड़ी देरी भी एक डेवलपर के समझौते को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है। जस्टिस गौतम पटेल की एकल पीठ ने कहा कि पुनर्विकास के मामलों में, जो निजी कानून के दायरे में हैं, 'पर्याप्त अनुपालन' जैसी कोई चीज नहीं है। "परियोजना के पूरा होने में थोड़ी देरी, जब तक कि विशेष रूप से सोसायटी द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है, और यहां तक कि ट्रांजिट किराए या अन्य बकाया के भुगतान में एक भी चूक वास्तव में समाप्ति के लिए पर्याप्त है। इन मामलों में 'पर्याप्त अनुपालन' जैसी कोई बात नहीं है। यह निजी कानून के दायरे में दायित्वों का सिद्धांत नहीं है।"

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हम आगे और विस्तार देने का कोई कारण नहीं देखते : ' कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेशों की अवधि 31 मार्च के बाद बढ़ाने से इनकार किया

कलकत्ता हाईकोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने फैसला किया है कि वह अंतरिम आदेशों के सीमा का विस्तार नहीं करेगी, जिनकी समयसीमा COVID-19 महामारी के चलते लॉकडाउन को देखते हुए बढ़ाई गई थी। इस प्रकार, इन अंतरिम आदेशों की अवधि दी गई समयसीमा 31 मार्च, 2021 को समाप्त हो जाएगी। मुख्य न्यायाधीश थोट्टिल बी. राधाकृष्णन, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस आईपी मुकर्जी, जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस सुब्रत तालुकदार की खंडपीठ ने इसलिए मार्च 2020 में न्यायालय द्वारा दर्ज की जनहित याचिका पर सुनवाई बंद कर दी।

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केवल एक लेन-देन पर ही ठोस सजा समवर्ती की जा सकती हैः कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि केवल एक लेन-देन पर ही ठोस सजा समवर्ती की जा सकती है। यदि लेनदेन अलग-अलग हैं, तो आरोपी को उक्त रियायत नहीं दी जा सकती है। डिफ़ॉल्ट सजा के मामले में, समवर्ती सजा का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस एचपी संधेश की एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि डिफ़ॉल्ट सजाओं को समवर्ती नहीं बनाया जा सकता है और ठोसा सजा के संबंध में उन्हें लगातार जारी रहना चाहिए, इस अदालत को प्रत्येक मामले की सामग्री को देखना चाहिए, चाहे वह लेनदेन एक ही लेनदेन से उत्पन्न हो या अलग-अलग लेनदेन हो। "

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 वर्षीय लड़की का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करवाने के मामले में आरोपी महिला को जमानत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उस महिला को जमानत दे दी है,जिस पर एक 19 साल की लड़की का अपहरण करने और उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है। महिला पर यूपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत केस दर्ज किया था। अध्यादेश के प्रावधान, जो अब एक अधिनियम के रूप में लागू हो चुके हैं, गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध घोषित करते हैं।

केस का शीर्षकः चांदबीबी बना यूपी राज्य

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दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म 'हाथी मेरे साथी' के रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदी फीचर फिल्म 'हाथी मेरे साथी' (तमिल में 'कादन' और तेलुगु में 'अरण्य' नाम से) के रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह याचिका डॉ. रेड्डी की लेबोरेटरीज लिमिटेड (Dr. Reddy's Laboratories Ltd) द्वारा दायर की गई थी। मल्टीनेशनल फार्मास्युटिकल कंपनी ने किसी भी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे सिनेमा घर, ओटीटी आदि पर रिलीज पर रोक लगाने की मांग की थी। आरोप लगाया है कि यह फिल्म वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क/ब्रांड 'डीआरएल (DRL)' का उल्लंघन कर रही है।

केस का शीर्षक – डॉ. रेड्डी लेबोरेटरीज लिमिटेड बनाम इरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड और अन्य [CS (COMM) 126/2021]

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शौचालय इतने बेकार हैं कि उनका जानवरों द्वारा भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता हैः पटना हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगते हुए शैक्षिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे के लिए धन मुहैया कराने को कहा

पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (24 मार्च) को कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि पटना में लड़कियों के शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं, जैसे- शौचालयों आदि की कमी है। हाईकोर्ट ने 09 मार्च को ऐसे संस्थानों में छात्राओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे के अस्तित्व और कार्यक्षमता की सही स्थिति का पता लगाने के लिए शैक्षिक संस्थानों की एक सूची का दौरा करने के लिए तीन महिला अधिवक्ताओं की एक समिति का गठन किया था।

केस का शीर्षक - इन द मैटर ऑफ न्यूज रिपोर्ट दिनांक 10.04.2018 में प्रकाशित हिन्दी समाचार दैनिक हिन्दुस्तान पटना लाइव बनाम बिहार राज्य और अन्य [Civil Writ Jurisdiction Case No.6941 of 2018]

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जांच अधिकारी ऐसे कृत्य में लिप्त ना हो, जिससे आरोपी को फायदा होः बॉम्‍बे हाईकोर्ट

एक मोटर दुर्घटना, जिसमें कथ‌ित रूप से एक सब-इंस्पेक्टर के शामिल होने का आरोप था, में मारी गए एक महिला के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर कि कैसे जांच अधिकारियों को ऐसे अपराधों की जांच करनी चाहिए, कुछ महत्वपूर्ण टिप्पण‌ियां की। जस्टिस रविंद्र वी घुगे और जस्टिस बीयू देबद्वार की खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि एक जांच अधिकारी अपराध प्रक्रिया संहिता/ उसकी सर्वोत्तम क्षमता के लिए लागू प्रक्रिया के अनुसार अपराध की जांच करे। ।

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'यात्रियों को अपर्याप्त सुरक्षा के कारण कष्ट झेलना पड़ा'',मद्रास हाईकोर्ट ने भीड़ के कारण ट्रेन से गिरकर मरने वाली महिला के परिवार को 8 लाख मुआवजा दिया

ट्रेनों ( विशेषतौर ईएमयू ट्रेनों) में पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करने में विफल रहने के लिए रेलवे सुरक्षा अधिकारियों को चेतावनी देते हुए,मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में वर्ष 2014 में ट्रेन से गिरकर मरने वाली एक महिला के परिवार को 8 लाख रूपए (6 प्रतिशत ब्याज सहित) मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह महिला एक ईएमयू में यात्रा कर रही थी और ट्रेन में भीड़ व अपर्याप्त सुरक्षा के कारण वह चलती ट्रेन से गिरकर मर गई थी।

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'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम की धारा 17 के तहत तलाकशुदा पत्नी निवास के अधिकार की हकदार नहीं है' : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 17 के तहत तलाकशुदा पत्नी निवास के अधिकार की हकदार नहीं है क्योंकि निवास का अधिकार केवल घरेलू संबंध रखने वाली महिला को उपलब्ध है। जस्टिस के. विनोद चंद्रन और एमआर अनीता की डिवीजन बेंच ने कहा कि निवास का अधिकार केवल घरेलू संबंध रखने वाली महिला के लिए उपलब्ध है। हालांकि, अदालत ने कहा कि साझा घर में रहने वाली तलाकशुदा पत्नी को केवल कानून के अनुसार बेदखल किया जा सकता है।

केस: रामचंद्र वारियर बनाम जयश्री (Crl.Rev.Pet.NO.3079 Of 2009)

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दिल्ली दंगा: हाईकोर्ट ने UAPA के तहत 'बड़े षड्यंत्र' मामले के ट्रायल पर लगी रोक हटाई

दिल्ली सरकार की इस दलील के मद्देनजर कि मामले के आरोपी 25 मार्च को ट्रायल कोर्ट से दायर चार्जशीट की पूरी हार्ड कॉपी लेने के लिए स्वतंत्र हैं, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को मामले के ट्रायल पर लगी रोक को हटाई। इससे पहले अदालत ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत ट्रायल पर रोक लगा दी थी। यह रोक ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील पर लगाई गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को चार्जशीट की हार्ड कॉपी दिए जाने का निर्देश दिया था।

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यूएपीए- " कथित कृत्य और जब्त की गई संपत्ति के बीच कनेक्शन की अनुपस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि संपत्तियों को आतंकवादी कृत्य के तहत जब्त किया गया": पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कथित कृत्य और जब्त की गई संपत्ति के बीच किसी भी कनेक्शन की अनुपस्थिति में यह नहीं माना जा सकता है कि संपत्तियों को आतंकवादी कृत्य के तहत जब्त किया गया था। न्यायाधीश बीरेंद्र कुमार एकल की बेंच ने यह अवलोकन किया। दरअसल, कोर्ट के समक्ष नामित प्राधिकरण के उस आदेश को चुनौती देते हुए आरोपी के परिवार के सदस्यों की ओर से याचिका दायर की गई, जिसमें प्राधिकरण ने यूएपीए की धारा 25 के तहत संपत्तियों की जब्ती के संबंध में जो आरोपी पर लगे कथित आरोपों के साथ जुड़ा नहीं था, उसे भी जब्त करने की पूर्व अनुमति दी थी।

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रेयान स्कूल मर्डर केस: गुरुग्राम कोर्ट ने आरोपी स्टूडेंट की जमानत याचिका खारिज की

गुरुग्राम में एक जिला और सत्र न्यायालय ने सोमवार को 2017 के रेयान स्कूल मर्डर केस में मुख्य आरोपी और बाल सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार 11वीं कक्षा के छात्र द्वारा दायर की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

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