शौचालय इतने बेकार हैं कि उनका जानवरों द्वारा भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता हैः पटना हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगते हुए शैक्षिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे के लिए धन मुहैया कराने को कहा
LiveLaw News Network
26 March 2021 11:20 AM IST
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (24 मार्च) को कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि पटना में लड़कियों के शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं, जैसे- शौचालयों आदि की कमी है।
हाईकोर्ट ने 09 मार्च को ऐसे संस्थानों में छात्राओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे के अस्तित्व और कार्यक्षमता की सही स्थिति का पता लगाने के लिए शैक्षिक संस्थानों की एक सूची का दौरा करने के लिए तीन महिला अधिवक्ताओं की एक समिति का गठन किया था।
24 मार्च को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ ने कुछ शैक्षणिक संस्थानों विशेषकर सरकारी स्कूलों में शौचालयों की स्थिति की तस्वीरों का अवलोकन किया।
इस पर पीठ ने कहा,
"हालत केवल जानवरों द्वारा भी उपयोग में नहीं लाए जा सकने वाली स्थिति को को दर्शाती है। रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि बुनियादी ढांचे शौचालयों आदि की कमी है। साथ ही वे काफी गंदे हैं।"
अदालत ने आगे कहा,
"अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में अभी भी सैनिटरी वेंडिंग और वेंडिंग एन्ड डिस्पोजल मशीन स्थापित नहीं की गई हैं। इसके अलावा, रिकॉर्ड और बार में चर्चा से स्पष्ट है कि शौचालयों के रखरखाव के लिए धन की कमी है।"
प्रधानाचार्यों के साथ बातचीत करने के बाद अदालत ने पाया कि कई योजनाओं के माध्यम से धन प्रदान किया जाता है, लेकिन वह कम और अत्यधिक अपर्याप्त है।
इसके लिए, न्यायालय ने टिप्पणी की कि सरकार को शौचालय के रखरखाव के लिए धन उपलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा,
"शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को उनके व्यक्तिगत हलफनामे को दर्ज करने के लिए कहें कि फंड को कैसे बढ़ाया जा सकता है।"
इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि शौचालयों की संख्या बहुत कम है और बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की जरूरत है।
न्यायालय ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताई गई समस्या और अन्य कमियों से निपटने का निर्देश दिया।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि कुछ ऐसे संस्थान भी हैं, जहाँ कैंपस के भीतर शौचालय नहीं हैं और छात्राओं को कैंपस से सटे आम जन सुविधा की सुविधा का उपयोग करने के लिए बाहर जाना पड़ता है।
इस पर कोर्ट ने कहा,
"हम इसके कारण से अवगत नहीं हैं, लेकिन आयुक्त, पटना नगर निगम सहित अधिकारियों को इस मुद्दे की जांच करने और एक समाधान खोजने के लिए देना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को परिसर के भीतर शौचालय के लिए प्रत्यक्ष और अनन्य पहुंच है।"
इस मामले में अब अगली सुनवाई 15 अप्रैल, 2021 को होगी।
केस का शीर्षक - इन द मैटर ऑफ न्यूज रिपोर्ट दिनांक 10.04.2018 में प्रकाशित हिन्दी समाचार दैनिक हिन्दुस्तान पटना लाइव बनाम बिहार राज्य और अन्य [Civil Writ Jurisdiction Case No.6941 of 2018]
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें