हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2023-08-27 04:30 GMT

देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (21 अगस्त, 2023 से 25 अगस्त, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

आपराधिक धमकी | बिना इरादे के केवल शब्दों की अभिव्यक्ति आईपीसी की धारा 506 लगाने के लिए अपर्याप्त: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में माना कि केवल शब्दों की अभिव्यक्ति, जिसमें ‌शिकायतकर्ता को परेशान करने का इरादा ना हो, उससे कोई कार्य कराना या किसी कार्य को न करने देना, आपराधिक धमकी के दायरे में लाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत निर्धारित है।

जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस प्रकार आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड, 1860 की धारा 34 सहपठित धारा 448, 504 और 506 के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।

केस टाइटल: सुगुरप्पा @ सुगुरय्या स्वामी बनाम कर्नाटक राज्य

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सीआरपीसी की धारा 438 | अग्रिम जमानत याचिका आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी सुनवाई योग्य होगी: उत्तराखंड हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2:1 के बहुमत से माना कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत 'अग्रिम जमानत' के लिए आवेदन पर आरोप-पत्र प्रस्तुत करने के बाद भी विचार किया जा सकता है। चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि विधायिका ने उस चरण के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया, जिस स्तर तक अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

केस टाइटल: सौभाग्य भगत बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य। [और अन्य जुड़े मामले]

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रोजमर्रा के कामकाज में एक गृहणी का योगदान अतुलनीय और गहन प्रशंसायोग्यः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना‌ कि दैनिक जीवन में एक गृहिणी का योगदान "अतुलनीय और गहन प्रशंसा के योग्य है।" हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक महिला की अपील को अनुमति दी, जिसमें उसने अपनी पति की मृत्यु के बाद उसे दिए गए मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग की थी।

जस्टिस संजय वशिष्ठ की बेंच ने कहा, "एक गृहिणी के कंधों पर असंख्य जिम्मेदारियां होती हैं, जिसमें विविध प्रकार के कार्य शामिल होते हैं। घरेलू कामकाज को मैनेज करने से लेकर रिश्तों को पोषित करने और सौहार्दपूर्ण माहौल को बनाए रखने तक, उनकी भूमिका निरंतर और बहुत अपेक्षाओं वाली होती है। चौबीसों घंटे अथक परिश्रम करती एक गृहिणी का समर्पण निर्विवाद है।"

केस टाइटल- दया @ दयावंती बनाम अर्जुन और अन्य [एफएओ-3236-200]

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अनुच्छेद 20 | 2018 संशोधन से पहले 16 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ बलात्कार के लिए आईपीसी की धारा 376(3) के तहत कोई दोषसिद्धि नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बलात्कार करने के लिए एक व्यक्ति को दी गई सजा को बरकरार रखा है। हालांकि ट्रायल कोर्ट द्वारा उस दी गई 20 साल की सजा को संशोधित करके 10 साल कैद में बदल दिया है।

जस्टिस के नटराजन की सिंगल जज बेंच ने 45 वर्षीय अब्दुल खादर उर्फ रफीक द्वारा दायर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया, जिसे 2015 में किए गए अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (3) के तहत 20 साल की सजा सुनाई गई थी।

केस टाइटलः अब्दुल खादर @ रफीक और कर्नाटक राज्य और अन्य।

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गर्भवती कामकाजी महिलाएं मातृत्व लाभ की हकदार, उन्हें केवल रोजगार की प्रकृति के कारण रोका नहीं जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि गर्भवती कामकाजी महिलाएं मातृत्व लाभ की हकदार हैं और उनके रोजगार की प्रकृति के कारण उन्हें मातृत्व लाभ अधिनियम, 2017 के तहत राहत से वंचित नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने फैसला सुनाया, "अधिनियम की भाषा या इसके प्रावधानों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि एक कामकाजी गर्भवती महिला को उनके रोजगार की प्रकृति के कारण राहत पाने से रोका जाएगा।"

केस टाइटल: अन्वेषा देब बनाम दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण

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मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को स्थानीय निकाय चुनावों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने का निर्देश दिया

मद्रास हाईकोर्ट ने कुड्डालोर जिला कलेक्टर को नैनारकुप्पम गांव के पंचायत अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को उनके ट्रांसफोबिक पत्र और गांव में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पट्टा भूमि देने के खिलाफ प्रस्ताव के लिए हटाने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, "प्रथम प्रतिवादी/जिला कलेक्टर, कुड्डालोर जिले को प्रक्रियाओं का पालन करके नैनार्कुप्पम ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने के लिए तमिलनाडु पंचायत अधिनियम, 1994 के तहत सभी उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया जाता है।"

केस टाइटल: राष्ट्रपति बनाम जिला कलेक्टर

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पति की प्रेमिका या विवाह के बाहर उसके साथ यौन संबंध बनाने वाली महिला पर आईपीसी की धारा 498ए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए में आने वाले 'रिश्तेदार' शब्द में पति की प्रेमिका, या वह महिला शामिल नहीं होगी, जिसके साथ पुरुष का विवाह से बाहर यौन संबंध है। आईपीसी की धारा 498ए किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा की गई क्रूरता को परिभाषित करती है और सजा का प्रावधान करती है। जस्टिस के. बाबू ने कहा कि आईपीसी की धारा 498-ए दंडात्मक प्रावधान है, इसलिए इसे सख्ती से समझा जाना चाहिए।

केस टाइटल: चांधिनी टी.के. बनाम केरल राज्य

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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने क्रिप्टिक, नॉन-स्पीकिंग ऑर्डर में वृद्धि के बीच आरटीआई अधिकारियों को निर्देश जारी किए

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ने हाल ही में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत अपीलीय प्राधिकारियों सहित प्राधिकारी सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और आरटीआई अधिनियम का अधिदेश के निर्णयों का उल्लंघन करते हुए "क्रिप्टिक और नॉन-स्पीकिंग ऑर्डर" पारित कर रहे हैं। नॉन स्पीकिंग ऑर्डर से तात्पर्य ऐसे आदेशों से हैं, जो कानून के मूल सिद्धांत के विपरित होते हैं। ये कानून के नजरिए से अनुचूति आदेश होते हैं।

केस टाइटल: राजविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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बिना कारण पति के परिवार से अलग रहने की पत्नी की जिद 'क्रूरता': दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि बिना किसी उचित कारण के पति के परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहने की पत्नी की जिद को 'क्रूरता' का कार्य कहा जा सकता है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि घर पर ऐसा कटु माहौल किसी विवाहित जोड़े के लिए सौहार्दपूर्ण वैवाहिक संबंध बनाने के लिए अनुकूल माहौल नहीं हो सकता है।

केस टाइटल: एसजे बनाम एस

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न्यायालय अपर्याप्त/अपेक्षित स्टांप शुल्क स्वयं प्राप्त कर सकता है, जब्त किए गए समझौते को स्टांप कलेक्टर को भेजने की आवश्यकता अनिवार्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में यह दोहराया कि एएंडसी एक्‍ट की धारा 11 के तहत शक्ति का प्रयोग कर रहे न्यायालय के लिए बिना स्टांप के या अपर्याप्त स्टांप के समझौते को जब्त करना अनिवार्य है। कोर्ट ने यह माना कि न्यायालय खुद स्‍टांप एक्ट, 1899 की धारा 35 के तहत कमी/अपेक्षित स्टांप शुल्क एकत्र कर सकता है, और स्‍टांप एक्ट की धारा 35 के प्रावधान (ए) के तहत अपेक्षित जुर्माने के साथ अपेक्षित स्‍टांप शुल्क जमा करने में सक्षम बना सकता है।

केस टाइटल: स्प्लेंडर लैंडबेस लिमिटेड बनाम अपर्णा आश्रम सोसाइटी, OMP(COMM) 366/2021

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पत्नी का पति पर झूठे आरोप लगाना, पुलिस की लगातार धमकी देना क्रूरता : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी का पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे आरोप लगाना और उन्हें पुलिस स्टेशन में बुलाए जाने की लगातार धमकी देना क्रूरता का कार्य है जो मानसिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ पति की तरफ से दायर अपील को स्वीकार कर लिया है। फैमिली कोर्ट ने पति की उस याचिका को खारिज कर दिया था,जिसमें उसने पत्नी से क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की मांग की थी।

केस टाइटल- केएसजी बनाम पी

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अविश्वास प्रस्ताव के कारण हटाए गए सरपंच खुद को हटाने के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए उपचुनाव लड़ सकते हैं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर स्थित पीठ ने हाल ही में कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के कारण पद से हटा दिया गया एक सरपंच परिणामी रिक्ति को भरने के लिए आयोजित उप-चुनाव लड़ सकता है। जस्टिस एएस चंदूरकर और जस्टिस वृषाली वी जोशी की खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम, 1959 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो ऐसे सरपंच को उनके स्वयं के निष्कासन के कारण आवश्यक उप-चुनाव लड़ने से रोक सके।

केस टाइटल- राहुल पुत्र सहदेव लोखंडे और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य

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'ट्रांसजेंडर जातिगत पहचान नहीं, हर व्यक्ति को आत्मनिर्णय की अनुमति होनी चाहिए': पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा, "ट्रांसजेंडर जातिगत पहचान नहीं है और पुरुष/महिला लिंग वर्गीकरण के अनुरूप नहीं होने वाले लोगों सहित प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्णय की अनुमति दी जानी चाहिए।"

चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि बिहार सरकार ने 2022 के जाति सर्वेक्षण के लिए जाति गणना के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शामिल करके गलती की है। कोर्ट ने कहा कि समुदाय का कोई भी व्यक्ति ट्रांसजेंडरों को जाति के रूप में न मानने की मांग करते हुए राज्य सरकार को प्रतिनिधित्व देने का हकदार होगा। हालांकि, उसने इस मामले में हस्तक्षेप करने से परहेज किया।

केस टाइटल: रेशमा प्रसाद बनाम बिहार राज्य और अन्य

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निर्णय के बाद की सुनवाई पूर्व-निर्णय की सुनवाई की प्रक्रियात्मक कमी को दूर कर सकती है- जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि "बेकार औपचारिकता सिद्धांत" उन मामलों में प्रासंगिक होगा, जहां किसी पक्ष के मामले में सार नहीं है या सफलता की संभावना कम है। ऐसे में प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों को लागू करने से परिणाम नहीं बदलेगा। जस्टिस जावेद इकबाल वानी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में भी निर्णय के बाद की सुनवाई का सहारा लेने से प्रक्रियात्मक खामियां ठीक हो सकती हैं और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सकती है।

केस टाइटल: नूर इलाही फख्तू बनाम केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और अन्य।

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'लिंग परिवर्तन एक संवैधानिक अधिकार': लिंग परिवर्तन सर्जरी की अनुमति मांगने वाली महिला कांस्टेबल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि किसी व्यक्ति को सर्जिकल हस्तक्षेप के माध्यम से अपना लिंग बदलने का "संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त" अधिकार है, पिछले सप्ताह राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) को एक महिला कांस्टेबल द्वारा लिंग बदलवाने की प्रक्रिया की अनुमति मांगने के लिए दायर एक आवेदन का निपटान करने का निर्देश दिया। जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने आगे कहा कि यदि आधुनिक समाज में हम किसी व्यक्ति में अपनी पहचान बदलने के इस निहित अधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं तो हम "केवल जेंडर आईडेंटिटी डिस ऑर्डर सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे।"

केस टाइटल - नेहा सिंह बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य - 7796/2023]

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अंतरिम भरण-पोषण/हिरासत आवेदनों पर 90 दिनों में निर्णय लें: दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक मामलों के शीघ्र निपटान के लिए फैमिली कोर्ट को निर्देश जारी किए

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस संबंध में किसी विशिष्ट नियम के अभाव में एक समय सीमा के भीतर विवाह और पारिवारिक मामलों से संबंधित मामलों के त्वरित निपटान के लिए राष्ट्रीय राजधानी में फैमिली कोर्ट को कई निर्देश जारी किए हैं।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि जब एक मुकदमा विधिवत स्थापित किया गया है तो प्रतिवादी को दावे का जवाब देने और 30 दिनों के भीतर बचाव का लिखित बयान दाखिल करने के लिए समन जारी किया जा सकता है।

केस का शीर्षक: श्रीमती। केएस सुमी मोल बनाम एसएच सुरेश कुमार ई के

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आयकर अधिनियम के अनुसार चेक धारक द्वारा ऋण को बही में दर्ज न करना एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत शिकायत को खारिज करने का आधार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एकल न्यायाधीश के एक संदर्भ का उत्तर देते हुए कहा कि चेक धारक द्वारा चेक जारीकर्ता को दिए गए ऋण को बहीयों/आयकर रिटर्न में दर्ज करने में विफलता, परक्राम्य लिखत अधिनियम (एनआई अधिनियम) की धारा 138 के तहत ऋण को अप्रवर्तनीय नहीं बना देगी।

जस्टिस एएस चंदूरकर और ज‌स्टिस वृषाली वी जोशी की खंडपीठ ने कहा कि चेक धारक के पक्ष में कानूनी रूप से लागू ऋण/देयता का अस्तित्व अधिनियम की धारा 139 के तहत माना जाता है, और ऐसी धारणा का खंडन करने का दायित्व आरोपी पर है।

केस टाइटलः प्रकाश मधुकरराव देसाई बनाम दत्तात्रय शेषराव देसाई

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जब तक कानून सक्षम ना करे, सेवानिवृत्ति या इस्तीफा देकर नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारी को लीव एनकैशमेंट का दावा करने का अधिकार नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि एक कर्मचारी, जिसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या अन्यथा, या इस्तीफे के जर‌िए अपनी नौकरी छोड़ी है, उसके पास अपनी छुट्टी को कैश (नकदीकरण) कराने का दावा करने का कोई निहित या अंतर्निहित अधिकार नहीं होता, जब तक कि किसी कानून, नियमों या सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले मानदंडों के जर‌िए ऐसे प्रावधान नहीं किए गए हैं।

ज‌स्टिस अलेक्जेंडर थॉमस और जस्टिस सी जयचंद्रन की खंडपीठ ने य‌ह टिप्पणी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की अपील पर विचार करते हुए की। अपील में एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें कंपनी को इस आधार पर कर्मचारी को अवकाश नकदीकरण वितरित करने का निर्देश दिया गया था कि वह वेतन का हिस्सा है।

केस टाइटल: नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य बनाम एस सुदीप कुमार

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जिस व्यक्ति का नाम एफआईआर में नहीं, लेकिन आगे की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया, वह सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत मांग सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अदालत द्वारा अपराध का संज्ञान लेने के बाद आगे की जांच की प्रक्रिया में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत वैधानिक जमानत (Default Bail) के लिए आवेदन दायर कर सकता है, यदि वह 90 दिन से अधिक समय तक हिरासत में रहा हो और पूरक आरोप पत्र दायर नहीं किया गया हो।

अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 309(2) के तहत पाए गए शब्द "आरोपी यदि हिरासत में है," उसमें केवल वे लोग शामिल हैं, जो मामले का संज्ञान लेने के समय अदालत के समक्ष थे, न कि वे आरोपी जिन्हें आगे की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया।

केस टाइटल: ज्ञानशेखरन त्यागराज बनाम राज्य

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मोटर दुर्घटना - ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस न होने पर भी बीमाकर्ता थर्ड पार्टी को मुआवजा देगा, वाहन मालिक से वसूली कर सकता है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया है कि एक बीमा कंपनी मोटर वाहन दुर्घटना में थर्ड पार्टी के दावे को संतुष्ट करने के लिए उत्तरदायी है, भले ही बीमाकृत वाहन के ड्राइवर ने पॉलिसी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया हो। इसमें कहा गया है कि बीमा कंपनी बाद में वाहन के मालिक से मुआवज़े की राशि वसूल कर सकती है। इस मामले में दावा याचिकाकर्ताओं ने मृतक की पत्नी और बच्चे होने के नाते मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत 16,00,000/-रुपये के मुआवजे का दावा करते हुए याचिका दायर की।

मैसर्स न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, कडपा वर्सेस रोज़ मैरी कलावती

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पूर्व पत्नी आईपीसी की धारा 498ए के तहत केवल विवाह के दौरान हुए कथित उत्पीड़न के लिए शिकायत दर्ज करा सकती है: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत अपराध से संबंधित आरोपों पर एक महिला द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है, बशर्ते कि वह अपनी शादी के दरमियान हुए उत्पीड़न और क्रूरता की घटनाओं का दावा करे।

जस्टिस जितेंद्र दोशी ने कहा, "...आईपीसी की धारा 498ए के तहत अपराध के आरोप तलाकशुदा पत्नी के कहने पर भी लगाए जा सकते हैं, बशर्ते कि वह उन उत्पीड़नों और क्रूरताओं की घटना का आरोप लगाए, जिनका सामना उन्हें शादी के दरमियान करना पड़ा था।”

केस टाइटल: रमेशभाई दानजीभाई सोलंकी और सात अन्य बनाम गुजरात राज्य और एक अन्य

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कानूनी तौर पर विवाहित न होने के बावजूद दूसरी पत्नी मृत पति के सेवा संबंधित दावों को सुरक्षित करने की हकदारः आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना है कि दूसरी पत्नी अपने मृत पति के सेवा और टर्मिनल लाभों को पाने की हकदार है, भले ही उसे ‘‘कानूनी रूप से विवाहित पत्नी’’ का दर्जा प्राप्त न हो।

जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस के. मनमाधा राव की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि, ‘‘हमारा विचार है कि ऐसे मामलों में, भले ही यह पाया जाए कि पहली शादी के अस्तित्व के दौरान किए गए इस विवाह के लिए दूसरी पत्नी को पत्नी का दर्जा प्राप्त नहीं है, फिर भी मृत पति के सेवा लाभ और सेवा संबंधित दावों को सुरक्षित करने की हकदार है। न्यायालयों का प्रयास हमेशा दो पत्नियों के बीच इक्विटी को संतुलित करने का रहा है, हालांकि दूसरी को कानूनी रूप से विवाहित ‘‘पत्नी’’ के सख्त अर्थ में पत्नी नहीं समझा जा सकता है।’’

केस टाइटल- गद्दाम रूथ विक्टोरिया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

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डायबिटीज ‘उपचार योग्य’ है, यह पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण के भुगतान से बचने का बहाना नहींः कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अनंत कुमार केजी नामक एक व्यक्ति द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। फैमिली कोर्ट ने उसे अपनी अलग रह रही पत्नी को मासिक भरण-पोषण के रूप में 10,000 रुपये देने का निर्देश था।

जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह डायबिटीज और संबंधित बीमारियों से पीड़ित है, इसलिए वह पिछले तीन वर्षों से अपने नाबालिग बच्चे के पालन-पोषण के लिए मासिक भरण-पोषण राशि का भुगतान करने में सक्षम नहीं है।

केस टाइटल- अनंत कुमार केजी बनाम योगिता एस उर्फ योगिता अनंत कुमार

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मोटर वाहन दुर्घटना - पॉलिसी धारक के परिवार के सदस्य को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्लेम में मुआवज़ा नहीं मिल सकता : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस वी गोपाल कृष्ण राव ने मोटर दुर्घटना दावा मामले में कहा कि उल्लंघन करने वाले वाहन के मालिक का बेटा थर्ड पार्टी नहीं है और उसे थर्ड पार्टी के बीमा क्लेम के तहत बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

केस टाइटल: बंदरला नवीन कुमार बनाम बालाजी एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।

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जब बर्थ सर्टिफिकेट बनाया जाता है तो पासपोर्ट एंट्री उसके अनुरूप होनी चाहिए: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि पासपोर्ट महत्वपूर्ण दस्तावेज है, लेकिन त्रुटियां हो सकती हैं और जब बर्थ सर्टिफिकेट (Birth Certificate) तैयार किया गया है तो पासपोर्ट एंट्री बर्थ सर्टिफिकेट के अनुरूप होनी चाहिए।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने इस प्रकार कहा: “यह सच है कि पासपोर्ट महत्वपूर्ण दस्तावेज है और आवेदक को आवेदन के समय सही विवरण देना होगा। लेकिन कभी-कभी त्रुटियां हो जाती हैं। याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी अपना बर्थ सर्टिफिकेट संलग्न किया और उससे पता चलता है कि याचिकाकर्ता का जन्म 18.09.1960 को हुआ। जब बर्थ सर्टिफिकेट तैयार कर लिया जाए तो पासपोर्ट एंट्री बर्थ सर्टिफिकेट के अनुरूप होनी चाहिए।

केस टाइटल: अब्दुल रहमान बनाम पासपोर्ट अधिकारी

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ट्रायल कोर्ट को किशोर न्याय अधिनियम के तहत आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आधार के बारे में अपनी प्रथम दृष्टया राय देनी चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट को प्रथम दृष्टया यह बताना होगा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी आरोपी के खिलाफ किस आधार पर आरोप तय किए गए हैं। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, “ हालांकि आरोप के चरण में अदालत को विस्तृत आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, अदालत को प्रथम दृष्टया यह बताना होगा कि आरोप किस आधार पर तय किए गए थे।”

केस टाइटल : सुमैया जान @ सौमैया बनाम स्टेट एनसीटी ऑफ दिल्ली

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