इलाहाबाद हाईकोट
समान मामला समय पर सुना जा चुका हो तो देरी के कारण अपील खारिज करना अनुचित: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी आदेश को चुनौती देने वाला समान मामला समय पर दायर होने के कारण मेरिट पर सुना दिया गया हो तो देरी का हवाला देकर समान आदेश के खिलाफ दूसरी अपील को खारिज करना न्यायसंगत नहीं होगा।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा,"यह न्यायोचित प्रतीत नहीं होता कि मामले में वादपत्र लौटाने के आदेश की वैधता मेरिट पर जांची जाए, जबकि समान आदेश के खिलाफ समान आधारों पर दायर दूसरी चुनौती को केवल अपील में हुई देरी के आधार पर खारिज कर दिया जाए।"यह मामला...
गवाहों को पेश करने के लिए समन व कार्रवाई लागू न करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई चिंता
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये समन जारी करने और दंडात्मक उपायों को लागू करने में पुलिस की नाकामी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।IPC की धारा 363, 366, 376, 384 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 और आईटी अधिनियम की धारा 67ए के तहत अपराधों के लिए 2022 से जेल में बंद आरोपियों की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस अजय भनोट ने कहा,"वैधानिक जनादेश के बावजूद मुकदमे में गवाहों की उपस्थिति को मजबूर करने के लिए पुलिस...
NEET के लिए दिव्यांगजनों को आरक्षण विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र के आधार पर दिया जाना चाहिए, प्राधिकारी अभ्यर्थी की विकलांगता का पुनर्मूल्यांकन नहीं कर सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि NEET परीक्षा के लिए आरक्षण का लाभ सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (UDID) के आधार पर दिया जाना चाहिए और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के तहत प्राधिकारी अभ्यर्थी की दिव्यांगता का पुनर्मूल्यांकन नहीं कर सकता।एक NEET अभ्यर्थी को राहत देते हुए जस्टिस पंकज भाटिया ने कहा,"राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार नामित प्राधिकारियों को केवल 'कार्यात्मक दिव्यांगता' का आकलन करने का कार्य सौंपा जा सकता है, जिसके...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में अब्बास अंसारी की सजा पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी की तीन साल पुराने नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने से न केवल उनके साथ बल्कि मतदाताओं के साथ भी अन्याय होगा, जिन्होंने उन्हें चुना था।2022 में मऊ से चुने गए अब्बास को 2022 में किए गए एक अभियान भाषण के लिए मई 2025 में दो साल की कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके कारण उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सत्र अदालत ने जहां उसकी सजा...
सह-अभियुक्तों को केवल समझाना हत्या की सजा बरकरार रखने के लिए पर्याप्त नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 42 साल बाद आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी को बरी किया
42 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे उकसाया गया था। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस मदन पाल सिंह की पीठ का मानना था कि सामान्य उकसावे का मामला एक कमज़ोर सबूत है और जब तक अभियोजन पक्ष उकसावे पर "मन की एकता" नहीं दिखाता, जिसके कारण सह-अभियुक्त ने मृतक को चाकू मारा, तब तक उसे हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।अपीलकर्ता को धारा 302 (हत्या) और धारा 34 के तहत दोषी...
हड़तालों के कारण 102 सुनवाइयों में 68 बार स्थगन से राजस्व मामला ठप, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को 'आश्चर्यचकित' करते हुए तलब किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह रुदौली (अयोध्या) तहसील के राजस्व मामले में बार-बार स्थगन पर गहरी चिंता व्यक्त की, जहां 102 सुनवाइयों में से 68 स्थानीय बार एसोसिएशन की हड़ताल या शोक संवेदना के कारण स्थगित कर दी गईं।जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने रुदौली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर नियमित आधार पर बहिष्कार के आह्वान के बारे में स्पष्टीकरण देने और यह बताने का निर्देश दिया कि उनके आचरण के प्रत्यक्ष परिणाम स्वरूप "ऐसी दयनीय स्थिति पैदा करने" के लिए उनके विरुद्ध...
प्रथम दृष्टया, उम्मीदवारों की संपत्ति सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए ECI ज़िम्मेदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से प्राप्त चुनावी उम्मीदवारों की संपत्ति प्रकटीकरण की सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए ज़िम्मेदार वैधानिक निकाय प्रतीत होता है।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने लोक प्रहरी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2018 के फैसले के कार्यान्वयन के संबंध में लोक प्रहरी द्वारा अपने महासचिव एसएन शुक्ला (रिटायर आईएएस) के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह...
आयुक्त का आदेश अंतिम हो जाने के बाद विकास प्राधिकरण मानचित्र की स्वीकृति को अस्वीकार नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अपील में आयुक्त का आदेश अंतिम हो जाने के बाद विकास प्राधिकरण बाद के मास्टर प्लान के आधार पर मानचित्र की स्वीकृति को अस्वीकार नहीं कर सकता, जो आयुक्त के आदेश के विपरीत हो सकता है।गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के खिलाफ डेवलपर की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश पाडिया ने कहा,“अपील में आयुक्त द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में विकास प्राधिकरण यह विचार करने के लिए बाध्य है कि दिनांक 28.11.2006 के पत्र द्वारा अपेक्षित औपचारिकताएं पूरी की गईं या नहीं और यदि...
DV Act की धारा 31 के तहत आपराधिक दायित्व तभी, जब धारा 12 से 23 के तहत पारित संरक्षण आदेश का उल्लंघन हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 (Domestic Violence Act) की धारा 31 के तहत आपराधिक कार्यवाही तभी शुरू हो सकती है, जब मजिस्ट्रेट द्वारा एक्ट की धारा 12 से 23 के अंतर्गत पारित संरक्षण आदेश या अंतरिम संरक्षण आदेश का उल्लंघन किया गया हो।जस्टिस विनोद दिवाकर ने कहा,“यदि पहले से कोई संरक्षण आदेश पारित नहीं हुआ तो पुलिस को सीधे एक्ट की धारा 31 के तहत FIR दर्ज करने का अधिकार नहीं है। एक्ट की प्रक्रिया यह है कि पहले नागरिक कार्यवाही के तहत आदेश पारित हो और केवल उसके...
मुकदमा शुरू न करना पत्नी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 वर्षों से लंबित क्रूरता मामले में प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया
क्रूरता मामले की सुनवाई शुरू करने के लिए निचली अदालत को निर्देश देने की पत्नी की प्रार्थना पर विचार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह खेदजनक है कि FIR और आरोपपत्र दाखिल करने के दो दशक से अधिक समय बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ।जस्टिस विनोद दिवाकर ने कहा कि निचली अदालत के कार्यभार के प्रति न्यायालय सचेत है।उन्होंने कहा,“FIR दर्ज होने के दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद यह खेदजनक है कि निचली अदालत इस मामले में कोई प्रभावी कार्यवाही शुरू करने या संचालित करने में विफल रही है। निचली अदालत की...
NCMEI के पास शैक्षणिक संस्थानों का अल्पसंख्यक दर्जा घोषित करने का विशेष अधिकार; 1999 का सरकारी आदेश अब प्रासंगिक नहीं रहा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय को चल रही नीट काउंसलिंग में भाग लेने वाले कॉलेजों की सूची में शामिल करने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक (डीजीएमई) द्वारा पारित यह अस्वीकृति आदेश इस तथ्य पर आधारित था कि विश्वविद्यालय को दिया गया अल्पसंख्यक दर्जा 28 अगस्त, 1999 के सरकारी आदेश के अनुरूप नहीं था।जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय...
आरोपियों को 'एकल' जमानत पर रिहा करें; गिरफ्तारी के बिना आरोपपत्र दाखिल होने पर उन्हें हिरासत में न भेजें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की अदालतों को निर्देश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सभी निचली अदालतों के लिए एक समान निचली अदालती कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने, अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक गारंटियों को प्रभावी बनाने और इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के बाध्यकारी निर्देशों को लागू करने हेतु व्यापक निर्देश जारी किए हैं। संविधान के अनुच्छेद 227 और धारा 528 BNSS के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए, जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने मंगलवार को निर्देश दिया कि उन सभी मामलों में जहां बिना गिरफ्तारी के आरोपपत्र दायर किया गया है, चाहे इसलिए कि जांच के...
सरकारी निगमों में हकदारी कल्चर हावी, काबिल फर्स्ट-जेनरेशन वकीलों की अनदेखी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी निगमों में वकीलों की नियुक्तियों में 'हकदारी कल्चर' (Entitlement Culture) जड़ें जमा चुका है, जिसके चलते केवल प्रभावशाली परिवारों के वकीलों को मौके मिलते हैं, जबकि मेहनती और ईमानदार फर्स्ट-जेनरेशन वकीलों को नज़रअंदाज़ किया जाता है।जस्टिस अजय भनोट ने यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) के वकील की लापरवाही और अक्षमता को लेकर नाराजगी जताई यह कहते हुए कि निगम में मेरिट आधारित और पारदर्शी तरीके से वकीलों की नियुक्ति अच्छे प्रशासन और संवैधानिक...
अनुच्छेद 243-ZE | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानगर नियोजन समिति के चुनाव न कराने पर राज्य सरकार और चुनाव आयोग को फटकार लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-ZE के आदेश के बावजूद महानगर नियोजन समिति के चुनाव न कराने पर उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई।जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए,"राज्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वे महानगर नियोजन समिति के चुनाव कराने के लिए आवश्यक जानकारी/दस्तावेज की आवश्यकता को निर्दिष्ट करते हुए दस दिनों के भीतर प्रमुख सचिव, नगर विकास, उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को एक पत्र जारी करें।...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के कष्टप्रद मामले में अपील के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की, 2 लाख मुआवज़ा देने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को 2 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया, जिसे दहेज हत्या के मामले में अदालत द्वारा सम्मानपूर्वक बरी किए जाने के बाद राज्य की अपील में कष्टप्रद आपराधिक अभियोजन का सामना करना पड़ा।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने कहा,"हमारा दृढ़ मत है कि बरी होने की स्थिति में यह अपील प्रस्तुत करने के लिए लोक अभियोजक को निर्देश देने से पहले राज्य ने अपनी न्यायिक समझ का प्रयोग नहीं किया। इस तथ्य पर विचार किए बिना कि अभियुक्त, जो एक आपराधिक मामले...
राज्य प्राधिकारियों द्वारा समय पर निर्णय न लेने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक कड़े आदेश में राज्य प्राधिकारियों के लापरवाह कामकाज पर गंभीर चिंता व्यक्त की। यह आदेश तब आया जब स्थायी अधिवक्ता संबंधित प्राधिकारी से निर्देश न मिलने के कारण न्यायालय की सहायता करने में विफल रहे।जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ शिक्षा विभाग से भुगतान के संबंध में सुनैना नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।पिछली सुनवाई (22 जुलाई) में सरकारी वकील को निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दिया गया और मामले की सुनवाई 4 अगस्त के लिए निर्धारित की गई। बता...
'धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के विरुद्ध': देवता ने 'उत्तर प्रदेश बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश' को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया
राज्यपाल द्वारा 26 मई, 2025 को जारी उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई।पीठासीन देवता श्री बांके बिहारी, शबैत और हरिदासी संप्रदाय के सखी संप्रदाय के सदस्यों द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया कि यह अध्यादेश सीधे तौर पर उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(g), 25, 26 और 300A का पूर्ण उल्लंघन है।इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरिंदम सिन्हा...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान और उन्हें निर्वासित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र सरकार भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। इस याचिका में राज्य में रह रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान और उन्हें निर्वासित करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण और सत्यापन अभियान चलाने की मांग की गई।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस मनीष कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस महानिदेशक (DGP) भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के महानिदेशक और खुफिया ब्यूरो (IB) के महानिदेशक सहित प्रतिवादियों को चार...
'यूपी सरकार पाप कर रही है' : बांके बिहारी मंदिर अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार (6 अगस्त) को वृंदावन (मथुरा) स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर की देखरेख के लिए यूपी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश की कड़ी आलोचना जारी रखी और कहा कि सरकार "पाप" कर रही है।यह टिप्पणी उस समय आई है जब दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए अध्यादेश लाने में यूपी सरकार की "अत्यधिक जल्दी" पर सवाल उठाया था।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आज मौखिक रूप से तीखी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह मंदिर प्रबंधन को...
महत्वपूर्ण अधिकार न प्रभावित करने वाले PIL आदेश पर विशेष अपील नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट Rule, 1952 के Chapter VIII Rule 5 के तहत 'विशेष अपीलें', एकल न्यायाधीश द्वारा पारित नियमित आदेशों के खिलाफ सुनवाई योग्य नहीं हैं, यदि वे पक्षों के अधिकारों और दायित्वों का निर्धारण नहीं करते हैं।"नियमों के अध्याय VIII नियम 5 के तहत अपील योग्य होने के लिए एक वादकालीन आदेश को किसी पक्ष के मूल्यवान अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालना चाहिए या एक महत्वपूर्ण पहलू तय करना चाहिए। जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा कि 'अपील...

















