रोजमर्रा के कामकाज में एक गृहणी का योगदान अतुलनीय और गहन प्रशंसायोग्यः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Avanish Pathak

25 Aug 2023 5:20 AM GMT

  • रोजमर्रा के कामकाज में एक गृहणी का योगदान अतुलनीय और गहन प्रशंसायोग्यः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना‌ कि दैनिक जीवन में एक गृहिणी का योगदान "अतुलनीय और गहन प्रशंसा के योग्य है।" हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक महिला की अपील को अनुमति दी, जिसमें उसने अपनी पति की मृत्यु के बाद उसे दिए गए मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग की थी।

    जस्टिस संजय वशिष्ठ की बेंच ने कहा,

    "एक गृहिणी के कंधों पर असंख्य जिम्मेदारियां होती हैं, जिसमें विविध प्रकार के कार्य शामिल होते हैं। घरेलू कामकाज को मैनेज करने से लेकर रिश्तों को पोषित करने और सौहार्दपूर्ण माहौल को बनाए रखने तक, उनकी भूमिका निरंतर और बहुत अपेक्षाओं वाली होती है। चौबीसों घंटे अथक परिश्रम करती एक गृहिणी का समर्पण निर्विवाद है।"

    मौजूदा मामले में पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के 2005 के एक फैसले के खिलाफ अपीलकर्ता/याचिकाकर्ता/दावेदार (दया @ दयावंती) की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

    अपीलकर्ता ने मोटर दुर्घटना में पति की मृत्यु के बाद प्राप्त मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग की थी।

    ट्रिब्यूनल ने उसे 3,79,000 रुपए का मुआवजा दिया। मृतक की आयु 49 वर्ष 8 माह थी। उसकी मासिक आय 3500 रुपए थी। मुआवजा राशि का आकलन व्यक्तिगत खर्चों में से 1/3 की कटौती के बाद 13 का गुणक लगाकर किया गया था। जीवनसाथी के सहयोग के रूप में 5,000 रुपए, अंतिम संस्कार के खर्च के रूप में 10,000 रुपए दिए गए।

    अपील में हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि ट्रिब्यूनल ने मृतक के मासिक वेतन का निर्धारण करने में गलती की और इस प्रकार, यह भविष्य की संभावनाओं के कारण आय बढ़ाने में विफल रहा। यह भी तर्क दिया गया कि ट्रिब्यूनल ने व्यक्तिगत खर्चों में अधिक कटौती की और संपत्ति के नुकसान के कारण कोई मुआवजा नहीं दिया गया।

    शुरुआत में, न्यायालय ने कहा कि मृतक, जो एक ट्रक चालक था, की आय का आकलन दुर्घटना के समय प्रचलित डीसी दरों के अनुसार किया जाना चाहिए था, जो 5,812.75 रुपए प्रति माह था।

    इसके अलावा, अदालत ने यह भी देखा कि अपीलकर्ता एक विधवा थी। वह मुआवजे की एकमात्र दावेदार थी और पति के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बाद उस पर काफी ज़िम्मेदारियां आ गई थी। न केवल उसे खुद की देखभाल करनी थी, बल्‍कि परिवार की देखभाल और सहयोग भी उसी के कंधों पर था।

    इसे देखते हुए, न्यायालय ने एक गृहिणी की भूमिका पर जोर दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    दावेदार को न केवल अपना ख्याल रखना है बल्कि अपने घर को मैनेज भी करना है, और यदि ऐसी परिस्थितियों में, आय में आधे की कटौती की जाती है, तो मृतक की विधवा के जीवन में गंभीर संकट पैदा होगा। उसके लिए यह बहुत ज्यादा कठिनाई का कारण बनेगा।

    इस प्रकार, न्याय के हित में कोर्ट ने राय दी कि वर्तमान मामले में व्यक्तिगत खर्चों के लिए कटौती मृतक की आय का 1/3 होना चाहिए और एकमात्र दावेदार- विधवा को मृतक की शेष आय यानी 2/3 का हकदार होना चाहिए।

    नतीजतन, न्यायालय ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता (याचिकाकर्ता/दावेदार) को देय कुल मुआवजा 8,44,508 रुपए होगा, जिसमें दावा याचिका दायर करने की तारीख से मुआवजे के भुगतान की तारीख तक 7.5% प्रति वर्ष ब्याज भी देय होगा।

    केस टाइटल- दया @ दयावंती बनाम अर्जुन और अन्य [एफएओ-3236-200]

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